चिकित्सक बनने के ज्योतिष नियम: Doctor rules in Astrology
प्रत्येक माता-पिता को अपनी संतान के व्यवसाय की बहुत चिंता रहती हैं। आज के समय में बच्चों मेंडिकल, इंजीनियरिंग, वाणिज्य या सिविल जैसे अनेक विषयों का चुनाव करते हैं। अगर बच्चो को चिकित्सा की ओर उन्मुख होना हैं तो उनमें बहुत समर्पण और प्रयास की आवश्यकता होती हैं, इसलिए यह जानना बहुत आवश्यक हैं कि अगर आपका रुझान डॉक्टर बनने की ओर हैं तो अपनी कुंड़ली में यह योग जान ले। किसी भी व्यवसाय का चुनाव करने में जन्मकुंड़ली के ग्रह और उनके स्थान बहुत बड़ा अहम काम करते हैं। किसी भी योग के बारें में समझनें के लिए हम ग्रहों और भावों के बारें मे जानते हैं।
भाव:- 5/9/10 भाव- किसी भी तकनीकी शिक्षा को आजीविका में तभी बदला जा सकता हैं जब पंचम/पंचमेश यानि बुद्धि और बेसिक/उच्चतर शिक्षा का संबंध, नवम/नवमेश यानि भाग्य और उच्च शिक्षा और दशम/दशमेश यानि नाम, कर्म और पुरस्कार से बने तभी हम अपने शिक्षा के अनुसार कार्य का चुनाव कर सकते हैं।
तीसरा भाव मेहनत और संघर्ष का हैं, वही अष्टम भाव दीर्घायु और दीर्घकालीन रोग का भाव हैं।
6/12 (षष्ठम भाव से सेवा व रोग को देखते हैं और बारहवें भाव से अस्पताल को देखते हैं) इनके संबंध से डॉक्टर बनने की सम्भावना दिखती हैं। इनका संबंध पंचम/पंचमेश या दशम/दशमेश (लग्न/दशमांश/नवांश) से बने तो जातक डॉक्टर बनता हैं। ग्रहोंं के बारे मे विस्तार से जानें!
ग्रह:- गुरु ग्रह का डॉक्टर की कुंड़ली में बहुत महत्व हैं। गुरु की कृपा व आशिर्वाद से ही जातक दवा देकर उपचार कर सकता हैं। बृहस्पति ज्ञान हैं कि कैसे किसी पीडित को राहत देनी हैं और उसको उसकी परेशानी से बाहर लाना हैं। गुरु का प्रभाव लग्न/पंचम/दशम भावों और नवांश व दशमांश में होने से डॉक्टर की सम्भवनायें बनती हैं। गुरु से Physician, Nursing, Radiologist, Ayurveda, Homeopathy से जुड़े कार्य कर सकते हैं।
चंद्रमा:- चिकित्सक के लिए भावना और मन के कारक चंद्रमा को भी बहुत महत्व दिया गया हैं। चंद्रमा को पूरी पृथ्वी का चक्कर लगाने पर सभी जड़ी-बूटी का कारक बना दिया गया हैं। चंद्रमा दवाई और लिक्विड़ का भी कारक हैं। दूसरी ओर डॉक्टर को रोगी की पीड़ा देखकर खुद को उसके सामने भावुक न होकर मज़बूत रुप में खड़े होना होता हैं, जिससे चंद्रमा को पाप प्रभाव में होना आवशयक हैं। एक नर्म और कमज़ोर दिल वाला किसी के दुख को देखकर उसका इलाज़ नहीं कर सकता। चंद्रमा का त्रिक 6, 8, 12 भाव से संबंध, चंद्रमा से अष्टम से पाप ग्रह का होना, पाप ग्रहों से पीडित होना जातक के मन को मज़बूती देता हैं जिससे डॉक्टर बनने में सहायक होता हैं। चंद्रमा से Gynaecologist, Nursing, Herbal, Paediatrician (Child Specialist), Psychiatrist जैसे लाईन में आ सकते हैं।
सूर्य:- सूर्य को आत्मा का संकेतक के रुप में माना जाता हैं। इसमें जीवन देने की क्षमता हैं और सूर्य दवा का भी कारक हैं। वृश्चिक या धनु का सूर्य एक अच्छा डॉक्टर बनाता हैं। सूर्य से Heart Specialist (Cardiologist), Medicine, Radiologist जैसी सेवा में जातक अपना योगदान दे सकता हैं। हमसें मिलनें या बात करने के लिए सम्पर्क करें!
शुक्र:- शुक्र को मृत संजीवनी विधा का कारक कहा गया हैं। किसी मृत्य तुल्य व्यक्ति में कैसे जान ड़ाली जाये यह शुक्र के योगदान के बिना अधुरी हैं। शुक्र से Gynaecologist, Skin specialist (Dermatologist), Physician, Chemist, Ayurveda, Beauty Cosmetic Surgeon, Dental Surgeon, Plastic Surgeon जैसे कार्य कर सकते हैं।
मंगल:- मंगल ग्रह रक्त का प्रतिनिधित्व करता हैं और सर्जन बनने और एक शरीर को खून से लथ-पथ देखना उसकी काट कर सर्जरी करना मंगल के सहयोग से ही हो सकता हैं। मंगल ग्रह से Surgeons, Pathologist, Dentist, Orthopaedic Surgeon बन सकते हैं। अन्य योगों के बारे में जानने के लिए यहां देखें!
शनि:- शनि ग्रह से Orthopaedical, Surgical Instrument and Medical Instrument, Physiotherapist बन सकते हैं।
बुध:- बुध ग्रह से Physician, General Medicine, Chemist, ENT Specialist, Neuro-Physician जैसे लाईन में जा सकते हैं।
मंगल या राहु/केतु के साथ सूर्य, बृहस्पति हो तब भी चिकित्सक के योग बनते हैं।
वृश्चिक राशि चिकित्सा में लिए सबसे महत्वपूर्ण राशि हैं। ये राशि दशम भाव में सूर्य और मंगल के साथ हो तो जातक बहुत अच्छा सर्जन बन सकता हैं। अगर केंद्र में तुला राशि में उच्च के शनि के साथ मंगल हो तब भी जातक प्रसिद्ध सर्जन बनता हैं। किसी भी प्रशन के लिए यहां क्लिक करें!
4/5 भाव पापी ग्रहों के प्रभाव में हो तो डॉक्टरो के लिए आवशयक तकनीकी शिक्षा सहायक होती हैं।
इन सबका सम्बंध नवमांश, दश्मांश और अमात्यकारक ग्रह से भी देखना चाहिए। यदि सूर्य या चंद्रमा अमात्यकारक ग्रह हो और डी-10 में में इनका सम्बंध गुरु, शुक्र या शनि बने तो डॉक्टर बनने की सम्भावना मज़बूत बनती हैं। अगर अमात्यकारक ग्रह वृश्चिक में हो या इसी राशि में प्रमुख ग्रह हो। ज्योतिष सीखनें के लिए यहां देखें!
सभी नियमों के साथ अश्वनी नक्षत्र पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए जिसका स्वामी केतु हैं और इसके देवता अश्वनी हैं। वैदिक अनुसार अश्वनी कुमार को देवताओं के वैध में रुप में माना जाता हैं। अगर दशम भाव इसी नक्षत्र में हैं या सूर्य चंद्रमा का यही नक्षत्र हो तो यह अच्छे डॉक्टर के संकेत हैं।
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