ज्योतिष से जाने कि कार्मिक रिश्ते कैसे बनते है।
आज के समय हम अपने किसी न किसी रिश्ते मे बंधे हुए हैं लेकिन वही रिश्ता अगर दर्द देने लगे तो वह रिश्ता हम चाह कर भी नहीं खत्म कर पाते तो वह कार्मिक रिश्ता हैं। कार्मिक संबंध दो व्यक्तियों के बीच का बंधन है जिसे जातक के पिछले जीवन से वर्तमान जीवन में लाया जाता है। यह पिछले जन्म का दो आत्माओं के बीच का रिश्ता है जिन पर एक-दूसरे का किसी प्रकार का कर्ज़ हो सकता है और उस कर्ज़ को वर्तमान जन्म में चुकाना पड़ता है।
हम हर जन्म में एक जैसी आत्माओं से मिलते हैं। एक जन्म में वह व्यक्ति हमारा पिता हो सकता है लेकिन अगले जन्म में वह हमारा भाई या बहन दोस्त प्रेमी हो सकता है। रिश्ते बदल सकते हैं लेकिन जिन आत्माओं से हम मिलते हैं वे वही रहती हैं।
ब्रह्मांड दो लोगों को बार-बार मिलाता है जब तक कि वे अपने पिछले जीवन के कर्ज़ो का भुगतान करने में सक्षम नहीं हो जाते।
अगर हम परिवार के सदस्यों की जन्म कुंडली को देखे तो आपको उनके ग्रहों के माध्यम से आपसी संबंध मिल सकते है। हममे से कई लोग जब किसी व्यक्ति से पहली बार मिलते हैं तो हमें अपनेपन का एहसास होता है। ऐसा इसलिए हो सकता है कि हम उस आत्मा से पिछले जन्म में मिले हों। इसलिए हम उससे जुड़ाव महसूस करते हैं।
कभी-कभी इस प्रकार के कार्मिक रिश्ते बहुत दर्दनाक हो सकते हैं। जिसमे मानसिक, भावनात्मक या शारीरिक तनाव, के साथ आपसी क्रोध, बहस, ईर्ष्या, स्वार्थ शामिल हो सकता है। हो सकता है कि इस रिश्ते से छुटकारा पाना चाहें लेकिन नहीं कर पाते। हकीकत में यह रिश्ते इंसान को कोई सीख देने के लिए आए हैं। हमे कोशिश करनी चाहिए कि इन रिश्तों को बहुत शांति से छोड़ देना चाहिए ताकि आत्मा पिछले जीवन के ऋणों से मुक्त हो जाए और यही आपके जीवन में रिश्तों के दोहराने वाले पैटर्न को तोड़ने का एकमात्र तरीका होगा।
कार्मिक रिश्ते जीवन में प्रेम और परिवर्तन के साथ दर्द लाते हैं, लेकिन वे पूरी जिंदगी के लिए साथ नहीं रहते हैं। इसलिए इसे दर्द में ही सही लेकिन छोड़ देना चाहिए, जिससे चैन इसी जन्म में ब्रेक हो जाए। कुछ कर्म संबंध आपकी इस जीवन की यात्रा में एक विशिष्ट उद्देश्य की पूर्ति के लिए होते हैं।
कार्मिक संबंध के लक्षणों में एक दूसरे से बहुत गहरा संबंध बनता हैं।
शुरुआत में मिलने का एहसास बहुत जुडाव भरा होता हैं।
पिछले जन्म के विवाद और संघर्ष वैसे ही इसी जन्म में रहते हैं।
इसमे पिछले जन्म के रिश्तों या बचपन की कुछ अनसुलझी चुनौतियाँ सामने आती हैं।
इस रिश्ते में समर्पण के बजाय हक की भावना रहती हैं।
इस रिश्ते में मिलते ही वही अच्छा लगता हैं और बाकी सब फीके लगते हैं।
“ज्योतिष में कार्मिक संबंधों को कैसे समझा जा सकता है”।
इस प्रकार के कार्मिक संबंध को समझने के लिए ज्योतिष में राहु, केतु और शनि ग्रह हैं।
राहु- किसी की कुंडली में राहु उन इच्छाओं को दर्शाता है जिसे जातक जीवन में हासिल करना चाहता हैं।
केतु- केतु दिखाता हैं कि आपको अपने वर्तमान जीवन में क्या छोड़ना चाहिए। यह जिस भाव में होता हैं उस भाव के सुखों से अलग करता हैं।
जन्म कुंडली में राहु और केतु की अन्य ग्रहों के साथ युति आपको दो व्यक्तियों के बीच कार्मिक संबंध के प्रकार के बारे में एक दृष्टिकोण दे सकती हैं। जिससे जीवन में कार्मिक संबंध का आसानी से पता लगा सकता हैं। इससे भाई-बहनों, माता-पिता, पति-पत्नी या आपके दिल के करीब किसी व्यक्ति के बीच का पता चल सकता हैं। इसके लिए उन राशियों को देखें जिनमे राहु केतु और शनि हैं। अब दूसरे व्यक्ति की राशियाँ देखें कि उसके ग्रह कहाँ स्थित हैं।
उदाहरण के लिए:- यदि आपका केतु कर्क राशि में है और आपके साथी का केतु भी कर्क राशि में है। इससे केतु-केतु का सम्बंध बनता हैं। ज्योतिष में, कर्म संबंध उन लोगों के बीच का संबंध हैं जिनके बारे में माना जाता हैं कि उनकी सम्बंधों की जड़ें पिछले जन्मों से जुडी होती हैं जो आध्यात्मिक और चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं, जिससे इस जन्म में उन्हें बेहतर करके का मौका भी आता हैं। कार्मिक रिश्तों को आत्मिक रिश्तों के रूप में भी जाना जाता हैं, और ये कम समय के लिए होते हैं जो प्रेम और आपसी साझेदारी का सबक सिखाते हैं।
ग्रहों से जाने क्या आप भी कार्मिक रिलेशनशिप में हैं।
शनि-राहु:- यदि एक व्यक्ति का शनि जिस राशि में हैं दूसरे व्यक्ति का राहु उसी राशि में हैं, तो दोनो का एक मजबूत कार्मिक संबंध हो सकता हैं और दोनों व्यक्ति इस जीवन में कोई सबक सीखने सिखाने के लिए एक-दूसरे से मिले हैं।
चंद्र-केतु:- यदि एक व्यक्ति का चंद्र जिस राशि में हैं दूसरे व्यक्ति का केतु उसी राशि में हैं, तो यह आपसी कार्मिक बंधन हैं। हो सकता है कि आप पिछले जन्म में माँ-बेटे या माँ-बेटी के रिश्ते में हों।
शनि-केतु:- इसी तरह शनि और केतु का राशि सम्बंध हो तो यह रिश्ता लंबे समय तक चलने वाला हो सकता हैं। ये दोनों व्यक्ति एक-दूसरे से अलग होने में सक्षम नहीं होते हैं क्योंकि दोनो का एक-दूसरे के साथ बहुत मजबूत कार्मिक दायित्व होते हैं जिससे तब तक नहीं बच सकते जब तक पिछ्ले जन्मों के कर्ज़ चुका नहीं दे। शनि वाला व्यक्ति केतु वाले व्यक्ति के लिए बहुत डोमिनेट हो सकता हैं लेकिन केतु वाला व्यक्ति शनि वाले व्यक्ति के साथ सुरक्षित महसूस कर सकता हैं।
शनि-सूर्य :- अगर शनि और सूर्य के साथ राशि सम्बंध हो तो यह एक लंबे समय तक चलने वाला रिश्ता हैं। सूर्य वाला व्यक्ति शनि वाले व्यक्ति को पॉवर और प्रोटेक्शन देगा और शनि वाला व्यक्ति सूर्य वाले व्यक्ति को अनुशासन, सीमाएं सिखाकर प्रोटेक्शन देगा।
सूर्य-केतु:- यदि किसी व्यक्ति की सूर्य राशि दूसरे व्यक्ति की केतु राशि पर पड़ रही हैं, तो वह व्यक्ति आपका बॉस हो सकता हैं या आपके पिछले जीवन में आपसे उच्च अधिकारी हो सकता हैं, जो इस जन्म में आपको डोमिनेट करेगा।
शुक्र-केतु या राहु: वह व्यक्ति पिछले जन्म में आपका प्रेमी या जीवनसाथी हो सकता हैं, जिसके साथ इस जन्म में रिश्ता प्रेम के साथ शुरु हो कर दर्द और तनाव में बदल जाएगा।
बुध-केतु या राहु: वह व्यक्ति पिछले जन्म में आपका भाई या बहन हो सकता हैं। जिससे इस जन्म में इस रिश्ते की वज़ह से तनाव होगा।
बृहस्पति-केतु या राहु: यह व्यक्ति पिछले जन्म में आपका शिक्षक या गुरु हो सकता हैं। जिससे इस जन्म में बाधा मिल सकती हैं।
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