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Graho Ke Uchh Neech

ग्रहों के उच्च अंश Uchh Grah

वैदिक ज्योतिष के अनुसार उच्च ग्रहों की उच्चता का रहस्य भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। जो ग्रह अपने अंशो पर उच्च या नीच का होता हैं उसी अनुसार फल भी देता हैं और फलित में उनका प्रभाव भी वैसे ही मिलता हैं। इसी के आधार पर ही ग्रह अपने शुभ और अशुभ फलों में कमी या बढौतरी भी करते हैं। वही ग्रह उच्च का सरकारी नौकरी पर उच्च पद पर बैठा देता हैं और वही ग्रह नीच का होने पर ज़मादार तक बना देता हैं। आईये जाने कौनसा ग्रह किस ग्रह की राशि में शत्रु होते हुए भी उच्च का होता हैं और मित्र होते हुए भी नीच का होता हैं।        अपनी जन्म राशि जानें।

सूर्य- सूर्य ग्रह आत्मा का कारक होने से मोक्ष प्राप्ति में ही सफलता देता हैं। अश्वनी नक्षत्र भचक्र की सर्वप्रथम मेष राशि का सर्वप्रथम नक्षत्र हैं जिसका स्वामी केतु मोक्ष का प्रतीक हैं। सूर्य सर्वप्रथम या सर्वोच्च होने के लिए मेष राशि मंगल में मोक्ष देने वाले केतु के अश्वनी नक्षत्र पर आश्रित हैं जिससे वही उच्चता का फल देता हैं।

सूर्य राजा या उच्चपदासीन व्यक्ति हैं जिसे किसी संस्था का अध्यक्ष या घर परिवार का मुखिया भी मान सकते हैं। अध्यक्ष या मुखिया में धैर्य, वीरता शौर्य के साथ भविष्योन्मुखी रणनीति तैयार कर संस्था, देश या परिवार को आगे बढ़ाने, उसकी समाजिक व आर्थिक स्थिति सुधारने की क्षमता होनी चाहिए। वह कठिन संघर्ष कर अपने मेहनत के बल पर अपने आश्रितों का कल्याण करे तब ही श्रेष्ट या उच्च का कहलायेगा। केतु तो फ्लेग बेयरर या झंड़ा लेकर आगे चलने वाला हैं जो एक राजा के आगे हमेशा रहता हैं। एक नेता का व्यक्तित्व ऐसा हो की वह संस्था या परिवार के मान सम्मान व यश को बढ़ाने वाला बने।

चंद्रमा- चन्द्रमा ग्रह मन का नैसर्गिक कारक हैं वह सूर्य के नक्षत्र कृतिका में मानो आत्मसाक्षात्कार या समाधि की स्थिति में पहुंचा कर, वृष राशि (शुक्र) के सुख वैभव को तुच्छ मानने लगता हैं। मन की शक्ति संयम में ही निहित हैं। शुक्र की वृष राशि में, सुख वैभव के बीच अनासक्त भाव से रहकर, आत्मा का दर्शन करना ही चन्द्रमा का परमोच्च स्थान हैं।  अन्य सवालों के जवाब के लिए हमसें मिलनें के लिए सम्पर्क करें।    

चन्द्रमा वृष राशि (शुक्र) कृतिका नक्षत्र (सूर्य) में सर्वोच्च होता हैं। चन्द्रमा मन के साथ जनता, अधीनस्थ कर्मचारियों का भी प्रतीक हैं। कुछ लोग चन्द्रमा को माता या मुखिया का विश्वासपात्र सचिव मानते हैं। जनता को शुक्र के भोग विलास से बच कर, उपलब्ध संसाधन का उपयोग, समाज की उन्नति और विकास में करना चाहिए। इसके लिए सूर्य का सत्वगुण व सदाचार ही उसका बल हैं। सूर्य की रश्मियों में भेद भाव नहीं होता हैं। इसी प्रकार जनता को भी एकजुट रह कर, सरकार के विकासोन्मुखी कार्यक्रम में सहयोग करना चाहिए।

मंगल- मंगल ग्रह बल पराक्रम का प्रतीक होकर कर्म व मेहनत के स्वामी शनि की मकर राशि में घनिष्टा नक्षत्र में उच्चता पाता हैं। घनिष्ठा का स्वामी मंगल एक साहसी शूरवीर सिपाही की तरह अपने शत्रु शनि की राशि में उच्चता पाता हैं क्योंकि वह जानता हैं कि कर्म और मेहनत के बिना कभी शत्रुओं से सफलता नहीं मिलती।    कोई भी सवाल! जवाब के लिए अभी बात करे!

मंगल मकर राशि (शनि) घनिष्ठा नक्षत्र (मंगल) में उच्च का होता हैं। रक्षा कार्यों या निर्माण क्षेत्र में लगे सभी व्यक्ति मंगल से प्रभावित होते हैं सुरक्षा और विकास के लिए कुशल व्यवस्था व प्रबंध दक्षता अनिवार्य हैं जो मंगल ग्रह ही दे सकता हैं। शनि ग्रह मानो समाज की तलछट या सर्वहरा वर्ग का प्रतीक हैं। मंगल की शक्ति, उसका प्रबंध कौशल गरीब से गरीब व्यक्ति के हित में होता हैं। समाज का सबसे पिछड़ा वर्ग भी आशा, उत्साह के साथ भविष्योन्मुखी विकास कार्यो में अपना योगदान करे। यही मंगल के घनिष्ठा नक्षत्र व शनि की मकर राशि में सेनापति मंगल की उच्चता का रहस्य हैं।

बुध- बुध ग्रह बुद्धि का कारक होकर, अपनी ही राशि कन्या में, चन्द्रमा के हस्त नक्षत्र में परम उच्च का होता हैं। मन की कोमल भावनाओं, आत्मीयता, संवेदना, सहानुभूति के बिना शुष्क ज्ञान निरर्थक हैं जो शब्दों का मायाजाल मात्र हैं। बुद्धि का उपयोग सामान्यजन के कल्याण में होना ही बुध को उच्चता देता हैं।

बुध कन्या राशि (बुध) हस्त नक्षत्र (चन्द्रमा) में उच्च का होता हैं। बुद्धिजीवीवर्ग, शिक्षक, लेखक, पत्रकार या मिडिया के लोग बुध से नियंत्रण होते हैं। ये अपने ही क्षेत्र में रहकर जनता (चन्द्रमा) के दुःख-सुख से जुड़े, अपने ज्ञान और अनुभव से जनता की समस्याएं सुलझाने, उसे सुखी और सम्पन्न बनाने के तरीके खोजे यही बुध की उच्चता हैं। बुध खेल कूद तथा परिवहन या टेलीकॉम का भी कारक हैं।

गुरु- गुरु ग्रह चन्द्रमा ग्रह की कर्क राशि और शनि के पुष्य नक्षत्र में परम उच्च का होता हैं। गुरु धर्म, दर्शन व अध्यात्म का कारक होकर मन से संबंध बना कर, मन को अध्यात्म की और मोड़े तो निश्चय ही शुभ हैं। गुरु कही लौकिक सुख में फंसे नहीं इसके लिए शनि का वैराग्य, अनासक्ति भोगों को तुच्छ मानने के लिए [शनि का] हस्त नक्षत्र उसके लिए सर्वाधिक उपयुक्त हैं। 

गुरु कर्क राशि (चन्द्रमा) पुष्य नक्षत्र (शनि) में उच्च का होता हैं। गुरु नीति, नियम तथा न्याय के साथ वित् व्यवस्था का भी प्रतिनिधित्व करता हैं। न्यायपालिका तथा वित्त प्रबंधक का उद्देश्य जनता (चन्द्रमा) के सर्वहरा वर्ग (शनि) के कल्याण व सुविधा के साथ अनुरूप हो तभी गुरु को उच्चता मिलेगी।   Click here to know about houses in astrology

शुक्र- शुक्र ग्रह सुख वैभव तथा भोगों का कारक, गुरु की मीन राशि में व बुध के रेवती नक्षत्र में परम् उच्च का होता हैं। भोगी शुक्र को गुरु के अध्यात्म व ज्ञान की आवश्यकता तो पड़ेगी ही और बुध का नक्षत्र जातक की बुद्धि को भोगों में भटकने से रोकेगा। शायद तब ही प्राप्त सुख, वैभव का उपयोग जनकल्याण व धर्म के कार्यों में हो सकेगा। यही शुक्र की सफलता की कसौटी भी हैं।

शुक्र मीन राशि (गुरु) रेवती नक्षत्र (बुध) में उच्च का रहता हैं। कला, मनोरंजन या सुख-सुविधा तथा सौंदर्य प्रसाधन का कारक शुक्र नीति व न्याय के अनुकूल, अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने वाला (गुरु) तथा बुद्धि बल व बालवर्ग (बुध) के हित में हो, तभी शुक्र उच्च माना जायगा।

शनि- शनि ग्रह निर्धन व सर्वहारा वर्ग का प्रतीक हैं। वह शुक्र की तुला राशि में गुरु के विशाखा नक्षत्र में परम् उच्च होता हैं। शनि निष्ठावान सेवक हैं, शुक्र के हास-विलास के बीच, गुरु के चरणों में बैठ कर, अध्यात्म व दर्शन को व्यवहार में ढ़ालना, धर्म को क्रियान्वित करना ही शनि की सफलता हैं। गुरुजन कहते हैं की शनि शबरी सरीखा हैं जिसने रामजी को बेर के रूप में मानो अमृत पिलाया। शनि शायद कंस की कुब्जा दासी भी हैं जिसने कृष्ण को पाया। गुरु के नक्षत्र में यदि कालपुरुष का सेवक शनि उच्चता पाए तो आश्चर्य कैसा।      

शनि तुला राशि (शुक्र) विशाखा नक्षत्र (गुरु) में उच्च का होता हैं। श्रमिक वर्ग को भी न्यूनतम सुख सुविधाएं (शुक्र) प्राप्त हो, वे सम्मानपूर्वक जीवनयापन करे। नीति, नियम और अर्थ व्यवस्था ऐसी हो जिससे समाज का निचला वर्ग भी उन्नति करे। उसी परिस्थिति में शनि को उच्च कहा जायगा। कर्मचारियों या श्रमिक (शनि) का धर्म (गुरु) हैं की वह समाज को सुख सुविधाएं जुटाने में सहायता करे। 

 ग्रह                              उच्च(राशि)                                नीच(राशि)              अंश 

सूर्य                                  मेष                                          तुला                  10

चंद्रमा                              वृषभ                                        वृश्चिक                3

मंगल                              मकर                                         कर्क                    27

बुध                                कन्या                                        मीन                    15 

गुरु                                 कर्क                                         मकर                    5

शुक्र                               मीन                                        कन्या                    28      

शनि                              तुला                                       मेष                        20

 

 


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