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Retrograde Planet

वक्री ग्रह

ज्योतिष में वक्री ग्रह का अपना ही महत्व हैं, जब कोई ग्रह अपने सीधे पाथ पर चलते हुए अचानक अपनी चाल कम कर लेता हैं, तो वह दूसरे ग्रह की तुलना में पीछे जाता प्रतीत होता हैं। जैसे दो रेल अपने ट्रेक पर जा रही हैं। एक की चाल बहुत तेज़ हैं व दूसरी की कम तो एक रेल पीछे जाती प्रतीत होती हैं। उसी तरह जब किसी ग्रह की गति कम हो जाती हैं, तो कम गति के कारण पीछे जाता प्रतीत होता हैं और यह ग्रह की वक्र अवस्था होती हैं। एक वक्री ग्रह खुद बहुत मज़बूत होता हैं, ऐसा ग्रह भ्रमित भरे फल देता हैं, जातक के दिमाग में पुन: सोचने की सोच और काम करने की चेष्टा देता हैं और पुन: काम करना या दुबारा अपना निर्णय बदलना या कोई काम शुरु करने के बाद दुबारा उसे सोचने पर मज़बूर कर देता हैं। वक्री ग्रह आत्मविश्वास में कमी देता हैं, भ्रमित करता हैं, फिर भी दिमाग को अधिक सोचने के लिए स्पष्टता भी देता हैं।   ज्योतिष सीखे!

वक्री ग्रह अगर शुभ हैं, तो वह अशुभ फल देता हैं और वक्री ग्रह अगर अशुभ हैं, तो वह शुभ फल देता हैं। ज्योतिष की भाषा में ऐसा ग्रह अपनी साधारण अवस्था से उल्टा चलना शुरु कर देता हैं। कोई ग्रह उच्च का हो और वक्री अवस्था में हो तो उसके फल अशुभ हो जाते हैं, यदि कोई ग्रह नीच का होकर वक्री अवस्था में हैं तो वह शुभ फल देना शुरु कर देता हैं। वक्री ग्रह के स्वभाव में अंतर नही आता हैं, बल्कि उसके व्यवहार में अंतर ज़रुर आता हैं।    

हमारे ज़ीवन में वक्री ग्रहों का प्रभाव!         किसी भी सवाल के लिए हमसें सम्पर्क करें!

शनि- देखे शनि महाराज़ वक्री अवस्था में क्या फल देते हैं। सभी ग्रहों में वक्री शनि अशुभ व नकारात्मक फल ही देते हैं, जिससे जातक की ज़िंदगी में समस्याएँ आती हैं। जब शनि अपनी उच्च की राशि में हो कर वक्री हो तब अधिक परेशानी देता हैं। वक्री शनि जातक को ज़ीवन में एक अलग तरह की ज़िम्मेदारी और उद्देश्य की तलाश में लगा देता हैं। व्यक्ति को अपने पिता का सुख कम मिलता हैं, और अन्य उच्च पद के लिए संघर्ष करना पड़ता हैं। उनका भूतकाल का गहरा दुख भरा अनुभव जीत के लिए प्रतियोगिताओं में चुनौतियां भर देता हैं। वह अपने आलोचकों को आराम से पर बहुत ही करारा ज़वाब देते हैं। जहां शनि स्थित होता हैं या जहां का स्वामी होता हैं वहां से जुड़े भाव के फलों के लिए बहुत ही मेहनत करनी पड़ती हैं। छोटे से लाभ के लिए भी बहुत लम्बा रास्ता तय करना पड़ता हैं। जातक को अपनी जिम्मेदारियों के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता हैं।

वक्री शनि ज़ीवन में निराशा, बाधा, देरी, गहराई, रहस्य और सीमा में बांधता हैं। काम में देरी से सफलता, कमज़ोरी और कठोरता देता हैं। शनि व्यवसाय, समाज़, सामाजिक ज़ीवन, लम्बी योज़ना और कड़ी मेहनत देता हैं। वक्री शनि इस सब के लिए बहुत मेहनत और प्रयास करवाता हैं। वक्री शनि आत्मविश्वास और महत्वकांक्षाओ में कमी देता हैं। ऐसा जातक अपने अतीत से ही बंधा रहता हैं। अपने विरोधियों के साथ अधिक संघर्ष, कड़ी मेहनत, तनाव और आत्म-बल में कमी देता हैं। ऐसे जातक को अपने आस-पास कोई दीवार खड़ी नही करनी चाहिए खुद को उदास या कमज़ोर नही समझना चाहिए। जातक अपने ज़ीवन में देरी से सफल होता हैं, उसको अपनी इच्छाओं को कम करते हुए अपनी आंतरिक शक्ति को बढ़ाना चाहिए।       हमसे मिलनें के लिए सम्पर्क करें!

वक्री गुरु: गुरु ग्रह ज्योतिष में बहुत महत्वपूर्ण ग्रह हैं। ग्रुरु ग्रह को शिक्षक, ज्ञान, विश्वास, आध्यत्मिकता, धर्म, वित्त, और बच्चों के सुख का कारक हैं। वक्री गुरु अपने शुभ फलों को देने में देरी करता हैं। ये जातक को बिना मांगे सलाह या उपदेश देने वाला बना देता हैं। ऐसे लोग अपने ज्ञान को सही जगह इस्तेमाल नही कर पाते, जहां ज़रुरत नही होती वही अपना ज्ञान बर्बाद करते हैं। वक्री ग्रुरु जातक को अतिसंवेदनशील, असाधारण, अतिआत्मबली और तेज़ बनाता हैं। ऐसा जातक कानुन को नही मानता और अधिकतर ज़ीवन में समस्याएँ पैदा करता हैं। वक्री गुरु धर्म को बहुत मानता हैं और धर्म से जुडी बहुत सी बातो में भ्रमित भी करता हैं। जातक ऐसी दुनियां में जीता हैं, जिसमें आध्यात्मिक, दर्शन, शिक्षक, और हर बात पर ज़रुरत से अधिक तर्क हो। जातक की शिक्षा कमज़ोर और ज़ीवन में धन की कमी रहती हैं। वह शुरुवात में बहुत कमज़ोर पर बाद में अच्छे फाईनेंस के प्रबंधक भी बन सकते हैं। अपने बाद के ज़ीवन में बहुत आध्यात्मिक हो जाते हैं।        रत्नों के बारें में जाने!  

वक्री मंगल: वक्री मंगल हमारे सिद्धांत, आंतरिक शक्ति, लड़ने की क्षमता, शक्ति, आत्मबल, अनुशासन और काम करने की हिम्मत देता हैं। मंगल मित्र, साहस और भाई का कारक हैं। वक्री मंगल जातक को सामान्य से अधिक शारीरिक और मानसिक शक्ति देता हैं, जिसका जातक सही जगह इस्तेमाल नही कर पाता हैं। फिर वह चिढ़चिढ़ा और आक्रामक हो जाता हैं। इसी व्यवहार के कारण वह बहुत ही गलत निर्णय लेलेते हैं। महिलाओं का वक्री मंगल उनको पुरुषो की तरह मज़बूत बनाता हैं और ऐसी स्त्रियां, पुरुषों पर अपना नियंत्रण रखती हैं। वक्री मंगल जातक को उर्ज़ा के साथ काम करने में कमी देता हैं वह निराश, सुस्त सा रहता हैं और कोई भी काम करने से पहले बहुत सोचने में समय लगाता हैं। वक्री मंगल लड़ाई, गुस्सा, जुनून, क्रोध, जल्दबाज़ी और अपनी इच्छाओं को पूरा करने में तीव्रता दिखाता हैं। वह अपने गुस्से और जुनून कों बहुत ही अलग तरीके से दिखाते हैं जिससे बहुत सी दुर्घटनायों का भी सामना करना पड़ता हैं। इनकी यौन शक्ति बहुत अलग और अधिक होती हैं जिस वज़ह से कभी संतुष्ट नही हो पाते हैं। इनके संबंध बहुत से विपरीत लिंगी से होते हैं। महिलाओं के लिए वक्री मंगल बहुत खराब फल देता हैं। प्रेम संबंध के लिए अति अविशवास के साथ बहुत ही परेशानी का कारण बनता हैं, जिससे अलगाव की स्थिति उत्पन्न होती हैं। वह साथी से बहुत ही उम्मीद रखता हैं पर खुद खरा नही उतर पाता हैं। महिलायें अपने साथी के साथ संतुष्ट नही रह पाती और संबंधो में संघर्ष, कठोरता और तनाव रहता हैं।     अपने स्वास्थय की रिपोर्ट के लिए क्लिक करे!

वक्री शुक्र: शुक्र प्रेम, खुशी, रिश्ते, रोमांस, रचनात्मक, समझौता, कला, डिजाईन, फैशन और खुशबु का प्रतीक हैं। वक्री शुक्र जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को दर्शाता हैं, वक्री शुक्र जातक को बहुत संवेदंनशील बना देता हैं, और अपने प्रेम को लेकर बहुत भावुक हो कर जताने वाले होते हैं। महिलाओं का वक्री शुक्र उनको प्रेम में बहुत आक्रामक बना देता हैं। ऐसी स्त्रियां अपने प्रेम पर नियंत्रण रखती हैं, और कोई बात हो जाने के बाद आसानी से पीछा नही छोड़ती, बदला लेने पर उतारु हो जाती हैं। जो लोग किसी प्रेम के रिश्ते में हैं, वह हमेशा अपने प्यार की परख करते रहते हैं और उनके प्रति बहुत ही सतर्क रहते हैं, जिससे वह अविश्वास के कारण अपने रिश्ते को खो तक देते हैं। वे अपने साथी से बहुत सी इच्छाएं रखते हैं, जो वह पुरी भी करना चाहते हैं। शुक्र संवेदनशील, कामुकता, प्रेम और इच्छाओं को बढ़ावा देता हैं पर वक्री शुक्र आसानी से इन बहाव में नही बहता हैं। उसको विपरीत सैक्स से हमेशा कठिनाई होती हैं और गलतफहमी रहती हैं। यह अपने प्यार पर बहुत जल्दी विशवास तो कर लेते हैं पर उनकी भावनाओं को समझने में देरी करते हैं। वे उन्हें पाना तो चाहते हैं, पर उनको कुछ देना नही चाहते हैं क्योंकि वह सोचते हैं, कि अधिक पास जाने पर कही खो न दे। वक्री शुक्र में छुपाने की बहुत भावना होती हैं, इसलिए वह ज़ीवन में आगे बढ़ने में कठिनाई महसूस करते हैं और ज़ीवन के महत्वपूर्ण हिस्सों को महत्व नही देते। जिस का इनको दुख भी होता हैं। पुरुष महिलाओ के साथ साज़िश करते हैं, जिस से उनकों अकेलापन व निराशा मिलती हैं। वक्री शुक्र बहुत देरी से ज़ीना सिखाते हैं और अपनी भावनाओं को लेकर बहुत सख्त होते हैं और असामान्य रिश्तों की तलाश में रहते हैं। समय के साथ ये लोग प्यार में सबक सीखते हैं, तभी जा कर अपने प्यार को समझ पाते हैं।                          अन्य ग्रहों के बारे में जानें!

वक्री बुध: बुध हमें दिमागी तार्किकता देता हैं, बुध संचार की क्षमता और बौद्धिक विशलेषण हैं। बुध के मज़बुती से ही हम भाषण, बहस, गणना, संचार, निर्णय और दिमागी ताकत देखते हैं। बुध की वज़ह से ही किसी काम को गहराई से नापते हैं और चीज़ो का मुल्यांकन करते हैं। वक्री बुध अधिकतर बात-चीत की क्षमता पर प्रभाव डालता हैं, ऐसे लोग या तो अधिक बोलने वाले होते हैं या बहुत ही कम्। इनको पता ही नही चलता कि कब कहां क्या बोलना हैं। ये जल्दबाज़ी में कोई निर्णय लेते हैं तो फिर बाद में पछताते भी बहुत हैं। वक्री बुध की वज़ह से इनकी सोच बार-बार बदलती रहती हैं, जिससे इनका निर्णय लेना बहुत कठिन हो जाता हैं। जातक बहुत गलती करता हैं, जिससे वह सही जगह अपना ध्यान केंद्रित नही कर पाता हैं। इनकी सीखने की क्षमता भी कम होती हैं और एक बात को बार-बार समझने के लिए दोहराते हैं। जातक खुद को कई फैसलो में घबराया हुआ समझता हैं और परिवार व रिश्तेदार में भी कठिनाईयां झेलता हैं। जातक में धैर्य की कमी होती हैं और आवेगपूर्ण सोच के कारण गलत निर्णय लेते हैं। मानसिक एकाग्रता भी कम होती हैं, साथ ही चिड़चिड़ाहट की वज़ह से सबसे अलगाव रहता हैं। अपने विचारों को सही समय पर सही से व्यक्त नही कर पाता हैं। जिससे जातक में आत्म-आलोचनात्मक होती हैं, वह लोगों की आलोचना व नाराज़गी सहता हैं।

सुर्य व चंद्र्मा कभी वक्री नही होते हैं। राहु और केतु कभी मार्गी नही होते हैं, हमेंशा वक्री ही रहते हैं। अधिकतर वक्री ग्रह देरी से परिणाम देते हैं और बहुत ही चेष्टा के साथ काम करवाने के बाद फल देते हैं। वक्री ग्रह यह सबक भी सिखाते हैं, कि हमें कुछ चीज़ों के बारे में अधिक सोचना नही चाहिए। अगर हम अधिक सोचते हैं, तो हम हमेशा संदेह में रहते हैं, जिससे रिशते खराब ही होते हैं।  

हमारा मकसद आपकी समस्या से समाधान तक हैं क्योंकि ज्योतिष दशा के माध्यम से दिशा दिखाने का प्रयास करता हैं। राघावाय कोई चमत्कार का वादा नही करता हैं बस वैज्ञानिक ग्रहों के आधार ही भविष्य में होने वाली घटनाओं के बारे में अवगत करवा सकता हैं। आप राघावाय पर विशवास कर के उचित जानकारी पा सकते हैं और आने वाले समय के लिए कुछ सावधानी के साथ सलाह व उपाय भी ले सकते हैं। सम्पर्क करे +917701950631                                                     


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