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Surya Yoga
सूर्य से बनने वाले योग- Surya Yoga
- शुभवेसि योग: जब चंद्रमा के अतिरिक्त कोई शुभ ग्रह सूर्य से द्वितीय में हो तो शुभवेसि योग बनता हैं। इस योग में जातक सौभाग्यशाली, सुखी, सच्चरित्र और प्रसिद्धि प्राप्त करता हैं।
- पापवेसी योग: जब सूर्य से द्वितीय भाव में कोई पाप ग्रह हो तो यह योग बनता हैं। इसका फल शुभवेसि योग के फल के बिलकुल विपरीत होता हैं।
- शुभवासियोग: सूर्य से द्वादश भाव में कोई शुभ ग्रह हो तो शुभवासि योग बनता हैं। जिसका फल के अनुसार अच्छा वक्ता, सुगठित-अंग, धनी और प्रसिद्धि की प्राप्ति होती हैं।
- पापवासी योग: यदि सूर्य के द्वादश भाव में पाप ग्रह हो तो पापवासि योग बनता है, और ये योग विपरीत फल देने वाला होता हैं। कोई भी सवाल! जवाब के लिए अभी क्लिक करे!
- उभयचारी योग: यदि चंद्रमा व राहु-केतु को छोड़ कर सूर्य से द्वितीय व द्वादश भाव में ग्रह हो तो उभयचारी योग बनता हैं। यदि शुभ ग्रह इन स्थितियों में हो तो शुभ फल जैसे धन, सुख, भाग्यवान, दया और अशुभ हो तो अशुभ फल जैसे रोग, पापी, दरिद्र्ता प्राप्त होती हैं। किसी भी समाधान के लिए हमसें बात करें।
- बुधआदित्य योग: यह योग सूर्य और बुध ग्रह से बनता हैं। सूर्य ज्योतिष में सबसे प्रधान ग्रह माना गया हैं। बुध ग्रह सूर्य के सबसे करीब होता हैं जिससे इसका सबसे अधिक प्रभाव सूर्य के साथ ही मिलता हैं। इस दोनों का एक भाव में होने से यह संयोग बनता हैं। इस योग से जातक भाग्यशाली होता हैं। इस योग में जातक का जन्म निर्धनता में भी हुआ तो भी वह अपनी गिनती धनवानों में करवाता हैं। जातक की बुद्धि बहुत कुशाग्र होती हैं और वह बहुत समझदार होता हैं। यह योग कन्या, सिंह और मिथुन राशि में प्रबल फल देता हैं। केंद्र त्रिकोण में होने से जातक लेखक, गणितज्ञ, अकॉउंटेंट, बैंक मैंनेज़र बनता हैं। जातक में नेतृत्व करने की क्षमता, मान सम्मान प्रतिष्ठा पाना, वाक कुशलता और बुद्धि विश्लेषणात्मक क्षमता होती हैं।
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