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Grah Aur Swasthya

ग्रहोंं, भावों और राशियों का शरीर के अंगो पर प्रभाव 

चिकित्सा ज्योतिष में हमारे शरीर पर भी ग्रहों का प्रभाव हैं, जिसे राशियों, ग्रहों और भावों के माध्यम से समझा जा सकता हैं। सिर से मुख तक सूर्य, गले से हृदय तक चंद्र, पेट से पीठ तक मंगल, हाथ और पैर पर बुध, कमर से जांघ तक गुरु, गुप्तांग शुक्र, घुटनों से पिंडली तक शनि का प्रभाव होता हैं। ग्रहों की शुभाशुभ स्थिति अनुसार मनुष्य शरीर के अंग पुष्ट होते हैं। आईये जाने कि शरीर के किन अंगो पर कौनसे ग्रहों का प्रभाव होता हैं।  

सूर्य- ह्रदय, मष्तिक, सिर, नेत्र, पीठ, मेरुदंड, पुरुष की बाई आँख तथा स्त्री की दाई आँख, सामान्य नाड़ी तंत्र, फेफड़े, रक्त और हड्डियों आदि से सम्बन्ध रखता हैं।  Why Worried? Ask a question and get solutions! 

चंद्र- पेट, दाहिनी आँख {परुष}, बाई आँख {स्त्री}, रक्त प्रवाह, थूक, गले से हृदय तक छाती, ग्रंथि-प्रकिया, मन, बुद्धि आदि।

मंगल- माथा, बाहरी प्रजनन अंग, गुर्दे, मासपेशियां, नाक, कान, फेफड़े, शारीरिक बल एवं पेट से पीठ तक का भाग आदि।

बुध- आंतरिक नाड़ी तंत्र, दिमाग, फेफड़े, हाथ, बाजू, जिव्हा, मुख वाणी, बुद्धि शरीर की स्नायु प्रक्रिया।  Take Appointment 

गुरु- दायांकान, पेट, लीवर, पाचन प्रकिया, कमर से जंघा तक, चर्बी, ह्रदय-कोष आदि।

शुक्र- गला, ठोड़ी, गाल, रूप-सौंदर्य, कामेच्छा, वीर्य, कफ, अंडाशय, गुर्दा, आंतरिक काम-वासना सम्बन्धी।   हमसें सम्पर्क करने के लिए यहां देखें।

शनि- जिगर, बायां-कान, पिंडली, घुटने, हड्डियां एवं जोड़ तथा गुप्त-स्नायु प्रक्रिया, नसें तथा स्नायु प्रक्रिया से सम्बन्ध रखता हैं। 

चिकित्सा ज्योतिष में भाव व राशियां-    ज्योतिष सीखें!

प्रथम भाव और मेष राशि:- यह सिर, सिर में दर्द, चेहरा, मस्तिष्क, हड्डियां, बाल, दीमाग की कमज़ोरी, मानसिक रोग शारीरिक स्वास्थ्य का पता चलता हैं।   

द्वितीय भाव और वृष राशि:- यह मारक भाव के साथ चेहरा, जीभ, दांत, आवाज, गला, लार, दांत, स्वर/स्वास नलिका, गले की हड्डी, नेत्र, कान की बीमारी का विचार किया जाता हैं।  

तृतीय भाव और मिथुन राशि:- यह भाव कंधे, हाथ, फेफड़े, रक्त, सांस लेना, खांसी दमा, गला, कान और हाथ में होने वाले विकार जैसे लूलापन आदि का विचार किया जाता हैं।   

चतुर्थ भाव और कर्क राशि:- यह भाव स्तन, छाती, पेट, दिल, फेफड़े, पाचन अंग, पसलियां, मानसिक विचार और पागलपन के लिए देखा जाता हैं।   

पंचम भाव और सिंह राशि:- यह भाव अरुचि, पित्त रोग, जिगर, गुर्दे, ह्रदय, पेट, गर्भ, आंते, पीछे की हड्डी, स्पाईनल, नसे, फाईबर और नाभि के ऊपर का पेट रोग देखा जाता हैं।    

षष्टम भाव और कन्या राशि:- यह भाव नाभि के नीचे के क्षेत्र, कमर, किड़नी, अपेंड़िक्स, हर्निया, उदर, नाभि, आंते, लीवर, नर्वस सिस्टम के लिए देखा जाता हैं।  

सप्तम भाव और तुला राशि:- यह भाव मधुमेह, प्रदर, पथरी, किड़नी, स्त्री का गर्भाशय, त्वचा, ओवरी, यूरीन की परेशानी और बस्ति में होने वाले रोगोंं के लिए देखा जाता हैं।  

अष्टम भाव और वृश्चिक राशि:- यह भाव गुप्त स्थान हैं, जिससे गुप्त रोग, वीर्य विकार, भगंदर, वृषण रोग, मूत्राशय, गुदा, पाईल्स, हर्निया, स्त्री की महावारी के लिए देखा जाता हैं।   

नवम भाव और धनु राशि:- यह भाव यकृत रोग, कुल्हे, जांघे, नसे, हीप्स, रक्त विकार, वायु विकार, मज्जा के रोगोंं के लिए देखा जाता हैं।   

दशम भाव और मकर राशि:- यह भाव गठिया, कम्पवात, चर्म रोग, घुटने, हाथ, जोड़ के लिए देखा जाता हैं।  

एकादश भाव और कुम्भ राशि:- यह भाव पैर, शीत विकार, रक्त विकार, अंकल, टखने, बायां कान के लिए देखा जाता हैं।  

द्वादश भाव और मीन राशि:- यह भाव पैर, एलर्जी, कमज़ोरी, पोलियो, रोग प्रतिरोध क्षमता, बाई आंखे के लिए देखा जाता हैं।        


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