Contact Us
Moon Yoga
चंद्रमा से बनने वाले योग: Chandrma Yoga
वैदिक ज्योतिष मे कुंड़ली मे ग्रहों से फलित करतें हुयें हम बहुत से योगों को भी देखतें हैं जो शुभ-अशुभ दोनों हो सकतें हैं, आज यहां हम चंद्रमा से बनने वाले योगों के बारे में बात करेंगें। अन्य योगों को जाननें के लिए यहां देखें।
- सुनफा योग- जब चंद्रमा से द्वितीय भाव में एक या एक से अधिक ग्रह हो तो सुनफा योग बनता हैं। इस योग में जो ग्रह दूसरे भाव में हो उसी ग्रह के शुभ-अशुभ स्वाभाविक गुणों के अनुसार धन और यश प्राप्त होता हैं। ऐसा जातक धनवान, मेहनती व यश प्राप्त करता हैं। पाप ग्रह भी इस योग में अपने विशिष्ट गुणों के अनुसार फल देते हैं। लेकिन सूर्य, राहु और केतु के चंद्र के दूसरे भाव में होने से यह योग नहीं बनता।
- अनफा योग- जब चंद्रमा के द्वादश भाव में एक या एक से अधिक ग्रह हो तो अनफा योग बनता हैं। इस योग में शुभ ग्रह यदि चंद्रमा से द्वादश भाव में हो तो शुभ फल प्राप्त होता हैं और पाप ग्रह हो तो अशुभ फल प्राप्त होते हैं। नीच ग्रह से बनने वाले योग भी अशुभ फल देते हैं। चंद्र के द्वादश भाव में सूर्य, राहु और केतु होने पर यह योग नहीं बनता।
- दुरुधरा योग- जब चंद्रमा के द्वितीय और द्वादश में एक या एक से अधिक ग्रह स्थित हो तो यह योग बनता हैं। इस योग में होने से चंद्रमा अधिक बल प्राप्त करता हैं और शुभ परिणाम देता हैं। शुभ ग्रहो के होने से शुभ फल प्राप्त होते हैं और अशुभ ग्रह हो तो फल अधिक शुभ नहीं मिलते हैं। यदि शुभ और अशुभ दोनों हो तो मिश्र फल प्राप्त होते हैं।
- केमद्रुम योग- यदि सूर्य के अलावा चंद्र के द्वितीय व द्वादश में कोई ग्रह नहीं होते तो केमद्रुम योग बनता हैं, ये एक अशुभ योग होता हैं। इस योग के होने से अन्य शुभ योगों का फल भी कम हो जाता हैं। यदि लग्न से केंद्र में, चंद्र से केंद्र में कोई ग्रह हो या चन्द्रमा के साथ कोई शुभ ग्रह हो या चंद्र अपनी राशि कर्क में स्थित हो तो ये अशुभ योग भंग हो जाता हैं। यह योग दरिद्रता देता हैं व सेहत के लिए भी शुभ नहीं हैं।
- चंद्र-मंगल योग- यदि चंद्र या मंगल एक ही भाव में स्थित हो या शुभ भावों में स्थित होकर एक दूसरे को देखते हो तो ये योग बनता हैं। मान्य ग्रंथो के अनुसार यह योग किसी भी तरह धन अर्जित करवाता हैं, ऐसे जातक के पास कभी पैसे की कमी नहीं आती, परंतु माँ व दूसरे रिश्तों के लिए शुभ नहीं हैं। यदि इस योग को बनाने वाले ग्रहोंं पर बृहस्पति या शुक्र की दृष्टि हो तो शुभ कार्य द्वारा धन अर्जित होते हैं। कोई भी सवाल! जवाब के लिए अभी बात करे!
- चन्द्राधि योग- जब कोई शुभ ग्रह बृहस्पति, शुक्र और बुध, चंद्र से छठे, सांतवे या आंठवें भाव में स्थित हो लेकिन ये ग्रह अस्त, नीच, पीडित नहीं होने चाहिए जिससे शुभता में कमी आती हैं। ये योग पूर्ण रूप से तभी बनता हैं जब तीनो शुभ ग्रह एक साथ या अलग-अलग ऊपर बताए स्थिति में हो। इनको अशुभ ग्रहों की युति या दृष्टि से मुक्त होना चाहिए। जो भाव लगन से षष्टम, सप्तम एवं अष्टम भाव हैं, वे भाव दशम भाव से क्रमश: नवम, दशम व एकादश भाव हैं, जो जातक के परिणाम स्वरुप प्राप्त होने वाली धन-सम्पत्ति, भाग्य और सम्मान को इंगित करता हैं। अत: यह योग जातक की श्रेष्ठ स्थिति को सुनिश्चित करता हैं। इस योग में जातक नरम, शिष्ट स्वभाव, विश्वसनीय, सुखी, धनी, प्रसिद्धि और शत्रुओं पर विजय पाने वाला होता हैं। यह एक बहुत ही शुभ योग माना जाता हैं।
- वसुमति योग- यदि चंद्र से सभी शुभ ग्रह उपचय भावों 3, 6, 10, 11 भावों में हो तो यह योग बनता हैं। ऐसा जातक का अपना घर होता हैं, वह धनी होता हैं व कभी दूसरों पर आश्रित नहीं होता। इन उपचय भावो में ग्रह होने से जातक अपने जीवन में संघर्ष, मेहनत और पराक्रम से विपदाओं को पार करते हुए बाधाओ से जीतता हैं। वह अपने ही ताकत से ऊंचाई पर जाता हैं और अपना नाम व यश हासिल करता हैं।
- अमला योग- जब चंद्र से दशम भाव में कोई शुभ ग्रह स्थित हो तो यह योग बनता हैं, इस शुभ ग्रह को सभी अशुभ प्रभाव से मुक्त होना चाहिए। इस योग का में जातक पवित्र, दयालु, लोकप्रिय, यश, मान-सम्मान, सच्चरित्र व समृद्ध होता हैं। वह जीवन में अपने कर्मों से सम्मान और धन-सम्पत्ति हासिल करता हैं। ऐसे में किसी भी ग्रह का नीच, वक्री, अस्त या अशुभ प्रभाव में होना फलों में कमी का संकेत हैं।
- गज केसरी योग- यदि चंद्रमा, बृहस्पति से केंद्र 1-4-7-10 भाव में हो तो गज-केसरी योग बनता हैं। यह एक शुभ फल-दायक योग हैं। इसका शुभ फल तभी प्राप्त होता हैं जब बृहस्पति केंद्र में हो और केवल शुभ ग्रहों से दृष्ट हो तथा अस्त, नीच या शत्रु राशि में न हो। इस योग के अनुसार जातक शेर की भांति अपने शत्रुओं का नाश करता हैं, वह किसी भी विषय पर गम्भीरतापूर्वक अधिकारपूर्ण व्याख्यान देने वाला, राजाओं के समान तेज़ स्वभाव, दीर्घायु व बुद्धिमान होता हैं। अन्य सवालों के जवाब के लिए हमसें सम्पर्क करें।
- पुष्कल योग- चंद्रमा लग्न के स्वामी के साथ हो और जिस राशि में चंद्रमा हो उसका स्वामी केंद्र में होकर या किसी अधिमित्र के भाव में होकर लग्न को देखता हो और लग्न में कोई बलवान ग्रह स्थित हो तो यह योग बनता हैं। इस योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति धनी, नम्रभाषा, प्रसिद्ध और सरकार द्वारा प्रतिष्ठित होता हैं। Click here to know about houses in astrology