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Mahabhagye Yoga

 

पंच महापुरुष योग— फलदीपिका के अनुसार मंगल, बुध, गुरु, शुक्र व शनि द्वारा बनाए जाने वाले पांच प्रकार के योग कहे गए हैं, जिन्हें पंचमहापुरुष योग कहा जाता हैं। जब ये ग्रह लग्न या चंद्रमा से केंद्र में अपनी उच्च राशि अथवा स्वराशि में स्थित होते हैं, तो इन योगों का निर्माण करते हैं। इसमें सूर्य व चंद्रमा को शामिल नहीं किया गया हैं।  अपने बारे में जानने के लिए यहां क्लिक करें!

  • रुचक योग- यदि मंगल अपनी स्वराशि मेष, वृश्चिक या उच्च राशि मकर में होकर चंद्रमा या लग्न से केंद्र में हो तो रुचक योग बनता हैं। जिनके फल जातक साहसी, बली, सेनापति, अभिमानी होता हैं।
  • भद्र योग- यदि बुध अपनी स्वराशि मिथुन या कन्या (उच्च राशि) में होकर चंद्रमा या लग्न से केंद्र में हो तो भद्र योग बनता हैं। जिनके फल बोलेने में चतुरता, कुशाग्र बुद्धिवाला, वैभवशाली होता हैं।
  • हंस योग- यदि बृहस्पति अपनी स्वराशि धनु, मीन या उच्च राशि कर्क में होकर चंद्र या लग्न से केन्द्रो में हो तो हंस योग बनता हैं। जिनके फल सौम्य, प्रशंसनीय, शुभ चिन्हों वाला होता हैं।   
  • मालव्य योग- यदि शुक्र अपनी स्वराशि बृषभ, तुला या उच्च राशि मीन में होकर चंद्र या लग्न से केंद्र में हो तो मालव्य योग बनता हैं। जिनके फल प्रसन्नमुख, वाहनों का सुख, कलात्मक रुचि वाला होता हैं। 
  • शश योग- यदि शनि अपनी स्वराशि मकर, कुम्भ या उच्च राशि तुला में होकर लग्न या चंद्रमा से केंद्र में हो तो शश नामक पंच महापरुष योग बनता हैं। जिनके फल भू-सम्पति का स्वामी, धनवान, प्रभावशाली होता हैं।   किसी भी सवाल के लिए यहां क्लिक करें!  

महाभाग्य योग: जैसे नाम से ज्ञात होता हैं, यह योग अच्छा भाग्य देता हैं। स्त्री व पुरुष कुंड्लियो में यह योग अलग-अलग परिस्थितियों में बनता हैं। पुरुष की कुंड़ली में दिन का जन्म हो और लग्न, चंद्र और सूर्य बिषम राशि में हो तो महाभाग्य योग बनता हैं। स्त्री की कुंड़ली में रात्रि का जन्म हो और लग्न, चंद्र व सूर्य सम राशि में हो तो भी महाभाग्य योग बनता हैं। यह धन, समृद्धि, अच्छा स्वास्थ्य शासन व समाज में प्रतिष्ठा देता हैं।    

ऐसा जातक बुद्धिमान, धनी, यशस्वी और दीर्घायु होता हैं। इस योग के कारण जातक को प्रारम्भ में परेशानी आती हैं या हानि होती हैं क्योंकि पहले ग्रह अपने नीच के होने का फल देता हैं फिर वही ग्रह नीच भंग होने से शुभ फलदायी भी हो जाता हैं जिससे जातक उन्नति के पथ पर अग्रसर हो जाता हैं। जिससे जातक सम्पत्तिवान व प्रतिष्ठा प्राप्त करता हैं। ज्योतिष सीखें!

 


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