हस्त रेखा ज्योतिष से जाने ग्रहयोग
प्रत्येक व्यक्ति की चाहत होती हैं की मेरी हथेली में बने ग्रह योग क्या फल दे सकते हैं या इन योगों का हमारे जीवन में क्या महत्व हैं। वैदिक ग्रंथों में नौ ग्रहों के बारे में बताया हैं, जिससे सभी वैदिक योग बनते हैं और फल भी देते हैं। हमारे सभी ग्रह हाथों में अपने-अपने क्षेत्रो पर स्थित होते हैं, जिनके अपने-अपने प्रभाव होते हैं और ग्रहों के पर्वत से भी काफी कुछ जाना जा सकता हैं। हथेली में रेखा के साथ कुछ चिन्ह भी होते हैं, जिनके शुभ व अशुभ दोनों तरह के फल होते हैं, जिसमें हस्तरेखा चिन्ह, रेखाये, त्रिकोण, जाल, बिंदु, क्रास, नक्षत्र, वर्ग, वृत्त और पर्वत हैं। हथेली की मुख्य रेखायें जिसमें जीवन, मस्तिष्क, ह्रदय, सूर्य, मणिबंध, भाग्य, स्वास्थ्य, विवाह व अन्य गौण रेखायें आदि होती हैं। जिसमें हथेली में स्थित हर रेखा का विशेष महत्व होता हैं। आईये जाने की हाथों में कैसे योग बनते हैं और उनका फल क्या होता हैं।
भाग्य योग- हथेली में स्वस्थ भाग्य रेखा सूर्य पर्वत पर जाये तो यह भाग्य योग होता हैं। इस योग में जातक/जातिका का भाग्य प्रबल होता हैं। अगर भाग्य रेखा चंद्र पर्वत से प्रारम्भ हो और हृदय रेखा व मस्तिष्क रेखा गुरु पर्वत के नीचे मिलती हो तो यह भी भाग्य योग होता हैं। हमसे मिलने के लिए सम्पर्क करें।
भाग्यवान योग- हाथ पर कही पर भी छतरी जैसा चिन्ह दिखाई दे, खासतौर पर यह सूर्य पर्वत के नीचे हो तो यह भाग्यवान योग बनता हैं। इस योग में जातक भाग्यशाली, प्रसिद्ध, चतुर तथा बंधु-बांधवो का सहायक होता हैं।
धार्मिक योग- हथेली में मणिबंद से कोई रेखा गुरु पर्वत तक जाती हो तथा उंगलियों के सिर नुकीले हो तो धार्मिक योग होता हैं। इस योग में जातक धार्मिक क्षेत्र में उच्च पद, धार्मिक ग्रंथ के लेख में प्रसिद्धि तथा सम्मान प्राप्त करता हैं। अन्य आर्टीकल्स पढ़ने के लिए यहां देखें।
पूर्ण आयु योग- हथेली में जीवन रेखा पूर्ण रूप से विकसित होकर अपने स्थान से मणिबंध तक जाती हो और उस पर किसी प्रकार का क्रास, बिंदु, धब्बा या कटी रेखा न हो तो तथा पहला मणिबंध जंजीरदार हो और स्वास्थ्य-रेखा पूरी लम्बी हो तथा उस पर किसी प्रकार का बिंदु या क्रास न हो तो ये भी पूर्ण आयु योग होते हैं।
संतानहींनता का योग- हथेली में स्वास्थ्य रेखा पर तारे का चिन्ह हो तो संतानहींन योग होता हैं। इसी प्रकार मध्यमा ऊँगली के तीसरे पर्व पर भी तारे का चिन्ह हो तो संतान सुख प्राप्त नहीं होता हैं। अगर पति तथा पत्नी दोनों ही के हाथो में ऐसा योग हैं तो संतान सुख का अभाव रहता हैं।
ब्रह्मचर्य योग- कनिष्का ऊँगली के पहले पोर पर क्रास का चिन्ह हो तो ब्रह्मचर्य योग होता हैं। जिसके हाथ में ब्रह्मचर्य योग होता हैं वह व्यक्ति जीवन भर स्त्रियों से दूर रहता हैं वह विवाह नहीं करता तथा साधुवत जीवन ही व्यतीत करने में सफल होता हैं। कोई भी सवाल हो, हमसे बात करे।
सर्पदंश योग- हथेली में शुक्र पर वलय हो तथा उसमें त्रिकोण का चिन्ह हो तो सर्पदंश योग होता हैं। यह योग होने पर व्यक्ति की मृत्यु विष से या सांप डसने से होती हैं।
अस्वाभाविक मृत्यु योग- दोनों हाथो में जीवन रेखा पर क्रास का चिन्ह हो तो अस्वाभाविक मृत्यु योग बनता हैं। चंद्र पर्वत पर त्रिकोण का चिन्ह हो तथा जीवन रेखा बीच में टूटी हुई हो अस्वाभाविक मृत्यु योग होते हैं।
भूमि योग- हथेली में मंगल तथा शुक्र पर्वत के बीच परस्पर रेखा सबंध हो तथा शुक्र पर्वत पर भाग्य रेखा से कोई रेखा आकर मिलती हो तो भूमि योग होता हैं। इस योग से भूमि से सबंधित सभी कार्यो में विशेष सफलता मिलती हैं और वह भू-स्वामी भी होता हैं।
विवाह योग- शुक्र पर्वत और गुरु पर्वत विकसित हो तो शीघ्र विवाह योग बनता हैं। यदि भाग्य रेखा का उदगम चंद्र पर्वत से हो, गुरु पर्वत पर क्रास और भाग्य रेखा, हृदय-रेखा पर समाप्त हो तो सुखमय विवाह जीवन होता हैं।
कलाकार बनने का योग- हाथ की सभी उंगलिया कोमल तथा लचीली हो तथा सूर्य की ऊँगली विशेष तौर पर लम्बी नोकदार हो और मस्तिष्क रेखा एवं भाग्य रेखा पूरी लम्बाई लिए हुए हो तो वह व्यक्ति सफल कलाकार होते हैं। शुक्र व चंद्रमा पर्वत उन्नत हो और निर्दोष हो तब जातक इस क्षेत्र में सफलता हासिल करता हैं।
डॉक्टर बनने का योग- हथेली में बुध पर्वत विकसित हो तथा कनिष्टका पूरी लम्बाई लिए हुए सीधी हो और वह अनामिका के ऊपरी पोर के मध्य तक जाए तथा बुध क्षेत्र पर तीन खड़ी रेखा हो तो ऐसा व्यक्ति एक सफल डाक्टर बन सकता हैं। साथ ही मंगल पर्वत अत्यन्त विकसित हो तथा मंगल रेखा भी पुष्ट एवं प्रबल हो तो व्यक्ति एक सफल सर्ज़न होता हैं तथा मंगल पर्वत यदि दबा हो तथा वृहस्पति पूर्ण विकसित हो और उस पर वर्ग का चिन्ह हो तो वह व्यक्ति ख्याति प्राप्त करता हैं। किसी भी तरह की पूजा की जानकारी के लिए यहां देखें।
आई. ए. एस. बनने का योग- हाथो में बुध की ऊँगली लम्बी हो और उसका अंतिम सिरा अनामिका के तीसरे पोर से आगे जाये तथा सूर्य रेखा अत्यंत उच्च कोटि की हो तो वह व्यक्ति आई. ए. एस. अधिकारी होता हैं। भाग्य रेखा तथा गुरु पर्वत बहुत अधिक श्रेष्ट हो तो वह व्यक्ति केंद्रीय सेवा में उच्च पदस्थ व्यक्ति होता हैं, जिसके कार्यो का प्रशासन पर पूरा-पूरा प्रभाव पड़ता हैं।
वैज्ञानिक बनने का योग- किसी मनुष्य की सभी उंगलिया पूरी लम्बाई लिए हुए हो तथा शनि पर्वत उभरा हो तथा उस पर भाग्य रेखा निर्दोष रूप से आकर ठहरी हुई हो एवं बुध पर्वत पर तीन-चार खड़ी रेखाये हो तो वह व्यक्ति एक सफल वैज्ञानिक बन सकता हैं। व्यापार के बारे में जानने के लिए यहां देखे।
धार्मिक योग- हथेली में मणिबंध से कोई रेखा गुरु पर्वत तक जाये तथा हाथ की उंगलियों के सिरे नुकीले हो तो धार्मिक योग होता हैं। जिसके हाथ में यह योग हो वह धार्मिक क्षेत्र में उच्च पद प्राप्त करता हैं तथा धार्मिक ग्रंथ लिखकर प्रसिद्ध तथा सम्मानित होता हैं।
रूद्र योग- हथेली में गुरु मुद्रिका तथा शनि मुद्रिका हो साथ ही सूर्य पर्वत से कोई रेखा निकलकर दोनों मुद्राओंं को स्पर्श करती हो तो रुद्र योग होता हैं, जिसके हाथ में यह योग होता हैं, वह मस्त सोच वाला और धन कमाने के साथ ही दोनों हाथो से खर्च करने वाला भी होता हैं। वह अपने जीवन शैली को शान, वैभवता और भौतिकता के साथ जीने में विशवास रखने वाला होता हैं।
शिक्षक योग- जिसके हाथ में जीवन रेखा, भाग्य रेखा तथा सूर्य रेखा निर्दोष हो तथा गुरु पर्वत विकसित हो और उस पर क्रांस का चिह्न हो तथा अनामिका से तर्जनी ऊँगली लंबी हो तो वह सफल शिक्षक होता हैं।
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