Mandir Vaastu #Temple Vaastu
मंदिर के लिए वास्तु देखना भी बहुत ही आवशयक हैं। हमारे घर में सभी कमरों के साथ मंदिर का बहुत महत्व हैं, क्योंकि यहां आ कर हम कुछ देर राहत और सकारात्मकता पा सकते हैं। घर में मंदिर का क्षेत्र सबसे पवित्र होता हैं, जहां आध्यात्मिक व मानसिक शांति प्राप्त होती हैं। विश्वकर्मा प्रकाश के अनुसार देवी देवताओं का वास ईशान, उत्तर व पूर्व दिशा में हैं। यह क्षेत्र विज्ञानमय और मनोमय कोषों से ज़ुडाव व विचारों की स्पष्टता के साथ ज़ीवन में लाभ प्राप्त करने में मदद करता हैं।
वास्तु में हर दिशा के अलग-अलग देवी-देवता होते हैं, और किसकी आराधना करना चाहते हैं, उसी अनुसार आदर्श दिशा का चुनाव किया जाता हैं। जैसा कि नीचे बताया गया हैं, कि आपको जिस देवी देवता की पूज़ा करनी हैं, उसी अनुसार दिशा का भी चुनाव करें। हमसे बात करने या मिलने के लिए सम्पर्क करे!
• मंदिर की छत पिरामिड़ या गुंबद आकार की होनी चाहिए।
• मंदिर के सामने या ऊपर-नीचे शौचालय नहीं होना चाहिए।
• शयन कक्ष में मंदिर नहीं होना चाहिए, अगर घर में अलग से पूजा का स्थान नहीं हैं, तो रसोई घर के ईशान क्षेत्र में छोटा सा मंदिर रख सकते हैं।
• अलग से बने मंदिर का दरवाज़ा पूर्व या उत्तर में खुलना चाहिए और दरवाज़ा शुद्ध व उत्तम लकड़ी का और दो पाटों का बना होना चाहिए।
• मंदिर की ईशान दिशा में खिड़की होने से शुद्ध हवा का संचार बना रहता हैं।
• मंदिर में कोई भी खंड़ित मुर्ति या तस्वीर न रखें। कोई भी सवाल, अभी बात करे!
• घर के मंदिर में भारी सामान न रखें, धार्मिक पुस्तकों व ग्रंथों को दक्षिण, नैऋर्त्य या पश्चिम में रखे।
• मंदिर के लिए सफेद, हल्का पीला या हल्का नीला रंग शुभ रहता हैं।
• कोई भी प्रतिमा एकदम प्रवेश द्वार के सामने नहीं होनी चाहिए। वास्तु के अन्य आर्टिकल्स के लिए यहां देखे!
• अगर नियमित रुप से विधि-विधान से पूजा आराधना करते हैं, तभी घर में शालिग्राम, श्री चक्र व बाल गोपाल रखे, मुर्तियों का मुख एक-दुसरे की ओर न हों और न ही दीवार से सटा कर रखे।
• मुर्तियों का आकार एक हाथ से अधिक न हो और मुर्तियां शुभ धातु, शुभ पत्थर, शुद्ध चंदन की लकड़ी या अष्टधातु से बनी होनी चाहिए।
• मंदिर में सभी देवी-देवताओं की मुर्ति या चित्र न रखे, केवल अपने इष्ट व गुरु की ही पूजा आराधना करें।
• मंदिर में पितृ की तस्वीर न रखें, इन्हें नैऋत्य या दक्षिण की दीवार पर टांग़े।
• हवन के लिए आग्नेय दिशा उपयुक्त हैं व हवन करने वाले का मुख पूर्व दिशा में होना चाहिए।
• आसन के लिए कुशा व ऊन का आसन श्रेष्ठ रहता हैं।
• मंदिर के ब्रह्म स्थान को सदैव खाली रखे व उत्तर या पुर्व दिशा में औषधीय व सुगंधित छोटे-छोटे पौधे रखे।
• धार्मिक संगीत का म्युज़िक सिस्ट्म वायव्य दिशा में रखे।
• पूज़ा घर में प्राकृतिक रोशनी का साधन ज़रुर रखे।
• मंदिर के पर्दे- दिशा के रंग अनुरुप ही चुने क्योंकि हर दिशा के अनुसार अलग रंग होता हैं। रत्नों की जानकारी के लिए यहां देखे!
विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग देवी-देवताओं की आराधना करनी चाहिए।
उत्तर क्षेत्र धन की दिशा हैं यहां- मां लक्ष्मी व गणेश जी की आराधना के लिए मंदिर बनाना चाहिए।
उत्तर-उत्तर-पूर्व दिशा आरोग्य व स्वास्थ्य की दिशा हैं, यहां धनवंतरी व अशवनी कुमार के लिए मंदिर बनाना चाहिए।
उत्तर-पूर्व दिशा पूज़ा करने का सबसे उत्तम स्थान हैं, यहां मानसिक शांति और प्रज्ञा के साथ ईशवर का आशिर्वाद मिलता हैं, यहां शिव परिवार व पंचदेव के लिए मंदिर बनाना चाहिए।
पूर्व-उत्तर-पूर्व दिक्षा में राधा कृष्ण के लिए मंदिर बना कर पूज़ा करनी चाहिए।
पूर्व दिशा में राम परिवार व लक्ष्मी-विष्णु जी की आराधना करनी चाहिए।
दक्षिण-पूर्व दिशा में माँ द्रुर्गा की आराधना के मंदिर बनाना चाहिए।
दक्षिण-दक्षिण-पूर्व दिशा में पूज़ा करने से शक्ति और आत्मविशवास प्राप्त होता हैं, यहां हनुमानजी के लिए मंदिर बनाना चाहिए।
दक्षिण दिशा गहरे ध्यान की दिशा हैं, यहां तंत्र-मंत्र व काली माता की आराधना करनी चाहिए।
दक्षिण-पश्चिम दिशा सम्बंधों व पितृ की हैं, यहां पितृ या कामकाज़ी लोगो को अधिक कौशल प्राप्त करने के लिए विशवकर्मा की पूज़ा आराधना करनी चाहिए।
पश्चिम-दक्षिण-पश्चिम शिक्षा व ज्ञान की दिशा हैं, यहां माता सरस्वती की पूज़ा करनी चाहिए।
पश्चिम दिशा प्राप्ति व लाभ की दिशा हैं, यहां गुरुओं की पूज़ा करनी चाहिए। वास्तु की मुख्य दिशायें क्या कहती है!
उत्तर-उत्तर-पश्चिम दिशा धन व ज़ीवनशक्ति की दिशा हैं यहां सभी प्रकार के तांत्रिक-विधान की पूज़ा करनी चाहिए।
इन सब बातों के अलावा आपके घर का मंदिर अगर वास्तु अनुसार नहीं हैं, जिससे किसी भी प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ रहा हैं, और उसका निज़ात आपको नहीं मिल पा रहा या आप समझ नहीं पा रहे हैं, तो ज़रुर आपके घर में वास्तु दोष हैं। आप वास्तु से जुडी किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए हमसे सम्पर्क करे, हम बिना किसी तोड़-फोड़ के रंगो व आसान उपायों द्वारा आपके घर के वास्तु दोषों को कम करने की कोशिश करेंगे।
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