चार्टेड अकाउण्टेंट: C.A. rules in Astrology
देश में विकास की दर बढ़ रही हैं जिससे उधोगों के आर्थिक व्यवस्था को सम्भालने के लिए बहुत अध्ययन, ज्ञान और प्रयास की आवश्यकता हैं। कंपनी के खातो में लाभ-हानि को देखना भी आवशयक हैं। सरकारी कर सेवायों में आम आदमी के लिए अपनी आय और व्यय की सटीक राशि की गणना रखना और उसका भुगतान करने के लिय भी सी.ए की मांग बढ़ रही हैं। आज के छात्र बहुत प्रतिभावान और बुद्धिमान हैं जिसमें वह अपना सपना सी.ए. में पूरा करना चाहते हैं। हमारा वैदिक ज्योतिष आपके ग्रहों के अनुसार आपकी मदद कर सकता हैं कि आप की कुंडली में सी.ए. के कितने मज़बूत योग हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार हम कुंड़ली में भाव और ग्रहों के माध्यम से सभी योगों के बारे में जान सकते हैं।
भाव: सी.ए. के लिए व्यक्ति को वाणिज्य और गणित के विषयों में विशेष ज्ञान हासिल करना चाहिए। जिसमें आज के समय में परिक्षा को पास करना कठिन हो गया हैं। आज के समय में एक सी.ए. के पास उच्च प्रतिष्ठा, प्रसिद्धि और धन की कमी नहीं होती। जिसके लिए शिक्षा के पंचम भाव का सम्बंध बुद्धि के कारक बुध से बने और इनका सम्बंध दशम या एकादश से बने तो सी.ए. के योग मज़बूत बनते हैं।
दुसरा भाव (धन), षष्ठम भाव (कानून/मुकद्दमें), दशम भाव (कर्म स्थान), द्वादश भाव (टैक्स/राजस्व), तथा पंचम भाव (सलाहकार/शिक्षा) इन भावों के संबंध की मदद से ही अकाउण्टेंट का सपना साकार हो सकता हैं। इनमें जितना सुंदर संबंध हो जातक उतनी ऊंचाईयों तक जाता हैं। ज्योतिष सीखनें के लिए यहां देखें!
ग्रह: मुख्य बुध ग्रह (हिसाब/किताब, खाता/अकाउण्ट) और गुरु (धन/परामर्श) ग्रहों को मुख्य भुमिका देनी चाहिए। मुश्किलों से लड़ने के लिए और टैक्स बचाने के लिए शनि व मंगल जैसे पापी ग्रहों का योगदान भी चाहिए। शनि/मंगल का आपसी संबंध द्वितीय/द्वितीयेश के साथ पाया जाता हैं। किसी भी प्रशन के लिए यहां क्लिक करें!
दशम/पंचम/एकादश भाव में बुध/शुक्र/बृहस्पति/शनि का संबंध एक महत्वपूर्ण योग हैं।
आमात्यकारक ग्रह से व्यवसाय की दिशा का पता चलता हैं। आमात्यकारक का संबंध द्वितीय/द्वितीयेश, पंचम, छठा व एकादश से होता हैं। अमात्यकारक बुध हो तो आड़िट तथा अकाउण्ट में जातक की महारत होती हैं। मंगल या शनि होने से जातक की महारत टैक्स (बिक्री कर/आय कर) बचाने में होती हैं। सूर्य हो तो कारपोरेट के कानुन में और सरकारी या बहुराष्ट्रीय कंपनियों में दिलचस्पी होती हैं। गुरु हो तो बैंक या फाईनेंस का काम करना पसंद होता हैं।
दशा का संबंध छठे और दसवे के साथ व अमात्यकारक के साथ हो तो सफलता मिलती हैं। क्योंकि बिना दशा के जितने भी महत्वपूर्ण योग हो फल नहीं दे पाते हैं।
पत्रकार: अन्य योगों के बारे में जानने के लिए यहां देखें!
भाव: तीसरा भाव (सम्प्रेषण/बात करने की कला), (तृतीय भाव में उच्च के शुभ ग्रह तृतीय के फलों में कमी लाते हैं), पंचम भाव (बात को सज़ा कर पढ़ने की योग्यता) तथा दशम भाव (आजीविका और कर्म) के बारे में बताता हैं, इनका संबंध एक अच्छे पत्रकार को जन्म देता हैं। हमसें मिलनें या बात करने के लिए सम्पर्क करें!
ग्रह: पत्रकार के लिए शब्दों को मोती बनाना या अंगारे बनाना बहुत आसान हैं जिसके लिए कला में महारत बनाने के लिए सम्प्रेषण कारक बुध के आशिर्वाद की आवशयकता हैं। बुध एक चंचल, अस्थिर, तुरंत प्रतिक्रिया करने वाला और कुछ गैर जिम्मेदार ग्रह हैं जो पत्रकार के व्यवहार से बखुबी मिलता हैं। बुध और मंगल का योग कलम और स्याही का संयोग हैं, जिससे जातक पत्रकार छपने की योग्यता रखता हैं। इसी में गुरु का योगदान होने से स्वर्णाक्षरों से शब्दों को सज़ा कर अमर बनाया जा सकता हैं और शब्दों को स्थायित्व मिल जाता हैं। नौकरी करने वालो के लिए छठा भाव और फ्रीलांसिंग करने के लिए एकादश भाव भी महत्वपूर्ण हो जाता हैं।
अमात्यकारक ग्रह से पत्रकारिता की दिशा का पता चलता हैं। आमात्यकारक शुक्र को चंद्रमा का प्रभाव मिलने से पत्रकार विजुअल मीड़िया या दृश्य की ओर प्रभावित होता हैं जिसमें वह कैमरा या टेलिविज़न, दूरदर्शन या सिनेमा जैसे माध्यम का सहारा लेता हैं। राहु, गुरु और शनि का प्रभाव हो तो पत्रकार फोटो लेने में अपना प्रभाव छोड़ता हैं। अमात्यकारक का संबंध बुध, चंद्रमा या मंगल से होने जातक अच्छा पत्रकार बनता हैं।
पहले पत्रकारिता के मंगल और बुध की कृपा आवशयक थी आज शुक्र और राहु ने इस क्षेत्र में अपना प्रभाव स्थापित कर लिया हैं।
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