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Thumb's Importance

Hand and Thumb_ Thumb in Hand_ Importance of Thumb

 हस्त रेखा विज्ञान में अंगुठे का महत्व  

हमारे अंगुठे में दो ही पर्व होते हैं, प्रथम पर्व वह जिसमें नाख़ून होता हैं और द्वितीय पर्व जो प्रथम पोर के नीचे होता हैं। अंगुठे के प्रथम पर्व से आत्मबल, आत्मशक्ति, इच्छा की ढृंडता आदि का विचार किया जाता हैं।  

  1. हमारी हथेली में अंगुठे में कुछ ऐसे भाग हैं जिनका मस्तिष्क से विशेष संबंध हैं जिससे लकवा जो वायु जनिक स्नायुरोग हैं वह देखा जाता हैं, ऐसे में शरीर के एक भाग का स्नायुजाल काम करना बंद कर देता हैं। हाथ के अंगुठे से ही लकवे होने के लक्षण दिख जाते हैं।
  2. हाथ का अंगूठा उन्नत व मज़बूत हो तो वह जातक बुद्धिमान, पराक्रमी, आत्मबली और साहसी होता हैं। बचपन में जब कोई बच्चा अपराध करता हैं तब वह बचने के लिए अपने अंगुठे को अपनी मुट्ठी में छिपा लेते हैं, जिससे अंगुठे को मुट्ठी के अंदर करने से आत्मबल और आत्मविश्वास की कमी समझनी चाहिए। जो बच्चा पैदा होने के बाद अंगुठे को उंगलियों के नीचे दबाये रहते हैं, वे प्राय: कमजोर होते हैं। यदि पागलखाने का निरिक्षण करे तो जो लोग जन्म से ही पागल, विक्षिप्त या भोले होते हैं उनके अंगुठे बहुत छोटे और कमजोर होते हैं।    Take Appointment 
  3. अंगूठा चैतन्य शक्ति का एक प्रधान केंद्र हैं, यदि कोई अधिक बीमार हो और उसका अंगूठा ढीला होकर गिर पड़े तो समझना चाहिए की उसका अन्तिम समय आ पहुंचा हैं और यदि अंगुठे में कुछ जान हो तो कुछ बचने की आशा रहती हैं।         Vedic astrology course
  4. हथेली में यदि किसी मनुष्य के अंगूठे का सबसे ऊपर वाला पर्व बहुत लम्बा हो तो वह मनुष्य तानाशाही प्रवृति का होता हैं और वह सब पर अपना रौब और प्रभाव जमाना चाहता हैं, यदि ऐसे मनुष्य की खुशामद की जाये तो वह प्रसन्न रहता हैं।        Numerology Course.
  5. यदि ऊपर वाला पर्व बहुत छोटा हो तो ऐसे व्यक्ति के विचार में ढृढ़ता नहीं होती और ऐसे व्यक्ति पर ज़ोर डाल कर काम करवाया जा सकता हैं। यदि ऊपरवाला पर्व छोटे के साथ-साथ चौड़ा भी हो तो व्यक्ति चिड़चिडा होता हैं। यदि ऊपरवाला पोर बहुत छोटा हो और आगे से गोल हो तो आदमी बहुत जिद्दी तथा लालच में कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाता हैं। यदि अंगूठा पीछे की ओर मुडा हो तो मनुष्य उदार होगा।
  6. अंगुठे के कुछ लक्षण- यदि अंगूठा छोटा और मोटा हो तो वह चुपचाप किसी ताक में रहेगा और मौका पाते ही छुरा भोक देना, गोली देना, धक्का दे देना आदि कार्य करेगा। यदि अंगूठा लम्बा और सुंदर बना हो तो साहस और इच्छा शक्ति दोनों होते हैं।      अन्य लेख के लिए यहां क्लिक करें। 
  7. अगुठे की लचक और मनुष्य के स्वभाव में बहुत अधिक संबंध हैं। जिनका अंगूठा लचकदार होता हैं और पीछे की ओर काफी मुड जाता हैं, उनमें अन्य स्त्री या पुरुष से शीघ्र दोस्ती स्थापित करने की आदत होती हैं किन्तु जिनका अंगूठा पीछे की ओर सीधा और सख्त हो वे अन्य लोगो से संपर्क स्थापित करते की इच्छा कम रखते हैं।
  8. अंगुठे की जड़ से अंत तक अंगुठे की लम्बाई को नापना चाहिए यदि इसे पांच भागो में विभाजित करे तो दो हिस्से पहला प्रथम पर्व के और तीन हिस्से द्वितीय पर्व पर के होते हैं।
  9. प्रथम पर्व - यदि प्रथम पर्व सामान्य से अधिक लंबा हो तो ऐसा मनुष्य तर्क से काम नहीं लेता केवल बातो से ही काम चलाता हैं।  
  10. हथेली में यदि द्वितीय पर्व बहुत बड़ा हो और प्रथम पर्व बहुत छोटा हो तो ऐसा व्यक्ति किसी बात पर विचार तो बहुत बुद्धिमता से करेगा किन्तु आत्म शक्ति या ढृंडता न होने के कारण अपने विचारो को कार्यन्वित नहीं कर सकेगा इसी कारण सफलता के लिए दोनों पर्व अच्छी लम्बाई के होने चाहिए।  
  11. अंगुठे का प्रथम पर्व यदि बहुत छोटा और कमजोर हो तथा शुक्र क्षेत्र बहुत उन्नत हो तो मनुष्य कामवासना के वशीभूत होता हैं। यदि स्त्री का हाथ इस प्रकार का हो तो वह शीघ्र ही परपुरुष के बहकाने में आ सकती हैं। जिस के अंगुठे का प्रथम पर्व बलिष्ठ होता हैं, उसके विचार में ढृंडता होती हैं जिसके कारण उसको कोई शीघ्र बहका नहीं सकता।  
  12. यदि पहला पर्व मोटा और भारी हो और नाख़ून चपटा हो तो ऐसे व्यक्ति को बहुत तीव्र गुस्सा आता हैं और वह गुस्से में आपे से बाहर हो जाता हैं। अंगुठे के आगे का हिस्सा बिलकुल गदा की भांति हो तो जातक गुस्सा आने पर उचित-अनुचित का विचार कुछ नहीं करता।      Why Worried? Ask a question and get solutions! 
  13. अंगुठे के प्रथम और द्वितीय पर्व के बीच की संधि में यदि सख्त गांठ हो तो वह क्रोध के आवेश में खून भी कर सकता हैं और यदि प्रथम पर्व चपटा हो तो मनुष्य शांत प्रवृति का होता हैं।  
  14. द्वितीय पर्व- अंगुठे के द्वितीय पर्व भी भिन्न-भिन्न प्रकार के होते हैं जिसमे कुछ बीच में पतले होते हैं, ऐसे व्यक्ति नीति कुशल और व्यवहार में चतुर होते हैं और यदि बहुत ही पतला हो तो स्नायु शक्ति कमजोर हो जाती हैं और जातक सोच-विचार में ही घबरा जाता हैं।  
  15. यदि द्वितीय पर्व लम्बा हो तो जातक एक ही विषय पर लम्बी बात करता हैं और किसी का विश्वास नहीं करता वही यदि सीधा व लम्बा हो तो ऐसे व्यक्ति में तर्क-शक्ति अच्छी होती हैं।  

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