Heart Lines_ Hridya Lines_ Lines in Hand_ Lines of Heart_ Palmistry
हाथ में सात प्रधान रेखाये होती हैं जिससे हम अपने जीवन के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं को समझ सकते हैं और समझ सकते हैं कि ये रेखाये कितनी शुभ या अशुभ हैं।
ह्रदय रेखा- यह रेखा छोटी उंगली के नीचे से प्रारम्भ हो कर गुरु के पर्वत तक जाती हैं। जब ह्रदय रेखा बृहस्पति क्षेत्र के मध्य तक हो तो जातक आदर्श प्रेमी होता हैं और अपने प्रेमपात्र की पूजा करता हैं। ऐसी रेखा वाला जातक प्रेम में ढृंड़ और विश्वसनीय होता हैं। उसकी यह भी आकांशा होती हैं, की जिस को भी वह प्रेम करे वह महान कुलीन और प्रसिद्ध होता हैं। ऐसा व्यक्ति अपने स्तर के नीचे व्यक्ति से कभी विवाह नहीं करता और उस व्यक्ति की अपेक्षा जिसके हाथ में ह्रदय रेखा शनि के क्षेत्र के नीचे से आरम्भ होती हैं, वह बहुत कम प्रणय सम्बंध स्थापित करता हैं। कभी-कभी ह्रदय रेखा बृहस्पति क्षेत्र से या तर्जनी के नीचे से आरम्भ होती हैं, तब उपयुक्त गुणों में अधिकता हो जाती हैं। ऐसी रेखा वाला व्यक्ति प्रेम में अंधा हो जाता हैं और उसे अपने प्रेमपात्र में कोई कभी कोई कमी या कमज़ोरी दिखाई नहीं देती। प्रेम के मामलो में प्राय: इस प्रकार के लोग दुःख भोगते हैं और धोखा भी खाते हैं। जब वे देखते हैं कि जिसको वे प्रेम करते हैं, वह उतना उत्कृष्ट नहीं हैं जैसा वे चाहते थे, तो उनके आत्माभिमान को आधात पहुँचता हैं। यदि ह्रदय रेखा तर्जनी और मध्यमा के बीच से आरम्भ हो तो जातक प्रेम तो सच्चे मन से करता हैं परन्तु शांत रहता हैं और उसके लिए बैचैन या अधीर नहीं होता। ऐसे लोग वृहस्पति क्षेत्र के आदर्श और आत्माभिमान तथा शनि क्षेत्र की दी हुई उत्तेजना और गरिमा और न ही बृहस्पति क्षेत्र की उच्च अभिलाषा होती हैं।
जब ह्रदय रेखा शनि क्षेत्र से आरम्भ होती हैं जातक का प्रेम वासनापूर्ण अधिक होता हैं और इसलिए वह अपने प्रेम के मामलो में स्वार्थी होता हैं। घरेलु जीवन में वह अपने प्रेम का उतना प्रदर्शन नहीं करता जितना वृहस्पति क्षेत्र से आरम्भ होने वाली रेखा वाले करते हैं। यहि ह्रदय रेखा मध्यमा के मूल स्थान से आरम्भ हो तो जातक की वासना और रतिक्रिया की ओर प्रवृति अत्यधिक हो जाती हैं। यह मान्यता हैं, की वासना से वशीभूत लोग स्वार्थी होते हैं- ऐसी रेखा वालो में यह दुगुर्ण भी बहुत बढ जाता हैं। अन्य लेख पढ़ने के लिए क्लिक करें।
यदि ह्रदय रेखा अपनी स्वाभाविक लम्बाई से अधिक हो और हथेली के एक छोर से दूसरे छोर तक चली जाए तो प्रेम की भावनाओ में अत्यधिकता आ जाती हैं और जातक में ईर्ष्या की प्रवृति उत्पन्न हो जाती हैं। जब अनेको रेखाये ह्रदयरेखा के नीचे से आकर उसपर आक्रमण करे, तो जातक इधर-उधर प्रेम का जाल फेंकता फिरता हैं, वह किसी के साथ स्थिरता से प्रेम नहीं कर सकता और व्यभिचारी हो जाता हैं।
यदि शनि क्षेत्र से आरम्भ हुई रेखा चौड़ी और श्रंखलाकर हो तो जातक पुरुष हो तो स्त्री के प्रति आकर्षित नहीं होता और स्त्री हो तो उसका पुरुष के प्रति कोई आकर्षण नहीं होता। वास्तव में वे एक-दूसरे को नफरत की दृष्टि से देखते हैं। यदि ह्रदयरेखा चमकते हुए लाल वर्ण की होती हैं, तो वासना हिंसात्मक हो जाती हैं। इसका अर्थ यह लेना चाहिए की अपनी वासनापूर्ति के लिए जातक हिंसा और बलात्कार भी कर सकता हैं। जब ह्रदय रेखा नीचे हो और मस्तिष्क रेखा के निकट हो तो ह्रदय मन की कार्यशीलता में हस्तक्षेप करता हैं। अपने जन्म दिन पर अपने आने वाले समय के बारे में जानने के लिए क्लिक करें।
यदि ह्रदयरेखा फीके रंग की हो जातक नीरस स्वभाव का होता हैं और प्रेमादि में उसे विशेष दिलचस्पी नहीं होती। यदि ह्रदय रेखा ऊंची हो और मस्तिष्क रेखा उठकर ह्रदय रेखा के निकट पहुंच जाए तो विपरीत फल होता हैं। ऐसी परिस्थिति में ह्रदय की भावनाओं को मन नियंत्रित करने में समर्थ होगा और फलस्वरूप जातक ह्रदयहीन, ईर्ष्यालु और अनुदार होगा। यदि ह्रदय रेखा छिन्न-भिन्न हो तो प्रेम में निराशा होती हैं। यदि शनि क्षेत्र के नीचे ह्रदय रेखा टूटी हो तो प्रेम संबंध जातक की इच्छा के विरुद्ध टूट जाता हैं परिणाम में दुःख पहुंचने वाले प्रेम का यह लक्षण हैं। यदि रेखा सूर्य क्षेत्र के नीचे टूटी हुई हो आत्माभिमान के कारण प्रेम-संबंध में बाधा आती हैं। यदि ह्रदयरेखा बुध क्षेत्र के नीचे टूटी हो तो प्रेम-संबंध में कटुता जातक की मूर्खता, लालच और खराब विचारों की संकीर्णता के कारण होती हैं। यदि ह्रदय रेखा बृहपति क्षेत्र पर दो छोटी शाखा के साथ आरम्भ हो तो जातक नि:संदेह सच्चे दिल का ईमानदार और प्रेम में उत्साही होता हैं। यह देखना बहुत महत्वपूर्ण हैं की ह्रदय रेखा हाथ में कितनी उंचाई या नीचाई पर स्थित हैं क्योंकि ऊंचाई ही सर्वोत्तम होती हैं इससे जातक अत्यधिक प्रसन्नचित होता हैं।
यदि ह्रदय रेखा आरम्भ में दो शाखावत हो जिससे उसकी एक शाखा बृहस्पति क्षेत्र पर हो दूसरी शाखा तर्जनी और मघ्यमा के बीच चली गई गई तो जातक संतुलित, प्रसन्नचित, सौभाग्यशाली और प्रेम में सुखी होता हैं। यदि एक शाखा बृहस्पति क्षेत्र पर रहे और दूसरी शनि की ओर चली जाए तो जातक का स्वभाव अनिश्चित होता हैं और स्वयं अपने ही कारण वह अपने वैवाहिक जीवन को कंटकपूर्ण बना देता हैं।
जब ह्रदय रेखा शाखाहीन हो और पतली हो तो जातक रूखे स्वभाव का होता हैं और उसके प्रेम में गरिमा नहीं होती हैं। यदि बुध क्षेत्र के नीचे हथेली के किनारे पर ह्रदय रेखा समाप्त होती हैं, उसमें शाखायें हो तो जातक में संतानोत्पादक क्षमता नहीं होती हैं, वह संतानहींन तक हो सकता हैं। यदि पतली रेखायें मस्तिष्क रेखा से निकलकर ह्रदय रेखा को स्पर्श करे तो यह समझना चाहिये की वे उन व्यक्तियों का या उन प्रभावों का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिनका जातक के ह्रदय संबंधी विषयों पर प्रभाव पड़ता हैं। यदि ऐसी रेखाये ह्रदय रेखा को काट दे तो वे जातक के प्रेम-संबन्धों पर कुप्रभाव डालकर उसे हानि पहुँचती हैं।
यदि ह्रदय रेखा, मस्तिष्क रेखा और जीवन रेखा तीनो परस्पर जुडी हो तो यह एक अत्यन्य अशुभ लक्षण होता हैं। इस प्रकार के योग में जातक अपने प्रेम संबंधो में अपनी अभिलाषा पूर्ण करने के लिए सब कुछ करने को तैयार हो जाता हैं। जिसके हाथ में ह्रदय रेखा न हो या नाम मात्र को हो तो उसमें धनिष्ट प्रेम-संबंध स्थापित करने की क्षमता नहीं होती। यदि हाथ मुलायम हो तो ऐसा जातक अत्यंत वासनापूर्ण हो सकता हैं। यदि हाथ कठोर हो तो वासना तो नहीं होगी, परन्तु जातक प्रेम के मामलो में नीरस होगा। यदि किसी के हाथ में अच्छी-भली ह्रदय रेखा हो परन्तु वह बाद में बिल्कुल फीकी हो जाए तो ऐसा समझना चाहिए की जातक को प्रेम में भीषण निराशाओं का सामना करना पड़ा हैं, जिसके कारण वह ह्रदयहीन और प्रेम के विषय से विमुख हो गया हैं। Why Worried? Ask a question and get solutions!
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