सूर्य का प्रथम भाव में फल-
सूर्य का प्रथम भाव में फल- यदि बली सूर्य केंद्र अथवा त्रिकोण का स्वामी होकर लग्न में स्थित हो तो ये कुंड़ली में ऊर्जा का बहुत बड़ा माध्यम बनता है। ऐसा सूर्य जातक को आंतरिक बल, इच्छाशक्ति, अहंकार, आकृषण, अहम, स्वार्थ, नेतृत्व, सत्ता, मज़बूत हड्डियां व रोग प्रतिरोधक क्षमता, सरकारी पद, राज़नीति में प्रगति, उन्नति, भाग्यवान, समाज-सेवा के प्रति रुझान, आत्म-सम्मानित, साहसी और अच्छी शिक्षा देता है। निर्बली सूर्य जातक को अहंकारी, झूठी प्रशंसा, घमंडी, झूठी शान, बाल गिरना, सिर व आंखों की परेशानी, माईग्रन और अशुभ ग्रहो के साथ हो तो यह जातक को खून सम्बन्धित परेशानियां व रिश्तों मे खटास देता है।
सूर्य का दूसरे भाव में फल-
सूर्य का दूसरे भाव में फल- सूर्य यहां आध्यात्मिकता, सुख-सुविधा, परिवार मे दबदबा, आँखों मे परेशानी, धनी, भाषा मे अहम, शाही भोजन, दिखावा, भाग्यशाली, कलात्मक, आवाज़ मे शाहीपन, शाही परिवार, वाणी मे आकृषण और राज़नितिज्ञ बनाता है। यदि यही सूर्य पीड़ित हो तो दृष्टिदोष, बात करते हुए मुँह मे पानी आना, विवाह में विलम्ब, परिवार मे विवाद, धन की कमी, वैवाहिक जीवन में परेशानियां और सरकार से भी विवाद देता है। यहां सूर्य-शुक्र की युति वैवाहिक जीवन के लिए सुखद नहीं होती है।
तृतीय भाव में सूर्य का फल:-
तृतीय भाव में सूर्य का फल:- यहां सूर्य जातक को स्वस्थ, धनवान, बुद्धिमान, वीर, प्रसिद्ध, विद्वान, सामाजिक, प्रतिष्ठित संस्थाओं का मुखिया, राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति अथवा नगरपालिका का चुनाव लड़ने वाला, भाई-बहनों के साथ विवाद, कलात्मक, पराक्रमी, वाणी मे अहम, पत्रकार, आत्म-विशवास से बात करना, मीडिया मे सफलता, सेल्स का कार्य व दूर-दर्शी बनाता है। तुला अथवा धनु राशि में स्थित सूर्य जातक को लेखक, प्रकाशक, अध्यापक, वकील, बौद्धिक रूप से प्रखर, अपने घर एवं संतान के प्रति आसक्त, सूर्य यहा स्त्री राशि मे होने पर जातक के पास धन-सम्पति, मानसिक शांति, वाहन और संतति के लिए शुभ होता है।
चतुर्थ भाव में सूर्य:-
चतुर्थ भाव में सूर्य:- सूर्य के चतुर्थ भाव मे होने से पैतृक सम्पत्ति, शाही वाहन, धुमक्क्ड़ प्रवृति, मानसिक-अशांति, चिंताजनक सोच, गूढ़-विषय का ज्ञान, माता से अलगाव व पिता से दूरी, घर का व्यवसाय, माता मे अहम, अपना घर दिखाने मे शान, शाही घर, घर मे माँ का रौब अधिक और पिता का रौब कम, जिंदगी मे संघर्ष, सफलता की खोज़, अपनी प्रतिष्ठा बनाना, कमज़ोर आत्म-विशवास, सुबह देर से जागना रात देर से सोना, राज़नितिज्ञ, घर का मुखिया और अंतर्मुखी बनाता है।
पंचम भाव में सूर्य:-
पंचम भाव में सूर्य:- पंचम भाव में सूर्य हो तो जातक जिंदगी मे कुछ बनना चाहता है। जातक सीखने की कोशिश के साथ, खुद मे व काम में अहम दिखाना, पिता का अच्छा व्यवसाय या शेयर मार्किट मे रुझान के साथ पिता की ज़िंदगी मे उतार-चढाव देता है। ऐसा जातक अपने बच्चों की तारिफ व उन पर अभिमान करता है लेकिन बच्चों की जिंदगी मे संघर्ष बना रहता है। मेष, सिंह या धनु राशि में स्थित सूर्य मान-प्रतिष्ठा, सफलता, कुशाग्र बुद्धि, आनंदमय जीवन, सौम्य व्यवहार, अच्छी शिक्षा,
षष्टम भाव मे सुर्य:-
षष्टम भाव मे सुर्य:- यहां सूर्य सुप्रसिद्ध, राजनीतिज्ञ, न्यायप्रिय, स्वस्थ, शत्रुओं पर जीत, सफलता, मज़बूत प्रतिरोधक क्षमता, प्रतियोगिता मे जीत, दवाई का कार्य, दूसरों की समस्या का समाधान, चिकित्सक और अपने ही कार्य मे मैंनेज़र होते है। परंतु शनि के साथ होने से जातक की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। यदि षष्टम भाव में स्थित सूर्य पीड़ित हो तो आँखों के रोग, बालों की कमज़ोरी, कुष्ठ रोग, हड्डियो के रोग, हृदय रोग, अस्थमा, नाड़ी-मंडल की दुर्बलता से होने वाला रोग और कंठ के संक्रामक रोग देता है।
सप्तम भाव का सूर्य:-
सप्तम भाव का सूर्य:- सप्तम भाव का सूर्य चाहे उच्च का ही क्यों न हो, अधिक शुभ नही माना जाता, क्योंकि कालपुरुष की कुंड़्ली के अनुसार यहां सूर्य नीच का होता है और अपनी शक्ति खो देता है। जातक के अमीर होने के बाद भी लोग उसकी कम इज्जत करते है और वह ड़रा सा महसूस करता है। ऐसा जातक जीवन साथी के साथ सम्बन्धों में तनाव, अहम और अपनी इज्जत न करने की शिकायत करते है। यहां सूर्य विवाह मे देरी, एक से अधिक विवाह, आत्म-विशवास मे कमी, मानसिक अवसाद, व्यापार में परेशानी और अनिंद्रा देता है। यदि यहां सूर्य शुभ प्रभाव मे हो तो जातक वकील, ज़ज़ और अपनी भार्या के प्रति निष्ठावान होता है। मिथुन, तुला या कुम्भ राशि का सूर्य हो तो जातक अच्छी शिक्षा पाता है और जातक कानून एवं प्रशासन में दक्ष और संगीत, कानून, एवं साहित्य को बढ़ावा देने वाला होता है, परंतु जातक संतानहीन अथवा अल्पसंतान वाला होता है। यदि सूर्य स्त्री राशियों, वृषभ, कन्या या मकर में हो तो व्यापार में लाभ देता है। कर्क, वृश्चिक या मीन राशि का सूर्य जातक को चिकित्सक या इंजीनियर बनाता है। जातक का जीवन-साथी प्रभावशाली, सुंदर, व्यवहार कुशल, अच्छी मेज़बान, सहायता करने और सोच-समझ कर खर्च करने वाला होता है।
अष्टम भाव मे सूर्य:-
अष्टम भाव मे सूर्य:- ऐसा जातक अचानक फर्श से अर्श पर या शुन्य से सौ तक जाता है और खुद को दिखाएंगे कि कुछ नही आता परंतु बहुत से छिपे हुए हुनर होते है। तभी जासुस, सी.बी.आई, सर्ज़न, गुप्त कार्य, चिकित्सक होते है और किसी खोज़ मे तत्पर रहते है। इनकी ख्याति जनता मे उतार-चढाव भरी रहती है, ज़ीवन मे बिना किसी सहारे से आगे बढ़ते है और यह भीड को काबू करने वाले होते है। सुर्य कमज़ोर होने पर जातक आकर्षक लेकिन अतिव्ययी, झगड़ालू, रोगी, कमजोर दृष्टि वाला, परिश्रमी, बड़ो के द्वारा छोड़ी गयी विरासत का अधिकारी, मुशिकले, अत्यधिक यात्राएं, धन की हानि, गुप्त-अधर्म कर्म से रोग, स्वास्थ्य क्षीण, पिता से अलगाव, बवासीर, हृदय रोगी, उच्चचाप, छालों के रोग और हथियार से आकस्मिक मृत्यु होती है। स्त्री की कुंडली में, अष्टम भाव का सूर्य ज़ीवनसाथी से अलगाव कराता है। कुम्भ और वृषभ राशि का होने पर यह पैतृक धन-सम्पति देने वाला होता है।
नवम भाव में सूर्य:-
नवम भाव में सूर्य:- सुस्थित सूर्य कर्तव्यनिष्ट पुत्र देता है जिनका रुझान आध्यात्मिक मूल्यों की ओर होता है। जातक संतान से सुख और पिता व अध्यापक से प्रेरणा पाता है। जातक के पिता अच्छी पदवी मे होते है और जातक को नियम से चलना सिखाते है। जातक ज़ज, प्रोफेसर, कानून को मानना, लोगो को सिखाना और विदेश मे वास करने वाला होता है। ऐसे जातक को अपने अहम पर काबु में रखना चाहिए। चन्द्रमा और शुक्र के साथ स्थित पीड़ित सूर्य आँखों से सम्बन्धित समस्याएं अथवा सरकार के साथ भी समस्याएं देता है।
दशम भाव में सूर्य:-
दशम भाव में सूर्य:- दशम भाव का सूर्य दिशाबल से युक्त होने के कारण व्यवसाय और व्यवसायिक सफलताओं के लिए अच्छा होता है। जातक अपने कार्य-क्षेत्र में कलात्मक रुप से कार्य करता है और अपने कार्य-क्षेत्र मे किसी की बात बर्दाश नही करता, इनको पसंद नही है कि कोई इनसे सवाल-ज़वाब करें। ऐसा जातक प्रबंध कौशल, रचनात्मक नेतृत्व, पुत्रवान, बुद्धिमान, समाज़-सेवा, उच्च पद और श्रेष्ठ व्यक्तियों का संरक्षण, संगीत कला के प्रति मन में असीम प्रेम, धनवान, शूरवीर, यश, वाहनयुक्त, सरकार मे अच्छा पद और कार्य को मनोरंज़न की तरह करना पसंद करता है। यह सरकार में प्रसिद्ध होना भी इंगित करता है। इसका अर्थ सरकारी नौकरी भी हो सकता है, वह सम्मान, स्वाभिमान और आनंदमय जीवन व्यतीत करता है। वह साहसिक कार्य करने वाला एक शक्ति-सम्पन्न व्यक्ति होता है। स्वास्थ्य का कारक होने के कारण ऐसे जातक का शरीर भी स्वस्थ होता है। सूर्य क्रूर ग्रह होने के कारण यहां माता-पिता से वियोग दे सकता है। यह भाव पंचम से षष्टम भी है, अत: यहां अशुभ ग्रहों की स्थिति संतान के लिए शुभ नहीं होती है।
एकादश भाव में सूर्य:-
एकादश भाव में सूर्य:- यहां सूर्य धन-सम्पति, राजसी-पद, सरकार में उच्च नौकरी, विवेक, सिद्धांतों वाला व्यक्ति, निष्ठावान, परिवार-भक्त, भाग्यवान, सरलता से सफलता और पारिवारिक व्यवसाय मे अपनी एक पहचान होती है। जातक के पास बहुत आभूषण, वित्तीय-संस्थान मे कार्य, शेयर बाज़ार, धनवान व बहुत नौकर-चाकर होते है। सूर्य के यहां होने से अपने साथियों मे कमी, दोस्तों मे विवाद और अहम की वज़ह से जातक लोगो के बीच मे जाना पसंद नही करता, लेकिन फिर भी लोग इन पर आकृषित होते है। ये खुद ही अपने निर्णय लेना और हमेशा लाभ की सोचते है। ऐसा जातक भाईयों मे बड़ा होता है पर उनसे अलगाव भी होता है। ऐसी स्त्रियों का रिशता अपने पिता और भाईयों से ज्यादा अच्छा नही होता है। ऐसे जातक अपने बच्चों के बारे मे बहुत सोचते है और हमेशा उनको आगे बढ़ने की ओर प्रेरित करते रहते है।
द्वादश भाव में सूर्य:-
द्वादश भाव में सूर्य:- यदि सूर्य पीड़ित हो तो दृष्टि दोष, अनैतिक जीवन, स्वास्थ्य की पीड़ा, असफलता, पिता से अलगाव या पिता का स्वास्थय अनुकूल नही होता। यह शासन द्वारा कष्ट, राज़नीति मे असफलता और विदेश यात्राओं के साथ-साथ कारावास भी दे सकता है। यहा सूर्य गुप्त प्रेम-सम्बन्ध, विपरीत लिंगी से परेशानियां, अस्वस्थता और परिवार से वियोग देता है। ऐसे लोग कोई गुनाह कर विदेश भाग जाते है। ऐसा जातक किसी गुप्त या न दिखाई देने वाली वस्तु की जानकारी रखता है। ऐसे जातक आध्यात्मिक नेता, कल्पनाशील, लेखक, निर्देशक, विदेश नीति मे निपुण, और अंर्तराष्ट्रीय राज़नीतिक संबंध व विदेश मे व्यवसाय करते है। ऐसा जातक जेलर, डॉक्टर व सरकारी अस्पताल मे साईकलोज़िस्ट होते है।