Vedic Astrology! वैदिक ज्योतिष क्या हैं?
वैदिक ज्योतिष का महत्व!!
ज्योति+ईश=ज्योतिष!! ईशवर की आंखों की ज्योति/नेत्र ही ज्योतिष हैं। हमारे भारत का सबसे पुराना शास्त्र हैं, वैदिक ज्योतिष! जो वेदों का अंग हैं। कहते हैं कि अथर्ववेद में ज्योतिष से संबंधित 162 श्लोक, यजुर्वेद में 44 और ऋग्वेद में 30 श्लोक हैं। इन्हीं वेदों के श्लोकों पर आधारित आज के महानुभावों ने ज्योतिष के रुप को बदल दिया हैं और सब फलित करने में लगे हैं। ज्योतिष 6 वेदांगो में से एक हैं। 1. शिक्षा, 2. कल्प 3. व्याकरण 4. निरुक्त 5. छंद और 6. ज्योतिष। जिनमे से वैदिक ज्योतिष को सबसे अधिक महत्व दिया गया हैं। आज के समय में दूसरे ज्योतिष जैसे लाल किताब, के. पी., नाडी, हस्त रेखा और पाश्चात्य ज्योतिष आदि हैं, ये सब भी ज्योतिष के ही भाग हैं, बल्कि वैदिक ही इन सब की मुख्य ज़ड़ हैं। ज्योतिष, भचक्र में भ्रमण कर रहे 9 ग्रह, 12 राशियां और 28 नक्षत्रों की कहानी हैं। भारत में ही वैदिक ज्योतिष का जन्म हुआ हैं, जहां प्राचीन भारतीय-शास्त्र इसे एक पूर्ण विज्ञान मानता हैं जो हमारे ब्रहमाण्ड में हो रहे सौर मंड़ल के ग्रहों की हलचल के माध्यम से ही आने वाली घटना को व्यक्त करता हैं। वैदिक ज्योतिष में ही जातक अपने ग्रह और नक्षत्रों के माध्यम से ही अपने भूत, भविष्य और वर्तमान के बारे में जान सकता हैं। यह वैदिक ज्योतिष हमारे ऋषि-मुनियों की देन हैं, जो ब्रह्मा के मुख से पाराशरजी को फिर मैत्रेयजी को मिला। हमारे भारत में गर्ग, आर्यभट्ट, भृगु, बृहस्पति, कश्यप, वराहमिहिर, पित्रायुस और वैधनाथ आदि एक से एक बढ़ कर महान ज्योतिष हुए हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ज्योतिष के 18 महर्षि प्रवर्तक हुये हैं और कश्यप ने इनका नाम सूर्य, पितामह, व्यास, वशिष्ट, अत्रि, पराशर, कशयप, नारद, गर्ग, मरीचि, मनु, अंगिरा, लोमेश, पौलिश, च्यवन, यवन, भृगु और शौनक बताया हैं। ज्योतिष को वेदों की आँखें कहा गया हैं, क्योंकि ज्योतिष के माध्यम से ही पता चलता हैं, की जीव पिछले जन्म में क्या था और अब किन कर्मफलों को पूरा करने के लिए दूबारा जन्म ले चुका हैं और यही कर्मफल ग्रहों व दशा के माध्यम से मिलते हैं। हिंदू धर्म कर्मप्रधान धर्म हैं, भाग्य प्रधान नहीं हैं। हमारे सभी वेद, उपनिषद और गीता कर्म करने की ही शिक्षा देते हैं। गीता में कहा गया हैं, कि ये संसार उल्टे वृक्ष की तरह हैं जिसकी जड़े ऊपर और शाखायें नीचे हैं तभी हमें कुछ मांगने के लिए ऊपर सिर उठाना पड़ता हैं। आदमी के मस्तिष्क में ही उसकी जड़े हैं तभी वह वही से सोचता हैं और ज्ञान एकत्रित करता हैं। हमारे इस वर्तमान जन्म में जो हमें प्रारब्ध के रुप में मिला हैं, वही हमारे कर्मों का कुछ हिस्सा हैं। भारतीयो ने सूर्य और चंद्रमा से सितारों और समय की गणना शुरु की और सूर्य व चंद्र मास से ही दिन रात की गणना शुरु हुई। सूर्य को सम्पूर्ण जगत की आत्मा कहा जाता हैं। वैदिक ज्योतिष के तीन हिस्से हैं - गणित, संहिता और होरा! गणित के माध्यम से पता चला की सूर्य के आसपास ही सभी ग्रह घूम रहे हैं जो तारामंड़ल से घिरा हुआ हैं, इसी तारामंड़ल में ही 12 राशियां भ्रमण करती हैं। भारतीय ज्योतिष निरायण पद्धति पर निर्भर करता हैं। सिर्फ निरायण से ही ग्रहों की गणना पता चलती हैं। सायन से सौर मंड़ल में ग्रहों की स्थिति का पता चलता हैं। ज्योतिष एक विज्ञान हैं, जिज्ञासा हैं, एक ऐसा क्रम बध ज्ञान हैं, जो आत्म-बोध, आत्म अनुभव और खुद की पहचान (self-realization) करवाता हैं।
ज्योतिष में ग्रहों का महत्व:
वैदिक ज्योतिष एक दैविय विज्ञान हैं, जिसकी गणना तारामंड़ल से की जाती हैं। यह तारे कोई अच्छा या बुरा प्रभाव नहीं ड़ालते, यह सिर्फ बताते हैं, कि क्या हैं, क्या था, या क्या होगा! ज्योतिष के माध्यम से हम जान सकते हैं, कि कैसे हम अपने कर्मों के द्वारा अपने वर्तमान ज़ीवन को सुधार सकते हैं और अपनी आने वाली ज़िंदगी के बारे में कोई महत्वपूर्ण निर्णय ले सकते हैं। जैसे बहुत से लोगों को अहसास होता हैं, कि अमावस्या के दौरान कोई भी निर्णय लेना मुश्किल हो जाता हैं, क्योंकि चंद्रमा का यह समय हमारी भावनायें, मन और दीमाग पर बहुत गहरा असर ड़ालता हैं। ज्योतिष के माध्यम से ही जान पाते हैं, कि हमारे ऊपर कौन से ग्रह का प्रभाव हैं, जिससे हम आने वाले समय में समस्या का सामना कर सके और सही दिशा में आगे बढ़ सके। ज्योतिष अपने ज्ञान के द्वारा वास्तविकता पर प्रकाश ड़ालता हैं। इसी वास्तविकता से हम अपने ज़ीवन के दूसरे पहलु जैसे शिक्षा, परिवार, विवाह, व्यवसाय, स्वास्थय, बच्चे, सामाजिक स्थिति और वित्त प्रणाली के बारे में जान सकते हैं। यह हमारे पथ की रोशनी हैं, जो हमारे मुश्किल समय में भी हमारी चिकित्सक की तरह से सहायता करती हैं। हमारे ज़ीवन में आई बाधाओं से हम बच तो नहीं सकते, परंतु इन बाधाओं से लड़ने का समाधान पा सकते हैं। वैदिक ज्योतिष इन बाधाओं से लड़ने के लिए हथियार का काम करता हैं ताकि परेशानी कम हो। ज्योतिष ग्रहों, नक्षत्रों और दो चमकदार ग्रह सूर्य-चंद्रमा पर निर्भर करता हैं, जन्म के साथ ही यह हमारे शरीर को प्रभावित करते हैं और दशा-अंतर्दशा के माध्यम से ही हमारी ज़ीवन की प्रिय-अप्रिय घटनाओं की यात्राओं के बारे में अवगत करवाते हैं, ताकि हम समय से सावधानियां अपनायें और बेहतर पथ के लिए अग्रसर हो सके। अन्य योगों को जाननें के लिए यहां देखें।
आधुनिक समय में पारंपरिक ज्योतिष:-
ज्योतिष एक पारंपरिक विज्ञान हैं, हमारी ज़ीवन-शैली, रीति-रिवाज़, धारणायें और विचार बिल्कुल बदल चुके हैं, परंतु आधुनिक ज्योतिष अभी भी उन्हीं सिद्धातों पर टिका हुआ हैं जो ग्रहों व राशियों पर आधारित हैं। प्राचीन ज्योतिष मुख्य रुप से 28 नक्षत्रों, सूर्य और चंद्रमा के भ्रमण पर टिका हुआ हैं। ज्योतिष एक आध्यात्मिक विज्ञान हैं, भाग्य हमारे ज़ीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जहां हमारे जीवन के किसी भी पहलु में हमारा कोई नियंत्रण नहीं हैं। आधुनिक ज्योतिष से हम ज़िंदगी के कई भाग को देख सकते हैं, कि जातक के साथ आने वाले समय में क्या घटना घट सकती हैं। आधुनिक ज्योतिष में परंपरागत ज्योतिष के बहुत से पहलुओं को नकार दिया जाता हैं। जैसे मंगल को केवल हिंसा व संघर्ष का महत्व दिया गया था, परन्तु अब वह ऊर्ज़ा का प्राकृतिक रुप भी माना गया हैं। इसी प्रकार कुंड़ली का छटा भाव बीमारी या कर्ज़ के रुप में न देख कर उसको स्वास्थय और प्रतियोगिता के रुप में देखा जाता हैं, अष्टम भाव मृत्यु हैं तो पिता से मिलने वाली सम्पत्ति और खोज़ भी हैं, बारहवां घर ज़ेल हैं तो आध्यात्मिकता और विदेश भ्रमण भी हैं। आधुनिक ज्योतिष ग्रहों के व्यावहारिक रुप को भी देखती हैं, जैसे बुध-बुद्धि! शुक्र-प्रेम! अब हम कहानियों के चक्कर में न आकर ग्रहों के वास्तविक रुप से फल का कथन करते हैं। आधुनिक ज्योतिष में देश काल पात्र के अनुसार फलित कहा जाता हैं। पहले राहु व शनि को सबसे अशुभ ग्रह कहा जाता था, राहु को सबसे निम्न जाति का ग्रह माना जाता था लेकिन आज के युग में यही राहु व शनि ग्रह ही ज़ीवन की सच्चाई से अवगत करवाते हैं। यही राहु आज के महत्वपूर्ण पहले जैसे विदेश में कार्य, वास्तुकार, अंतरिक्ष विमान, नेटवर्किंग, सोफ्ट्वेयर, तकनीकी, इंज़ीनियरिंग और मीड़िया का कारक हैं। आधुनिकता की बढ़ती होड़ में आधुनिक ज्योतिष को प्रथमिकता दी जाती हैं।
आधुनिक दुनिया में वैदिक ज्योतिष का महत्व:-
आधुनिक ज्योतिष एक महत्वपूर्ण और उपयोगी विषय हैं, जिस की वज़ह से व्यक्ति की प्रवृति, सोच और मनोविज्ञान के चरित्र का अध्ययन कर सकते हैं। उसके लग्न, ग्रह और नक्षत्रों व दशा के माध्यम से आने वाले समय को फलित कर सकते हैं। हमारे सभी अच्छे-बुरे पहलुओं पर नज़र रखता हैं। ज्योतिष पारंपरिक अवधारणा हैं, जो हमारे अतीत, भविष्य और वर्तमान को जान सकता हैं। ज्योतिष हमारे ज़ीवन के पथ की रोशनी हैं, जो समय-समय पर प्रत्येक पहलु पर नज़र रखता हैं। हमारे ही सितारों द्वारा हमें बताता हैं, कि क्या बेहतर हैं, किस समय में हमें क्या मिलेगा। हमारी जन्म-कुंड़ली हमारे ज़ीवन का एक्स-रे हैं, जिसे हमारे हाथों के लकीरो की तरह कोई नहीं बदल सकता हैं। ज्योतिष के माध्यम से ज़ीवन का लक्ष्य व दिशा निर्धारित कर सकते हैं, ग्रह अपनी स्थिति के अनुसार फल देते हैं। एक अच्छा ज्योतिष अपनी गणना के माध्यम से इन्ही ग्रहों व दशा के अनुसार उपाय बताता हैं। ज्योतिष के माध्यम से बच्चों के लिए बेहतर व्यवसाय चुन सकते हैं, वैदिक ज्योतिष रोशनी दिखाता हैं, कि किस प्रकार शिक्षा में बेहतर सुधार लाया जा सके। ज्योतिष कष्टप्रद व तनाव के समय में मानसिक राहत देता हैं। इतनी तेज़ी से भाग रही ज़िंदगी में उचित सलाह व समस्याओं को सम्भालने की शंक्ति देता हैं। व्यक्ति राहत के लिए अध्यात्मिक पथ का चुनाव करता हैं और बाधाओं से लड़ने का प्रकाश ग्रहण करता हैं।
वैदिक ज्योतिष कैसे ज़ीवन को बेहतर करने में मदद करता हैं।-
ज्योतिष गणना के माध्यम से ग्रहों की स्थिति को समझाता हैं। ज्योतिष एक प्रकाश के माध्यम से अंधेरे में पथ दिखाता हैं। ज्योतिष का हमें व्यक्तिगत और सामाजिक दोनो स्तर पर मदद करता हैं। हम ज्योतिष का प्रयोग एक औज़ार की तरह कर सकते हैं, यह हमें पहले से ही अवसरों के उतार-चढ़ाव को बता सकता हैं। कोई भी आने वाली बाधा, ज्योतिष के माध्यम से पहले ही जानी जा सकती हैं। ज्योतिष तीसरी आँख की तरह कार्य करता हैं, जो दशा और गोचर के माध्यम से बीते हुए पल और आने वाले समय के चुनाव का निर्णय कर सकते हैं। अपने ज़ीवन के लिए बेहतर ज़ीवन साथी और व्यवसाय के लिए बेहतर मार्ग चुन सकते हैं। आप अवसाद में हैं तो ज्योतिष निर्णय लेने से मानसिक बल प्रदान होता हैं। ज्योतिष दोहरे मार्ग पर खड़े व्यक्ति को उलझन से निकालता हैं और मार्गदर्शन देता हैं। हम अपने अच्छे व बुरे समय को पहचान पाते हैं। आखिर भाग्य क्या हैं, और अच्छे कर्म के माध्यम से अपने प्रारब्ध को कैसे आसान बनाए। इतने तनाव, व्यस्त व भागती दुनियां में ज्योतिष सिखाता हैं, कि अपने कर्म पर ध्यान केंद्रित करो। ज्योतिष जागरुकता देता हैं, और अपने पथ पर अग्रसर रहने की प्रेरणा देता हैं।
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ज्योतिष भूत, वर्तमान और भविष्य का विज्ञान हैं। ग्रहों द्वारा हम बता सकते हैं, कि जातक के ज़ीवन में क्या हुआ था या होगा। पराशर ऋषि क अनुसार एक अच्छा ज्योतिष शास्त्रों व गणित का ज्ञाता होता हैं। वह धैर्यवान, सहनशील, सत्यवादी, देश-भक्त, आस्तिक, अंतर्ज्ञानवान, ज्ञानी, समय का पाबंद, देश काल पात्र का ज्ञाता, शब्दों का ज्ञानी और शब्दों से खेलना जानता हैं। ग्रहों व नक्षत्रों का उचित ज्ञान होने से उनकी शुभ-अशुभ स्थिति व गहराई को जान पाए और गणित का उचित ज्ञान होने से जातक का जन्म समय सही हैं या नहीं, यह जान पाए। दशा का सही ज्ञान होने से सुझाव दे सके कि आने वाला समय कैसा हैं। व्यावहारिक ज्ञान और अनुभव से ही अच्छा ज्योतिष किसी भी परेशानी में आए व्यक्ति को सम्भाल सकता हैं। अधुरा ज्ञान तो ज़हर के समान हैं। अनुभवी आदमी ही सही भविष्यवाणी कर सकता हैं, और वैदिक ज्योतिष के द्वारा ही उचित मार्ग-दर्शक से सही पथ दिखा सकता हैं। जो की साधारण मनुष्य की आंखे कठिनाई के समय नहीं देख सकती हैं। एक अच्छा ज्योतिष अंधेरे में मोमबत्ती की तरह प्रकाश दिखाता हैं। हालांकि ज्योतिषशास्त्र के विज्ञान में अंतर्ज्ञान का उपयोग केवल तभी संभव हैं, यदि ज्योतिष उच्च आध्यात्मिक स्तर पर हो। एक अच्छा ज्योतिष बुरे समय को पहचान कर उचित सलाह व समस्याओं में संभलने की शक्ति देता हैं और परेशानी व संकट के समय में अपने कौशल से परामर्श व समाधान दे सके।
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ज्योतिष एक दैविय विज्ञान हैं, इसलिए इसका विशेषज्ञ बनने के लिए और समस्याओं को दूर करने के लिए आध्यात्मिक ज्ञान व शक्ति का होना बेहद ज़रुरी हैं। उसके पास गुरु का आशिर्वाद और ज्योतिषिय ज्ञान होना बेहद ज़रुरी हैं। उसके पास अंतर्ज्ञान शक्ति और जादुई शब्द होने चहिए ताकि वह अंधेरे में भी प्रकाश को आकर्षित कर सके। वह जातक को उसके बारे में सब बता सके, कि उसकी ज़िंदगी में क्या हो रहा हैं, क्या होने वाला हैं, या क्या हो सकता हैं। उसके पास फलित करने के सभी कौशल होने चाहिए। अच्छे ज्योतिष को वैदिक ज्योतिष, सौर-मंड़ल, ग्रहों का गति, सितारों की भुमिका, नक्षत्रों की गणना, दशा, राशी, वर्ग कुंड़ली का ज्ञान और गोचर का पूरा ज्ञान होना चाहिए। ज्योतिष को स्वास्थय, व्यव्साय, शिक्षा, अवसाद, विवाह, सुख, बच्चें, भविष्य और दूसरी गति-विधियों का भी उचित ज्ञान होना चाहिए। उसके पास इन सबके बारे में उचित कौशल हो ताकी वह इन सभी के बारे में समधान भी जानता हो। बहुत सी ज्ञानवान ज्योतिषिय पुस्तकों का ज्ञान हो, बहुत सी कुंड़लियां देखकर अनुभव प्राप्त हो, तभी एक सटिक भविष्य वक्ता बन सकते हैं। अनुभवी ज्योतिष जानता हो कि कैसे जीवन के विभिन्न पहलुओं को विकसित किया जाए और सही समय का पता हो कि कब लोहा गर्म हैं ताकि प्रहार किया जाए। सही परख हो की कब घटना घटित होगी, कब कोई कार्य करने से बचना चाहिए। ज्योतिष को सच्चाई के साथ चलना चाहिए किसी भी मिथक से बचना चाहिए और जातक का विश्वास कायम रखना चाहिए।
वैदिक में चंद्र्मा का महत्व! अपनी जन्म राशि जानें।
वैदिक दृष्टिकोण से चंद्रमा का ज्योतिष में सबसे महत्वपूर्ण स्थान हैं। दैवीय शक्ति रखने वाला चंद्रमा चमकदार, शाही और शीतल ग्रह हैं। चंद्रमा में ही चंचल मन को नियंत्रण रखने की शक्ति हैं। वृषभ राशि में यह उच्च का होता हैं और चंद्रमा अपनी उच्च की राशि में बहुत शक्तिशाली होता हैं और नीच की राशि वृश्चिक में नकारात्मक और कमज़ोर हो जाता हैं। चंद्रमा सभी ग्रहों में सबसे तेज़ व गतिमान ग्रह हैं, यह 27 दिनों में सभी राशियों व नक्षत्रों का भ्रमण कर लेता हैं। इसका आधिपत्य मन, सोच, ज़ल, दैनिक दिन-चर्या, माता, दिमाग, बुद्धि, व्यवहार, भावनाएं, तरल पदार्थ, दवाईयां, यात्रा, शांति व प्रेम पर हैं। यह अलग-अलग राशियों व भावों में होने से जातक के ज़ीवन में अलग-अलग प्रभाव ड़ालता हैं। शुभ और मज़बूत चंद्रमा कुंड़ली में राज़योग की तरह फल देता हैं जिस तरह दूसरे धनयोग और सूर्य द्वारा बनाए गए योग फल देते हैं। चंद्रमा हमारी यादें, मानसिकता, भावनाएं, दृष्टिकोण, रुचि और सोच को नियंत्रित करता हैं। यदि चंद्रमा कमज़ोर या अशुभ हो तो व्यक्ति की मानसिकता व याद्दाशत कमज़ोर, तनावपूर्ण, अवसादपूर्ण, मनोवैज्ञानिक सोच अस्थिर रहती हैं। जब पुर्णिमा का समय होता हैं, तब चंद्रमा पृथ्वी के करीब होता हैं, उसी समय में लोगों की मानसिक समस्याओं में वृद्धि होती हैं और अवसाद का सामना करना पड़ता हैं। चंद्रमा संवेदनशीलता, कल्पनाशीलता, रचनात्मकता और कलात्मकता का हिस्सा हैं। जातक पर इसका सकारात्मक प्रभाव होने से उसमें गज़ब की रचनात्मक, अंतर्ज्ञान और कल्पना शक्ति होती हैं। लग्न कुंड़ली की तरह चंद्रमा कुंड़ली का भी भविष्य गणना में बहुत महत्व हैं और उसी के आधार पर ही दशा की भी गणना की जाती हैं।
वैदिक में विंशौंतरी दशा का महत्व!
ज्योतिष में व्यक्ति के जीवन की घटनाओं की भविष्यवाणी करने के लिए दशाओं का प्रयोग किया जाता हैं। वैदिक ज्योतिष में विंशौतरी दशा का अधिक महत्व हैं जो चंद्रमा के अंशों व स्थिति पर निर्भर करता हैं। हमारे ज़ीवन में अतीत, वर्तमान और भविष्य की घटनाओं का चित्रण दशा अनुसार ही होता हैं, जिसके लिए वैदिक ज्योतिष में विंशौतरी दशा का तार्किक महत्व हैं। प्रत्येक राशि तीन नक्षत्रों पर आधारित हैं, जन्म के समय चंद्रमा जिस राशि में होता हैं वही राशि जिस नक्षत्र पर होती हैं, उसी के स्वामी की दशा मिलती हैं। विंशौतरी में महादशा नौ ग्रहों में विभाज़ित होती हैं, और उसी अनुसार अंतर्दशा व प्रत्यंतर दशा का विभाज़न होता हैं। उसी अनुसार ग्रहों की अवधि निर्धारित होती हैं। ग्रहों की अवधि व स्वामित्व के अनुसार ही ज़ीवन की घटना घटित होती हैं। ग्रहों की स्थिति के अनुसार ही शुभ-अशुभ परिणाम मिलता हैं। विंशौंतरी का चक्र कुल 120 वर्षों का हैं, जिसमें सभी ग्रहों को निश्चित वर्ष दिए गए हैं। प्रत्येक ग्रहों की इस अवधि में केतु-7 वर्ष, शुक्र-20, सूर्य-6, चंद्रमा-10, मंगल-7, राहु-18, गुरु-16, शनि-19 और बुध-17 वर्ष की अवधि होती हैं। जन्म-कुंड़ली में सभी ग्रहों का किसी न किसी के साथ संयोज़न होता हैं, परंतु सबका परिणाम दशा व स्थिति के अनुसार ही मिलता हैं। वैदिक ज्योतिष में सभी घटनाओ का फल निश्चित हैं जो उचित दशा आने पर ही मिलता हैं। व्यवसाय में सफलता व विवाह का सुख और रुकावट व संघर्ष कब आना हैं, सभी दशा द्वारा ही पता लगाया जाता हैं।
कैसे दो जुड़वा बच्चों की किस्मत वैदिक के अनुसार अलग होती हैं!
इस दुनिया के सभी के अलग-अलग चेहरे हैं, अलग-अलग भाग्य हैं, चाहे वह ज़ुड़वा हो या एकल जन्म हो। धरती पर प्रत्येक व्यक्ति के अलग-अलग हाथो की रेखाएं हैं। ज़ुड़वा होते हुए भी अलग रेखाएं, व्यक्तित्व व विशेषताएं होती हैं। प्रत्येक व्यक्ति अपने भाग्य व कर्म के अनुसार ही जन्म लेता हैं, पिछले जन्म के सभी कर्मों के अनुसार ही इस जन्म में फल मिलता हैं। अलग-अलग लग्न, नक्षत्र व उप-स्वामी होने से सभी घटनाएं अलग होती हैं। एक ही सैकंण्ड में अंश बदलने से लग्न का नक्षत्र भी बदल जाता हैं और चंद्रमा के बदलने से भी जातक की सोच में बदलाव आता ही हैं। कई बार तो एक मिनट में चार बच्चों के जन्म होते हैं, फिर भी सभी का व्यक्तितत्व अलग होता हैं। कई ज़ुड़वा बच्चों के जन्म में तो एक बच्चें का कोई ग्रह वक्री हैं, तो दूसरे का मार्गी होता हैं। कुछ सैकंण्ड के बाद भी ज्योतिषीय गणना बदल जाती हैं। जैसे- वर्ग कुंड़ली डी-9 (विवाह, धर्म, आंतरिक इच्छा और अन्य कौशल), डी-60 (अब तक के किए हुए कर्म और दुर्घटनाएं) यह वर्ग प्रत्येक दो मिनट में ही बदल जाता हैं, डी-7 (बच्चे और मनोरंज़न) वर्ग आदि भी अलग होते हैं। इन सब की बदली हुई ग्रहों की स्थिति ज़ुड़वा बच्चों के ज़ीवन शैली में बहुत बदलाव लाती हैं। कुछ ही मिनटों के जन्म के बाद भी लोगो में बड़ा अंतर आता हैं। दो बीज़ अलग-अलग प्रारब्ध और कर्म फल के अनुसार ही आगे बढ़ते हैं, और फल पाते हैं। यह ज्योतिष कर्मो और पुन:जन्म के चक्र पर ही अधारित हैं तो कैसे एक ही समय में ज़न्मे दो बच्चो का भविष्य व व्यक्तितत्व एक जैसा हो जाएगा। समय, तिथि, साल व माता-पिता और ग्रह भले ही समान हो परंतु दोनो का नाम कभी एक नहीं होता हैं, इसलिए वह व्यावहारिक संरचना में एकसमान नहीं होंगे।
हमारा मकसद आपकी समस्या से समाधान तक हैं क्योंकि ज्योतिष दशा के माध्यम से दिशा दिखाने का प्रयास करता हैं। राघावाय कोई चमत्कार का वादा नहीं करता हैं बस वैज्ञानिक ग्रहों के आधार ही भविष्य में होने वाली घटनाओ के बारे में अवगत करवा सकता हैं। आप राघावाय पर विशवास कर के उचित जानकारी पा सकते हैं और आने वाले समय के लिए कुछ सावधानी के साथ सलाह व उपाय भी ले सकते हैं। सम्पर्क करे +917701950631 Click here to know about houses in astrology
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