Pooja
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Navgrah Pooja

नवग्रहों की पूजा

नव ग्रह- कुंड़ली में सभी नौ ग्रहोंं के शुभत्व को प्राप्त करने के लिए ग्रहों की पूजा की जाती हैं। हमारी कुंड़ली में जो ग्रह सबसे कमज़ोर होता हैं उसी ग्रह को मज़बूत बनाने के लिए पूजा की जाती हैं क्योंकि जिस ग्रह से जुड़ी समस्याएं हमें आती हैं और हमें उससे जुडे फल भी समय पर नहीं मिल पाते इसी शुभ ग्रह के बल को बढाना हो, जो शुभ तो हैं, पर कमज़ोर हैं। उसी ग्रह की वैदिक ज्योतिष में हम पूजा आराधना करते हैं तो हम उसी अनुसार प्रत्येक ग्रह के अनुसार कुछ वैदिक मंत्रों की निश्चित संख्या और नियम के साथ जाप व हवन व दान करते हैं। सभी ग्रह की पूजा मंत्र, दान और विधि अलग अलग होती हैं। इन्ही नव ग्रहों पर हमारा पूरा जीवन टिका होता हैं और हमारी आने वाली जिंदगी में कब हमें क्या और कैसे कितना मिलेगा ये सभी इन्हीं ग्रहों के माध्यम से समझा और इन्हीं ग्रहों के माध्यम से पाया जा सकता हैं। प्रकृति ने सभी कुछ इन्हीं ग्रहों से जोडा हैं और इनके आगे नतमस्तक होने से ये अवश्य हमें अपना आशिर्वाद प्रदान करते हैं।   Why Worried? Ask a question and get solutions! 

वैदिक ज्योतिष के अनुसार नौ ग्रह होतें हैं- सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु। इन्हीं नौ ग्रहों का ही हमारें जीवन पर प्रभाव रहता हैं और सभी ग्रह अपने-अपने बल के और कारकत्वों के अनुसार फल देते हैं। ज्योतिष के अनुसार कोई भी ग्रह शास्वत न ही अच्छा होता हैं और न ही बुरा होता हैं सभी ग्रह हमारे कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं। कुंड़ली के अनुसार जो ग्रह कमज़ोर हो कर फल नहीं दे पातें हैं उसकें लिए हम मंत्रों के जाप कर सकतें हैं। सामान्य मूल मंत्रों के लिए कोई बात नहीं हैं यह कोई भी कर सकता हैं लेकिन बीज़ मंत्रों के लिए ज्योतिष से सलाह लेकर ही करें।           Take Appointment    

नव ग्रहों के मंत्रो की श्रेणियां:

“नवग्रहों के मूल मंत्र”

सूर्य :      ॐ सूर्याय नम:

चन्द्र :     ॐ चन्द्राय नम:

गुरू :       ॐ गुरवे नम:

शुक्र :      ॐ शुक्राय नम:

मंगल :    ॐ भौमाय नम:

बुध :      ॐ बुधाय नम:

शनि :     ॐ शनये नम:  अथवा  ॐ शनिचराय नम:

राहु :      ॐ राहवे नम:

केतु :     ॐ केतवे नम:

 

“नवग्रहों के बीज मंत्र”

सूर्य :       ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:

संख्या-7000 माला-लाल चंदन

चन्द्र :      ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्राय नम:

संख्या-11000 माला-रुद्राक्ष  

गुरू :       ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:

संख्या-19000 माला-हल्दी 

शुक्र :       ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:

संख्या-16000 माला-सफ्टिक

मंगल :    ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:

संख्या-10000 माला-लाल चंदन

बुध :       ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:

संख्या-9000 माला-तुलसी

शनि :     ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम:

संख्या-23000 माला-रुद्राक्ष

राहु :       ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:

संख्या-18000 माला-रुद्राक्ष

केतु :      ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं स: केतवे नम:

संख्या-17000 माला-रुद्राक्ष

 

“नवग्रहों के वेद मंत्र”

सूर्य :     ॐ आकृष्णेन रजसा वर्त्तमानो निवेशयन्नमृतं मतर्य च

            हिरण्येन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन॥

           इदं सूर्याय न मम॥

चन्द्र :    ॐ इमं देवाSसपत् न ग्वं सुवध्वम् महते क्षत्राय महते ज्येष्ठयाय

            महते जानराज्यायेन्द्रस्येन्द्रियाय इमममुष्य पुत्रमुष्यै पुत्रमस्यै विश एष    

            वोSमी राजा सोमोSस्माकं ब्राह्मणानां ग्वं राजा॥ इदं चन्द्रमसे न मम॥

गुरू :     ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अहार्द् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु।

            यददीदयच्छवस ॠतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम॥

            इदं बृहस्पतये, इदं न मम॥

शुक्र :     ॐ अन्नात् परिस्रुतो रसं ब्रह्मणा व्यपिबत् क्षत्रं पय:।

             सोमं प्रजापति: ॠतेन सत्यमिन्द्रियं पिवानं ग्वं

            शुक्रमन्धसSइन्द्रस्येन्द्रियमिदं पयोSमृतं मधु॥ इदं शुक्राय, न मम।

मंगल :   ॐ अग्निमूर्द्धा दिव: ककुपति: पृथिव्या अयम्।

            अपा ग्वं रेता ग्वं सि जिन्वति। इदं भौमाय, इदं न मम॥

बुध :     ॐ उदबुध्यस्वाग्ने प्रति जागृहित्वमिष्टापूर्ते स ग्वं सृजेथामयं च।

            अस्मिन्त्सधस्थे अध्युत्तरस्मिन् विश्वेदेवा यजमानश्च सीदत॥

            इदं बुधाय, इदं न मम॥

शनि :    ॐ शन्नो देविरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।

             शंय्योरभिस्त्रवन्तु न:। इदं शनैश्चराय, इदं न मम॥

राहु :     ॐ कयानश्चित्र आ भुवद्वती सदा वृध: सखा।

            कया शचिंष्ठया वृता॥ इदं राहवे, इदं न मम॥

केतु :    ॐ केतुं कृण्वन्न केतवे पेशो मर्या अपेशसे।

            समुषदभिरजा यथा:। इदं केतवे, इदं न मम॥

 

अन्य मंत्र-  

गायत्री मंत्र- ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम् भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् |

संख्या-1,25,000 माला-रुद्राक्ष

 

माता बग्लामुखी मंत्र- ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा|

संख्या-1,25,000 माला-हल्दी

 

संतान गोपाल मंत्र: ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते देहि में तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः ।

संख्या- 1,25,000 माला-1,25,00

 

महामृत्यंज़य मंत्र- ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम्, उर्वारूकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।

संख्या- 1,25,000 माला-रुद्राक्ष

 

अगर आप भी इस तरह से किसी परेशानी का सामना कर रहे हैं तो हमसे सम्पर्क करके अपनी समस्या का समाधान कर सकते हैं और आने वाले जीवन में सुकून पा सकते हैं क्योंकि बहुत बार हम बहुत से उपाय करते हैं और जैसे जो कहता हैं धन भी खर्च करते हैं लेकिन घर में वास्तु दोष होने पर भी हम अपनी समस्या का समाधान सही जगह जाकर खोज़ ही नहीं पाते जिससे और भी उलझ कर परेशान हो कर विशवास ही खो बैठते हैं। हम आपकी समस्या के अनुसार आपको निदान देने का प्रयास करेगे और वास्तु उपचार के साथ यज्ञ के माध्यम से भी आपकी परेशानी का निदान कर सकते हैं। सभी के अपने ग्रहों के अनुसार योग और दोष बने होते हैं। आप भी अपनी कुंड़ली के अनुसार अपने बारे में जान सकते हैं। हमारे यहां सभी पूजा, हवन, मंत्रों व यज्ञ का भी सम्पूर्ण आयोजन किया जाता हैं और आपकी सुविधा अनुसार आपके घर तक भी ब्राहम्ण भेज़ने का इंतज़ाम हमारे माध्यम से हो सकता हैं। आप विधि अनुसार नव ग्रहो के मंत्रो और अन्य पूजा-पाठ करवा सकते हैं। आप हमसे सम्पर्क करके नव ग्रहोंं की पूजा विधि अनुसार उपचार करवा कर कुंड़ली मिलवा कर अपने जीवन को सुखद कर सकते हैं।    हमसें सम्पर्क करने के लिए यहां देखें।


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