- "Moon" in 12 Houses as per Astrology


चन्द्रमा का प्रथम भाव में फल-
चन्द्रमा का प्रथम भाव में फल- यहा चंद्रमा जातक को शक्तिशाली, दयावान, यात्राओं का शौकीन, चंचल, कल्पनाशील, सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार, मज़बूत मानसिक शक्ति, समृद्धि, सौम्यता, आकर्षक और कला के क्षेत्र में दक्षता देता है। ऐसे लोग अपने चेहरे को खूबसूरत और शारीरिक रुप से तंदुरुस्त रखना चाहते है। ऐसा जातक अपने ज़ीवन-साथी का ध्यान रखते है जिससे इनका वैवाहिक ज़ीवन खुशहाल बना रहता है। इनके मन मे उतार-चढाव बना रहता है, इनकी ज़िंदगी मे माता की मुख्य भूमिका होती है और इन्हें माता से बेहद लगाव रहता है।
चन्द्रमा का दूसरे भाव में फल:-
चन्द्रमा का दूसरे भाव में फल:- जातक धनी, आकर्षक, प्रेमी, सौम्य वाणी, पारिवारिक स्नेह, खर्चीला, शीघ्र मुग्ध होने वाला, कलात्मक गुण, संगीत का विशेष गुण व भाषाओं में पारगंत बनाता है। जातक के जीवन मे रुपए पैसो को लेकर उतार-चढाव बना रहता है। इनके ज़ीवन साथी का चरित्र छिपा व गुप्त होता है, जिससे वह अपने ज़ीवन-साथी के बारे मे कम जानते है। पीड़ित चंद्रमा धन की हानि, दरिद्रता एवं पैतृक सम्पति की विलुप्तता का कारण होता है। दूसरे भाव में चंद्र-मंगल की युति औषधियों सम्बन्धित शिक्षा एवं व्यवसाय को भी दर्शाती है।
तृतीय भाव में चन्द्रमा:-
तृतीय भाव में चन्द्रमा:- इस भाव मे बली चन्द्रमा जातक को ज्ञान के प्रति प्रेम, बौद्धिक व्यवसायों में सफलता और परिवर्तनशील परिस्थितियां देता है। चंद्रमा यदि यहा उच्च का हो तो जातक भाई-बहनों की देख-भाल करता है। ऐसा जातक साहसी, सदा प्रसन्न रहने वाला, सक्रिय मन वाला, शिक्षित, वस्त्रों एवं भोजन के प्रति आसक्त और शुभ ग्रहों की राशियों में होने पर जातक चिंतामुक्त, धनवान, धैर्यवान, छोटी-बड़ी यात्राओं में अनुरक्त, वास्तुशिल्पी और यह चंद्रमा जातक के भाइयों की समृद्धि के लिए भी शुभ होता है। यह चन्द्रमा जातक को अस्थिर मानसिकता परंतु समझदार, कलात्मक, व्यापारी बुद्धि, कौशलपूर्ण लेखन के साथ विभिन्न प्रकार का लेखन, अच्छा विक्रेता, गुप्त प्रेम और यात्राओं से सीखने वाला बनाता है।
चतुर्थ भाव में चन्द्रमा:-
चतुर्थ भाव में चन्द्रमा:- जातक जीवन का आनंद उठाने वाला, नेता, शासन से लाभ, घर का सुख, माता से लगाव, सहयोगी व स्वस्थ माता, माता को यात्रा पसंद, संतान स्पेशलिस्ट, नर्स, सॉइकलोज़िस्ट, संगीतकार, होम डिज़ाइनर, अधार्मिक और जातक के जीवन मे अचानक उतार-चढाव आते है व वह विदेशी यात्राएं पसंद करता है। यहां पीड़ित चन्द्रमा माता व घर से अलगाव देता है। जातक बहुत घर बदलता है और उसे नये-नये वाहनो मे भी बहुत रुचि होती है।
पंचम भाव में चन्द्रमा:-
पंचम भाव में चन्द्रमा:- ऐसा जातक सहनशील, सौम्य, धनवान, आकर्षक, स्वस्थ्य, कलात्मक, कविताकार, आश्चर्यजनक कार्य करने वाला, बुद्धिमान, अत्यधिक-समृद्धशाली, सुप्रतिष्ठित, सपुत्रों वाला और अच्छे माता-पिता की संतान होता है। ऐसे जातक की माता मे कला मे बेहद रुचि होती है और माता के विचारो से जातक को कामयाबी मिलती है। जातक भी संगीत सहित अनेक कलाओं में दक्ष होता है। सामान्यत: ऐसे जातक की प्रथम संतान कन्या होती है और पुत्रो की अपेक्षा कन्यायें अधिक होती है। ऐसा जातक शेयर बाज़ार, ताश या लाटरी से लाभ कमाता है और उसके दिमाग मे ही लाभ कमाने की योज़ना चलती रहती है। यह सप्तम से एकादश भाव है अत: वह अपनी भार्या द्वारा भी लाभ प्राप्त करता है। यदि चन्द्रमा मिथुन या मीन राशि में हो तो जुड़वाँ संतान देता है। यदि चन्द्रमा शुभ ग्रहों से दृष्ट हो तो ऐसा पुत्र देता है जिसके कारण जातक प्रसिद्धि पाता है और जातक को अपनी संतान से बहुत लगाव होता है। जल तत्व राशियों का चन्द्रमा जातक को चिकित्सक या वकील बनाता है। पीड़ित चन्द्रमा पागलपन, क्षीण स्मरणशक्ति एवं अस्थिर दिमाग देता है। चंद्रमा यदि शनि से पीड़ित हो तो ऐसा जातक धोखेबाज, कमज़ोर मानसिकता व अवसाद से घिरा होता है।
षष्टम भाव में चन्द्रमा:-
षष्टम भाव में चन्द्रमा:- यदि षष्टम भाव में शुक्लपक्ष, उच्च अथवा स्वराशि का चन्द्रमा हो तो यह बीमारियों के साथ-साथ षष्टम भाव से सम्बन्धित अन्य दुष्प्रभावों से जातक की रक्षा करता है। ऐसा जातक अपने जीवन का पूर्ण आनंद उठाते है और धार्मिक होते है। वह दवाईयों का कार्य, चिकित्सक, सैन्य, कानुन, वाद-विवाद सुलझाना, सुरक्षात्मक और गुप्त सेवा, पुलिस और वकील के कार्य मे रुचि लेता है। ऐसा जातक खुद भी समाजसेवक और उसकी माता भी सामजिक कार्य से जुडी होती है। इनके बहुत से छुपे शत्रु व भाईयों से भी वाद-विवाद रहता है। चंद्रमा यदि निर्बली हो तो वह अल्पायु, पाचन शक्ति की निर्बलता, मानसिक एवं शारिरीक कमज़ोरी और बाल्यावस्था में रोग एवं भय देता है। चन्द्रमा की यह स्थिति बालारिष्ट योग भी बनाती है और जातक को अपने मामाओं से कोई लाभ नहीं होता है।
सप्तम भाव में चन्द्रमा:-
सप्तम भाव में चन्द्रमा:- उच्च और शुक्लपक्ष का चन्द्रमा सुंदर, गुणवान और मनभावन जीवन-साथी देता है, जिनके साथ सामंज़स्यपुर्ण संबंध भी होते है और वह साथी का बहुत ध्यान भी रखते है। जातक को समुंद्री यात्रा, व्यापार, शेयर बाजार, जलीय पदार्थ, साझेदारी, भूमि, होटल, कमीशन बीमा, क्रय-विक्रय, सड़को के निर्माण तथा विदेशियों से लाभ मिलता है। ऐसा जातक स्वयं भी आकर्षक और धनवान होता है। ऐसा जातक दयालु, बहुत सी यात्राएं करने वाला और भार्या अथवा अन्य स्त्रियों के प्रभाव में रहता है। उसका माता से वाद-विवाद रहता है परंतु वह उनकी तारिफ भी बहुत करते है। यदि चन्द्रमा नीच का हो, अशुभ ग्रहो की युति या दृष्टि से प्रभावित हो तो जातक का ज़ीवन साथी बीमार रहता है और उसके विवाहित जीवन में शांति एवं खुशियां नहीं होती है। जातक के जीवन, व्यवसाय एवं व्यापार में अस्थिरता होती है और उसे न्यायालय के द्वारा हानि प्राप्त होती है।
अष्टम भाव में चन्द्रमा:-
अष्टम भाव में चन्द्रमा:- यहां चंद्रमा बाल्यावस्था में कष्ट, अवसाद, नकारात्मक विचार, माता को कष्ट, माता के ज़ीवन मे उतार-चढाव, रोगों से भय, चंद्रमा अशुभ राशि का होने पर जातक को अल्पायु, अस्थमा, निमोनिया, ठंड से होने वाले रोग, आँखों के रोग, पाचन से सम्बन्धित रोग, हर्निया, पीलिया या बवासीर देता है। ऐसा जातक भावनात्मक रुप से स्थिर नही रहता है। चंद्रमा यदि कर्क राशि का हो तो जातक को लम्बी उम्र देता है तथा सुस्थित होने पर जातक को विद्वान, चिकित्सक, आपातकालीन नर्स व डाक्टर, काउंसलर, योगाध्यापक, प्रभावशाली व्यक्तित्व का स्वामी और दानी एवं हंसमुख प्रवृति का बनाता है। चंद्रमा के यहां होने में जीवनसाथी के साथ अचानक भावनात्मक असंतुलन बिगड जाते है और उनके साथ संयुक्त धन मे भी वाद-विवाद रहता है। यहा चंद्रमा अचानक स्वयं के धन के मामले भी उतार-चढाव देता रहता है। इनकी माता व स्वयं रहस्यमय विधाओं की प्रवृति तथा रहस्यमयी शक्तियां रखते है। यदि चन्द्रमा कुंभ, मिथुन, तुला अथवा कर्क में हो तो जातक महान योगी और भक्त होता है। मेष, सिंह और धनु राशि का हो तो उत्तराधिकारी से सम्पत्ति पाता है।
नवम भाव में चन्द्रमा:-
नवम भाव में चन्द्रमा:- ऐसा चंद्रमा जातक को धनवान, उदारचित, प्रेम की भावना, पढने का शौकीन, कलात्मक लेखन, वैज्ञानिक तथ्य, उच्च शिक्षा, मानवतावादी, आकर्षक, माता से लगाव, लोकप्रिय एवं प्रशंसको वाला और प्रारंभिक जीवन में ही सफलता प्राप्त करने वाला बनाता है। जातक को अति सुंदर जीवनसाथी, आज्ञाकारी पुत्र, धन-सम्पति, गणितज्ञ, तीर्थयात्रायें और सौभाग्य देता है। जातक धार्मिक, दान करने वाला, शिक्षित और धर्मपरायण होकर ऐसा जातक मंदिर और धर्मशालाएं बनवाता है। जातक की माता उसके ज़ीवन के निर्णय लेती है और वह माता से ही सभी ज्ञान पाता है। परंतु कई बार परिवार का दूसरे लोगो के साथ वाद-विवाद रहता है, जिससे घर का वातावरण असंतुलन रहता है। बहुत बार अधिक सीखने की वज़ह से पैसा कमाने पर ज्यादा ध्यान नही दे पाते। जातक विदेश यात्राएं और समुंद्री यात्राएं भी करता है। अग्नि और जल तत्व राशियों का चन्द्रमा जातक को प्रकाशक, लेखक अथवा मुद्रक बनाता है। पीड़ित चन्द्रमा अच्छे परिणाम नहीं देता है और जातक को कम भाग्य वाला, मुर्ख, अचानक मानसिक संतुलन खोना एवं चरित्रहीन बनाता है।
दशम भाव में चन्द्रमा:-
दशम भाव में चन्द्रमा:- ऐसा जातक जीवन में सफल राज़नितिज्ञ, नेतृत्व, गाईड, धर्मपरायण, मददगार, दयालु, धनवान, साहस से युक्त, लोकप्रिय, विशिष्ट, यात्राएं, बुद्धिमान, कुलीन, मान-प्रतिष्ठा और दूसरो से भावनात्मक रुप से जुडाव देता है। चन्द्रमा जल तत्व और अतिगतिमान ग्रह है अत: ऐसा जातक जल से जुडे‌ कार्य, समुंद्री, डिजाईनर, डाक्टर, दंत-चिकित्सक, सरकारी समाज-सेवी, तीर्थ और विदेश यात्राएं करने वाला होता है। इनके व्यवसाय मे बहुत उतार-चढाव आते है फिर भी बहुत ही मन से अपना कार्य करते है। जातक का घर से भावनात्मक लगाव व ज़ीवनसाथी की बहुत परवाह करते है और ऐसे लोग अधिकतर व्यवसायिक जीवनसाथी पसंद नही करते। पिता के साथ भावनात्मक लगाव व माता के साथ अच्छे संबंध होते है और माता भी बैंकिंग, नर्स और अच्छे व्यवसाय से जुडी होती है। ऐसा जातक प्रसिद्ध होने की कोशिश नही करता बल्कि खुद ही अपने कार्य से लोकप्रिय हो जाता है। स्वामी विवेकानंद की कुंडली में भी चन्द्रमा, शनि के साथ दशम भाव में बैठकर आध्यात्मिकता का एक अच्छा योग बना रहा था। दशम भाव का पीड़ित चन्द्रमा कफ, शीत, जीवन में निंदा और व्यवसाय में रुकावट देता है।
एकादश भाव में चन्द्रमा:-
एकादश भाव में चन्द्रमा:- ऐसा जातक धनवान
द्वादश भाव में चन्द्रमा:-
द्वादश भाव में चन्द्रमा:- यहां चंद्रमा पीडि‌त हो तो जातक की मानसिकता संकीर्ण

Planets In 12 Houses as per Astrology


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Rahu & Ketu In 12 Houses as per Astrology


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