नीच भंग राजयोग: Neech Bhang Raj Yoga वैदिक कुंड़ली में कोई ग्रह नीच का हो जाये तो वह फल देने में सक्षम नहीं होता हैं जिससे उस ग्रह से जुड़े फलों में कमी आती हैं। लेकिन कोई ग्रह नीच का होजाये तो उसके साथ कुछ और भी नियम लग जाये तो वह नीच का होने पर भी अपने फलों में बदलाव ला सकता हैं। जिससे नीच ग्रह के दोष का फल भंग हो जाता है और वह एक तरह का राज़ योग बन जाता हैं। आईये जाने कैसे किसी ग्रह के नीच का प्रभाव भंग होता हैं।
इस योग के कारण जातक को प्रारम्भ में परेशानी या हानि होती हैं क्योंकि पहले ग्रह अपने नीच के होने का फल देता हैं फिर वही ग्रह नीच भंग होने से शुभ फलदायी भी हो जाता हैं, जिससे जातक उन्नति के पथ पर अग्रसर हो जाता हैं और वह सम्पत्ति व प्रतिष्ठा प्राप्त करता हैं।
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1. जो ग्रह जिस भाव में नीच का हैं और वह जिस राशि में नीच का हो कर बैठा हैं उसी राशि का स्वामी लग्न या चन्द्र लग्न से केंद्र में हो तो नीच भंग राज योग हो जाता हैं। यानि उस ग्रह के नीच होने का योग भंग हो जाता हैं। इस राजयोग में मनुष्य बहुत बड़ा धार्मिक राजा बन जाता हैं। यह नीचभंग राजयोग प्रधानमंत्री मोदी की कुंड़ली में हैं।
2. जन्म कुण्डली की जिस राशि में ग्रह नीच का होकर बैठा हो उसी राशि का स्वामी ग्रह नीच वाले ग्रह को देख रहा हो या फिर जिस राशि में ग्रह नीच का होकर बैठा हो उस राशि का स्वामी स्वगृही होकर उसी नीच ग्रह से युति संबंध बना रहा हो तो नीच भंग राजयोग होता हैं। कोई भी सवाल! जवाब के लिए अभी बात करे!
3. जिस राशि में ग्रह नीच का होकर बैठा हो उस राशि का स्वामी अपनी ही उच्च राशि में बैठा हो तो भी नीच भंग राजयोग का निर्माण होता हैं।
4 .अपनी नीच राशि में बैठा ग्रह अगर अपने से सातवें भाव में बैठे नीच ग्रह को देख रहा हो तो दोनों ग्रहों का नीच भंग हो जाता हैं। ये महान योगकारक स्थिति हैं।
5. जिस राशि में ग्रह नीच का होकर बैठा हो एवं जिस राशि में नीच ग्रह उच्च का होता हैं उस राशि का स्वामी भी केन्द्र में बैठा हो तो निश्चित ही नीच भंग राजयोग का सृजन होता हैं।
6. अगर कोई ग्रह नीच राशि में बैठा हैं और उसी राशि का स्वामी ग्रह किसी भी भाव में उच्च होकर बैठा हो तो नीच भंग राजयोग बन जाता हैं। जातक साम दाम दंड़ से बहुत उन्नति करता हैं । यह राज योग ज़्यादातर क्रिमनल की कुंड़लियों में होता हैं ।
7.अगर कोई ग्रह नीच राशि में बैठा हैं और उसी राशि का स्वामी ग्रह स्व राशि में ही नीच ग्रह के साथ बैठा हो तो नीच भंग राज बन जाता हैं। जातक बहुत संपत्ति का मालिक होता हैं ।
यहां एक बात अवश्य ध्यान में रखनी चाहिए कि नीच भंग राजयोगों का फल सामान्य राजयोगों से कहीं अधिक मिलता हैं किंतु ऐसे इंसान आमतौर पर मुंह में चांदी का चम्मच नहीं लेकर जन्म लेते वरन् उन्हें अपने कर्मों से ही शुभ परिणाम प्राप्त होता हैं। ऐसे जातक की किस्मत में संघर्ष अधिक होते हैं किंतु यदि कुण्डली में दो या दो से अधिक नीच भंग राजयोग निर्मित होते हों तो वह अवश्य ही बहुत ऊंचाई पर जाता हैं। अन्य योगों को जाननें के लिए यहां देखें।
अमिताभ बच्चन की कुंड़ली में अष्टम भाव में नीच शुक्र के साथ बुध,मंगल और सूर्य बैठे हैं। यहां पर शुक्र, बुध और मंगल का कलाकार योग हैं तथा शुक्र का ड़बल नीच भंग राजयोग हैं। जिसके कारण अमिताभ बच्चन बहुत बड़े कलाकार हैं। वाणी स्थान को उच्च का गुरु देखता हैं। इसलिए इनकी वाणी बहुत ओजस्वी हैं। Click here to know about houses in astrology
मांगलिक योग: Maanglik Yoga यह विवाह के सुख के लिए देखा जाता हैं। मंगल के अलग भाव में होने से अलग भाव का फल मिलता हैं। कुंड़ली में प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्ट्म व द्वाद्श भाव में मंगल की स्थिति हो तो मांगलिक दोष होता हैं। अगर कुंड़ली में यह दोष हो तो जातक को बिना कुण्डली मिलाए विवाह नहीं करना चाहिए। तभी विवाहित ज़ीवन का सुख मिल पाता हैं। परंतु सप्तम व अष्टम भाव के मंगल के लिए कोई समझौता न करें यहां मंगल का होना वैवाहिक जीवन के लिए शुभ नहीं माना जाता। यह योग चंद्र्मा व शुक्र से भी देख लेना चाहिए।
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