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Planets- Grah

Grah- Nine Planets

ग्रह- हमारे ब्रह्माण्ड में 9 ग्रह हैं, जो हम सभी के ज़ीवन में अहम भुमिका रखतें हैं, हममें सभी ज़ीव इन 9 ग्रहों के प्रभाव में हैं। सूर्य चंद्रमा के आसपास सभी ग्रह चक्कर लगा रहे हैं। हर तरह की वैज्ञानिक विधा में इन 9 ग्रहों का योगदान हैं। 

सूर्य:- सूर्य ग्रह सभी ग्रहों का राजा हैं, इसी से सभी ग्रहों को रोशनी मिलती हैं। सूर्य के पास सभी अधिकार हैं, यह आत्मा, शक्ति, रोशनी, अनुशासन, आरोग्यता, हड्डियाँ, बल, पिता, बीज़, शरीर, सरकार, नेतृत्व, नेत्र, तेज़, सम्मान, पराक्रम, धैर्य, शोर्य, उत्साह, स्वास्थय, चिकित्सा-विज्ञान, वैध, राज़-सत्ता सेवा, राज़सी भव्यता, अमीर लोग, वैभव शाली यश व सम्मान, शान-बान, प्रसिद्धि, सात्विकता, जंगल या पहाड़ की यात्रा, आत्मा, पिता, आरोयग्ता, प्रशासन, मस्तिष्क, सोना, गेहूँ, सिर का रोग, अहम, क्रोध व अचानक गुस्सा आना आदि सभी सूर्य से देखे जाते हैं। 

चंद्रमा:- चन्द्रमा को रानी कहा गया हैं और इसके कारकतत्त्व दूध, भोज़न, कला, माता, विचार की शक्ति, कल्पना, मन, मस्तिष्क, सौम्यता, शीलता, संकोच, भावुकता, कल्पना, सौंद्रर्य, लज्जा, जल, जल से सम्बन्धित वस्तुएं, चित्त की प्रसन्नता, मानसिक स्थिति, मनोबल, मुख-मंड़ल का तेज, मानसिक विशेषताएं, देवी की उपासना, दयावान, कोमल, संवेदनशील, भावनायें, सात्विकता, माता, मन, बुद्धि, धन, चावल, कपास, सफेद-वस्त्र, गला, दाई आँख{पुरुष}/बाई आंख{स्त्री} नाड़ी घाव, गंध, प्रसन्नता, खट्टापन, सफेद कोमल कपड़े, कफ प्रवर्ति, पश्चिम दिशा और चांदी सभी चंद्रमा के कारक हैं।      अन्य योगों को जाननें के लिए यहां देखें। 

मंगल:- मंगल को सेनापति की उपाधि दी गई हैं, और भुमि पुत्र भी मंगल को कहा गया हैं। इसके कारकतत्व ऊर्ज़ा, ताकत, क्षमता, प्रधान सेनापति, भूमि, जमीन-जायदाद, अचल सम्पति, शक्ति, साहस, वीरता, क्रोध, शत्रु, युद्ध, योद्धा, सेना और पुलिस में काम करने वाले, वर्दीधारी व्यक्ति, प्रशासनिक व्यक्ति, उच्चपदासीन, शासकीय सेवा, भू-सम्पति का कार्य करने वाले, बिजली और आग, रसोई की अग्नि, घाव, चोट, दुर्घटना, अस्त्रशस्त्र, सर्ज़न, शारीरक व् मानसिक ताकत, निरकुंश, {अधिकार}, प्रसाशन, पराक्रम, भाई, अग्नि, गुड़, ताम्बा, प्रसिद्धि, चोर, चौपाये, मांसाहारी, सुनार, धर्नु-विद्या, मूत्र के रोग आदि मंगल से देखे जाते हैं। 

बुध:- बुध को राज़कुमार कहा गया हैं। इसके कारकतत्व बुद्धि, सीखना, समझना, जानना, शिक्षक, लिखना-पढ़ना, लेखा-जोखा, वकील, पुस्तक लिखना, शिक्षा बुद्धिमता, चतुराई, बाणी, भाषण, लेखन, गणित, ज्योतिष, व्यापार, खगोल-शास्त्री, वक्ता, विद्वान लेखक, लेखककार, लेखा परीक्षक {C.A.} पत्रकार, समाचार-पत्र से सम्बन्धित व्यक्ति, कागज से सम्बन्धित व्यापार, मुद्रण {पब्लिकेशन}, जॉर्नलिस्ट, मित्र, मामा, चाची, वाणी का व्यापार, वेद-ज्ञान, ममेंरे-भाई बहन, नृत्य, वायव्य दिशा, नाभि, पक्षी की भाषा का कारक, तीर्थ-यात्रा, रसिकता और हास्य प्रेमी आदि सभी बुध के कारकतत्व हैं।             कोई भी सवाल! जवाब के लिए अभी क्लिक करे!

बृह्स्पति:- बृह्स्पति को गुरु कहा गया हैं। हमें सीख कर चीज़ को समझना और समझ कर ज्ञान अर्ज़ित करना गुरु सिखाता हैं। इसके कारकतत्व आत्मबोध, विवेक, संयम, पहचान, आध्यात्मिकता, आदर्शनीति, ज्ञान, धन, संतान, पंडिताई, वेद, पुराण, योग, शास्त्र, पठन-पाठन, शास्त्रार्थ, पुजारी, विद्वान, राजा का सलाहकार, न्याय-धीश, अध्यापक, वकील, जल, क़ानूनी-सलाहकार व विशेषज्ञ, मनोवैज्ञानिक, साहूकार, बैंक में काम करने वाले, प्रबंधन विशेषता, इनसाईट, धार्मिक कार्य में रूचि, पौराणिक ग्रंथो और रीति-रिवाज़ों को मानने का प्रतीक, कठोर, सदाचारी, आदर्शवादी, नीतिगत, आचरण, आध्यात्मिकता, त्याग, स्त्री की कुंड़ली में पति का कारक, अंतर्मुखी, राजसी भोग विलास, वेदों का ज्ञान, शरीर का बल, तीर्थ-यात्रा, पेट की बीमारी और तपस्या का कारक गुरु हैं।                           अन्य सवालों के जवाब के लिए हमसें मिलनें के लिए सम्पर्क करें।    

शुक्र:- शुक्र को मंत्री की उपाधि दी गई हैं। शुक्र को पत्नी/स्त्री भी कहा गया हैं। इसके कारक चेहरे की आभा, सौन्द्रर्य, एशवर्य, परम् आनन्द, विवाह-सम्बन्धित प्रसंग, प्रेम, ६४ कलाओं का स्वामी, बहुर्मुखी, विकास, दुनिया, शारीरिक भोग, इन्द्रियों का भोग, जल सम्बन्धित वस्तुए, पारिवारिक संपत्ता, वाहन, आभूषण, कीमती वस्तुए, रत्न, कला, नृत्य, गीत-संगीत, विनय, अभिनय, इत्र, सौन्दर्ये-प्रसाधन, होटल, जलपान, सूरा-सुंदरी, सुंदरता, स्वच्छता, सलीका, दिखावा, स्त्री का भोग, खजाना, संगीत, जल का स्थान, रहस्य, काले-बाल, सफेद चमकीला रंग, फैशनेबल कपड़े से प्रेम, जल-क्रीड़ा, भौतिक सुख और खुशबु का कारक शुक्र हैं।

शनि:- शनि को सेवक की उपाधि दी गई हैं। शनि न्यायधीश भी हैं। कोई गलती होने पर असंतोष, आत्मग्लानि, मानसिक संताप, ग्लानि, अवसाद, अकेलापन, दुख, कलेश होता हैं, वह शनि का रुप हैं। शनि के दूसरे रुप में एकाग्रता, एकांतवास, तप, आत्म संयम दिखता हैं। शनि का एक रुप सांसारिक कलेश और दूसरा आध्यात्मिक चिंतन और वैराग्य हैं। शनि के कारकतत्व आयु, मृत्यु, कष्ट, दुःख, दुखद, अवस्था, विपरीत, वृद्धावस्था, प्राकृतिक-आपदा, बीमारी, निर्धनता, विकलांगता, अपमान, अनादर, अनुचित-व्यवहार, कृषि-कार्य, खेती-बाड़ी, खनिज-पदार्थ, भूमि के अंदर से निकलने वाली वस्तुए, वास्तुकार, नौकर-चाकर, नौकरी, चोरी, निर्दयी कार्य, लोभ-लालच, पुराना मकान, उदासीनता, एकान्तप्रिय, नीरसता, रूखापन, तिलतेल, लोहा, काली वस्तुए, चरम सीमा, निराशा, पुरातत्व, निम्नवर्ग के लोग, लोहार, उधोगपति, वैराग्य {वैरागी भी शनि बनाता}, आत्म-त्याग, लोकतंत्र, {शनि का सम्बन्ध लोकसभा से है} लोहा, ठगने का कौशल, स्टोरेज़, ओवर टैंक, मृत्यु का कारण, गंदे-कपड़े, ड़र, बुद्धि, अपवाद, नीच-ज़नो का आश्रय, मारक-योग, दशा, मारकेश का निर्णय में शनि भी देखे।

राहु:- राहु का प्रभाव हमारे मन के ऊपर रहता हैं, जो दिखाई नही देता हैं, फिर भी वज़ूद में हैं, वह राहु हैं। हमारे विचारों के ऊपर पुरा अधिकार राहु का होता हैं। राहु विचारों का खेल हैं। राहु के कारकतत्व हठी, दुष्टता, अस्थिरता, कुटनीतिज्ञता, वाचाल, आलस्य, दरिद्रता, रुकावट, बाधा, झूठा, सरकारी, विदेशी लोग, इंजीनियर, इण्टरनेट, मोबाईल, चार्जर, अंतरिक्ष-इंजीनियर, पायलट, एयरहोस्टेस, कर्कश-वाणी, जुआ, समाज से बहिष्कार, सांप का काटना, जहर फैलना, चोरी व नीचता के कार्य, राहु गंगा स्नान कराता हैं, और तीर्थ यात्रा करवाते हैं। रूढ़िमुक्त, स्वछंद, धार्मिक-प्रवर्ति, परम्परा तोड़ना, {शनिवत: राहु} क्रूर स्त्री, नीची दृष्टि, अपवित्रता, झूठ बोलना, दादा, वात-कफ की पीड़ा आदि सभी राहु कारकतत्व हैं।    

केतु- यह सबसे अधिक गुप्त प्रवृति का ग्रह हैं। केतु से चोरी चालाकी, छलकपट, झूठ फरेब, गुप्तचर, गुप्त शक्ति व विधा, जासूस, तस्करी स्मगलिंग, शराब व्यसन, नशीली वस्तुए, विष, गुप्त विद्याओं की खोज का प्रतीक, डॉक्टर, वैकल्पिक-चिकित्सा पद्धति, कम्प्यूटर-भाषा, सूक्ष्मता अंतर्मुखी, गंगा-स्नान, वैध, कुत्ता, बुखार, टी.बी., वैराग्य, शीत की अधिकता, मूर्खता, त्वचा-रोग, नाना, कम्बल, चैक वाले कपड़े, गर्म कपड़े, यात्रा, सिढियां, झंडा, कुर्ता, काला सफेद कुत्ता, दूर-दृष्टि, इमली का पेड़, भूख लगना, ऐश्वर्ये, पत्थर, ब्रह्मज्ञान, फोड़े-फुन्सी आदि का कारक केतु हैं।      ग्रहों के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहां देखें!

राघव ज्योतिष का मकसद आपकी समस्या से समाधान तक हैं क्योंकि ज्योतिष दशा के माध्यम से दिशा दिखाने का प्रयास करता हैं। राघाव कोई चमत्कार का वादा नही करता हैं बस वैज्ञानिक ग्रहों के आधार ही भविष्य में होने वाली घटनाओं के बारे में अवगत करवा सकता हैं। आप राघाव पर विशवास कर के उचित जानकारी पा सकते हैं और आने वाले समय के लिए कुछ सावधानी के साथ सलाह व उपाय भी ले सकते हैं। सम्पर्क करे +917701950631            


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