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Vaastu For Drawingroom
Vastu for Drawing Room- वास्तु अनुसार ड्राइंग रुम का चुनाव-
हमारे घर के सभी कमरों के साथ ड्राईंग रुम {बैठक} एक ऐसा कमरा हैं, जहां हम अपने अतिथियों का स्वागत करते हैं और उनके साथ आरामपुर्वक बात करते हैं। बैठक को हम अपने नित्य-प्रति प्रयोग में भी लाते हैं, जहां हम आरामदायक वातावरण के साथ अपने परिवार के साथ समय बिताते हैं।, फिर क्यों न इसका चुनाव वास्तु के अनुसार किया जाये।
- वास्तु अनुसार दिशा का चुनाव-
हमारे अपने कार्य के अनुसार बैठक की दिशा का चुनाव किया जाता हैं, जैसे उत्तर धनदायक व अवसरों की दिशा हैं, जिसमें बैठकर उत्तम स्वास्थ्य, धन कमाने के नए रास्ते, विचार व संभावनाएं प्राप्त होती हैं। यहां मेहमानों को अधिक सेवाभाव मिलता हैं, तभी उत्तर दिशा को हम बैठक के लिए उचित स्थान मानते हैं।
- उत्तर-उत्तर-पूर्व में बैठक होने से स्वास्थय उत्तम रहता हैं और बातचीत में अधिकतर अपने आरोग्य रहने के विचार आदान-प्रदान होते हैं।
- धार्मिक संस्थानों से जुड़े लोगो के लिए वार्तालाप करने के लिए उत्तर-पूर्व में बैठक का होना उत्तम रहता हैं। यहां बैठक होने से घर के लोग अतिथियों का सत्कार करना बहुत अपना कर्त्तव्य मानते हैं। मेहमान को यहां बैठकर राहत प्राप्त होगा। यहां बातचीत में स्पष्टता व प्रज्ञा बनी रहती हैं।
- पूर्व दिशा समाज से जुड़ने की, कार्य पूर्ति की व ज्ञान-बोध की दिशा हैं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, राज़नैतिक संबंध और बड़े व्यापारियों से संबंध मज़बूत करने के लिए यहां बैठक उत्तम रहती हैं। यहां बनने वाले सामाज़िक संबंध लम्बे समय तक बने रहते हैं।
- पूर्व-उत्तर-पूर्व में बैठक होने से मेहमानों का मनोरंज़न होता रहता हैं, वे यहां खुद को प्रसन्न महसूस करेंगे और पारिवारिक लोग यहां बैठ कर आपस में खुशनुमा मौहाल का आनंद लेते हैं। इन दिशाओं की बैठक भी उचित रहती हैं।
- पूर्व-द्क्षिण-पूर्व व दक्षिण-पूर्व दिशा व दक्षिण-दक्षिण-पूर्व व दक्षिण-दक्षिण-पश्चिम व पश्चिम-उत्तर-पश्चिम में बैठक अधिक उत्तम नहीं होती हैं, कोशिश करे की इन दिशाओं में बैठक न बनाए। यहां वाद-विवाद व अवसाद अधिक होगा।
- दक्षिण-पश्चिम में बैठक होने से परिवार, पूर्वज़ो व रिश्तेदारों की पारिवारिक बाते होती रहती हैं। पश्चिम-दक्षिण-पश्चिम में बनी बैठक में लोग अपने बच्चों की शिक्षा व सरकारी तौर-तरिकों की ही अधिकतर बाते करते हैं। यहां भी बैठक होना सामान्य ही रहता हैं।
- दक्षिण दिशा में बनी बैठक बहुत आरामदायक होती हैं, यहां बातचीत बहुत ही आराम से चलती रहती हैं। यहां बैठने वाले का मन शांत रहता हैं।
- पश्चिम दिशा का वातावरण बहुत शांत होता हैं, जो सर्दियों के लिए बहुत उत्तम रहती हैं। यहां होने वाली बाते व फैसले बहुत उत्पादक व लाभदायक होते हैं।
- उत्तर-पश्चिम में बना हुई बैठक भी लाभदायक व फायदेमंद रहती हैं। अगर आपके परिवार व मेहमानों के मध्य बातचीत व पार्टियां बहुत देर तक चलती हैं तो यह दिशा शुभ हैं, क्योंकि यहां बैठक होने से मेंहमान अधिक देर तक नहीं टिकते। सहयोग की दिशा भी होने से, अगर कोई सहायता के लिए आपके पास आता हैं तो वह कभी खाली नहीं जाता हैं।
- उत्तर-उत्तर-पश्चिम दिशा में बैठक होने से लोगो का आपस में खुशनुमा माहौल बना रहता हैं, जो बैठक के लिए उचित स्थान भी कहा गया हैं।
- वास्तु अनुसार बैठक का मुख्य दरवाज़ा उत्तर या पूर्व दिशा की ओर खुले अधिक शुभ रहता हैं।
- पश्चिम मुखी दरवाज़ा खोज़ करने वालो के लिए शुभ रहता हैं।
- बैठक में एक से अधिक दरवाज़े होने शुभ होते हैं, परंतु दरवाज़े आमने-सामने न हो।
- बैठक मुख्य द्वार के समीप होनी चाहिए और बैठक का तल बाहरी मार्ग से ऊँचा होना चाहिए।
- फर्श की ढ़लान पूर्व या उत्तर की तरफ होनी चाहिए।
- बैठक का फर्नीचर गोल, आयताकार या वर्गाकार होना चाहिए।
- भारी फर्नीचर को दक्षिण, पश्चिम या नैत्रृत्य की दिशा में रखे।
- केंद्र स्थान सर्वदा खाली रखे।
- बैठते हुए घर के मुखिया का मुख सदैव ईशान, उत्तर या पूर्व दिशा की ओर बैठक के मुख्य दरवाज़े की ओर होना चाहिए।
- सोफे या कुर्सियों के पीछे कोई खिड़की या दरवाज़ा नहीं होना चाहिए।
- कोई अलमारी रखनी हो तो वह भी दक्षिण या पश्चिम की दिशा कि ओर ही रखे।
- वैसे तो रंगो का चुनाव दिशा अनुसार किया जाता हैं, फिर भी सामान्य रुप से बैठक में क्रीम रंग, हल्का पीला, हरा या हल्का नीला रंग करवा सकते हैं। गहरे व तीखे रंग से बचे।
- पर्दों का रंग भी दिशा अनुसार ही करें क्योंकि हर दिशा के पंचतत्वों के अनुसार अलग-अलग रंग होते हैं। हल्के पर्दे ईशान व उत्तर की दीवार पर और भारी पर्दे नैऋत्य व दक्षिण की दीवार पर हो टांगे।
- कालीन के रंगो का चुनाव भी दिशा अनुसार ही करे।
- बैठक के बिल्कुल मध्य कोई पिलर नहीं होना चाहिए या छत में कोई बीम नहीं होना चाहिए।
- ईशान की तरफ हल्के पौधे रखे व यह दिशा साफ व खुली रखे।
- एक प्राकृतिक दृश्य की तस्वीर भी बैठक के उत्तर दिशा में लगानी चाहिए।
- प्लास्टिक के व कांटेदार फूल बैठक में न रखे। वास्तु के अन्य आर्टिकल्स के बारे में पढ़े!
- टेलीविज़न को उत्तर दिशा में रखने से व्यक्ति अपने व्यवसाय से जुड़े कार्यक्रम देखना पसंद करता हैं। पूर्व-उत्तर-पूर्व दिशा मनोरंज़न की दिशा हैं, यह टेलीविज़न के लिए आदर्श दिशा हैं।
- आग्नेय दिशा में टी.वी हो तो व्यक्ति धन आगमन व एकशन फिल्में देखना पसंद करता हैं। आराम व यश की दिशा में टी.वी. होने से व्यक्ति राहत महसूस करता हैं।
- दक्षिण-पश्चिम में रखा हुआ टी.वी. जातक की दक्षता को बढाता हैं और व्यापारियों के लिए टी.वी. की उचित दिशा पश्चिम दिशा होती हैं।
- अगर कमरे में कम्पयुटर रखना हो तो दक्षिण-दक्षिण-पूर्व, दक्षिण व उत्तर-पक्षिम दिशा में रख सकते हैं। करियर की तरफ जागरुक रहने वालो के लिए उत्तर दिशा में रखना चाहिए।
- समाज़ से जुड़े रहने के लिए पूर्व दिशा बेहतर रहती हैं। धन का सही प्रवाह चले उसके लिए लिए आग्नेय दिशा उपयुक्त रहती हैं। दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखने से दक्षता व मिलने वाले परिणामों में बढौतरी होती हैं।
- हीटर को पूर्व, दक्षिण, दक्षिण-पूर्व व दक्षिण-दक्षिण-पूर्व दिशा में रख सकते हैं। एक बात ध्यान भी रखनी चाहिए कि अगर इन दिशाओं में रखा हीटर खराब होता हैं, तो उसे तुरंत ठीक करवाए।
- इंन्वर्टर को उत्तर-पश्चिम की दिशा में रख सकते हैं।
- ए. सी. को पश्चिम, वायव्य या पूर्व की दिशा में रखे।
- म्युज़िक सिस्टम को पूर्व-उत्तर-पूर्व या दक्षिण-पश्चिम में रखना चाहिए या उत्तर व पश्चिम दीवार के साथ भी रख सकते हैं।
- अगर आप कमरे में एक्वेरियम रखने कि शौकीन हैं तो पूर्व-दक्षिण-पूर्व, पश्चिम-उत्तर-पश्चिम या उत्तर-उत्तर-पश्चिम में रख सकते हैं।
- बैठक में आप उत्तर को तरफ अपनी व अपने परिवार की तस्वीर लगाए।
- बच्चों की तस्वीर पूर्व दिशा की दीवार पर लगाए।
- बैठक के दक्षिण-पश्चिम दिशा में कभी भी स्नान-घर या शौचालय नहीं होना चाहिए।
- इन सब बातों के अलावा आपके घर की बैठक अगर वास्तु अनुसार नहीं हैं, जिससे किसी भी प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ रहा हैं, और उसका निज़ात आपको नहीं मिल पा रहा या आप समझ नहीं पा रहे हैं, तो ज़रुर आपके घर में वास्तु दोष हैं। आप वास्तु से जुड़ी किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए हमसे सम्पर्क करे, हम बिना किसी तोड़-फोड़ के रंगो व आसान उपायों द्वारा आपके घर के वास्तु दोषों को कम करने की कोशिश करेंगे।
Directions:--
उत्तर= उ०= North
उत्तर-उत्तर-पूर्व= उ०-उ०-पू= North-North-East
उत्तर-पूर्व= उ०-पू०= North-East वास्तु के अन्य आर्टिकल्स पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
पूर्व-उत्तर-पूर्व= उ०-पू०-उ०= East-North-East
पूर्व=पू०= East
पूर्व-दक्षिण-पूर्व= पू०-द्०-पू= East-South-East
दक्षिण-पूर्व= द्०-पू= South-East
दक्षिण-दक्षिण-पूर्व= द्०-द्०-पू= South-South-East
दक्षिण= द्०= South
दक्षिण-दक्षिण-पश्चिम= द्०-द्०-प्०= South-South-West
दक्षिण-पश्चिम= द्०-प्०= South-West
पश्चिम-दक्षिण-पश्चिम= प्०-द्०-प्०= West-South-West
पश्चिम= प्०= West
पश्चिम-उत्तर-पश्चिम= प्०-उ०-प्०= West-North-West
उत्तर-पश्चिम= उ०-प्०= North-West
उत्तर-उत्तर-पश्चिम= उ०-उ०-प्०= North-North-West