Learning Point
Contact Us

Grah Aur Upaye

वैदिक ज्योतिष नव ग्रहों का बहुत महत्व हैं जिसमें पूरी पृथ्वी समाई हुई हैं और इसी ग्रहों के माध्यम से हम जीवन को समझ सकते हैं। आईये जाने नव ग्रहों का रहस्य और उनके उपाय।   

सूर्य: ब्राह्माण्ड का सबसे महत्वपूर्ण ग्रह व सूर्य जो सभी ग्रहों का राजा हैं क्योंकि सूर्य ही सम्पूर्ण जगत का पालक हैं। जिससे हमें हमारा भविष्य, आयु, स्वास्थय और जीवन की ताकत मिलती हैं। सूर्य सिंह राशि का स्वामी हैं। मेष राशि में सूर्य उच्च का होता हैं और तुला में नीच का होता हैं। सूर्य अग्नि तत्व का ग्रह हैं। सूर्य हमें पद-प्रतिष्ठा, उच्च अफसर, उच्च लोगों से संबंध, राज़नेता, लीड़रशिप, ओज, गरिमा, उच्च शिक्षा, सरकारी पद और नौकरी, पिता का सुख, दिमाग, मानसिक स्थिति की मज़बूती और नेतृत्त्व क्षमता को बनाए रखने में सहायता प्रदान करता हैं।

सूर्य कमज़ोर हो तो पिता का सुख नहीं मिलता हैं, पिता साथ होते हुए भी मदद या प्यार नहीं मिल पाता दोनों में आपस में कम बनती हैं और अगर बनती हैं तो साथ होते हुए भी पिता बीमार रहते हैं या वो अपने जीवन में इतना संघर्ष करते हैं कि उनके पास आपके लिए समय ही नहीं होगा। पिता की मानसिक स्थिति कमज़ोर होती हैं। कभी-कभी 22 वर्ष से पहले पिता का साथ भी छूट जाता हैं।  

सूर्य खराब हो तो जातक झूठा होता हैं और कर्ज़ के नीचे दबा रहता हैं, वह आलसी, अहमी और अज्ञानी होता हैं। ऐसा जातक दिखावा करता हैं और घमण्डी होने से गलत रास्ते में भी भटक जाता हैं। उसको उच्च शिक्षा भी नहीं मिल पाती हैं। चेहरे में तेज़ नहीं होता हैं दिमाग भी कम होता हैं अपना घर होने के बाद भी घर से दूरी बनी रहती हैं। साथ ही उच्च शिक्षा से भी वंचित रह जाता हैं धन की भी कमी बनी रहती हैं। ऐसे जातक के मुंह में थूक अधिक बनती हैं और पेट में पित्त की परेशानी रहती हैं।         

अन्य सवालों के जवाब के लिए हमसें मिलनें के लिए सम्पर्क करें।    

सूर्य प्रथम या सप्तम भाव में हो दो विवाह के योग बनते हैं और वैवाहिक ज़ीवन में सुख नहीं मिलता ना ही परिवार का सुख मिलता हैं।              

अगर सिर, आंखे, मासपेशियां, हड्डियां कमज़ोर हो और बार-बार मूड़ स्विंगस हो रहे हो, या उत्साहहीनता, आलस हो साथ ही कमज़ोर मन और आत्मबल या भाषा में कमी हो ये सब कमज़ोर सूर्य की वज़ह से होता हैं। सूर्य कमज़ोर की वज़ह से विटामिन-ड़ी की कमी रहती हैं। विटामिन-ड़ी से कैल्शियम मिलता हैं, उसी से हमारा दिमाग और याद्दाशत तेज़ होती हैं।

जिन बच्चों का सूर्य कमज़ोर हो तो वह कुछ बड़ा नहीं कर पाते हैं, उनकी सबसे अलग कर पाने की चाहत पूरी नहीं होती हैं। ऐसे में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से बीमारी देरी से ठीक होगी और आगे के बाल झड़ने लगेंगे। सूर्य कमज़ोर हो तो आप कर्म ही नहीं कर पाओगे क्योंकि कर्म तत्व ही हमारे हाथ में होता हैं जिसका सबसे बड़ा कारण हम और हमारा शरीर ही होता हैं।

हमारा शरीर रसायनों से बना होता हैं, इस रसायन के अलग अलग रंग होते हैं ये रसायन कमज़ोर हो तो हमारे शरीर में बीमारियां होती हैं। सूर्य की किरणों में सात रंग होते हैं, इन्हीं सात रंगो का प्रभाव सूर्य की किरणों द्वारा हमारे शरीर में आएगा तो हमारा शरीर दुरुस्त होगा। यही कारण हैं कि हम अलग-अलग रंगो के रत्न पहनते हैं। सूर्य की आसमानी किरणों से टांसिल, अस्थि की कमज़ोरी और मधु-मक्खी का काटना ठीक होता हैं। इसकी पीली किरण से आंखो, बुद्धि विवेक ज्ञान, पेट की बीमारियां से निज़ात मिलती हैं। सूर्य में 80% लाल किरणें होती हैं, इस से गर्मी मिलती हैं। जिससें जोड़, गठिया, सर्दी का दर्द या सूज़न का दर्द कम होता हैं। सूर्य की नीली किरण से पेट, फोड़े-फुंसी ठीक होते हैं और दिमाग में ताकत मिलती हैं। सूर्य की बैंगनी रंग से टी.बी, बुद्धि और दिमाग का विकास होता हैं और नींद अच्छी आती हैं।              अपनी जन्म राशि जानें।

वास्तु के अनुसार जिस घर के सूर्य की किरणे नहीं पहुंच पाती हैं तो वहां के लोग भी हमेशा बीमार रहते हैं। वेदों के अनुसार सूर्य उदय के समय जो व्यक्ति सूर्य की लाल किरण में खड़ा होता हैं, उसको कभी दिल की बीमारी नहीं होती और कभी पीलिया भी नहीं होता।            कोई भी सवाल! जवाब के लिए  यहां क्लिक करे!

सूर्य कमज़ोर की वज़ह से रिशतें खराब होते हैं, प्रतिष्ठा नहीं मिलती और याद्दशात भी कमज़ोर रहती हैं। उसके लिए लाल रंग़ का अधिक से अधिक प्रयोग करना चाहिए।

अगर उच्च पद पर जाना होतो सूर्य का मज़बूत होना बहुत आवशयक होता हैं। अन्य ग्रहों के मज़बूत होने से उच्च पद या धन की प्राप्ति हो जाएगी परंतु धन और प्रतिष्ठा बनी रहे तो उसके लिए सूर्य का आशिर्वाद पाना बहुत आवश्यक हैं। गुरु की प्रतिष्ठा सीमित होती हैं और सूर्य की प्रतिष्ठा असीमित होती हैं।       

जीवन में समस्यायें ग्रहों की वज़ह से नहीं होती हैं, समस्या तो हमारे कर्मों की वज़ह से होती हैं। कर्म के फलों से ही हमें भाग्य-सौभाग्य मिलते हैं। ये कर्म फल एक शरीर से जुड़े नहीं होते हैं, ये आत्मा से जुड़े होते हैं। उपाय भी तभी लगते हैं जब हमारे कर्म सही होते हैं, पहले अपने कर्म सही करे तभी उपाय की तरफ मुड़े। कमज़ोर सूर्य वाले लोगो ने भी अच्छे पद प्राप्त किये हैं, लेकिन बहुत ही मेहनत और संघर्ष के बाद ही फलों की प्राप्ति होगी।           

सूर्य का उपाय:- एक रूद्राक्ष की माला में तीन त्तांबे के सिक्के पहने जिससे तरक्की मिलेगी। सूर्यादित्य स्रोत्र का पाठ करें, यह सुबह सूर्य उदय के एक घण्टे के अंदर ही पढे। रविवार को अनाज़ और गुड़ का दान करे। गायत्री मंत्र का पाठ और सूर्य के मंत्रों का पाठ करें। तुलसी व सूर्य-मुखी का पौधा घर में रखें। पानी के लिए चांदी या तांबे के बर्तन का प्रयोग करें। गर्मियो में अपने वज़न के दसवें हिस्से के बराबर तरबूज़ का दान करें। किसी पर अपना प्रभाव बना कर रखना चाहते हैं तो चांदी या ताम्बे के बरतन में सौंफ मिश्री खिलाए। गुलुकंद खाए जिससे पित्त में भी राहत मिले। बेल की जड़ को अपने पास रखे।                 अन्य योगों को जाननें के लिए यहां देखें। 

चंद्रमा:- “चंद्रमा मनसो जातक!!” चंद्रमा मन का कारक हैं। सूर्य के बाद चंद्रमा का भी ग्रह के रुप में बहुत महत्व हैं। हमारी कल्पनाओं पर चंद्रमा का ही अधिकार हैं। हिंदु-धर्म में पंचाग का सीधा सम्बंध चंद्रमा से हैं। चंद्रमा कर्क राशि का स्वामी हैं। चंद्रमा वृषभ राशि में उच्च का और वृश्चिक राशि में नीच का होता हैं। चंद्रमा जल तत्व का ग्रह हैं। चंद्रमा अच्छा हो तो मन प्रसन्न रहता हैं, लोगों का प्रेम मिलता हैं, वह भावुक होतें हैं, बुद्धि तेज़ होती हैं और बुद्धि का सही प्रयोग भी कर पाते हैं। शुभ चंद्रमा होने से जातक कलाकार, लेखक, कहानीकार, कविताकार, ज्ञानवान, सौभाग्यबान और धैर्यवान बनता हैं। उसे माता का पूर्ण सुख मिलता हैं और ह्रदय मज़बूत होता हैं। जातक को उच्च लोगों से प्रशंसा मिलती हैं, मित्र भी पास रहते हैं और धन की कमी नहीं रहती हैं।

जो लोग बहुत भावुक, शक व वहम करते और ताने मारते, नकारात्मकता में बने रहते और रचनात्मक नहीं रहते या किसी की प्रशंसा सुन कर जलन करतें हैं या अपनी बात को खुल कर नहीं कह नहीं पातें, हारमोनल परेशानी, मन अशांत, गुस्सा, मानसिक कष्ट या अवसाद रहता हैं। उनका चंद्रमा कमज़ोर होता हैं। बहुत सोचने के कारण भूख भी नहीं लगती या नींद नहीं आती हैं। तनाव की वज़ह से सिर में दर्द और माईग्रेन होता हैं। ज़रा सी बात पर रोना आ जाता हैं, ऐसी स्थिति में भी चंद्रमा कमज़ोर होता हैं। चंद्रमा के आधार पर ही हमारी मानसिकता का पता चलता हैं।

अगर मानसिक व्याधियां भावनात्मक परेशानियां अधिक परेशान करे तो भी चंद्रमा ही कमज़ोर होता हैं। चंद्रमा से ही व्यक्तितत्व में संतुलन बन पाता हैं, माता का सुख नहीं मिल पाता, माता पास हो तो तो वह बीमार रहती हैं या अपने कार्य की वज़ह से बच्चे को समय नहीं दे पाती हैं। ऐसे जातक दुखी हो कर कही भी कुछ लिख देंगे, किसी को देखते ही अपनी मन की बात कहने लगेंगे और रोने लग जाते हैं। जिससें व्याकुलता रहेगी और एकाग्रता नहीं रहेगी। हम अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रख पाते और बैचेनी होती हैं जिससें लोग कटने लगते हैं। मन के विकार से जो पीड़ित रहते हैं या जो जरा सी बात पर गालियां देने लगते हैं और दूसरों पर इल्ज़ाम लगाते हैं, उनका चंद्रमा कमज़ोर होता हैं।   

चंद्रमा ग्रह पृथ्वी के बहुत निकट हैं, तभी इसकी हलचल प्रकृति पर रह रहे लोगों पर जल्दी पड़ती हैं। जब चंद्रमा पूर्ण होता हैं तब जातक के मस्तिष्क की परेशानियां बड़ जाती हैं। वैज्ञानिकों ने भी मानना हैं कि पूर्णिमा के समय पागलखानें में अधिक लोग आते हैं और अमावस्या को सबसे अधिक लोग पागलखाने से निकल कर बाहर आते हैं। चंद्रमा का सम्बंध जल से हैं और मानव शरीर में भी 80% जल की मात्रा होती हैं। पूर्ण चांद कि अवस्था में चोट लगने में खून भी अधिक निकलता हैं। पूर्ण चांद होने पर नींद भी कम आती हैं। ऐसा जातक देखने में बहुत ही बड़ा आदमी भले ही हो पर अंदर से बेहद कमज़ोर होता हैं।          

उपाय ग्रह चंद्रमा – चंद्रमा का सबसे मज़बूत उपाय ध्यान करने की कोशिश करे। कुछ समय समाज से कट जाए, एकांत में जा कर कुछ सीखने की कोशिश करे। सोमवार को दूध का दान करें। मिश्री को पानी में बहाये। चांदी की चैन माता से लेकर गले में पहने, अमरुद खाये इससे अवसाद भी कम होता हैं। खुश्बू का प्रयोग अधिक से अधिक सुबह शाम करें। दोनो अगुंठे में चांदी के छ्ल्ले पहने। चांदी के गिलास में पानी पिये। अनुलोम-विलोम करे। खिरनी का फल खाए या जड़ अपने पास रखे, इससे हमारी मानसिकता में सुधार आएगा।      

मंगल ग्रह: वैदिक ज्योतिष में मंगल ग्रह का भी अपना ही महत्व हैं। लालिमा लिए मंगल ग्रह की आभा तांबे के समान हैं, इसको धरती पुत्र भी कहते हैं। मंगल और धरती के गुण और स्वभाव एक ही हैं। मंगल मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी हैं, मंगल मकर में उच्च का और कर्क में नीच का होता हैं। मंगल अग्नि तत्व का ग्रह हैं और मंगल मज़बूत होने पर जातक निड़र और साहसी होता हैं। मंगल अच्छा होने से भाई-बहनों का सुख मिलता हैं। अगर मंगल शुभ नहीं होगा तो भाई-बहनों का सुख नहीं मिलता हैं। मंगल शुभ न हो तो सम्पत्ति से जुड़ा काम नहीं चलेगा न ही सम्पत्ति का सुख मिलेगा। मंगल अशुभ होने से बहुत क्रोध आता हैं, अगर अपना गुस्सा न दिखा पाये तो जातक बहुत ही चिड़चिड़ा हो जाता हैं। सोचने समझने की शक्ति कम हो जाती हैं, वह निर्णय नहीं ले पाता हैं ज़रा सी बात पर वाद-विवाद हो जाता हैं। मंगल हमारे खुशहाल विवाहित जीवन, रक्त सरकुलेशन और दिमाग को भी प्रभावित करता हैं और अनिमिया जैसी बीमारी देता हैं। मंगल कमज़ोर हो तो चोट अधिक लगती हैं शारीरिक कमज़ोरी रहती हैं और मासपेशियों में दर्द रहता हैं।  

मंगल अच्छा होने से राजकाज़ में रुचि होती हैं। मंगल मज़बूत हो तो सम्पत्ति का सुख अवश्य मिलता हैं। मंगल खराब होने से जीवन साथी के साथ तालमेल नहीं बैठता और संतान सुख भी नहीं मिल पाता या संतान होने में देरी करवाता हैं। मंगल अच्छा होने पर रक्त का सरकुलेशन सही रहता हैं और हड्डियां मज़बूत होती हैं, चेहरे में चमक और लाली बनी रहती हैं।      

जन्मकुंड़ली में पहले, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव में मंगल हो तो जातक मांगलिक होता हैं। मांगलिक और मंगल दोष में फर्क हैं। मंगल दोष होने से वैवाहिक जीवन में वाद-विवाद बना रहता हैं। मंगल दोष होने से बहुत सी परेशानियां आती हैं, ऐसे में बच्चों की हड्डियां भी कमज़ोर होती हैं और हारमोनस भी ड़िस्ट्रब रहते हैं, जिसके लिए आप पालक अवश्य खाये। मांस मदिरा, तम्बाकु और शराब से दूर रहे।            

मंगल ग्रह के उपाय:- बड़े भाई-बहनों की सेवा करें। सुर्योदय से पहले “ऊँ अं अंगारकाय नम:” मंत्र का जाप करे। ताम्बे के बर्तन में जल पियें। सरसों के तेल में भुने चने खाये। चांदी का छल्ला अंगुठा या प्रथम उंगली में पहने। दूध और मसालों का दान करे। 10008 मंत्रों और दूध के अभिषेक से श्री यंत्र की स्थापना करे। बरगद की जड़ में एक चम्मच दूध ड़ाले, उसकी गीली मिट्टी से तिलक करे। मिट्टी के बरतन में शहद भर कर शमशान भूमि में दबा दे। वैवाहिक ज़ीवन को बेहतर बनाने के लिए मंदिर में लाल रुमाल में पताशे रख कर मंदिर में दान करे।         

बुध ग्रह:- वाणी का ग्रह बुध सूर्य के सबसे नज़दीक होता हैं। बुध कन्या और मिथुन राशि का स्वामी हैं। बुध कन्या में उच्च का और मीन में नीच का होता हैं। बुध पृथ्वी तत्व का ग्रह हैं। मस्तिष्क की मज़बूती और याद्दाशत का कारक बुध हैं। बुध अच्छा होने से गणित और केलकुलेशन बहुत बेहतर होती हैं। पाचन शक्ति बहुत बढिया रहती हैं। गम्भीर से गम्भीर परिस्थितियों में दुखी व्यक्ति हंस भी सकता हैं और हंसा भी सकता हैं। ऐसा इंसान हंसमुख होता हैं और आसानी से बात को दिल से नहीं लगाते हैं। बुध से दीमाग और बुद्धि बहुत तेज़ होती हैं, एक बार में ही समझाया हुआ समझ आ जाता हैं और याद भी रहता हैं। ऐसे जातक का नर्वस सिस्टम बेहतर रहता हैं। वह अज्ञानी होते हुए भी बहुत अच्छे से ड़िबेट कर लेते हैं। अच्छा बुध गायक, ज्योतिष, विद्वान, व्यापारी और वकील बनाता हैं।

बुध खराब हो तो धैर्य हीनता होगी और त्वचा में चमक नहीं होगी और त्वचा की कोई न कोई बीमारी भी होती हैं। इंसान छोटी-छोटी बात पर आक्रामक हो जाता हैं और वाणी दोष होता हैं। ज्योतिष में बुध का स्थान मानव के ह्रदय में माना जाता हैं। हमारा कार्य करने का व्यवहार और शक्ति सब बुध से पता चलती हैं। जातक के ऊपर 12 से 24 वर्ष तक बुध का प्रभाव रहता हैं।

बुध खराब होने पर जीवन साथी नकारा मिलता हैं वह बातें तो बहुत करता हैं पर काम नहीं करता। व्यापार सही नहीं चल पाता और बार-बार बदलाव के बारे में सोचते हैं। उनका पैसा फंसता चला जाता हैं और कर्ज़ में ही डुबे रहते हैं। पैसा आने पर भी उसका सही इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं। जिनका बुध कमज़ोर हो तो उनके और उनकी संतान के दांत कमज़ोर होते हैं, खुशबु और बुदबु में अंतर ही नहीं पता चलता हैं। उनका पढ़ाई में मन ही नहीं लगता हैं, गणित से हमेशा दूर भागते हैं और केल्कुलेशन के नाम पर सिर में दर्द होने लगता हैं। बच्चों का आत्मविश्वास कमज़ोर होने लगता हैं और कांस्नट्रेशन भी ड़िस्ट्रब रहती हैं जिससें सांस और त्वचा की भी परेशानी होती हैं। बुध ऐसी वाणी देता हैं कि बोलने में समस्याये आती हैं या तो बहुत कम बोलते हैं या अधिक और बहुत ही कटु शब्दों में बात करते हैं। ऐसे में जीभ में सफेदी रहती हैं, मुंह में छाले बहुत रहते हैं और गले में आवाज़ में परेशानी रहती हैं जिससें आवाज़ भारी होते हुए कर्कश होती जाती हैं। अगर पिज़रे में पक्षी पालते हैं तो आपका बुध खराब ही रहेगा।             

बुध ग्रह के उपाय:- नित्य हरी घास पर चलना शुरु करें। मास-मदिरा का सेवन बंद कर दे। जन्मदिन वाले दिन बंद पक्षियों को आज़ाद करें। ताम्बे के बर्तन में खट्टी-मीठी टाफियां बच्चों को बांटे। किन्नरों से कोई उपहार ले कर अपने पास हरे कपड़े में बांध कर रखे। माँ दुर्गा की आराधना करे। “ऊँ दुं दुर्गाय नम:” का जाप करे। बिना जोड़ वाला स्टील छल्ला अपनी छोटी उंगली में पहने। खाली घड़ा 11 बुधवार पानी में प्रवाह करे। पत्नी बुआ बेटी को चांदी भेंट करे। तांबे का सिक्का जल में प्रवाहित करे। ब्रहमी का सेवन करते रहे। फिटकरी से दांत साफ करे। मिट्टी के बरतन शहद भर कर सुनसान जगह में दबा दे। लाल मसूर की दाल शमशान में जा कर दबा दे। चिड़ियों को दाना अवशय ड़ाले।

गुरु ग्रह:- कहते हैं कि गुरु सवा लाख दोषों को दूर कर देता हैं, ज्योतिष अनुसार यह देवताओं के स्वामी ग्रह हैं। गुरु मीन और धनु राशि का स्वामी हैं। गुरु कर्क में उच्च और मकर में नीच का होता हैं। यह आकाश तत्व का ग्रह हैं। अच्छा गुरु आई. ए. एस, संत, वकील, धनवान, सम्पादक, गुरु, जज, आयुर्वेद आचार्य, अध्यापक और बैंक का मैंनेज़र बनाता हैं। जीवन साथी भी बहुत अच्छा मिलता हैं और वैवाहिक सुख मिलता हैं। संतान से सौभाग्य भी प्राप्त होता हैं और उच्च शिक्षा दिलाते हैं। अच्छा गुरु ही अच्छा ज्योतिष बनाता हैं। गुरु का मस्तिष्क पर बहुत गहरा प्रभाव होता हैं तभी गुरु को ज्ञान का कारक कहा गया हैं। ऐसे में धर्म से जुड़े होते हैं और धार्मिक ग्रंथो में रुचि होती हैं। पर कोई भी ग्रह शाश्वत न अच्छा हैं न बुरा हैं। गुरु के अशुभ प्रभाव की वज़ह से जातक अहंकारी भी हो जाता हैं। ज्ञान कम होगा और समझने में देरी होगी। खराब गुरु हो तो उसके करीबी लोग भी साथ छोड़ देते हैं। गुरु कुपित हो तो दशा आने पर धन चला जाता हैं।       

जब गुरु पंचम भाव में हो तो संतान होने में परेशानी आती हैं और संतान बहुत कमज़ोर होती हैं। पंचम, छठे, अष्टम भाव में हो तो गुरु कमज़ोर होता हैं, लीवर में परेशानी होती हैं, पित्त बहुत परेशान करता हैं और पेट में गैस बहुत बनाता हैं। कफ, मधुमेंह, अस्थमा और सांस की बीमारी व ठंड़ की वज़ह से बुखार होता हैं और सर्दी की वज़ह से भी बहुत परेशानी आती हैं और नींद बहुत आती हैं। ऐसे जातक आलसी बन जाते हैं। जिससें पाचन तंत्र कमज़ोर हो कर मोटापा आता हैं और जुकाम बहुत तंग करता हैं। ऐसा व्यक्ति भोज़न करते हुए पानी बहुत पीते हैं। गुरु खराब हो तो सिर के बीच से बाल झड़ना शुरु हो जाएंगे। अनाज़ से एलर्ज़ी होनी शुरु हो जाती हैं और शरीर में दाने शुरु हो जाते हैं। खराब गुरु समाजिक प्रतिष्ठा को भी खराब करता हैं।   

गुरु ग्रह के उपाय:- जातक ताम्बा विरान जगह में दबाए। गुरु बनाये और उसके साथ प्रेम करे। बेहद ईमानदारी से उनकी सेवा करे। सरकार से कुछ धन मिलें तो कुछ हिस्सा अपनी तिज़ोरी में रखे। सफेद पत्थर या चांदी की कोई गोली अपने सिरहाने रखे। किसी शिक्षक या गुरु या बुज़ुर्ग को अपने बुज़ुर्गों के नाम पर धन दे। 5 पीपल के वृक्ष लगाए।  

शुक्र ग्रह: ज्योतिष एक विज्ञान हैं, हमारे सभी नौ ग्रहो का प्रभाव हमारे मस्तिष्क पर बना रहता हैं। बात करते हैं शुक्र ग्रह की। शुक्र संज़ीवनी ग्रह होता हैं यह कमज़ोर शारीरिक शक्ति में प्राण ड़ाल देता हैं। शुक्र वृषभ और तुला राशि का स्वामी हैं। शुक्र मीन राशि में उच्च और कन्या राशि में नीच का होता हैं। शुक्र जल तत्व का ग्रह हैं। शुक्र के अस्त होने पर वैवाहिक कार्य नहीं होते हैं। जिस को शुक्र का साथ मिल जाये उसको सम्पत्ति, वैभव और सुख की कमी नहीं रहती हैं। व्यक्तितत्व में सुंदरता, चंचलता, मोहकता और आकृषण होता हैं। देखने में कम उम्र के व्यक्ति लगते हैं। शुक्र से वाहन, विवाह, कला, समृद्धि, संतान सुख मिलता हैं। आध्यात्मिक और व्यवसायिक ज़ीवन में ख्याति देता हैं। शुक्र 22 से 24 वे वर्ष से भाग्यौदय देता हैं। शुक्र का दीमाग पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता हैं। जिससे अच्छे शुक्र वाले का आत्मबल मज़बूत होता हैं और याद्दाशत भी अच्छी होती हैं। जातक बहुत महत्वकांक्षी होता हैं, कुछ पाने या बनने के लिए दिन-रात मेहनत करता हैं। मिड़िया, संगीत, कलाकारी में सफलता शुक्र के बिना नहीं मिलती हैं। विवाह समय पर होगा और स्त्रियों से बहुत आदर और प्रेम मिलता हैं।    

शुक्र खराब हो तो धन की कमी रहती हैं, चेहरे की चमक कम होती हैं, वैवाहिक सुख में कमी, संघर्षशील जीवन, शुगर और हारमोनल की परेशानी की वज़ह से संतान के सुख में कमी आती हैं। लोकप्रियता में भी कमी आती हैं। ऐसे में लोग कम मिलना पसंद करते हैं। शुक्र बेहद खराब हो तो विवाह होता ही नहीं हैं। धनार्ज़न के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता हैं। शुक्र खराब हैं तो गठिया, शुगर, कैसर, ब्लड़ कैंसर, लीवर, कफ, किड़नी आदि के रोग देता हैं। हाथ पैर कांपना और मस्तिष्क में कमज़ोरी देता हैं। शुक्र खराब हो तो चरित्र को खराब कर देगा और ओपोज़िट सैक्स में रुचि अधिक रहेगी। शुक्र का गुरु के साथ प्रभाव होगा तो जातक बहुत ज्ञानी तो होगा पर अत्यधिक सोचने वाला भी होगा।  

शुक्र ग्रह के उपाय:- मंत्रो का हमारे नर्वस सिस्टम पर बहुत गहरा प्रभाव होता हैं, शुक्र के मंत्र “ऊँ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:” का जाप करे। अर्गला स्रोत्र का पाठ करे। गाय के घी को मंदिर में दे। 8 वर्ष की छोटी कन्याओं को भोज़न खिलाए। अंगुठे में चांदी का छल्ला पहने। सरपोखा की जड़ अपने गले में धारण करे। रात में मिठाई न खाए। गायत्री मंत्र का जाप भी कर सकते हैं। हरी इलायची वाली साबुदाने की खीर खाये।   

शनि ग्रह:- स्कंद पुराण के अनुसार शनि सूर्य के पुत्र हैं, शनि को कर्म का दाता और न्यायधीश कहा जाता हैं। वैदिक ज्योतिष में शनि मकर और कुम्भ राशि का स्वामी हैं और तुला राशि में उच्च ब मेष राशि में नीच का माना जाता हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार शनि शुष्क और ड्राई ग्रह हैं, जिसमें गैस ही गैस हैं। ज्योतिष के अनुसार शनि का रंग नीला होता हैं, वैज्ञानिकों ने भी कहा हैं कि शनि के आसपास नीली आभा हैं और यही आभा शनिवार को गहरी भी हो जाती हैं।   

अगर शनि खराब फल दे रहा हो तो जातक के ज़ीवन में अचानक चलते हुए काम रुक जाते हैं या धीरे हो जाते हैं। जब शनि बुरा होता हैं तब वाणी खराब करता हैं और गुस्सा दिलाता हैं फिर वाद-विवाद करवाता हैं जिससे बिना किसी बात के शनि मुकद्दमों में फंसाता हैं। अचानक कोई बहुत करीबी व्यक्ति दूर चला जाता हैं। पैरो व नसों की परेशानी देता हैं। बहुत मेहनत करने के बाद भी परिणाम नहीं मिलते हैं, अचानक परिवार से कोई व्यक्ति दूर चला जाता हैं। अचानक धन की हानि होने लगती हैं। शनि की वज़ह से शरीर में गैस बहुत बनती हैं, जब भी शनि खराब होता हैं तब वायु विकार होता हैं। शनि खराब हो तो हड्डी के रोग जोड़ों में दर्द रहता हैं।

कुछ लोग शनि को मारक और दुख का कारक ग्रह कहते हैं। पर सच्चाई में शनि इतना अशुभ व दुख दायी नहीं हैं जितना हम सोचते हैं। वह तो हमें हमारे करमों के अनुसार फल देता हैं। शनि न्याय का कारक हैं न्यायधीश हैं। यही शनि राजा भी बनाता हैं और प्रतिष्ठा भी देता हैं और शनि द्वारा मिली हुई प्रतिष्ठा स्थायी भी रहती हैं। शनि का साथ हो तो धीरे-धीरे सी. एम. या पी. एम., ज़ज़ या राज़नेता बना देता हैं।  

अगर हमारे कर्म अच्छे हैं, हम मेहनती हैं तो यही शनि हमें बहुत शुभ परिणाम देता हैं शनि हमें मोक्ष भी देता हैं। शनि गम्भीर बनाता हैं और गहराई देता हैं। शनि अच्छा हो तो जातक को अपनी मेहनत के अनुसार फल अवश्य देता हैं। ऐसे लोग जनता की बहुत सेवा करते हैं। जब लोग अनुचित काम करते हैं, धोखा देते हैं, झूठ बोलते हैं, एकाउण्ट में हेरा फेरी करते हैं, बिना मेहनत की सैलरी लेते हैं, टेबल के नीचे से पैसे लेना और फिर भी ताने मारते हैं, तब यही शनि वक्त आने पर सज़ा भी देता हैं। अचानक कर्ज़ बहुत बड़ा देते हैं। मुकद्दमो में फंसा देता हैं। परेशानी ही परेशानी का सामना करना पड़ता हैं फिर इंसान सोचता हैं कि आखिर हमने किया ही क्या था।    

शनि ग्रह के उपाय: सोने और जागने का तरीका सही हो जाये तो शनि से जुडी आधी परेशानी वैसे ही खत्म हो जाती हैं। ईमानदार बने रहे अपने काम खुद करे, अंधेरे में न रहे, पैर घसीठ के न चले, पान, तम्बाकू, शराब का सेवन न करे। चंदन का प्रयोग करें। मज़दूरों और कुष्ठ लोगो की सेबा करे। शिवजी की उपासना करे। नीले बिंदु पर ध्यान करे। सिर में नीली या पीली टोपी पहने। चांदी के गिलास में जल पीना शुरु करे। रात में समय में सोये और रात में दूध पीना बंद करे। अनुलोम विलोम करें। बैंगन, कटहल, कद्दु अरबी का सेवन न करे।

केतु ग्रह: ज्योतिष एक विज्ञान हैं, हमारे सभी नौ ग्रहों का प्रभाव हमारे मस्तिष्क पर बना रहता हैं। वैदिक ज्योतिष में हमारे ब्रहमाण्ड़ में राहु-केतु को छाया ग्रह कहा हैं। यह चंद्र्मा के पथ के कटाव बिंदु हैं। इन छाया ग्रह को मायावी भी कहा जाता हैं और इन ग्रहों का अपना कोई अस्तित्व नहीं हैं। इस लिए पराशर ऋषि ने न तो इनकी कोई राशि बताई हैं और न ही कोई दृष्टि बताई हैं। लेकिन ज्योतिष के दूसरे महाऋषियों ने केतु को धनु राशि में उच्च का बताया गया हैं और राहु को मिथुन राशि में उच्च में बताया गया हैं। अगर हमारा मनोबल अच्छा हैं तो ये छाया ग्रह बुरे प्रभाव नहीं देते।  

वैदिक ज्योतिष में केतु जब देने को आए तो भण्डार भर देता हैं और लेने को आए तो भरे भण्डार खाली भी कर देता हैं। केतु जब देने को आता हैं तो बेहिसाब देता हैं लेकिन ध्यान रखे ये प्रतिष्ठा और उन्नति कुछ समय की होती हैं इस समय हवा में न उड़े न ही अहंकार आने दे केतु अपनी दशा में जितनी तेजी से धन व प्रतिष्ठा लाएगा उतनी तेज़ी से अपने साथ ले भी जाएगा। ये मायावी ग्रह सब कुछ मायावी ही देता हैं। केतु दिमाग के ऊपर ऐसी माया ड़ालता हैं कि इंसान अपने आगे कुछ नहीं समझता हैं।

केतु के प्रभाव से बच्चे अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं। शक, भ्रम, वहम और ड़र में ही जीवन बिताते हैं।

You can also order exclusive reports for a year for any of the fields such as Career/BusinessLove/Married LifeHealthEducationTransitions, or Remedies.


Fill this form and pay now to book your Appointments
Our team will get back to you asap


Talk to our expert

 


Ask Your Question


Our team will get back to you asap