Mritunjaye Mantra
श्री महा मृत्युंज़य मंत्र- संजीवनी मंत्र के लिए हिंदु धर्म के अनुसार सभी देवी-देवताओं से सबसे महत्वपूर्ण आराधना भग्वान शिवजी की हैं। महा मृत्युंज़य मंत्र द्वारा भग्वान शिव की विशिष्ट सिद्धि की प्राप्ति होती हैं और बहुत से दोषों का निवारण भी होता हैं। यह मन्त्र सर्वप्रथम मार्कंड़य ऋषि द्वारा पाया गया था। भग्वान शिव का एक नाम महामृत्युंज़य भी हैं, जिसका अर्थ मृत्यु को भी जीतना हैं। हिंदु धर्म में इस मंत्र को प्राण रक्षक और महामोक्ष मंत्र कहा जाता हैं। वैदिक ज्योतिष में तो यहां तक मानते हैं कि इस मंत्र नियम के जाप से आसमयिक आने वाले दुर्घटना, कष्ट, गम्भीर रोग, मानसिक अशांति व दोषो को भी टाला जा सकता हैं। शास्त्रों के अनुसार धार्मिक स्थान पर किए जाने वाले मंत्रो का फल अधिक मिलता हैं। इस मंत्र को सही विधि-विधान से करने से ही फल मिलता हैं। यह एक ऐसा मंत्र हैं जिसका जाप करने से मनुष्य मौत पर भी विज़य प्राप्त कर आरोग्यता व यश की प्राप्ति कर सकता हैं। अगर बहुत ही श्रद्धा और संयम के साथ जाप किया जाये तभी मन-वांछित फलों की प्राप्ति होती हैं। संजीवनी मंत्र मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक बल प्रदान करता हैं। Why Worried? Ask a question and get solutions!
मंत्र संख्या और विधि- हर परेशानी के लिए अलग संख्या में मंत्र का जाप किया जाता हैं, जैसे किसी तरह के तंत्र-मंत्र व ड़र से मुक्ति के लिए 1100 मंत्रों और रोगो से मुक्ति के लिए 11000 मंत्रों और पुत्र प्राप्ति या अकाल मृत्यु से बचने के लिए सवा लाख मंत्रों का जाप किया जाता हैं। अगर आप निश्चित संख्या में जाप करना चाहते हैं तो आपको इस मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से ही करना चाहिए। जितने मंत्रों की शुरुआत पहले दिन से की जाये उसी अनुसार अन्य दिनों में भी उतने ही मंत्रों का जाप किया जाना चाहिए। मंत्र जाप के लिए एक ही स्थान, वस्त्र और समय का चुनाव करना चाहिए। जप समय में दीपक जलता रहना चाहिए। अपनी माला को गौमुखी में रखे। मंत्र का उच्चारण होंठो से बाहर नहीं आना चाहिए। जप के लिए कुशा का आसन ही प्रयोग करे। शिव की मूर्ति या शिव-लिंग के समक्ष बैठ कर ही जाप करे और मुख पूर्व की ओर रखे। Take Appointment
मंत्र:-
महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||
संपूर्ण महामृत्युंजय सम्पुट सहित मंत्र
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।
लघु मृत्युंजय मंत्र
ॐ जूं स माम् पालय पालय स: जूं ॐ।
महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ
इस पूरे संसार के पालनहार, तीन नेत्र वाले भगवान शिव की हम पूजा करते हैं। इस पूरे विश्व में सुरभि फैलाने वाले भगवान शंकर हमें मृत्यु के बंधनों से मुक्ति प्रदान करें, जिससे कि मोक्ष की प्राप्ति हो जाए।
अन्य मंत्र-
गायत्री मंत्र- ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम् भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् |
संख्या-1,25,000 माला-रुद्राक्ष
माता बग्लामुखी मंत्र- ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा|
संख्या-1,25,000 माला-हल्दी
संतान गोपाल मंत्र: ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते देहि में तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः ।
संख्या- 1,25,000 माला-1,25,00
कालसर्प दोष:-
वैदिक ज्योतिष के अनुसार वैसे तो ज्योतिष के पारंग़त पराशर ऋषि ने इस के बारे में अपने ज्योतिष ग्रंथ में इसको स्थान नहीं दिया हैं। परंतु बाकि अन्य विद्वानों के अनुसार जब कुंड़ली में सारे ग्रह राहु व केतु के बीच आ जाये तो कालसर्प दोष बनता हैं, कुंड़ली के बारह भावो में राहु के अलग-अलग स्थान में होने से अलग-अलग नाम का कालसर्प दोष होता हैं। यह दोष बारह प्रकार के होते हैं और हर दोष का नकारात्मक प्रभाव नहीं होता हैं, इसलिए दोष को अच्छी तरह से जाँच कर ही कहना चाहिए, क्योंकि जब कोई ग्रह राहु के अंशों से बाहर आ जाए तो यह भंग हो जाता हैं। आजकल बहुत से लोग आम लोगों को डरा कर अपनी कमाई का साधन बनाते हैं। इतनी परेशानी होती नहीं हैं, जितनी कह कर डरा दिया जाता हैं। यह दोष होने से जातक मानसिक रुप से परेशान रहता हैं, उसके सभी कार्य देरी से होते हैं, आर्थिक परेशानी के साथ शारीरिक परेशानी भी होती हैं।
उपाय: 1. ज्योर्तिलिंग त्रिम्बकेशवर, नासिक या महाकालेशवर उज्जैन में जा कर किसी योग्य आचार्य से इस दोष की पूजा करवानी चाहिए।
2. सावन माह में नियमित रुप से रुद्राभिषेक करना चाहिए व महामृत्युंज़य का पाठ करना चाहिए।
3. किसी शुभ महुर्त में शनिवार को सुखे नारियल को बहते जल में प्रवाहित करे।
अगर आप भी इस तरह से किसी परेशानी का सामना कर रहे हैं तो हमसे सम्पर्क करके अपनी समस्या का समाधान कर सकते हैं और आने वाले जीवन में सुकून पा सकते हैं क्योंकि बहुत बार हम बहुत से उपाय करते हैं और जैसे जो कहता हैं धन भी खर्च करते हैं लेकिन घर में वास्तु दोष होने पर भी हम अपनी समस्या का समाधान सही जगह जाकर खोज़ ही नहीं पाते जिससे और भी उलझ कर परेशान हो कर विशवास ही खो बैठते हैं। हम आपकी समस्या के अनुसार आपको निदान देने का प्रयास करेगे और वास्तु उपचार के साथ यज्ञ के माध्यम से भी आपकी परेशानी का निदान कर सकते हैं। सभी के अपने ग्रहों के अनुसार योग और दोष बने होते हैं। आप भी अपनी कुंड़ली के अनुसार अपने बारे में जान सकते हैं। हमारे यहां सभी पूजा, हवन, मंत्रों व यज्ञ का भी सम्पूर्ण आयोजन किया जाता हैं और आपकी सुविधा अनुसार आपके घर तक भी ब्राहम्ण भेज़ने का इंतज़ाम हमारे माध्यम से हो सकता हैं। आप विधि अनुसार नव ग्रहो के मंत्रो और अन्य पूजा-पाठ करवा सकते हैं। आप हमसे सम्पर्क करके महामृत्यंज़य मंत्र के पूजा विधि अनुसार मंत्र करवा कर और कुंड़ली मिलवा कर अपने जीवन को सुखद कर सकते हैं।
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