Mind Line_ Hand and Mind Line_ Line of Mind_ Head Line_ Palmistry
हाथ में सात प्रधान रेखाये होती हैं जिससे हम अपने जीवन के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं को समझ सकते हैं और समझ सकते हैं कि ये रेखाये कितनी शुभ या अशुभ हैं।
मस्तिष्क रेखा- Mind Line Line of Head यह रेखा जो हाथ के मध्य से जीवन रेखा के साथ निकलती दिखाई देती हैं जो एक सिरे से दूसरे सिरे की ओर जाती हैं। इसे शीर्ष रेखा भी कहते हैं।
मस्तिष्क रेखा/शीर्ष रेखा- इस रेखा एक विविधता हैं यह हर रूप में भी सबल होती हैं। यह रेखा गुरु क्षेत्र से ही निकलती हैं, परन्तु जीवन रेखा से कुछ अलग रहती हैं। ऐसी मज़बूत रेखा वाले व्यक्तियों में प्रशासन की योग्यता और कूटनीति का गुण कम होता हैं। ऐसे व्यक्ति में उतावलापन होगा और वह निर्णय लेने में जल्दबाजी करेगा और इनमें धैर्य की भावना कम होती हैं। संकतकाल में ऐसे व्यक्ति को अपने नेतृत्व की क्षमता दिखाने का पूर्ण अवसर मिलता हैं। यह अपने शीघ्र निर्णय लेने की प्रकृति के कारण बिगड़ती हुई स्थिति को अविलम्ब नियंत्रण में लाने में संघर्ष और सफल होता हैं। परंतु मस्तिष्क रेखा और जीवन रेखा में फासला अधिक हो तो जातक दु:साहसी और अहमवादी होता हैं और बिना सोचे-समझे संकट में कूद पड़ता हैं। यदि जीवन रेखा के आरम्भ में मस्तिष्क रेखा उसमें जुड़ी हो तो जातक संवेदनशील और नर्वस मिज़ाज का होता हैं। वह हर वाले में सावधानी बरतता हैं और बहुत अधिक सोचविचारकर किसी काम में हाथ ड़ालता हैं। यदि मस्तिष्क रेखा उच्च मंगल क्षेत्र अर्थात जीवन रेखा के अन्दर से आरम्भ हो तो विशेष शुभ मानी जाती हैं ऐसी रेखा वाला जातक चिड़चिड़े मिजाज का चिंता करने वाला अस्थिर स्वभाव का और अस्थिरता से ही काम करने वाला होता हैं। समुंद्रतल की बालू भी ऐसे व्यक्ति के अस्थिर स्वभाव और विचारो से अधिक स्थिर होती हैं। ऐसा व्यक्ति अपने पड़ोसियों से लड़ना-झगड़ता रहता हैं और उसे दूसरो की हर बात में कोई न कोई दोष दिखाई देता हैं। अपने जन्म दिन पर अपने आने वाले समय के बारे में जानने के लिए क्लिक करें।
जब शीर्ष रेखा पहले सीधी चले और फिर हल्का सा दबाव लेले तो व्यवहारिकता और कल्पना में संतुलन स्थापित हो जाता हैं। ऐसा व्यक्ति न तो कल्पना की धारा में बह जाएगा और न ही व्यवहारिकता पर अड़ा रहेगा।
जब सम्पूर्ण मास्तिष्क रेखा ढलान लिए हो तो जातक झुकाव उन्ही कार्य के प्रति होगा जिनमें कल्पना शक्ति की आवश्कता होती हैं। वह किस में रूचि लेगा अर्थात साहित्य चित्रकारी कलपुर्जो का अविष्कार-यह उसके हाथ की बनावट पर निर्भर होगा। जब मस्तिष्क रेखा में ढलान बहुत अधिक होता जातक रोमांटिक तबियत का और अरूढिवादी हो जाता हैं। जब मस्तिष्क रेखा ढलान के साथ चंद्र क्षेत्र पर अपने अंत में दोमुखी होकर हो कर समाप्त हो जाये तो जातक अपनी कल्पना शक्ति की सहायता से साहित्य के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता हैं। Take Appointment
यदि मस्तिष्क रेखा अत्यंत सीधी और लम्बी होकर हथेली के एक सिरे से दूसरे सिरे तक पहुंच जाए तो यह समझना चाहिए की जातक में सामान्य से अधिक बौद्धिक क्षमता होगी, परन्तु उस क्षमता को केवल अपने स्वार्थ के लिये ही उपयोग में लायेगा। यदि यह रेखा हाथ में सीधी जाकर निम्न मंगल के क्षेत्र पर कुछ ऊपर की ओर मुड़ जाती हैं तो जातक को व्यापार के क्षेत्र में आशातीत सफलता प्राप्त होती हैं। ऐसा व्यक्ति पैसे की कद्र को जानने वाला होता हैं और शीघ्रता से धन-संचय करता हैं, परन्तु वह अपने नीचे काम करने वालो से कठिन परिश्रम करवाता हैं। जब मस्तिष्क रेखा असाधारण रूप से छोटी हो तो जातक अल्पजीवी होता हैं और उसकी मृत्यु किसी मानसिक रोग से होती हैं। जब मस्तिष्क रेखा छोटी हो, कठिनता से हथेली के मध्य में पहुंचे तो जातक में सांसारिकता ही दिखती हैं। ऐसे व्यक्ति में कल्पना-शक्ति की कमी होगी, परन्तु वह पूर्ण रुप से व्यावहारिक होगा। Vedic astrology course
यदि मस्तिष्क रेखा शनि क्षेत्र से छोटी हो तो जातक की मृत्यु युवाअवस्था में ही हो जाती हैं। यदि मस्तिष्क रेखा श्रृंखलाकर हो या छोटे छोटे टुकडो से जंजीर के समान बनी हो तो जातक का मन स्थिर नहीं होता और उसमें निर्णय लेने की क्षमता नहीं होती। यदि मस्तिष्क रेखा में छोटे-छोटे द्वीप और सूक्ष्म रेखाये हो तो सिर में तीव्र पीड़ा एक स्थाई रोग का का रुप धारण कर लेती हैं और किसी प्रकार के मस्तिष्क रोग से पीडित होने की आशंका होती हैं। यदि मस्तिष्क रेखा अपने सामान्य स्थान से ऊंची स्थित हो और ह्रदय रेखा में दुरी बहुत कम हो तो मन का ह्रदय पर पुरा आधिपत्य होगा। यदि मस्तिष्क रेखा अपने अंत पर मुड़ जाए या नीचे की ओर जाते समय उसमें से कोई शाखा किसी ग्रह क्षेत्र में भी चली जाए तो जिस क्षेत्र की ओर वह जायेगी तो उसके गुण मस्तिष्क रेखा में समाविष्ट हो जाएंगे। यदि वह चंद्र क्षेत्र में जाये तो जातक की कल्पनाशक्ति, रहस्यवादिता और निगुढ ज्ञान के प्रति झुकाव होगा। यदि बुध क्षेत्र को ओर जायगी तो कुख्यात यानि दुष्कर्म की ओर ध्यान होगा। यदि शनि क्षेत्र की ओर जायगी तो संगीत, धर्म और विचारो में गंभीरता के प्रति झुकाव होगा। बृहस्पति क्षेत्र की ओर जाने से आत्माभिमान और अधिकार प्राप्त करने की आकांशा उत्पन्न होगी। अपने करीयर के बारे में जानने के लिए यहां क्लिक करें।
यदि मस्तिष्क रेखा से कोई रेखा निकलकर ह्रदय रेखा से मिल जाए तो जातक के मन में किसी के प्रति इतना अधिक आकृषण या प्रेम उत्पन्न होगा की जातक उस समय बुद्धिमान या युक्तिसंगतता का परित्याग कर देगा और संकट की भी परवाह नहीं करेगा। दोहरी मस्तिष्क रेखा बहुत कम देखने में आती हैं, परन्तु यदि किसी के हाथ में दो मस्तिष्क रेखाएं हो तो मस्तिष्क और मानसिक शक्ति द्विगुणित हो जाती हैं। ऐसा व्यक्ति दो स्वभाव के हो जाते हैं। एक स्वभाव नम्र और संवेदनशील और दूसरा आत्मविश्वासपूर्ण बन जाता हैं।
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