Nakshatra नक्षत्र:- हमारे ब्रहमाण्ड में अनेक तारों के समुह हैं, जो चंद्रमा के पथ से जुड़े हैं, इस तारों के समूह को नक्षत्र कहते हैं। चंद्रमा 27 से 28 दिनों में पृथ्वी के चारों ओर यानि इन तारों के चक्कर लगाता हैं, इन्ही तारों के अलग-अलग समूह भी होते हैं, जिन्हें नक्षत्र कहा गया हैं। 28 नक्षत्र के इन समूह को नक्षत्र चक्र कहते हैं। हमारा ब्रहमाण्ड 360 अंशो का हैं, जिसमें प्रत्येक 27 नक्षत्र को 13 अंश 20 मिनट में बांटा गया हैं। प्रत्येक नक्षत्र के चार चरण होते हैं। बिना नक्षत्रों के फलित अधुरा होता हैं। जिस नक्षत्र में हमारा जन्म होता हैं, वही जन्म का नक्षत्र कहलाता हैं, इसी नक्षत्र द्वारा हम अपने चरित्र, सोच और अपने जीवन की दशा के बारे में जान पाते हैं, जो हमारे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पहलु होता हैं। वैदिक ज्योतिष का आधार नक्षत्र और ग्रह हैं जिससे राशियों और भावों को समझा जा सकता हैं। हमारे ब्रहमाण्ड में 28 नक्षत्रों की व्याख्या की गई हैं जिसको 9 ग्रहों का स्वामित्व दिया गया हैं आईये इन के महत्व को समझे।
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14. चित्रा:- इस नक्षत्र में जन्मे जातक कलाकार, देखने में सुंदर, प्रबल प्रभावी, आश्चर्य व्यक्तित्त्व, और कुछ खास विशेषता लिए होते हैं। ऐसे लोग कलाकार जैसे चरम भावनात्मक और रचनात्मक परिस्थितियों के होते हैं। ये अपनी कला का प्रदर्शन करने में माहिर होते हैं। ये अपार प्रतिभा के धनी होते हैं, जो माया तथा रहस्य को समझकर सुंदर कृतियों को जन्म देते हैं। ये लोग ऊर्ज़ावान, शक्तिवान और प्रोत्साहित व्यक्तित्व के होते हैं, जिससे ये अपनी कला को सज़ीव रुप देने में सक्षम होते हैं यही ऊर्ज़ा इनको रचनात्मक और कलात्मक रुप से बढ़ावा देती हैं। अगर राहु का प्रभाव भी हो तो ये लोग रहस्यात्मक तथा माया प्रवृत्ति के भी माने जाते हैं और ज़टिल रहस्य का भेद भी पा लेते हैं। ऐसे लोग वास्तु कला व फैशन के काम में चतुर होते हैं। ये दूसरे लोकों के रहस्य को भी समझ सकते हैं, इनके खुद के चरित्र और काम के रहस्यों को समझना आम आदमी के लिए कठिन होता हैं। इस नक्षत्र के लोग कभी-कभी ऐसे काम भी कर जाते हैं, जो दूसरों की समझ से बाहर होते हैं और लोग इनके काम को समय की बर्बादी भी समझते हैं, पर जब इनका काम सफल हो जाता हैं, तब एक नए रुप में ये खुद को उज़ागर करते हैं, जिससे सामने वाला अचंम्भित हो जाता हैं। इनमें प्राकृतिक रुप से तेज़ होता हैं, जो इनको कभी नीचे नहीं गिरने देता हैं। इनको गुरु का सहयोग भी मिल जाए तो ये कुशल व्यापारी, अधिकारी और पुलिस सेना के पदाधिकारी भी होते हैं। ऐसा जातक अच्छा वक्ता और वकील भी बन सकता हैं।
15. स्वाति:- इस नक्षत्र का स्वामी राहु हैं, ऐसा जातक मोती के समान चमकता हैं, ऐसे लोग बहुत मेहनती होते हैं, और अपने ही प्रयत्न से आगे बढ़ते हैं। ये लोग ज़ीवन भर संघर्ष ही करते रहते हैं, आत्मनिर्भर ही रहना चहते हैं और स्वतन्त्रता के लिए प्रयासरत रहते हैं। ये लोग कूटनीति, समाज़ में सबको जोड़ना, नेटवर्किंग में रुचि और सामाजिक व्यवहार में कुशल होने के कारण इनमें सीखने की क्षमता अधिक होती हैं। इनका स्वभाव चंचल, अस्थिर, दिखावा पसंद, घूमना, एक जगह न टिकना और स्थिति के अनुसार खुद को ढ़ाल लेने की प्रवृति होती हैं। ऐसे लोग सही निर्णय भी नहीं ले पाते और लेते भी हैं तो बहुत ही देरी से समय निकल जाने के बाद लेते हैं। ऐसे लोग भौतिक सुख तथा शारीरिक सुख के लिए बहुत ही मेहनत करते रहते हैं। ये किसी भी परिणाम को लेकर लंबे समय तक इंतज़ार करते हैं, भले ही उसका परिणाम सकारात्मक न भी आना हो। ये लोग अपने विचारों को लेकर व्यवहारिक नहीं होते हैं, अगर ये लोग अपने विचारों पर काबु और खुद को भी स्थिरता में लाए तो ठोस निर्णय ले सकते हैं। ये लोग बहुत नए और रचनात्मक विचार ला सकते हैं, जिसे व्यवहारिक रुप में उतार कर ये सफल हो सकते हैं। अगर ये खुद ठोस निर्णय लेने की कला सीख ले तो अच्छी सफलता प्राप्त कर सकते हैं। ये लोग देखने में सुंदर, लचकीले स्वभाव के और आकृषक होते हैं। ऐसी स्त्रियां प्यार और सहानुभूति रखने वाली, नेक तथा उच्च सामाजिक स्थिति का उपभोग करने वाली होती हैं। इनकी धार्मिक अनुष्ठान करने में विशेष रूचि रहती हैं। ये सत्यभाषी होती हैं और इनके बहुत मित्र होते हैं। ये शत्रुओं पर विजयी प्राप्त करते हैं। इन्हें घूमने में कोई विशेष रूचि नहीं होती।
16. विशाखा नक्षत्र:- इनमें ईश्वरीय देन के रूप में बल और ओज रहता हैं। अधिकतर 55 वर्ष की आयु से अधिक जातको में लकवे कि शिकायत पाई गई हैं। विशेषकर जब की उनका जन्म इस नक्षत्र के दूसरे या तीसरे भाग में हुआ हो। शनि इस नक्षत्र में उच्च के होते हैं, जिससे जातक बहुत ही सहनशील होता हैं। ये लोग अपने लक्ष्य को पाने के लिए उचित अनुचित की भी प्रवाह नहीं करते हैं, जिससे खुद भी कठिनाईयों में आ जाते हैं क्योंकि इनके लिए लक्ष्य मायना रखता हैं, पर लक्ष्य का ढंग नहीं। ये लोग अपनी आसक्ति और भोग में रहना पसंद करते हैं। इनकी शक्ति बहुत बार असंतुलन भी हो जाती हैं, जिससे ये अपनी अच्छी शक्तियों का गलत इस्तेमाल भी कर लेते हैं। ऐसे लोग उत्सवों में जाना और वहां दिखावा करना पसंद करते हैं। ये लोग भौतिक सुखों की लालसा रखने वाले होते हैं, जिसके लिए इनको बहुत सा धन भी चाहिए होता हैं जिसको पाने के लिए ये अनुचित कार्य भी कर जाते हैं। ये लोग समाज़ या नैतिकता की परवाह नहीं करते हैं। इनको अपने विवेक से ही उचित अनुचित का रास्ता चुनना चाहिए।
17. अनुराधा नक्षत्र:- इस नक्षत्र का जातक जीवन में बहुत सी उलझने झेलता हैं। फिर भी उसमें कठिन से कठिन स्थिति से निपटने की योग्यता होती हैं। कभी-कभी उसके चेहरे पर निराशा दिखाई देने का कारण भी उसका विभिन्न समस्याओं का सामना करना ही हैं। एक छोटी सी समस्या भी उसके दिमाग में घर कर लेती हैं। ऐसे जातक में प्रतिशोध लेने की भावना भी होती हैं। वह कोई भी कार्य शुरु करता हैं, उसे पूरा करके ही रहता हैं। जिंदगी में आई विभिन्न बाधायों के बाद भी आशा नहीं छोड़ता और मनचाही सफलता पाता हैं। जातक ईश्वर में पूर्ण विश्वास रखता हैं। जातक किसी से भी स्थायी रूप से स्थिर सम्बन्ध नहीं रख पाता। उसका जीवन पूर्ण रूप से आज़ाद होता हैं। ऐसा जातक नौकरी में होगा तो उसमें अपने वरिष्ठ अधिकारियों को अपने अनुकूल कर लेने की विशेष योग्यता रखता हैं। वह छोटी ही आयु में कार्य करना शुरु कर देता हैं। 48 वर्ष की आयु के बाद ही इनका समय बहुत अच्छा रहता हैं, इसी समय में वह अपने इच्छित तरिके से जीवन जी पाता हैं और जीवन के कष्टों और परेशानियों से मुक्ति पाता हैं। यदि चन्द्रमा मंगल का प्रभाव बेहतर हो तो वह ड़ाक्टर या केमिस्ट बन सकता हैं।
ऐसे जातक को किसी भी स्थिति में उसे अपने साथियों से कोई सहायता नहीं मिल पाती। कुछ मामलो में उसको अपने पिता से भी कोई लाभ नहीं मिलता और आपस में मनमुटाव भी देखा गया हैं। जातक को अपनी माता से भी स्नेह और देखभाल पूरा नहीं मिल पाता। वह अपने जन्मस्थान से दूर जाकर बसता हैं। इनका विवाहित जीवन बेहतर रहता हैं। उसको जितनी पिता से दूरी और प्यार में कमी मिलती हैं, उतनी ही वह अपनी संतान की पुरी निष्ठा से देखभाल करता हैं और उनकी प्रत्येक आवश्यकताओं की पूर्ति स्नेह के साथ करता हैं, जिससे संतान उससे भी ऊँची स्थिति में पहुंचती हैं। इनका स्वास्थ्य सामान्यता ठीक रहता हैं। इनको अस्थमा का प्रकोप, दांतो की समस्या, खांसी, जुकाम, कब्ज तथा गले की खराबी की समस्या रहती हैं। अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही ही दिखाते हैं। कोई भी सवाल! जवाब के लिए यहां क्लिक करे!
18. ज्येष्ठा नक्षत्र:- ऐसा जातक क्रोधी तथा दुराग्रही होता हैं। अपनी इस प्रवृति के कारण वह अक्सर समस्याओं में उलझा रहता हैं और अपनी प्रगति के मार्ग में बाधायें भी पाता हैं। वह दूसरों की सलाह को भी महत्व नहीं देता। वह अपमें मन के अनुसार ही चलता हैं। कभी-कभी वह खतरनाक परिस्थितियों में भी फंस जाता हैं। अपने क्रोधी स्वभाव के कारण वह अपने हितकारियों, जिन्होंने जरूरत पड़ने पर उसकी सहायता भी की हो, उनके लिए भी समस्याएं तथा मुसीबतें उत्पन्न कर देता हैं और उनसे बुरा बर्ताव भी करता हैं। उसे अपने परिजनों से किसी भी सहायता की आशा नहीं होती। जातक को नशीली दवाओं, शराब आदि से दूर रहना चाहिए क्योंकि नशे में वह बहक जाने पर अपनी अर्जित प्रतिष्ठा भी खो बैठता हैं, जिससे उनके व्यवसाय तथा जीवन पर आघात लग सकता हैं।
जातक अपने प्रयत्नों से ही अपनी रोज़ी कमा पाता हैं। ये अपने व्यवसायों में जल्दी ही बदलाव करते रहते हैं। 18 से 26 वर्ष की आयु का समय इनके लिए कष्टकारक रहता हैं। इस समय में इनको आर्थिक तथा मानसिक परेशानियों से गुजरना पड़ता हैं। 27 वर्ष की आयु के बाद उनका जीवन ठहराव की ओर अग्रसर रहता हैं। 50 वर्ष की आयु तक बहुत मेहनत करनी पड़ती हैं। इस उम्र के बाद ही उनके जीवन में ठहराव आता हैं। वह अपनी माता या किसी से भी सहायता की आशा नहीं रख सकते। इनका अस्तित्व पहचान सब अलग होती हैं। इनका ज़ीवन साथी इन पर भारी रहता हैं, परंतु वह आपके नशे के प्रति आदतों से परेशान भी रहता हैं। इनका विवाहित जीवन सुव्यवस्थित रहता हैं। जातक बुखार, पेचिस, खाँसी-जुकाम, अस्थमा के प्रकोप तथा पेट की समस्याओं से ग्रस्त रहता हैं।
19. मूल नक्षत्र:- इनका जीवन अपवादों से घिरा रहता हैं, ऐसा व्यक्ति अपने माता-पिता से कोई लाभ नहीं ले पाते वे स्वनिर्मित अपना भविष्य चुनते हैं। उनका विवाहित जीवन संतोषजनक होता हैं। इनका जीवन साथी इनका सहायक होता हैं। अगर जन्मकुंड़ली में सूर्य, चन्द्रमा तथा शुक्र पीड़ित हैं, तो जातक क्षय रोग से प्रभावित रहता हैं। अगर मंगल, शनि या राहु पीड़ित हो तो लकवा या पेट की समस्याएं हो सकती हैं। जातक अपनी सेहत के प्रति लापरवाह रहता हैं। इस कारण उसकी आयु के 27 व 31, 44, 56, तथा 60 वर्ष में स्वास्थ्य की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता हैं। एक बार वह किसी नशे का आदि हो जाये तो उसे छोड़ना जातक के लिए बहुत कठिन हो जाता हैं। उसे किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहना चाहिए। जातक अपने कार्य को लेकर दूसरों निर्भर होता हैं। किसी भी विवादास्पद व्यवहार में उसे सावधानी रखनी चाहिए। किसी भी साझेदारी में पड़ने से पहले उसे अच्छी प्रकार से परख लेना चाहिए, नहीं तो उसे असफलताओं का मुँह देखना पड़ सकता हैं। 38 वर्ष की आयु के बाद का समय उसके लिए चौतरफा सफलता और समृद्धि का समय होता हैं।
सामान्यता इनका बचपन अच्छा रहता हैं, इनका ज़ीवन साथी जिम्मेदार तथा स्नेहमयी होता हैं, परंतु इनको अपने ज़ीवन साथी की स्वास्थ्य की चिंता भी लगी रहती हैं। इनको अपने बच्चों से कम सुख मिलता हैं। इन्हें पेट की समस्याएं, लकवा, फेफड़ों की बीमारियां होने का ड़र रहता हैं। कमजोर नजर के दोष से भी वह परेशान रहता हैं। अपनी स्वास्थ्य रिपोर्ट लेने के लिए यहां क्लिक करें।
20. पूर्वषाढ़ा: ऐसे जातक को लगातार परिश्रम करने की आवशयकता होती हैं और इसी परिश्रम से ज़ीवन में सफलता भी प्राप्त कर पाते हैं। कभी-कभी इनकी अपने ही अधिक प्रयास करने की आदत से ये आक्रमक हो जाते हैं। इनको सुंदरता और सुंदरता का दिखावा करने का बहुत शौक होता हैं, जिसको हम इनकी कला से भी जोड़ सकते हैं। ये अपने रहस्य व भेद छुपाने में भी माहिर होते हैं। ये अपने स्वार्थ सिद्ध करने के लिए क्रुरता से भी काम ले लेते हैं। ये लोग महत्वकांक्षी, आशावादी और प्रसन्नता के साथ अपने विस्तार के लिए जीवन जीना पसंद करते हैं। ये प्रबल इच्छा के स्वामी होते हैं, जिससे ये अपनी ज़ीवन में आई रुकावटों से घबराते नहीं हैं और निरंतर अपने लक्ष्यों पर आगे चलते रहते हैं। ये शुभ परिणाम आने में बहुत देर तक उसकी प्रतिक्षा भी करते हैं, अगर परिणाम अशुभ भी हो तो ये लोग कभी हिम्मत नहीं हारते हैं। इनको व्यवहारिक रुप से भी सोचना चाहिए, तभी ज़ीवन में आगे बढ़ सकते हैं। ये पूर्णता आशावादी होते हैं, और सकरात्मक प्रभाव में ही विशवास रखते हैं, कभी-कभी अधिक आशावादी होने से इनके प्रयास में कमी आ जाती हैं। इनके लिए कोई भी काम अधुरा छोड़ना कठिन होता हैं, जिससे ये छोटे काम में भी अपना अधिक समय व्यर्थ करते हैं। इनका अपना लक्ष्य अधुरा रह जाए तो उनको बहुत गुस्सा भी आता हैं। ये अपनी भौतिक स्थिति को सुधारने के लिए प्रयास करते रहते हैं, जिससे ये सुंदर दिखने और दिखावे की भी कोशिश करते हैं।
20. उत्तराषाढ़ा:- ऐसी स्त्रियां बिना सोचे-समझे बोलने वाली होती हैं और बिना बात पर किसी से भी झगड़े कर लेती हैं। इन लोगो का रहन-सहन का स्तर बहुत साधारण होता हैं। ये लोग अपने अपने आस-पास के लोगो को बहुत सम्मान देते हैं, और इनको समाज से प्रतिष्ठा भी प्राप्त होती हैं। इनकी इच्छाशक्ति बहुत प्रबल होती हैं, जिससे ये सत्यता के साथ ही रहते हैं। इनमें लोगो के विघ्न हरने और सबका कल्याण करने की भावना होती हैं। सूर्य के प्रभाव से सत्य, कर्त्तव्य, साहस व न्यायशील होते हैं। ये अपना आक्रामक प्रभाव तभी दिखाते हैं, जब किसी को कष्ट में देखते हैं। शनि की वज़ह से व्यवहारिकता, नियम और न्यायशीलता भी पाई जाती हैं। ये परम्परावादी होते हैं और परम्परा के अपमान करने वाले भी इनको पसंद नहीं आते। ये लोग समाज़ के हित के लिए ही काम करना पसंद करते हैं और शान्ति बनाए रखना चाहते हैं। गुरु अगर सूर्य के साथ हो तो जातक उच्च प्रशानिक सेवाओ में और ऑफिसर, जज़, सी. ए., राजनीतिक तथा नेतृत्वक्षमता के धनी होते हैं। बुध का साथ हो तो लेखक, प्रकाशक, वकील और वक्ता होते हैं। अपने व्यव्साय के बारें में जानने के लिए यहां देखें!
21. श्रवण नक्षत्र:- जातक मधुर भाषी तथा कुशलता से काम करने वाला होता हैं। उनके जीवन में निश्चित सिद्धांत होते हैं। वह अपने आसपास सफाई पसंद रखने वाले होते हैं। दूसरों की दुर्दशा को देखकर द्रवित हो जाते हैं और उनकी हर सम्भव सहायता करने की कोशिश करते हैं। वह सात्विक भोजन करना पसंद करते हैं, इस कारण से वह एक अच्छा आतिथ्य करने वाले भी होते हैं। वह धार्मिक तथा गुरुभक्त भी होता हैं। वह सत्य में विश्वास रखता हैं। वह सभी की निस्वार्थ सहायता करते हैं, उनसे कुछ पाने की भी आशा नहीं रखते, मगर देखा गया हैं, की उसे दूसरों से धोखा व फरेब ही मिलता हैं। उसका शांतिपूर्ण और कुशलता भरा व्यवहार लोगो के मन को भाता हैं जिससे वह एक कुशल राजनीतिज्ञ भी बन सकता हैं। इनकी मुस्कान लोगों को आकर्षित करने के लिए काफी होती हैं और एक बार आकर्षित होने के बाद उसे भुला पाना कठिन होता हैं। उनके जीवन में कितने ही उतर-चढ़ाव आए वह न तो शीर्ष पर उठेगा और न ही रसातल में गिरेगा। दूसरे शब्दों में वह सामान्य जीवन व्यतीत करेगा। इस नक्षत्र में उत्पन्न अनपढ़ व्यक्ति भी पूर्ण परिपक़्वता दिखाता हैं तथा हमेशा ज्ञान अर्जित करने की इच्छा रखते हैं। वह अच्छा सलहाकार होता हैं। व्यक्तिगत तथा सामुहिक समस्याओं के समाधान के लिए लोग उस पर निर्भर होते हैं। वह बहुमुखी तथा प्रतिभा सम्पन्न व्यक्ति होगा। उसमें एक समय में कई कार्यो को सम्पन्न करने की क्षमता होगी। यदि वह किसी ऐसे पद पर नियुक्त हो, जहां कुछ शक्ति और अधिकार निहित हो तो वह बहुत दीप्तिमान होता हैं। वह सदैव इसी प्रकार के अधिकारपूर्ण कार्यो\पदों की तलाश में रहता हैं। वह बहुत सी जिम्मेदारियां निभाता हैं और उन पर खर्च भी करता हैं, जिससे उसको धन की जरूरत रहती हैं। ये अपने कट्टर शत्रु से भी बदला लेना नहीं चाहता, उसका विचार होता हैं की ईश्वर खुद देखेगा। सामान्यता इनकी 30 वर्ष तक की आयु का समय परिवर्तनशील रहता हैं। 30 से 45 वर्ष की आयु के बीच उनके जीवन के क्षेत्र में स्थिरता आती हैं। इन्हें सामाजिक तथा आर्थिक उन्नति की आशा रहती हैं। जातक मशीनी, तकनीकी या इंजीनियरिंग कार्यो के लिए उपयुक्त होता हैं। वह पेट्रोलियम अथवा तेल उत्पादन से भी व्यापार कर सकता हैं।
इनका विवाहित जीवन सुखी होता हैं। इनका ज़ीवन साथी आज्ञाकारी होता हैं। फिर भी जातक के अन्य साथियों से सम्बन्ध रहते हैं। ऐसा जातक कान की समस्याओं, त्वचा के रोग, एग्जिमा, दमा, क्षय-रोग तथा अपच से पीड़ित हो सकता हैं।
22. अभिजीत नक्षत्र:- ऐसा जातक विद्वानों तथा अभिजात्य वर्ग से सम्मानित होता हैं। इनका व्यवहार अत्यंत शिष्ट होता हैं। ये धार्मिक, मृदु-भाषी, महत्वकांशी और आशावादी होते हैं। इनमें गुप्त विद्याओं को जानने की प्रवृति भी होती हैं। ऐसा जातक अपने परिवार में विद्वान, प्रसिद्ध तथा उच्च स्थान पर होता हैं। जातक के एक नहीं अनेक व्यवसाय होते हैं, इनके कार्य क्षेत्र में बदलाव होते रहते हैं। इनके एक से अधिक साथी होते हैं। इनका 23 वर्ष की आयु में या इसी उम्र के आसपास विवाह होता हैं। इनकी अधिक संतान होती हैं। 27 वर्ष की आयु तक इनको आर्थिक समस्याएं होंती हैं। उसके बाद धन की कमी नहीं रहती। इनका बचपन में स्वास्थ्य खराब रहता हैं। 20 वर्ष की आयु के बाद इनके स्वास्थ्य में सुधार होता हैं। वह पीलिया तथा बवासीर से पीड़ित हो सकते हैं। इनकी आयु के 16वें वर्ष में कुछ ऐसी घटना घटती हैं जिससे इनको बहुत सीख मिलती हैं जो इनके लिए बहुत महत्वपूर्ण बन जाती हैं। इन लोगों में कई काम एक साथ निपटाने की क्षमता होती हैं। ये लोग मालिक के साथ एक अच्छे कार्य-कर्त्ता भी होते हैं। ये मालिक और सेवक में फर्क नहीं समझते, खुद अगर मालिक होते हैं तो सेवक के साथ काम भी करते हैं।
23. धनिष्ठा:- वैदिक ज्योतिष में ये नक्षत्र सबसे प्रबल माना जाता हैं, जिससे जातक को ज़िंदगी में सुख व मान की प्राप्ति होती हैं। जातक का संगीत, कलाकारी व नर्तक के प्रति बेहद लगाव होता हैं, अगर संगीत से जुड़ा व्यवसाय करे तो बहुत तरक्की भी मिलती हैं। अगर जातक किसी अच्छे काम में रुचि रखे तो वह शुन्य को भी सौ करने की क्षमता रखता हैं। ऐसे जातक आत्मविशवास से भरपूर, ऊर्ज़ावान, मज़बूत स्वभाव और व्यवहारिक होते हैं। इनमें मंगल का प्रभाव होने से साहस और पराक्रम के गुण भी होते हैं, जिससे ये लोग सेना व पुलिस से भी जुडे होते हैं। इनमें शनि के गुण होने से भी अनुशासन, मेहनती और व्यवहारिक कौशल में पूर्ण होते हैं। ये लोग अपने लक्ष्य को लेकर केंद्रित रहते हैं और उसके लिए निरंतर कोशिश करते रहते हैं। इनको व्यवसाय में कूटनीति कि बहुत समझ होती हैं, जिससे ये सफलता की सीढ़ि पर चढ़ जाते हैं। ये भौतिंक स्वभाव के होते हैं और हर हाल में खुश रहते हैं। इनका अभिमानी, अड़ियल, ज़िद्द वाले स्वभाव की वज़ह से ये किसी की बात आसानी से नहीं मानतें, अगर कोई मज़बूत तर्क दे कर बात की भी जाए, तब तो कुछ समझ भी जाते हैं। सामाजिक सम्बंध कैसे बनाए और निभाए जाते हैं, ये बखुबी जानते हैं। इनका वैवाहिक ज़ीवन अधिक बेहतर नहीं होता, इनको कई समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं, जिसका कारण इनका ज़िद्द करना हैं। ऐसे लोग अघोरी या तांत्रिक भी हो सकते हैं।
24. शतभिषज नक्षत्र:- इनका शरीर कोमल, उत्तम स्मरण शक्ति, आकर्षक नेत्र, चमकदार चेहरा, ऊँची नाक और ये देखने पर शाही परिवार से सम्बन्धित नजर आता हैं। ये लोग सत्य के लिए प्राण भी देने में संकोच नहीं करते। इनके जीवन में निस्वार्थ सेवा रहती हैं। वह धार्मिक मान्यताओं को अपनाने पर बल देते हैं। ये अड़ियल प्रकार के व्यक्ति भी होते हैं। वह जो भी निर्णय कर लेते हैं, उससे हट नहीं सकते। जीवन के हर क्षेत्र में ये मेधावी तथा सक्षम होते हैं, साथ में वह नरम दिल भी होते हैं। वह अच्छे और बुरे का मिश्रण होते हैं। ये दिखावे में विश्वास नहीं रखते, बल्कि अपने विधा का भी प्रदर्शन करने में संकोच करते हैं, हालाँकि बातचीत के दौरान उसकी विधा इनके उपदेशों तथा शिक्षाओं के रूप में प्रकट होती हैं। व्यवसायिक क्षेत्र में इनका 34 वर्ष तक की आयु का समय मुश्किलों का समय होता हैं। इस अवस्था के बाद उनके लिए प्रगति का योग होता हैं। वह ज्योतिष मनोवैज्ञानिक तथा चिकित्सा के पेशे के लिए उपयुक्त होते हैं। ये छोटी सी उम्र में ही साहित्यिक प्रतिभा तथा महानता से प्रकाश में आते हैं। वह श्रेष्ठ व उच्च शिक्षा प्राप्त करने में सक्षम होते हैं। इस नक्षत्र में उत्पन्न जातक अच्छा ड़ाक्टर तथा चिकित्सा के क्षेत्र में उत्तम अनुसंधान करता हैं। अन्य सवालों के जवाब के लिए हमसें मिलनें के लिए सम्पर्क करें।
सामान्यता इन्हें अपने परिजनों से समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं। फिर भी वह उनकी भरपूर सहायता करते हैं। ये अपने भाइयों के कारण अधिकतम मानसिक वेदना सहते हैं और पिता से भी कोई लाभ प्राप्त नहीं होता, बस माता से स्नेह व देखभाल मिलती हैं। ऐसे लोग देखने में तो पूर्ण स्वस्थ नजर आते हैं, वास्तव में ऐसा नहीं होता, वह अपने शरीर पर छोटा सा भी दुष्प्रभाव सह नहीं पाते। इन्हे मूत्र की बीमारियां, पेट की समस्या, ठंड़ से होने वाले रोग, साँस की तकलीफ और मधुमेंह होने का ड़र रहता हैं। इनके गुप्त रूप से स्त्रियो के साथ अवैध सम्बन्ध होंते हैं।
25. पूर्वभाद्रपद:- ऐसे लोग साहसी, रहस्यमयी और नाटकीय प्रवृति के होते हैं। ये लोग सौभाग्यवान होते हैं। ये दो पहलु के व्यक्तित्व के होते हैं, इनको गुस्सा आ जाए तो घातक और विनाशकारी हो जाते हैं, फिर दूसरे ही पल सभ्य भी हो जाते हैं। ये बहुत जल्दी अपना व्यक्तित्व बदल सकते हैं, कभी कभी समझदार से समझदार इंसान इनको समझ नहीं सकता हैं। ऐसे लोग समाज के सामने बहुत प्रतिष्ठित होते हैं तो अंदर से किसी आंतकवादी संस्था से भी जुडे होते हैं। ये बहुत अच्छे गुप्तचर भी होते हैं। ये अपने हिंसक स्वभाव के लिए मशहूर भी होते हैं, इस नक्षत्र का मालिक गुरु हैं पर गुरु ग्रह की विशेषता इससे मिलती नहीं हैं, बस उससे जुडे तप, गहन साधना और अहम की भावना पाई जाती हैं। ऐसे लोग बहुत ही कष्ट वाले तप करके ठंड़ या गर्मी, समय को बिना देखे भी कठोर तपस्या साधना कर के अपने शरीर को तपाते रहते हैं। ऐसे लोग नशीली दवाई का काम भी करते हैं पर लोगो को कुछ और दिखा कर अपने को बचाते हैं। ऐसे जातक आतंकवादी, पुलिसकर्मी, जासूस, गुप्तचर, शमशान की रखवाली करने वाला, हथियार बनाने वाला, काला जादु, तंत्र-मंत्र और रंगमंच से जुडे कलाकार भी बन सकते हैं।
26. उतर-भाद्रपद:- ये लोग अमीर-गरीब के स्तर को देखे बिना, सबसे एक जैसा व्यवहार करते हैं, परंतु इनको बहुत जल्दी क्रोध आ जाता हैं, लेकिन इनका क्रोध स्थाई नहीं होता। जो लोग इनको प्यार करते हैं, उनके लिए वह जान भी देने में संकोच नहीं करते। ये भाषा कला में दक्ष होते हैं और शत्रुओं को परास्त करके उच्च स्थिति प्राप्त करने में सक्षम हैं। इनको ज़ीवन साथी के अलावा दूसरे साथी में रुचि रहती हैं। ये एक समय में विभिन्न विषयों में दक्षता प्राप्त कर सकते हैं। वैसे ये अधिक शिक्षित नहीं होते, मगर इनका ज्ञान तथा विभिन्न विषयों के बारे में इनके विचार किसी अच्छे पढ़े लिखे व्यक्ति के समान ही होते हैं। वह ललित कलाओं में रूचि लेते हैं तथा विस्तृत लेख और पुस्तकें लिखने में सक्षम होते हैं। अपनी असाधारण योग्यता और क्षमता के कारण वह अपने कार्य क्षेत्र में चमकते रहते हैं। आलस्य का इनके जीवन में कोई महत्व नहीं हैं। जब वह किसी काम को करने की ठान लेते हैं तो उसे पूरा करके ही रहते हैं। असफलता की स्थिति में भी वह निराश नहीं होते। यदि नौकरी में हो तो शीर्ष पर पहुंचने की पूरी कोशिश करते हैं। अधिकतर मामलों में देखा गया हैं की ये आरम्भ में छोटे या मंध्यम पदों में नियुक्त होगे पर बाद में वह अच्छी स्थिति प्राप्त करके सदा दूसरों से प्रशंसा तथा पुरस्कार प्राप्त करते हैं। देखा गया हैं की इनके जीवन में स्थाईपन अथवा प्रगति इनके विवाह के बाद हीं आती हैं। 18 या 19 वर्ष की आयु में वह रोज़गार शुरु कर देते हैं। व्यवसायिक क्षेत्र में प्रमुख बदलाव उसकी आयु के 19, 21, 28, 30, 35 तथा 42 वे वर्ष में होता हैं। जहां एक तरफ वह अपने पिता के उच्च व्यक्तित्व और धार्मिक दृढ़ता की प्रशंसा करते हैं, वही उसे अपने पिता से कोई लाभ प्राप्त नहीं होता। सामान्यता अपने पैतृक शहर से दूर रहकर जीवन यापन करते हैं। इनका विवाहित जीवन खुशियों से भरा रहता हैं। इनकी संतान ही इनकी पूंजी होती हैं और आज्ञाकारी, समझदार तथा आदर करने वाली होती हैं।
इनका स्वास्थ्य बहुत अच्छा रहता हैं, लेकिन ये उसके प्रति लापरवाह भी रहते हैं। जब वह गंभीर रूप से बीमार होगा तभी ड़ाक्टर के पास जाता हैं। उसे लकवे का प्रकोप, पेट की समस्याएं, बवासीर तथा हर्निया होने के संकेत रहते हैं। ऐसी स्त्रियां अपने परिवार की गृहलक्ष्मी होती हैं। जिनमें बहुत स्नेह और खुद को व अपने परिवार को परिस्थितियों के अनुसार ढ़ालने की प्रवृति होती हैं।
27. रेवती:- ऐसे लोग खुद को धनवान, उदार, आशावान व सुखमय बना कर रखना चाहते हैं। एक समय में आ कर ये लोग सोचते हैं कि आखिर इस दुनिया का रहस्य क्या हैं और मुक्ति का रास्ता कहां हैं, जिसके लिए ये मनन व गहरी साधना भी करते रहते हैं। ये लोगो के लिए सुचना संचार के साधन भी बनते हैं। ये लोग वाक-कौशल के धनी, बुद्धिमान व चतुर होते हैं, जिससे ये व्यापार में भी पूर्णता कौशल रखते हैं। जातक भौतिकवादिता और आध्यात्मिकता में सफल होते हैं। ये लोग सकारात्मक होते हैं और किसी भी विफलता के बाद भी हार नहीं मानते हैं। इनमें कल्पना शक्ति बहुत तीव्र होती हैं, ये अपनी रचनात्मक रुप से बहुत से कार्य करते हैं। ये अपने स्वपन और कल्पना से अपनी अलग ही दुनिया बना लेते हैं, कभी तो ये अपनी दुनिया में इतना खो जाते हैं कि व्यावहारिक जीवन से खुद को जोड़ ही नहीं पाते हैं। ऐसे जातक अपनी माया व रहस्य से दिव्य ज्ञान भी प्राप्त कर सकते हैं, और सृष्टि के रहस्यों को भेद कर माया के प्रभाव में चल रहे जातक को मुक्ति और मोक्ष का मार्ग दिखा सकता हैं। ये समाज को खुद के साथ जोड़े रखते हैं और अपनी वाक-शक्ति में कुशल होते हैं। ये लोगो की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं, ये दूसरों के दर्द को समझते हैं और उनकी सहायता के लिए तैयार रहते हैं। ये लोग धर्मार्थ और गरीब लोगों के लिए धन एकत्र करते हैं। ऐसे जातक आध्यात्मिक गुरु, योगाचार्य, दार्शनिक, ज्योतिष, वास्तुकार, हास्य अभिनेता, चित्रकार, अध्यापक, गोताखार, सरकार के कार्य, संगीतकार, वैज्ञानिक, चिकित्सक और अंतरिक्ष के कार्य में होते हैं। ऐसी स्त्रियां धर्म को मानने वाली और उनका संस्कृति का पालन करने वाली होती हैं। ये लोग पुरी तरह आजाद होते हैं इनके मार्ग में कोई बाधा ड़ाले तो इनको पसंद नहीं आता हैं। खुद को परिस्थितियों के अनुसार ढ़ालने की कोशिश करते हैं। ये लोग ज्यादा समय तक किसी बात को गुप्त नहीं रख सकते हैं न ही किसी पर आंखे बंद करके विश्वास करते हैं। इन्हे क्रोध भी बहुत आता हैं और हठीले व महत्वकांशी होते हैं, लेकिन हमेशा करते अपने मन की हैं। ये किसी भी बात का पूर्व निष्कर्ष निकाल लेते हैं। अगर ये किसी तरह असफल हो जाये तो इस बात से जल्दी उबर कर नहीं आ पाते हैं। ये बहुत बुद्धिमान होने के बाद भी इनको अपने प्रयत्नों के अनुसार फल भी नहीं मिलता हैं। इनको ईशवर के ऊपर बहुत विशवास होता हैं। इनको विदेशी भुमि से बहुत लगाव होता हैं।
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