Kushat Rog कुष्ट रोग: लेपरोसी रोग माइकोबैक्टिरअम जीवाणु से होने वाला दीर्घकालिक रोग हैं, जिसे कोढ़ भी कहा जाता हैं। यह रोग मुख्य रुप से त्वचा, आंखों, ऊपरी श्वसन पथ और शरीर के अन्यों भागों को प्रभावित करता हैं। यह बहुत जल्दी फैलता हैं, जिससे त्वचा के रंगो में परिवर्तन दिखाई देता हैं। इसका इलाज सम्भव हैं और यह समय से कर लेना चाहिए। चिकित्सा ज्योतिष से जाने की इस रोग के क्या योग होते हैं और इनसे कैसे निज़ात पाया जाता हैं। वैदिक ज्योतिष में हम ग्रहों और भावों के माध्यम से किसी भी योग को समझ सकते हैं। अपनी जन्म राशि जानें।
ग्रह: बुध ग्रह त्वचा का कारक हैं और चंद्रमा द्रव का जो इस बीमारी से रिसता हैं। मंगल खून में होने वाली तबदीली का कारक हैं।
योग: बुध मेष राशि में व चन्द्रमा दशम भाव में तथा शनि-मंगल किसी भी भाव में एक साथ हो। शनि, मंगल, चंद्र तथा शुक्र जल तत्व राशियों में पाप दुष्ट हो क्योंकि यह योग उस त्वचा रोग को देता हैं जिसमें से द्रव रिसता हैं।
कारकांश लग्न से चतुर्थ भाव में चन्द्रमा केतु से दृष्ट हो। मिथुन, कर्क या मीन नवांश में स्थित चन्द्रमा, मंगल या शनि से दृष्ट हो और वृषभ, कर्क, वृश्चिक या मकर राशियों त्रिकोण में पड़ती हो तथा उनमें पाप ग्रह हो या पाप दृष्ट हो।
लग्नेश चन्द्रमा तथा बुध राहु-केतु अक्ष पर हो और मंगल षष्टेश होकर लग्न में हो या षष्ठेश से युक्त शनि लग्न में हो या षष्ठेश से युक्त सूर्य लग्न में हो जिससे यह रोग होते हैं।
मंगल लग्न में सूर्य अष्टम में तथा शनि चतुर्थ भाव में हो या चन्द्रमा तथा शुक्र जलराशि में पापग्रह से पीड़ित हो क्योंकि इस योग के कारण त्वचा पर सफेद चकते हो जाते हैं। कोई भी सवाल! जवाब के लिए अभी बात करे!
मिर्गी: ज्योतिष सीखें!
यह रोग मस्तिष्क का क्रोनिक ड़िसऑर्डर हैं जिस से मस्तिष्क की विधुतीय प्रक्रिया में व्यवधान पड़ने से शरीर के अंगो में दौरा पड़ता हैं जिससे शरीर अकड़ जाता हैं और मांसपेशियों में खिंंचाव आने लगता हैं। इस विकासशील देश में भागदौड़ वाले जीवन में हमारी जीवनशैली बिगड़ गई हैं, काम का तनाव, सिर में चोट लगना, देर रात तक जागना और नशे का सहारा लेना जिससे युवाओं को भी यह रोग हो रहा हैं। समय पर इसका इलाज़ नहीं होगा तो यह घातक रुप भी ले सकती हैं। मीर्गी के कुछ ऐसे भी दौरे हैं, जैसे फेब्राइल जो बचपन में केवल बुखार के दौरान आते हैं फिर बाद में नहीं आते। मिर्गी का दौरा दिमाग के एक भाग में पड़ता हैं। ब्रेन हैंमरेज/ट्युमर से भी मिर्गी होने की आशंका रहती हैं। Why Worried? Ask a question and get solutions!
चिकित्सा ज्योतिष में हम ग्रहों और भावों के योग से यह जान सकते हैं कि कुंड़ली में मिर्गी के योग हैं तो उनका निदान कब तक हो पाएगा।
ग्रह: ग्रहों में चद्रमा को सबसे सौम्य ग्रह कहा गया हैं, उस पर पाप प्रभाव होने से यह पीड़ा आती हैं। शनि तथा चंद्र का संबंध मंगल से हो तो मिर्गी के योग बनते हैं। ऊपर यही योग क्षय रोग के लिए भी बताया गया हैं।
भाव: षष्टम, अष्टम भाव इस रोग में बहुत महत्व रखते हैं। ग्रहों में चंद्रमा तथा राहु अष्टम, छठे या आठवेंं भाव में शनि मंगल से संबंध बनाये या सूर्य, चंद्रमा, मंगल लग्न या अष्टम भाव में पाप दृष्ट हो या ग्रहण काल में जन्म हो और गुरु लग्न या त्रिकोण में हो, शनि तथा मंगल छठे या आठवें भाव में हो या राहु लग्न में तथा चन्द्रमा षष्ठम भाव में हो यह सब मिर्गी के योग हैं। राहु और चंद्रमा अष्टम भाव में हो।
विभिन्न रोगो के योग:
अष्टमेश अष्टम भाव में हो तो शरीर रोगोन्मुख होता हैं।
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