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पूजा-पाठ

पूजा-आराधना- Pooja हमारे हिंदु सनातन-धर्म के अनुसार कोई भी शुभ कार्य करने से पहले मंत्रों के उच्चारण से देवी देवताओं का आवाहन कर उनकों अपने कार्य में सम्मलित किया जाता हैं, जिससे अपनी सफलता की कामना करते हुए उनसे आशिर्वाद पाना चाहते हैं। आध्यात्मिक धर्म के अनुसार हमारा मानना हैं कि देवी-देवता सुक्ष्म रुप में आ कर हमारी आराधना को मंत्रों के माध्यम से स्वीकार करते हैं। हमारे शास्त्रों के अनुसार मान्यता हैं कि सबसे पहले “ऊँ” के उच्चारण की ध्वनि ही सुनाई दी थीं, “ऊँ” में ही सम्पूर्ण विश्व समाया हुआ हैं, तभी हम किसी भी मंत्र को “ऊँ” से शुरु करते हैं। इन मंत्रों में बहुत ही शक्ति हैं, इन्हीं मंत्रों की ध्वनि के माध्यम से सही उच्चारण कर अपनी मन की बात ईशवर तक पहुंचा कर उनकी स्तुति करते हैं।।
हिंदु धर्म में कोई भी शुभ कार्य या पूजा-आराधना मंत्रों के बिना सम्भव नहीं हो सकती। इन मंत्रों में आध्यात्मिक शक्ति होती हैं, जिसकी तरंगो से हम ब्रहमाण्ड़ से ऊर्जा प्राप्त करतें हैं और जो सुक्ष्म तरंगो के रुप में हमारे चारों ओर की ओरा को शुद्ध कर हमारे दोषों व बाधाओं को दूर कर पवित्र कर देती हैं। इन्हीं मंत्रों के जाप व हवन से ही हमारी पूजा स्वीकार्य होती हैं। पर अब बात आती हैं कि क्या हम सब साधारण मानव को ये सब नियम आते हैं या हम सब इन मंत्रो व हवन को सही समय या सही तरीके से कर सकते हैं। इसके लिए भी हमें एक गुणी, ज्ञानवान व कर्म-काण्डी ब्राह्मण की ज़रुरत होती हैं, जो बिना किसी लालच के सही मुल्य में हमें मार्गदर्शन कर सके।   

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किसी भी प्रकार के पितृ दोष, मंगल दोष, चण्डाल दोष, स्त्री दोष, सर्प दोष, प्रेत दोष, शनि दोष, ग्रहण दोष, अमावस्या दोष, दरिद्र दोष, संतान दोष, श्राप दोष आदि की मुक्ति के लिए या किसी भी प्रकार के शुभ कार्य के लिए आप हमसें सम्पर्क कर सकते हैं। किसी भी तरह का दोष निवारण पूजा व उपाय के माध्यम से किया जा सकता हैं। अगर आपको किसी ने डराया हैं या किसी प्रकार की अनहोनी से अवगत करवाया हैं तो आपको उचित मार्गदर्शक दे कर वहम से बाहर निकाला जाएगा हमारी पूरी कोशिश रहती हैं कि इन शक्तिओं के माध्यम से सही तरिके से सही समय पर आपको उपचार मिल सकें और जहाँ जिस तरह की मदद की आप उम्मीद करते हैं हम खरे उतरने का प्रयास करेंगे।
अपने घर में होने वाले शुभ कार्य विवाह, हवन, पूजा के लिए भी आप हमसें सम्पर्क कर सकते हैं, हमारी पूरी कोशिश रहेगी कि आपको उचित मार्गदर्शक मिलें, जिससे आपको कही भी भटकना न पढे।  Take Appointment 
वैदिक ज्योतिष में वेद मंत्रों के जाप से पूजा द्वारा जातक को शुभ फल की प्राप्ति करवाई जा सकती हैं। बहुत से ऐसे मंत्र जाप, उपासना, अनुष्ठान व पूजा आराधना हैं, जिसको हम स्वयं विधि-विधान से नहीं कर सकते हैं। आज के भागते और व्यस्त समय में जातक के पास समय भी नहीं हैं और न ही वह उसको पूरा नियम के साथ कर सकता हैं, यह वैदिक काल से ही प्राचीन प्रचलन चला आ रहा हैं, कि यज़मान अपने आयोज़न के लिए विशेष ज्योतिष या ब्राह्मण से सुझाव आदि लेते हैं, फिर उन्हीं की बताई विशेष पूजा-आराधना या अनुष्ठान या अपने कुंड़ली के दोषों का निवारण करवाते हैं। नवग्रहों की पूजा भी कुंड़ली में ग्रहों के दोष के निवारण के लिए बताई जाती हैं, जिसे वैदिक मंत्रों से ही किया जाता हैं। वैदिक ज्योतिष में नवग्रहों के वेद मंत्रों के माध्यम से पूजा का फल मिलता हैं। इस तरह की पूजा से ही ग्रहों की शान्ति सम्भव हैं और उपायों का प्रभाव भी मिलता हैं।
अलग-अलग तरह के दोषों के निवारण को अलग-अलग वौदिक मंत्रो व उपायों से दूर किया जाता हैं। कुछ ज्योतिषियों का मानना हैं, कि पूज़ा करने का विशेष विधान, विशेष समय और विशेष जगह होती हैं, तभी उसका पूरा फल मिल पाता हैं। जैसे कुछ पूज़ा केवल नासिक में भग्वान शिव के त्रंयंबकेश्वर मंदिर, उज़्ज़ैन, हरिद्वार, श्री बद्री नाथ, बाला जी, गया जी आदि अन्य धर्म स्थानों पर ही की जाने से उचित परिणाम मिलते हैं और इनके विशेष फलो कीं प्राप्ति भी होती हैं।
बहुत तरह के शुभ ग्रहों का फल पाने के लिए और बहुत से अशुभ दोषों के निवारण के लिए अलग-अलग पूजा का विधान हैं, जिस के लिए हमें उनसे जुडे महत्व को जानना और समझना चाहिए। हम यहां सभी ग्रहों के शुभ व अशुभ प्रभावो का वर्णन करेंगे, जिससे हम जान सके कि हमारी कुंड़ली के अनुसार कौन सी पूज़ा आराधना से हमें लाभ मिलेगा और कौन से दोषों को दूर कर के हम अपनी ज़िंदगी में आई परेशानियों से निज़ात पा सकते हैं।
नवग्रहों की पूजा- कुंड़ली में नौ ग्रहो के शुभत्व को प्राप्त करने के लिए उस ग्रह की पूजा की जाती हैं, जिस ग्रह से जुड़ी समस्या हमें आती हैं और शुभ ग्रह के बल को बढाना हो, जो शुभ तो हैं, पर कमज़ोर हैं। तो हम प्रत्येक ग्रह के अनुसार कुछ वैदिक मंत्रों की निश्चित संख्या और नियम के साथ जाप करते हैं।
कालसर्प योग पूजा- जब कुंड़ली में राहु केतु की धुरी के अंदर सभी ग्रह आ जाते हैं, तब यह योग बनता हैं, इसके निवारण के लिए 125,000 मंत्रो का ज़ाप करवाते हैं, जिसके के लिए शुभ धार्मिक स्थान का होना ज़रुरी हैं, यह किसी योग्य पंडित द्वारा संकल्प के साथ करवाई जाती हैं।
मांगलिक दोष- कुंड़ली में बहुत से दोषों सहित एक मांगलिक दोष भी हैं, जिस वज़ह से जातक को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं। इससे विवाह होने में व विवाह के उपरांत भी बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता हैं। कुछ ज्योतिषियों का मानना हैं कि इसकी पूजा केवल उज़्ज़ैन या नासिक में जा कर ही की जाती हैं, ऐसा नहीं हैं, इसकी पूज़ा हम किसी भी धार्मिक स्थान पर जा कर करवा सकते हैं।
पितृ दोष पूजा- वैदिक ज्योतिष में बहुत से दोषों की तरह यह दोष भी बहुत भ्रम उत्पन्न करता हैं। कई ज्योतिष तो आज तक भी कुंड़ली में इस दोष को सही से पहचान नहीं पाते हैं और जातक को ड़राते रहते हैं। जिससे जातक को श्राद्ध, पिंड़ दान या नारायण पूजा आदि की सलाह दी जाती हैं। इस दोष के निवारण के लिए विशेष तरह की पूजा व वेद मंत्रों का विधान और दान बताया गया हैं। यह पूजा भी किसी धार्मिक स्थान पर जा कर ही करनी चाहिए, जहां ज़ल भी बहता हो।
श्री महा-मृत्युंज़य मंत्र- सभी देवी-देवताओ से सबसे महत्वपूर्ण आराधना भग्वान शिव की हैं। इस मंत्र द्वारा भग्वान शिव की विशिष्ट सिद्धि की प्राप्ति होती हैं और बहुत से दोषों का निवारण होता हैं। भग्वान शिव का एक नाम महामृत्युंज़य भी हैं, जिसका अर्थ मृत्यु को भी जीतना हैं। वैदिक ज्योतिष तो यहां तक मानते हैं कि इस मंत्र नियम के जाप से आसमयिक आने वाले दुर्घटना, कष्ट, गम्भीर रोग, मानसिक अशांति व दोषो को भी टाला जा सकता हैं। धार्मिक स्थान पर किए जाने वाले इन मंत्रो का फल अधिक मिलता हैं। इस मंत्र को सही विधि-विधान से करने से ही फल मिलता हैं।
श्री बंग्लामुखी पूजा- सभी वैदिक पूजा में माता बंगलामुखी की पूजा का भी अपना विधान हैं। यह कलयुग में विज़यी व शक्तिशाली देवी मानी जाती हैं। इनकी अराधना करने से सभी बाधाएं, संकट, विध्न, मुकदमें में विज़य और दुश्मनों से जीत मिलती हैं और साहस, पराक्रम और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए इनकी विधिवत पूजा की जाती हैं।
नक्षत्रों की पूजा- वैदिक ज्योतिष में सभी नौ ग्रहों की पूजा के अलावा 27 नक्षत्रों के वेद मंत्रों का जाप करने से भी शुभ फलों की प्राप्ति की जा सकती हैं। वैदिक ज्योतिष में कुंड़ली में जिस नक्षत्र को कमज़ोर पाते हैं, उसी की पूजा का विशेष अनुष्ठान करवाते हैं। जिससे शुभ फलों की प्राप्ति होती हैं, कमज़ोर नक्षत्रों के शुभ फल मिलते हैं और कुंड़ली के दोषो व बाधाओं का निवारण होता हैं। सभी पूजा-आराधना को सही मुहूर्त और नक्षत्रों के आधार पर ही किया जाता हैं।
संतान गोपाल पूजा - सभी वैदिक पूजाओ में संतान गोपाल आराधना का भी अपना महत्व बताया गया हैं, जिसे श्री कृष्ण के संतान गोपाल मंत्रों के जाप से किया जाता हैं। इसके करने से संतान के सुख की प्राप्ति होती हैं, जिस जातक को संतान का किसी भी प्रकार से सुख प्राप्त नहीं हो पाता उन्हें विधि-विधान से इस मंत्र द्वारा भगवान श्री कृष्ण का आशिर्वाद प्राप्त होता हैं।
रूद्र पूजा - यह पूजा भी भगवान शिव को व चन्द्रमा ग्रह को प्रसन्न करने के लिए की जाती हैं। इस पूजा में रुद्र मंत्रों का प्रयोग किया जाता हैं, और शिव-लिंग का मंत्रों के साथ अभिषेक किया जाता हैं, जिससे विशेष कामना की प्राप्ति होती हैं। वेदों के अनुसार शनि ग्रह, रोगोंं के निवारण व बाधाओं के लिए भी रुद्र पूजा का विधान बताया गया हैं।
गंड़-मूलो की पूजा - यह पूजा भी नक्षत्र विशेष के लिए की जाती हैं। जब जातक का जन्म केतु नक्षत्रों के शुरु के अंशो या बुध नक्षत्रों के अंतिम अंशो में होता हैं तो वह गंड़-मूल का बच्चा कहलाता हैं, इसकी पूजा जन्म के 27 दिनों या 27 हफ्तों या 27 महीनो में हो जानी चाहिए। इसमें 108 अथवा 27 स्थानों का जल, मिट्टी व पेडो के पत्ते आदि की आवशकता होती हैं। फिर विधि-विधान से जाप और नियम के अनुसार पूजा की जाती हैं।
इसके अलावा और भी बहुत से गुण-दोष के अनुसार पूजा अनुष्ठान करवाए जाते हैं, जैसे: गुरु चण्डाल दोष, अंगारक दोष, ग्रहण दोष, अभोत्वक दोष, केमद्रुम दोष, मंगल शान्ति, नवग्रह पूजन, नौचण्डी‌, शतचण्डी, द्रुर्गा सप्तशती और गण-दोष आदि किसी प्रकार के अन्य दोष भी हो, जो कुंड़ली देख कर ही समझे जा सकते हैं। कई बार ऐसा भी होता हैं, हम बहुत से उपाय करते हैं या शुभ दशा होने के बाद भी फल नहीं मिल पाते, तो कहीं न कहीं यही दोष परेशान करते हैं, जो किसी विद्वान से पूजा-अनुष्ठान करवाने से अपनें दोषों को कम करतें हैं। हमसें सम्पर्क करने के लिए यहां देखें।


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