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Mountain In Hand

Mountain in Hand_  Hatho ke Parvat_ Palmistry_ Hand Lines   

हाथों में पर्वतों का क्या महत्व हैं!

प्रत्येक हाथ को समझने के लिए उसमें हाथ की रेखाओं के साथ पर्वत का भी बहुत महत्व हैं। प्रत्येक पर्वत को ज्योतिषीय ग्रह के साथ जोड़ा जाता हैं। जिसमें बृहस्पति पर्वत, शनि पर्वत, सूर्य पर्वत, बुध पर्वत, शुक्र पर्वत, मंगल पर्वत और चंद्रमा का पर्वत को फलित के लिए देखा जाता हैं। हाथ में ये पर्वत छोटे व गद्देदार होते हैं, जो उंगली के नीचे बने होते हैं। प्रत्येक पर्वत अधिकतर बाहर की ओर फैला हुआ होता हैं। हाथ में पर्वत की द्दढ़ता, बनावट और रंगो को देखा जाता हैं। प्रत्येक ग्रहों के बारे में जानने के लिए जातक की हथेली में इन्हीं पर्वतों को समझा जाता हैं। पर्वतों को अधिकता से उभरे नहीं होना चाहिए सामान्य होने में जातक का जीवन संतुलित और सक्रिय होता हैं। कोई पर्वत अपने सिरे यानि उंगली के नीचे से सरक जाता हैं तो यह नकारात्मकता को इंगित करता हैं।               Numerology Course.

बृहस्पति पर्वत- यह पर्वत प्रथम उंगली के नीचे होता हैं, यहां पर्वत की स्थिति सही होने से जातक के जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा, व्यवसाय में सफलता, धार्मिकता, मिलनसार, वफादारी, उदारता और नैतिकता होती हैं। जिस व्यक्ति के हाथ में यह क्षेत्र उच्च होगा उसमें महत्वकांक्षा, अभिमान, उत्साह और हकूमत करने की अधिक इच्छा होगी। अगर हाथ में पर्वत बहुत चपटा होगा तो उसमे विशवास, माता-पिता या गुरु-जनों में श्रद्धा नहीं होती। अधिक मात्रा में उन्नत होने से धार्मिक विशवास, प्रकृति-प्रेम, खुशमदप्रियता, बाहरी तड़क-भड़क या दिखावे की भावना होती हैं। जातक जिस रिशते में भी बंधेगा वह खुशहाल जीवनयापन करेगा। यह पर्वत अधिक उन्नत हो तो ह्रदय में अहंकार बहुत होता हैं। ऐसा व्यक्ति झूठी शान दिखाने के लिए बहुत खर्च करता हैं। दूसरों को दबाने में क्रुरता का उपयोग या अहंकार भाव के कारण ईष्या-द्वेष, स्वार्थपरता आदि अवगुण होते हैं। यदि गुरु क्षेत्र अति उन्नत हो और उंगलियों के अग्रभाग नुकीले हो तो वह अधिक अंधविशवासी होता हैं या उंगली आगे से चपटी हो तो वह क्रुर होता हैं और अगर उंगलियां लम्बी हो तो जातक आरामपसंद, विलासी और खर्चीले होते हैं। (हाथ में बृह्स्पति के प्रभाव को जानने के लिए तर्जनी उंगली में पर्व के महत्व को भी जानना चाहिए। यदि प्रथम पर्व बड़ा हो तो ऐसा व्यक्ति राज़नीतिक, धार्मिक या बौद्धिक क्षेत्र में सफल होगा। यदि दूसरा पर्व बड़ा हो तो व्यापारिक क्षेत्र में सफलता प्राप्त करेगा और अच्छा धन कमाता हैं। अगर तीसरा पर्व बड़ा और पुष्ट हो तो वह खाने-पीने का शौकीन व विलासी होगा और ऐसे व्यक्ति को अधिक खाने से रोग भी होते हैं। यदि इस पर्वत पर कोई खडी रेखा हो तो जातक दूसरो पर अपना प्रभाव जमाता हैं। अगर यहां कोई रेखा एक दूसरे को काट रही हो तो जातक जीवन में सफलता प्राप्त करता हैं। यदि यहां कोई क्रास का निशान हो तो यह नकारात्मकता की निशानी हैं। अगर यहां तारा हो तो जातक अपने प्रयास और ज्ञान से जीवन में सफलता और लोकप्रियता हासिल करेगा। यह क्षेत्र तर्जनी के मूल स्थान के नीचे होता हैं। जिस व्यक्ति के हाथ में वृहस्पति क्षेत्र संचित रूप से उन्नत हो तो उसमे महत्वाकांक्षा, उत्साह, स्फूर्ति और शासन करने की उच्चता अधिक मात्रा में होती हैं। यदि किसी व्यक्ति के हाथ में वृहस्पति क्षेत्र चपटा या ढ़ला हुआ हो तो उसके मन में अहंकार बहुत अधिक होता हैं ऐसा व्यक्ति डिटेक्टर यानि तानाशाह बन जाता हैं।

सूर्य पर्वत:- यह पर्वत अनामिका उंगली के नीचे होता हैं जो जीवन के रचनात्मक पक्ष से जुड़ा हैं और साथ ही जातक की बौद्धिक और छिपी हुई ऊर्जा के बारे में बताता हैं। यह पर्वत व्यक्ति के भाग्य या प्रसिद्धि को इंगित करता हैं। इस पर्वत पर एक सीधी रेखा जातक में प्रतिभा न होने पर भी सफल होने के लिए महत्वकांक्षी बनाती हैं। अगर यहां बहुत सी रेखाएं होतो यह जातक के लिए ऊर्जा का काम करती हैं। यहां एक तारा होने से जातक के पास भौतिकता व अन्य सुख-साधन होंगे। इस पर्वत पर त्रिशुल होने से जातक सफलता के लिए प्रेरित रहता हैं और उसको वित्तीय लाभ भी मिलते हैं। इस प्रतीक के होने से जातक को अपने व्यवसाय में बहुत ही मेहनत करनी पड़ती हैं तभी जा कर सफलता मिलती हैं। यहां वर्ग होने से जातक को कामयाब होने में बहुत ही प्रयास करने होते हैं। यहां क्रास होने से जातक के जीवन में सफलता के रास्ते में बहुत ही कठिनाई आती हैं। यहां बहुत से क्रास होने से जीवन में बहुत सी बाधायें आती हैं। जब यह क्षेत्र समुचित रूप से उन्नत होता हैं तो जातक हर कार्य को प्रशासनात्मक भाव से देखता हैं, उसको कला-कृतियों की परख करने का गुण, कलाप्रिय, चित्रकारी, कविता, संगीत, उच्च विचारो और बौद्धिक उच्चता के प्रति उसका रुझान होता हैं, जिससे वह सदा उत्साह और उल्लास से भरा रहता हैं। अगर यह क्षेत्र बिलकुल ढ़ला हुआ हो तो उत्साह कम होता हैं और कला और काव्य आदि के प्रति उसका कोई झुकाव नहीं होता और न ही अध्ययन की ओर रूचि होती हैं वह तमाशा देखना, खाना-पीना बस यही जीवन का ध्येय होता हैं, जिससे उसकी बुद्धि प्रखर नहीं होती हैं।      रत्नों के बारें में जानें।

बुध पर्वत: बुध का पर्वत छोटी उंगली के नीचे होता हैं यह देखने में बहुत छोटा होता हैं। यहां बहुत ही कम चिन्ह दिखाई देते हैं। यहां वर्ग होने से जातक संगठित तरीके से कार्य करता हैं और त्रिकोण होने से जातक रचनात्मक गतिविधियों का भरपूर आनंद लेता हैं। यहां तारा होने से जातक जासूस होता हैं और बहुत सी जानकारी एकत्रित करता हैं। यहां एक रेखा होने से जातक किसी दवाई का अध्ययन करेगा और क्रास होने पर स्वास्थय संबंधित समस्या देता हैं तथा जाल होने से आपराधिक प्रवृति की ओर अग्रसर रहता हैं। कनिष्ठिका के मूल स्थान के नीचे यह क्षेत्र स्थित होता हैं, जिसे बुध पर्वत कहते हैं। यदि बुध क्षेत्र नीचा हो तो हिसाब-किताब, वैज्ञानिक कार्य, व्यापारिक सोच, बहस करना और बुद्धि से जुड़े काम में असफलता मिलती हैं। इनका किसी एक स्थान या कार्य से मन ऊब जाता हैं। यदि सामान्य रूप से उच्च हो तो ऐसा मनुष्य ओजस्वी, वक्त्ता, व्यापारी, आविष्कार प्रवृति, कुशल व्यवहार, परिहास करना, बुद्धिमान, हर कार्य को शीघ्र करने वाला और यात्रा प्रेमी होता हैं। ऐसे लोग नवीन स्थान पर जाना पसंद करते हैं और नये लोगो से सम्पर्क स्थापित करना और किसी भी कार्य को लेकर शीघ्र निर्णय पर पहुंच जाते हैं। इनकी बोलने की शक्ति हाज़िर जवाबी होती हैं। यदि हाथ में अन्य शुभ लक्षण हो तो ये सब गुण शुभ फल देने वाले होते हैं यदि हाथ में अन्य लक्षण अशुभ हो और बुध क्षेत्र दोषयुक्त हो तो जातक चालाकी, धोखे, जालसाजी द्वारा अपनी बुद्धि का दुरूपयोग करता हैं।     आओ ज्योतिष सीखे। 

हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार बुध पर्वत सामान्य विकसित हो और उस पर वर्ग के आकर का चिंह दिखाई दे तो वह व्यक्ति बहुत ऊँचे स्तर का अपराधी होगा और ये व्यक्ति कानून तोड़ने में विशवास रखते हैं तथा अस्थिर मति वाले और समाज-विरोधी कार्य करने में चतुर होते हैं। हाथो में बुध पर्वत का सही रूप से विकसित होता हैं, मनोविज्ञान के क्षेत्र में माहिरता देता हैं तथा सामने वाले व्यक्ति को किस प्रकार प्रभावित करना चाहिए इस बात को ये भली प्रकार से जानते हैं और ऐसे व्यक्ति व्यापारिक कार्य में विशेष सफलता करते हैं। ऐसे व्यक्ति उच्च वक्ता व अवसरवादी होते हैं तथा ठीक समय की तलाश में रहते और उस समय का पूरा उपयोग करने में ये सफल होते हैं।

एक प्रकार से देखा जाए तो ऐसे व्यक्ति पूर्ण भौतिकवादी कहे जाते हैं। धन-संचय करने में ये उचित-अनुचित का कोई ख्याल नहीं रखते। ये दर्शन विज्ञान-गणित आदि कार्य में ये रूचि लेते हैं तथा ऐसे व्यक्ति जीवन में श्रेष्ठ वकील, वक्ता, अभिनेता और लेखन के क्षेत्र में भी माहिर होते हैं। ऐसे लोग प्रसिद्धि पाते हैं और इन्हें यात्राओं का शौकीन होता हैं तथा घूमना इनकी प्रिय हॉबी होती हैं जिससे ऐसे व्यक्ति अपने जीवन में पूर्ण सफलता प्राप्त करते हैं।

यदि बुध पर्वत जरूरत से ज्यादा उभरा हुआ होता हैं तो ऐसे व्यक्ति गहन पागल होते हैं और येन-केन प्रकारेण धन-संचय करना ही अपने जीवन का लक्ष्य समझते हैं जिससे ये आसानी से पूर्ण सफलता प्राप्त कर लेते हैं। अगर साहित्यकार व वैज्ञानिक आदि के हाथो में ऐसा बुध पर्वत हो तो व्यक्ति अपने प्रयत्नो से लाखो रुपया एकित्रित करता हैं। यदि हथेली पर बुध पर्वत का अभाव हो तो उसका जीवन दरिद्रता में ही में ही ब्यतीत होता हैं। यदि सामान्य रूप से बुध विकसित हो तो अविष्कार तथा वैज्ञानिक कार्य में उसकी रूचि होती हैं। कनिष्ठिका ऊँगली सीधी और नुकीली हो तो तथा बुध पर्वत विकसित हो तो वह व्यक्ति वाकुपटु होता हैं। यदि इसी उंगली का सिरा वर्गाकार हो तो व्यक्ति में परक-बुद्धि की बहुलयता रहती हैं। यहि उंगुली का चपटा सिरा हो तो भाषण कला में विशेष दक्षता मिलती हैं। यदि कनिष्ठका ऊँगली छोटी हो तो व्यक्ति सोच बड़ी रखने वाला होता हैं। लम्बी उंगलियों के साथ विकसित बुध पर्वत हो तो वह व्यक्ति स्त्रियों के प्रति विशेष आसक्ति रखने वाला होता हैं। यदि यही उंगलियों गांठदार हो तो ऐसा व्यक्ति बृसंकल्प का धनी होता हैं। यदि हाथो की उंगलिया लम्बी और पीछे की और मुड़ी हुई हो तो ऐसा व्यक्ति धोखा देने में विशेष माहिर होता हैं। यदि बुध पर्वत हथेली के बाहर की तरफ झुका हुआ हो तो जातक व्यापर के क्षेत्र में विशेष सफलता प्राप्त करता हैं। यदि बुघ पर्वत अपने आप में पूर्णत: श्रेष्ठ एव विकसित हो तो ऐसा व्यक्ति जीवन में पूर्ण सफलता प्राप्त कर सकता हैं।             हमसें मिलने के लिए बात करें।

शुक्र पर्वत: यह पर्वत अंगुठे के नीचे जो उभरा हुआ स्थान होता हैं वही शुक्र पर्वत हैं। यह पर्वत प्रेम, रिश्ते और भावनात्मक संबंधों को दिखाता हैं। यह पर्वत आकर्षक विशेषताओं के साथ जुड़ा हुआ हैं। यह हाथ का सबसे अच्छा क्षेत्र हैं और जिसके हाथ में शुक्र पर्वत साफ होता हैं वह सभी रिश्तो व दोस्ती का भरपूर आंनद लेते हैं और समाज में अपनी पहचान बनाते हैं। जिनका यह पर्वत चिकना होता हैं वह खुशहाल जीवन बिताते हैं। यहां क्रास होने से जातक का चरित्र अच्छा होता हैं। यहां त्रिशूल होने से जातक में आवेग व रचनात्मक कला होती हैं। यहां बिंदु होने से जातक जीवन में ईमानदार होता हैं। यहां जंजीर या अधिक रेखाये होने से जातक में ज्ञान की मात्रा अधिक होती हैं। यहां तिल होने से जातक आंतरिक प्रेम करने वाला और अधिक वासना से भरा होता हैं।          कोई भी सवाल पूछे।

शुक्र का पर्वत अंगुठे के दूसरे पोर के नीचे तथा जीवन रेखा से जो घिरा हुआ स्थान होता हैं, उसे हस्तरेखा विशेषज्ञ शुक्र पर्वत के नाम से सम्बोधित करते हैं। यूनान में शुक्र को सुंदरता की देवी कहा गया हैं। जिसके हाथ में शुक्र पर्वत श्रेष्ठ स्तर का होता हैं वह व्यक्ति सुंदर तथा पूर्व सभ्य होता हैं। ऐसे व्यक्ति का स्वास्थ्य जरूरत से ज्यादा अच्छा होता हैं और उसके व्यकितत्व का प्रभाव सामने वाले व्यक्ति पर विशेष रूप से रहता हैं। ऐसे व्यक्ति में साहस और हिम्मत की कमी नहीं रहती। यदि किसी व्यक्ति के हाथ में यह पर्वत काम विकसित हो तो वह व्यक्ति ड़रपोक स्वभाव का होता हैं।

जिन लोगो के हाथो शुक्र पर्वत जरूरत से ज्यादा विकसित होता हैं, वे व्यक्ति भोगी तथा विपरीत सेक्स के प्रति लालायित रहते हैं। यदि किसी के हाथ में इस पर्वत का अभाव होता हैं तो वह व्यक्ति वैरागी साधू तथा सन्यासी की तरह होता हैं। खुशी जीवन में उसकी रूचि नहीं के बराबर होती हैं।

चंद्रमा पर्वत: चंद्रमा का पर्वत हाथ में सबसे नीचे छोटी उंगली के बहुत ही नीचे होता हैं। चंद्रमा हमारी मानसिक क्षमता, आंतरिक सोच और अंतर्ज्ञान की शक्ति से जुड़ा होता हैं। जातक की भावनात्मक विशेषताओं को समझने के लिए इस पर्वत समझना आवशयक हैं। जो लोग काल्पनिक किताबे लिखते हैं उनका चंद्रमा हाथ में फैला होता हैं। अगर चंद्रमा पर्वत सपाट हैं तो जातक को जीवन जीना ही नहीं आता हैं। यह स्थान मंगल के पर्वत की नीचे और शुक्र क्षेत्र के एक दम सीध पर होता हैं। चन्द्र क्षेत्र कल्पना, सौंर्दयप्रियता, आदर्शवाद, काव्य, साहित्य आदि से विशेष संबंधित होता हैं। जिनके हाथ में चन्द्र क्षेत्र दबा हुआ हो तो उनमें कल्पना की कमी, कमज़ोर मानसिकता, अविष्कार या सूझ के विचार नहीं होते। जिनके हाथ में यह क्षेत्र उच्च हो तो ये काव्य-कला, कल्पना, संगीत और साहित्य आदि में सफल होते हैं। यदि यह पर्वत साधारण रूप से उच्च हो और मघ्य का हिस्सा विशेष फूला हो तो अंतड़ियो का रोग व पाचन शक्ति की कमी होती हैं। यदि यह क्षेत्र अत्यधिक उच्च हो और स्वास्थ्य के अन्य लक्षण शुभ न हो तो जातक में चिड़चिड़ापन, दुखी-मनोवृति, पागलपन और सिरदर्द जैसे रोग होते हैं। यदि यह क्षेत्र उन्नत न हो लेकिन लम्बा और संकीर्ण हो तो जातक अशांतिप्रिय, एकान्तवासी, ध्यान में मन न लगाना, नवीन कार्य में उत्साह न होना जैसी आदि विशेषताएं होती हैं।  

जिनका चंद्र पर्वत भली प्रकार से विकसित होता हैं वे जातक भौतिकवादी न होकर कलावादी होते हैं। प्रेम तथा सौंदर्य उनकी कमजोरी होती हैं, परन्तु सांसारिक छल-प्रपंचो को न समझ पाने के कारण उनका प्रेम जीवन दुखद ही होता हैं। यदि चंद्र पर्वत जरूरत से ज्यादा विकसित हो तो यह व्यक्ति पागल होता हैं। यदि चंद्र -पर्वत मघ्यम स्तर का विकसित हो तो ऐसा व्यक्ति कल्पनालोक में विचरण करने वाला तथा हवाई किले बनाने वाला होता हैं। वह खाट पर पड़े-पड़े लाखो करोड़ो की योजनाये बना लेते हैं लेकिन उनमें एक भी पूरी नहीं हो पाती या तो ऐसा कहा जाए की उनमे उन योजनाओ  को पाने की योग्यता अथवा साहस नहीं होता। ऐसे व्यक्ति जरूरत से ज्यादा भावुक होते हैं छोटी-सी भी बात इनको बहुत अधिक चुभती हैं। छोटा सा भी दुख इनके पुरे शरीर को झकझोर देता हैं। ऐसे लोगो में संघर्ष की भावना नहीं के बराबर होती हैं। वह विपरीत परिस्थितियों में पलायन कर जाते हैं और धीरे-धीरे इनमें निराशा की भावना बढ़ जाती हैं।    हस्त रेखायों के अन्य आर्टिकल्स को पढ़ने के लिए यहां देखें।

यदि चंद्र पर्वत विकिसित होकर हथेली के बाहर की ओर झुक जाता हैं तो ऐसे व्यक्ति में रजोगुण की आदत बन जाती हैं। ऐसे व्यक्ति भोगी विषयी तथा कामी हो जाते हैं व सूंदरस्त्रियों यो के पीछे व्यर्थ के चक्कर लगाते रहते हैं। उनके जीवन का ध्येय भोग विलास एव अय्याशी होता हैं परन्तु जीवन में ये सुख भी उनको नसीब नहीं होते।

यदि यह शुक्र की ओर झुका हुआ हो तो ऐसे व्यक्ति कामुक होने के साथ-साथ निर्लज्ज भी होते हैं। इनको अपने पराये का भी भेद नहीं रहता जिसके फलस्वरूप ये व्यक्ति समाज में बदनाम हो जाते हैं। यदि चंद्र पर्वत पर आडी-टेडी रेखा फैली हुई दिखाई दे तो ऐसा व्यक्ति कई बार जलयात्रा भी करता हैं। यदि चंद्र पर्वत पर गोल घेरा हो तो व्यक्ति राजनीतिक कार्य से विदेश की यात्रा करता हैं। यदि हाथ में इस पर्वत का अभाव हो तो वह व्यक्ति रुखा और पूर्णता भौतिकवादी होता हैं, परन्तु जिनका चंद्र पर्वत सामान्य रूप से उभरा हुआ होता हैं, वे आंतरिक दृढ़ता से अत्यधिक सुन्दर एवं समझदार होते हैं। यदि पर्वत ऊपर की ओर से उभरा हुआ होता हैं तो उसे गठिया अथवा जुकाम जैसे रोग बने रहते हैं। यदि यह पर्वत जरूरत से ज्यादा विकसित हो तो वह अस्थिर बुद्धि का नीरस तथा लगभग पागल सा होता हैं। इसको सर दर्द की शिकायत बराबर बनी रहती हैं। यदि यह पर्वत पर शख का चिंह हो तो वे व्यक्ति अपने ही प्रयत्नों से सफल होते हैं परन्तु उनकी सफलता में बराबर परेशानियां बनी रहती हैं। इतना होने पर भी वे जीवन को सही रूप से जीने में तथा दूसरो को सहयोग एवं सहायता देते रहते हैं।                  

मंगल पर्वत                       हमसे संपर्क करे

हमारे हाथ एम दो मंगल पर्वत होते हैं, एक को निम्न और दूसरे को उच्च पर्वत कहा जाता हैं। उच्च मंगल पर्वत जीवन रेखा के अंदर अंगुठे के नीचे के क्षेत्र को मंगल पर्वत होता हैं। यह सक्रिय हो तो जातक में साहस और योद्धा बनने की क्षमता होती हैं। अगर यह क्षेत्र बड़ा और उभरा होता हैं तो जातक में लड़ने-भिड़ने और झगड़ा कर्म करने की प्रवृति होती हैं। दूसरा मंगल क्षेत्र बुध पर्वत और ह्रदय रेखा के नीचे होता हैं, यह पर्वत साहस, आत्म-संयम और प्रतिरोघक शक्ति को प्रदर्शित करता हैं।

यदि हाथ के अन्य लक्षण अच्छे हैं और प्रथम मंगल क्षेत्र समुचित रूप से उन्नत हो तो जातक फौज या पुलिस में और जहां भी साहस की आवशयकता हो वहां उच्च पद पर सफलता देता हैं। इसके विपरीत यदि अन्य लक्षण अशुभ होतो ऐसा जातक ड़ाकू-लूटमार और लड़ाई-झगड़े करने वाला बन सकता हैं। यदि यह अन्य क्षेत्र दबा हुआ हो तो मनुष्य कायर होता हैं और यदि अत्यधिक उच्च हो तो जातक में दु:साहस अत्याचार करने की और क्रुरता की प्रवृति होती हैं।

जिन हाथो में मंगल पर्वत बलवान होता हैं, वे कायर या दब्बु नहीं होते। ऐसे व्यक्तियों के खून में संतुलन होता हैं। अगर हथेली में मंगल का अभाव होता हैं तो उस व्यक्ति को कायर समझना चाहिये। मंगल पर्वत प्रधान व्यक्ति हष्टपुष्ट तथा पूरा लम्बाई वाला शरीर लिए हुए होते हैं। साहस इनका प्रधान गुण आता हैं। जीवन में ये अन्याय तो रत्ती भर भी सहन नहीं करते। ऐसे व्यक्ति पुलिस विभाग में या मिलिट्री में अत्यंत उच्च पद पर पहुंचते हैं और शासन करने में सक्षम होते हैं।     Why Worried? Ask a question and get solutions! 

यदि मंगल पर्वत बहुत ज्यादा विकसित हो तो व्यक्ति दुराचारी, अत्याचारी तथा अपराधी होता हैं। वह समाज विरोधी कार्य में वह हमेशा आगे रहता हैं तथा उसका स्वभाव लड़ाकू होता हैं। अपने बात को जबरदस्ती से मनवाने का यह आदि होता हैं और ऐसे व्यक्ति बात-बात पर अपने अधिकारों के लिए सब कुछ बलिदान करने वाले होते हैं।

यदि मंगल पर्वत का झुकाव शुक्र पर्वत की ओर होता हैं तो यह बात निश्चिंत समझनी चाहिए की उस व्यक्ति में सद्गुणों की अपेक्षा दुर्गुण विशेष होंगे। प्रत्येक कार्य में आवेग होगा और ऐसे व्यक्ति यदि शत्रुता करे, तो उनके तो भंयकर शत्रु होंगे और यदि मित्रता का व्यवहार करेंगे तो अपना सब कुछ बलिदान करने के लिए तैयार रहेंगे। ऐसे व्यक्ति झुठी शान-शौक्त और व्यर्थ का आडंबर तथा प्रदर्शन करने में प्रिय होते हैं। यघपि ये स्वयं डरपोक होते हैं, परन्तु दूसरो को झुठी धमकी देकर काम निकलने में माहिर होते हैं।     ज्योतिष और अंक ज्योतिष और वास्तु सीखने के लिए यहां क्लिक करें।  

मंगल पर्वत अधिक उभार और लाली लिए हो तो ऐसे व्यक्ति रूखे, कर्कश एव कठोर होते हैं। यदि मंगल पर्वत पर रेखाय विशेष रूप से दिखाई दे तो यह समझना चाहिए कि ऐसा व्यक्ति युद्ध-प्रिय होता हैं और आगे चल कर इस प्रकार का व्यक्ति या तो सेनाध्यक्षा बनता हैं अथवा भयकंर ड़ाकू बन जाता हैं। जोश दिलाने पर ये सब कुछ बलिदान करने के लिए तैयार रहते हैं। अगर मंगल पर्वत पर त्रिकोण चतुर्भुज या किसी प्रकार के बिंदु हो तो ऐसे चिन्ह व्यक्ति के रोग को स्पष्ट करते हैं और रक्त से संबंधित बीमारी उनके जीवन में बराबर बनी रहती हैं।

यदि मंगल पर्वत भली प्रकार से विकसित हो तथा साथ ही हथेली का रंग भी लालिमा लिए हुए हो तो वह व्यक्ति निश्चय ही उच्च पद प्राप्त करता हैं। वह अपने जीवन में वह बाधाओं की परवाह न कर के अपने लक्ष्य तक पहुंच जाने में पूर्ण सफलता प्राप्त करता हैं। अगर हाथ में पीला रंग हो तो व्यक्ति को अपराध भावना की ओर प्रवृत करता हैं और यदि हथेली का रंग सामान्य नीलापन लिये हुए हो तो ऐसा व्यक्ति गठिया का रोगी होता हैं।

शनि पर्वत यह पर्वत मध्यमा उंगली के नीचे होता हैं। शनि के गुण एकांत प्रियता, शांति, कम बोलना, सच्ची तत्परता, गंभीर विषयों के अघ्ययन की रूचि, संस्कृर्ति और वैराग्य संगीत की ओर आकर्षण होता हैं। किसी हाथ में यदि शनि क्षेत्र बिलकुल साधारण हो तो जातक का जीवन साधारण रूप से व्यतीत होता हैं और यदि साधारण उन्नत हो तो जातक विशेष चिंतायुक्त और निराशावादी होता हैं और उसमें दूसरो के प्रति अविश्वास की मात्रा अधिक होती साथ ही यहां अन्य अशुभ लक्षण भी हो तो उसमें आत्महत्या की प्रवृति होती हैं। ऐसे व्यक्ति की विवाह में रूचि नहीं होती और वह अत्यधिक एकांत प्रिय हो जाता हैं। शनि के इस मध्यमा ऊँगली को भाग्य की देवी भी कहा जाता हैं क्योकि भाग्य रेखा की समाप्ति इसी ऊंगली के मूल में होती हैं। यदि शनि ग्रह पूर्ण विकसित होता हैं तो व्यक्ति प्रबल भाग्यवान होता हैं तथा जीवन में अपने प्रयत्नों से बहुत अधिक ऊँचा उठता हैं। विकसित पर्वत होने पर ऐसा व्यक्ति एकांत-प्रिय तथा निरन्तर अपने लक्षण की ओर बढ़ने वाला होता हैं। वह अपने कार्यो में अथवा लक्ष्य में इतना अधिक डूब जाता हैं की वह घर-गृहस्थी की चिन्ता ही नहीं करता और स्वभाव से ऐसे व्यक्ति चिड़चिड़े तथा संदेहशील प्रवृति के होते हैं। ज्यो-ज्यो उम्र बढ़ती जाती हैं त्यों-त्यों ये व्यक्ति भी रहस्यवादी बन जाते हैं। शनि पर्वत उन्नत हो तो जातक प्रधान व्यक्ति, जादूग,र इंजिनियर, वैज्ञानिक, साहित्यकार अथवा रसायनशास्त्री होते हैं। ऐसे व्यक्ति अपने जीवन में पूर्व मितव्ययी होते हैं तथा अचल सम्पति में ज्यादा विशवास रखते हैं। संदेहशीलता इनके जीवन में बचपन से ही होती  हैं और अपनी जीवन साथी तथा पुत्रो पर भी सन्देह की दृष्टि रखने में नहीं चूकते।

यदि यह पर्वत अत्यधिक उभरा होता हैं तो व्यक्ति अपने जीवन में आत्म-हत्या कर लेता हैं। ड़ाकू, ठग, लुटेरे आदि व्यक्तियों के हाथो में यह पर्वत जरुरत से ज्यादा विकसित होता हैं। ऐसे व्यक्तियों का पर्वत पीलापन लिए हुए होता हैं और इनकी हथेलिया तथा चमड़ी पीली होती हैं तथा इनके स्वभाव में चिड़चिड़ापन स्पष्ट झलकता हैं।

यदि शनि का पर्वत गुरु की और झुका हुआ हो तो यह शुभ संकेत कहा जाता हैं। ऐसे व्यक्ति समाज में आदरनीय स्थान प्राप्त करते हैं तथा समाज में श्रेष्ठ रूप में देखे जाते हैं परन्तु यही शनि पर्वत का झुकाव सूर्य की और हो तो ऐसे व्यक्ति आलसी, निर्धन तथा दूसरों के भरोसे रहने वाले होते हैं। इनमें जरूरत से ज्यादा निरसता होती हैं तथा वे प्रत्येक कार्य का अंधकार पक्ष ही देखते हैं। परिवार वालो से उनको विशेष लाभ नहीं मिलता और व्यापार में भी बहुत हानि उठाते हैं।      अपने जन्म दिन पर अपने आने वाले समय के बारे में जानने के लिए क्लिक करें।

यदि शनि पर्वत पर जरुरत से ज्यादा रेखाएं हो तो व्यक्ति कायर तथा अत्यधिक भोगी होता हैं। यदि शनि पर्वत तथा बुध पर्वत दोनों ही विकसित हो तो वह व्यक्ति एक सफल व्यापारी बनता हैं और उसके जीवन में अधिक किसी प्रकार का कोई आभाव नहीं रहता।

यदि हथेली में शनि पर्वत का अभाव होता हैं तो उस व्यक्ति का जीवन महत्वहीन होता हैं। यदि पर्वत सामान्य रूप से उभरा हुआ हो तो वह व्यक्ति जरूरत से ज्यादा भाग्य पर विशवास करने वाला तथा अपने कार्य में असफलता प्राप्त करने वाला होता हैं। ऐसे व्यक्तियों के जीवन में मित्रो की संख्या बहुत काम होती हैं और वह स्वभाव से अधार्मिक होते हैं।

राहु पर्वत- राहु पर्वत हथेली में मस्तिष्क रेखा से नीचे चंद्र, मंगल तथा शुक्र से घिरा हुआ जो भू भाग होता हैं वह राहु क्षेत्र कहलाता हैं। भाग्य रेखा इसी पर्वत पर से होकर शनि पर्वत की ओर जाती हैं।

राहु का क्षेत्र हथेली पर अत्यंत पुष्ट एंव उन्नत हो तो ऐसा व्यक्ति निशचय भाग्यवान होता हैं और यदि पुष्ट पर्वत पर से होकर भाग्य रेखा स्पष्ट तथा गहरी होकर आगे बढ़ती हैं तो वह व्यक्ति जीवन में परोपकारी, प्रतिभावान, धार्मिक तथा सभी प्रकार से सुख भोगने वाला होता हैं। यदि हथेली पर भाग्य रेखा टूटी हुई हो पर फिर भी राहु पर्वत विकसित हो तो ऐसा व्यक्ति एक बार आर्थिक दृष्टि से बहुत अधिक ऊँचा उठ जाता हैं और फिर उसका पतन हो जाता हैं।

राहु का पर्वत अपने स्थान से हटकर हथेली के मघ्य की ओर खिसक जाता हैं तो उस व्यक्ति को यौवनकाल में बहुत अधिक बुरे दिन देखने को मिलते हैं। यदि हथेली के बीच का हिस्सा गहरा हो और उस पर से भाग्य रेखा टूटी हुई आगे बढ़ती हो तो वह व्यक्ति यौवनकाल में भिखारी के सामान जीवन व्यतीत करता हैं। यदि राहु पर्वत कम उभरा हुआ हो तो ऐसा व्यक्ति चंचल स्वभाव का तथा अपनी सभी सम्पत्ति का नाश करने वाला होता हैं।

केतु पर्वत- हथेली में केतु पर्वत का स्थान मणिबंध के ऊपर शुक्र और चंद्र क्षेत्रों को बांटता हुआ भाग्य रेखा के प्रारम्भिक स्थान के समीप होता हैं, इस ग्रह का फल राहु के सामान ही देखा गया हैं।

इस ग्रह का प्रभाव जीवन के पांचवे वर्ष से बीसवे वर्ष तक होता हैं। यदि यह पर्वत स्वाभाविक रूप से उन्नत एवं पुष्ट होता हैं तथा भाग्य रेखा भी स्पष्ट तथा गहरी हो तो वह व्यक्ति भाग्यशाली होता हैं तथा अपने जीवन में समस्त प्रकार के सुखो का भोग करता हैं। ऐसा बालक गरीब घर में जन्म लेने पर भी अमीर होता देखा गया हैं। यदि यह पर्वत अस्वाभाविक रूप से उठा हुआ हो और भाग्य रेखा कमजोर हो तो उसे बचपन में बहुत अधिक बुरे दिन देखने पड़ते हैं। उसके आर्थिक स्थिति धीरे-धीरे कमजोर होती जाती हैं तथा शिक्षा के लिए भी ऐसे बालक को बहुत अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं और ऐसा बालक बचपन में रोगी भी होता हैं।

यदि यह पर्वत अविकसित हो और भाग्य रेखा प्रबल भी हो फिर भी उसके जीवन से दृढ़ता नहीं मिलती। अगर केतु पर्वत विकसित हो और भाग्य रेखा भी स्पष्ट और विकसित हो तभी व्यक्ति जीवन में पूर्ण उन्नति कर सकता हैं। इस प्रकार हम देखते हैं की व्यक्ति की हथेली में यदि पर्वत सही रूप से विकसित एवं पुष्ट होते हैं तभी व्यक्ति अपने जीवन में पूर्ण उन्नति कर सकता हैं।           

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