प्रतीकों की सही दिशा
हम सब के मन में विचार आता हैं, कि घर की किस दिशा में क्या प्रतीक रखने से समृद्धि आती हैं और इन प्रतीकों की सही दिशा क्या हैं। आईये जाने कि हमारे घर में इस प्रतीकों से हमारे बहुत से कार्यों सफलता की प्राप्ति होती हैं।
अपने विचारों को बढ़ाने के लिए और दूर की सोच रखने के लिए गणेश जी की बैठी हुई प्रतिमा को उत्तर/पूर्व दिशा में रखना चाहिए, जिसमें मूषक साथ हो और उनके कान, पेट, सिर, सूंड़ सब बड़ी होनी चाहिए। लेकिन इतना ध्यान रखे कि उनकी सूंड़ लड्डु की तरफ न हो। हमें घर में दूर अंदेशी गणेशजी की एक ही प्रतिमा रखनी चाहिए।
पालन कर्त्ता विष्णुजी लक्ष्मी जी की शेषनाग सहित प्रतिमा पश्चिम में लगा सकते हैं, जिससें पूरे परिवार का पालन होता हैं और सभी की ईच्छायें पूरी होती हैं।
जिनके ऊपर इंवेस्टिंग सिक्योरिटी, सी. बी. आई. या बड़े बड़े केस चल रहे हो तो शेषनाग की प्रतिमा पश्चिम या उत्तर पश्चिम में लगानी चाहिए जिससे ऐसे केस में राहत मिलती हैं।
अगर घर में शिव कृपा बनी रहे तो शिव परिवार की प्रतिमा ईशान दिशा में लगाए।
कोई नया काम शुरु करने जा रहे हो तो शंख को उत्तर दिशा में रखना चाहिए।
शंक्ति और आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए और विदेश जाने के लिए हनुमानजी की प्रतिमा दक्षिण दक्षिण पूर्व या दक्षिण में लगाए। इसी दिशा में हाथी की प्रतिमा भी लगा सकते हैं।
मर्यादापुरुष राम परिवार की प्रतिमा पूर्व दिशा में लगाए। जो समाज़ और राज़नीत्ति से जुड़े हैं उनके लिए बहुत सहायक और फायदेमंद रहेगी।
उत्तर पूर्व में राधाकृष्ण की प्रतिमा रखनी चाहिए। दक्षिण/पश्चिम में राधा कृष्ण की प्रतिमा नहीं रखनी चाहिए इससे बाहरी सम्बंध बनते हैं।
जीवन में खुशियां और उत्साह लाने के लिए नाचता हुआ मोर पूर्व उत्तर पूर्व लगाना चाहिए।
कोई काम शुरु किया हो, तो चल नहीं पा रहा हो तो एक रथ जिसके घोड़े के आगे के दोनों पैर ऊपर को उठे हो वह उत्तर या पूर्व में लगाए।
कृष्ण बलराम की प्रतिमा उत्तर/पश्चिम में लगानी चाहिए जिससे बाहरी लोगों या बैंक से सहायता मिलती हैं। यहां सफेद कमल का फूल जिसके ऊपर से पानी गिर रहा हो वह भी लगाने से मदद की प्राप्ति होती हैं।
उत्तर/पूर्व दिशा में ऊँ लगाने से मन शांत होता हैं और ध्यान लगाने में सहायता मिलती हैं।
उत्तर/पश्चिम दिशा में ऊँ लगाने से अध्यात्मिक की तरफ मन लगता हैं और जीवन में बाधाये खत्म होती हैं।
पश्चिम दिशा में ऊँ लगाने से धार्मिकता और दैवीक शक्तियां प्राप्त होती हैं।
दक्षिण-पश्चिम दिशा में एक तिजोरी में सिक्के रखने से धन आगमन का साधन बना रहता हैं।
पूर्व दिशा में ऊँ लगाने से सरकार से मदद, सामाजिक सेवाये और कांटेक्टस बनते हैं।
पीतल के सूर्य पूर्व दिशा में लगाने से लोगो से सम्बंध बनते हैं, सरकारी मदद मिलती हैं और राजनीति सहयोग मिलता हैं।
व्यापार में लाभ पाने के लिए गुरुओं का खण्डा पश्चिम दिशा में लगाए और ब्राण्ड को बाज़ार में मशहुर करने के लिए यही खण्डा दक्षिण दिशा में लगाए।
व्यापार स्थल में पश्चिम-दक्षिण-पश्चिम दिशा में एक चांदी का तराजु या तराजु चित्र लगाये, जिससे कार्य व व्यापार में तरक्की मिलती हैं।
अष्टदल कमल जिनको आठ दिशाओं से लक्ष्मी के आगमन का कारक माना जाता हैं। उत्तर पूर्व में लगाने से या रखने से सम्पन्नता, धन का आगमन, भविष्य में विकास और आगे बढ़ने का रास्ता मिलता हैं।
कूबेर को उत्तर-पूर्व में रखने से धन का आगमन होता हैं और रुका हुआ धन भी प्राप्त होता हैं।
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