- "Venus" in 12 Houses as per Astrology


प्रथम भाव का शुक्र:
प्रथम भाव का शुक्र:- ऐसा जातक कवि, कथाकार, कलाकार, सौम्य, मृदुभाषी, धनवान, प्रतिष्ठित, दयावान, खान-पान का शौकीन, मधुर वाणी, विपरीत लिंगी में आकर्षण, रंगीन वस्त्रों व आभुषणों का शौकीन, तीक्ष्ण बुद्धि एवं धार्मिक विचार, संस्कारी व ऐसा जातक विलासी स्त्रियों में आसक्त भी होता है। ऐसे जातक का रुझान माडलिंग, एक्टिंग़, खुद को सुंदर बनाना, घर को साफ व सज़ा कर रखना, दूसरों का प्यार व प्रशंसा पाना, खुद भी दूसरों की प्रशंसा करना व अपने प्यार मे संतुलित रहते है। शुक्र अपनी ही राशि मे हो तो ऐसा जानवरों से प्रेम करता है। परंतु शुक्र अशुभ हो तो तो खुद की साज़सज्जा पर ही ध्यान देते है।
दूसरे भाव में शुक्र:-
दूसरे भाव में शुक्र:- यहा शुक्र-चन्द्रमा की युति होने से समाज में उठना-बैठना, यात्राओं से लाभ, व शुक्र-बृहस्पति की युति मित्रों एवं प्रभावशाली व्यक्तियों से लाभ होता है, व शुक्र-शनि की युति हो तो जातक धन संग्रहित करता है। शुक्र यदि पीड़ित हो तो दृष्टिदोष, धनहानि, भयभीत रहना व जातक दरिद्रता से जूझता है। लेकिन वह भगवान एवं गुरु के प्रति निष्ठावान होता है। शुक्र, मंगल से युति होने से साथी को जुनून से चाहने वाला, जोशिला और अतिव्ययी बनाता है। जातक खुद को आईने मे देखना पसंद करते है, कि मैं खूबसूरत दिखु और उसे आभुषण का पहनना, कीमती सामान खरीदना, गायक, समाज़वक्ता, सैल्समैन, कलात्मक, सौंदर्य व्यापारी और राज़सी की तरह जीना पसंद होता है। इनको जितना पैसा कमाने का शौक रखते है, उतना ही खर्च करने का भी शौक रखते है। शुक्र पर राहु का प्रभाव हो तो इन सब कार्य मे बहुत जुनून होता है।
तृतीय भाव में शुक्र:-
तृतीय भाव में शुक्र:- यह विवाह में विलम्ब, तनाव, एक से अधिक विवाह, पत्नी का हावि रहना, अर्न्तजातीय विवाह और वियोग को इंगित करता है। शुक्र यदि बली हो तो जातक उच्च विकसित सौन्दर्ये का पारखी, कलाकृतियों, संगीत, एवं साहित्य के प्रति आसक्त और परिपक़्व, उत्तम एवं शांत दिमाग वाला होता है। चन्द्रमा एवं बुध का सम्बन्ध जातक को दोषमुक्त बनाता है। ऐसा जातक आनंद के लिए यात्रा करता है और मित्रों एवं सम्बन्धियों से हमेशा घिरा रहता है। वह जातक को खूबसूरत वस्तुएं जमा करने मे रुचि देता है। ऐसा जातक मीडिया, सिनेमा, एक्टिंग, डिजाईनर, कला, पेंटिंग, प्रेम के लेखन व कलात्मक चीज़ों मे रुझान रखता है। ऐसा जातक के प्रेम ज़ीवन मे अचानक बदलाव आता है और जातक अचानक तोफा या तलाक भी सरप्राइज़ की तरह देता है।
चतुर्थ भाव में शुक्र:-
चतुर्थ भाव में शुक्र:- चतुर्थ भाव में स्थित शुक्र जातक को संगीत, मित्रों, कला, पारिवारिक शांति और घर की सभी खुशियां देता है। शुक्र की यह स्थिति कलाकारों के लिए एक अनमोल निधि के समान होती है। जातक लोगो से व कीमती वस्तुओं से प्रेम करता है। जातक माँ का भरपूर प्रेम व लाभ पाता है और घर से बेहद लगाव रखता है। ऐसा जातक शाही, खूबसूरत, साफ-सज़ा घर और रॉयल वाहन चाहता है। ऐसा जातक इंटीरियर डेकोरेटिव, एक्टिंग और रियल-इस्टेट के कार्य मे होते है। वह घर से जुडा कार्य पसंद करते है या घर से ही व्यापार करते है।
पंचम भाव में शुक्र:-
पंचम भाव में शुक्र:- शुक्र ऐसे जातक को सुशिक्षित, लेखक, कलाकार, धनवान व बच्चों का प्रेमी बनाता है। शुक्र पीड़ित हो तो भार्या के साथ शारीरिक सम्बन्धों में परेशानियां व शुक्र-राहु की युति विदेशी अथवा दूसरी जाति के जातक से प्रेम-सम्बन्ध को इंगित करता है। ऐसा जातक कलात्मक, राज़नीतिज्ञ, मनोरंज़न प्रेमी, मज़बूत फाईनैंशल पहचान और शेयर का कार्य करते है। ये लोग किसी भी काम मे बहुत कम संतुष्ट होते है। जातक का रुझान कला, एक्टिंग, सिनेमा, गुप्त मंत्र, गुप्त विधा व छिपी कला मे लिप्त होते है।
षष्टम भाव में शुक्र:-
षष्टम भाव में शुक्र:- शुक्र यदि स्वराशि का हो तो अत्याधिक सफलता और उच्च का हो तो जीवन भर प्रसन्नता देता है व जातक का कोई शत्रु नहीं होता है और वह समृद्ध एवं धनवान होता है। जातक को पशुओं से बहुत प्रेम होता है उनको देखते ही चिल्लाते हुए प्रेम करने भागते है और जानवरों की फिल्मे देखते है। ऐसा जातक वकील, सामाजिक कार्यकर्ता, आश्रमो की सहायता और नौकरो की मदद करते है। शुक्र पीडित होने पर जातक के कई शत्रु होते है, जो सशक्त और बलिष्ट होते है। जातक स्त्री प्रेमी, अतिव्ययी होने के कारण, दरिद्रता, ऋण और मानसिक अवसाद पाता है। भरपूर प्रयत्न करने के उपरांत भी व्यवसाय में हानि ही देता है और यहां तक की व्यवसाय को ही समाप्त कर देता है। जातक को गलत मंत्रो के उच्चारण के द्वारा भी हानि पहुंचती है। यदि षष्टम भाव में स्थित शुक्र, पीड़ित हो तो वैवाहिक जीवन में गिरावट लाता है, युवा स्त्रियों के द्वारा पथभृष्ट कराता है और गुर्दे एवं अंडकोष सम्बन्धित रोग देता है।
सप्तम भाव में शुक्र:-
सप्तम भाव में शुक्र:- यहां शुक्र रूपवान और निष्ठावान साथी देता है और स्वयं ऐसा प्रतिष्ठित कलाकार होता है जिसके कई प्रशंसक होते है। जातक विदेश में रहना, आकर्षक, समृद्ध, सबका प्यारा, भाग्यशाली, सामजिक एवं आर्थिक लाभ भी प्राप्त करता है। जातक का शीघ्र विवाह, सामजिक-सम्बन्धों और साझेदारी में सफलता मिलती है। शुक्र यहां बहुत शुभ होता है जिससे जातक प्रेम पूर्वक सभी कार्य करता है। जातक इंटिरियर डेकोरेटर, विवाह कराने वाला, कलाकार, कलात्मक कार्य, संगीत और आभुषण आदि का कार्य पसंद करता है। ऐसा जातक विवाह उपरांत अपने व्यवसाय को लेकर उत्साहित हो जाता है। वह अपने फायदे और नुकसान को देख कर चलता है। शुक्र यहां चंद्रमा के साथ हो तो ज़ीवन साथी चालाक और संतुलित होता है। राहु के साथ हो तो ज़ीवन साथी कामुक होता है। केतु साथ हो तो ज़ीवन साथी असंतुष्ट रहता है
अष्टम भाव में शुक्र:-
अष्टम भाव में शुक्र:- शुक्र एक नैसर्गिक शुभ ग्रह होने के कारण इसकी अष्टम भाव की स्थिति शुभ नहीं है, किन्तु इस स्थिति में यह धन के भाव को दृष्ट करता है और जातक को लम्बी आयु देता है। विवाह का कारक होने के कारण भी इसकी अष्टम भाव की स्थिति, सुखी वैवाहिक जीवन के लिए शुभ नहीं होती है। यदि शुक्र शनि से दृष्ट हो तो नपुंसक और अस्वच्छ रहने की आदत देता है। जातक गुप्त कार्य, तांत्रिक, प्राकृतिक चिकित्सक और ज्योतिष होते है। जातक विवाह उपरांत अलग होने के बाद अपने ज़ीवन साथी के साथ अकेले मे मिलते है। जातक का विवाह उपरांत दूसरो मे आकर्षण रहता है। ये ज़ीवन साथी को अपनी तरह चलाना चाहते है और जातक को अपने ससुराल से बहुत धन-सम्पत्ति मिलती है। ऐसे जातक के ससुराल वालों की सबसे अच्छी जान-पहचान होती है जिससे जातक हर जगह जा कर उनका बखान करता है।
नवम भाव में शुक्र:-
नवम भाव में शुक्र:- यहां शुक्र जातक को भाग्यवान, कला व कविता का प्रेमी बनाता है, उसके पास परिवार, संतान व भरपूर धन-सम्पत्ति होती है और ऐसे जातक की आवाज़ सुरीली होती है। सूर्य के साथ होने से स्वास्थ्य क्षीण होता है। चंद्रमा के साथ होने से गायक, कविताकार, चित्रकार या कलाकार होता है। शुक्र का सुर्य व चंद्रमा के साथ होने से चरित्र दोष या आपराधिक प्रवृति होती है। शनि के साथ होने से कुशल राज़नीतिज्ञ, कूटनीतिज्ञ व सरकारी सेवक होता है। जातक यात्रा प्रेमी, उसको प्रेम भी विदेश मे किसी से होता है और बहुत ही शान से कहता है की मेरा प्यार विदेश मे रहता है। वह घर सज़ाने का प्रेमी (खासकर कोई धार्मिक पर्व हो), सुफी गीत सुनने का प्रेमी, डॉक्टर, गहरी शिक्षा, धार्मिक यात्रा और कला इतिहास का प्रेमी होता है। शुक्र नीच का हो तो अधिक कामुक बनाता है और नाज़ायज़ रिश्ते बनाता है।
दशम भाव में शुक्र:-
दशम भाव में शुक्र:- ऐसा जातक धनवान, स्त्रियों का प्रिय, धार्मिक, भाग्यशाली, आनंदित, अत्यधिक रतिसुख, ज्ञानी, वाहनों, आभूषण-युक्त, आकर्षित करने वाला, वरिष्ठ अधिकारी, माता-पिता का आशीष, कलात्मक, कला एवं संगीत का प्रेमी होता है। जातक जिससे प्यार करता है बहुत ही जुनून से करता है और अपना अधिकार समझता है। ऐसा जातक होटल मैंनेज़मेंट, संगीतकार, डिज़ाईनर, आभुषण या सुंदरता से जुडा कोई कार्य करता है। जातक को ज़ीवन साथी से सबसे पहले मुलाकात किसी कार्य-स्थल पर होती है और वह जातक का व्यवसाय पसंद करता है
एकादश भाव में शुक्र:-
एकादश भाव में शुक्र:- ऐसा जातक धन-सम्पत्ति वाला, विपरीत लिंग की संगत पसंद करने वाला, लोकप्रिय, मित्रवान, नृत्य, संगीत, बैंकिग, शेयर मार्किट, अधिक स्त्री मित्रों वाला, होटल व्यवसाय, सौंदर्य-प्रसाधन, सिनेमा, कला और वाहन का व्यापार करने वाला होता है। जातक जिससे प्रेम करता है उससे धन लाभ मिलता है। जातक की बहुत इच्छाएं होती है और हमेशा लाभ की सोचते है। विवाह पश्चात पत्नी से बहुत लाभ भी मिलता है और भाग्य भी अच्छा हो जाता है। जातक के बहुत मित्र व जानने वाले होते है।
द्वादश भाव में शुक्र:-
द्वादश भाव में शुक्र:- ऐसा जातक को शुक्र शयन सुख, धन-सम्पति, विदेशी यात्राएं व वैभवयुक्त देता है। जातक को अपनी पत्नी या प्रेमिका से बहुत उम्मीद होती है। अगर शुक्र पीडित हो तो जातक कामातुर और बहुत से गुप्त संबंध रखने वाला होगा, ऐसे मे जातक को इससे दूर रहने के लिए अपने इष्ट का ध्यान करना चाहिए। ऐसी स्त्रियां खुद पर बहुत धन खर्च करती है और आदमी अपनी पत्नी या प्रेमिका पर धन खर्च करते है। जातक आध्यात्मिक चित्रकार, यात्रा प्रेमी या साइकाइट्रिस्ट होते है। यहां शुक्र होने पर स्त्री असंतुष्ट रहती है।

Planets In 12 Houses as per Astrology


Sun     Mars     Saturn     Jupiter     Venus     Moon     Mercury     Rahu     Ketu    

Rahu & Ketu In 12 Houses as per Astrology


Rahu     Ketu    
Contact Us
Please fill below form