हाथ में सात प्रधान रेखायें होती हैं, जिससे हम अपने जीवन के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं को समझ सकते हैं और समझ सकते हैं कि ये रेखायें कितनी शुभ या अशुभ हैं।
अन्य रेखाये-
मंगल रेखा- Line of Mars यह रेखा उच्च मंगल क्षेत्र से आरंभ होकर जीवन रेखा के भीतरी भाग तक जाती हैं।
वासना रेखा- Via Lasciva यह रेखा स्वास्थ्य रेखा के समानान्तर चलती होती हैं।
अतिन्द्रिय ज्ञान रेखा- Life of Intuition यह एक अर्धवृत रूप में बुध क्षेत्र से चंद्र क्षेत्र को जाती हैं।
विवाह रेखा- Life of Marriage जो बुध क्षेत्र पर एक छोटी सी सीधी रेखा के रूप में होती हैं।
तीन मणिबंध रेखाये- The Three Bracelets ये रेखायें हाथ की हथेली के अंत में होती हैं जिसे मणिबंध कहते हैं।
रेखाओ के संबंध में यह नियम हैं की ये स्पष्ट होनी चाहिए। ये न तो छोटी होना चाहिए न रंग में गहरी, न उनमें टूट-फूट, द्वीप, चिन्ह और अन्य किसी प्रकार की अनियमिताएं होना चाहिए।
हाथ में सात प्रधान रेखाये होती हैं जिससे हम अपने जीवन के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं को समझ सकते हैं और समझ सकते हैं कि ये रेखाये कितनी शुभ या अशुभ हैं।
स्वास्थ्य रेखा- यह रेखा बुध पर्वत की ओर से आरम्भ हो कर नीचे की ओर जाती हैं। यदि स्वास्थ्य रेखा पर छोटे छोटे द्वीप हो और नाख़ून बादाम की तरह उठे हुए हो तो वह छाती और फेफड़ो की कमजोरी की सूचना देती हैं। यदि स्वास्थ्य रेखा आड़ी न जाकर सीधी नीचे उतर जाए तो अशुभ नहीं होती। ऐसी स्वास्थ्य रेखा अत्यंत सबल शारीरिक गठन नहीं देती, परन्तु स्वास्थ्य को सामान्य रुप से ठीक रखती हैं। यधपि स्वास्थ्य रेखा से स्वास्थ्य के संबंध में सूचना मिलती हैं, परन्तु जीवन रेखा मस्तिष्क रेखा और ह्रदय रेखा से अधिक स्वास्थ्य संबंधी ज्ञान प्राप्त होता हैं। इन रेखाओं पर रोग के चिन्ह दिखाई दे तो स्वास्थ्य रेखा पर भी दृष्टि ड़ाल लेनी चाहिए।
स्वास्थ्य रेखा मणिबंध से आरम्भ होती हैं और वह यदि पूर्ण हो तो बुध क्षेत्र तक पहुँचती हैं क्योंकि रेखा यदि मणिबंध से आरम्भ हो और उसका मुख बुध क्षेत्र की ओर तो उसका जीवन रेखा से संगम नहीं हो सकता। यदि स्वास्थ्य रेखा जीवन रेखा से जुड़ी न हो और मणिबन्ध की रेखाएं स्पष्ट रूप से अंकित हो तो जातक दीर्घायु होता हैं और उसकी शारीरिक गठन में रोगों को दबाने की संचित क्षमता होती हैं। यदि चंद्र क्षेत्र उन्नत हो और स्वास्थ्य रेखा स्पष्ट रुप से अंकित हो तो जातक को समुद्री यात्राओं के अवसर मिलते हैं। यदि स्वास्थ्य रेखा लाल रंग की हो और शीर्ष रेखा पर काला बिंदु या धब्बे हो तो जातक प्राय: ज्वर से पीड़ित होती हैं यदि यह रेखा मोटी और भारी हो तो जातक अनेक रोगो का शिकार बनता हैं- विशेषकर जब जीवन रेखा श्रृंखलाकार हो।
जब गहरी स्वास्थ्य रेखा मस्तिष्क रेखा से नीचे की ओर जीवन रेखा की ओर जाती हैं तो यह समझना चाहिए की स्नायुमंडल पर बहुत दवाव पड़ा हैं। ऐसी परिस्थिति में जातक को अपने स्वास्थ्य पर ध्यान रखना आवश्यक होता हैं। यदि स्वास्थ्य रेखा या उसकी कोई शाखा जीवन रेखा की स्पर्श करती ही तो उसको गंभीर बीमारी का और यदि दोनों रेखाएं मिल जाती जो तो मृत्यु का पूर्वाभास समझना चाहिए। यदि स्वास्थ्य रेखा में कोई द्वीप हो जो की शीर्ष रेखा के ऊपर और नीचे दोनों ओर हो तो फेफड़ो और छाती के रोगो की संभावना होती हैं- विशेषकर जब नाख़ून लम्बे, संकीर्ण और बादाम के आकर के हो और उन पर धारियां हो। ऐसी स्थिति में न्यूराइटिस नाम की स्नायुओ की बीमारी की आंशका होती हैं। जब स्वास्थ्य रेखा अनियमित रूप से बनी हो या लहरदार हो और उस और पर लाल या नीचे रंग के धब्बे हो तो वह ह्रदय रोग की सूचक होती हैं।
यदि दोनों हाथो में स्वास्थ्य और मस्तिष्क रेखा एक-दूसरे को काटकर क्रास का रूप धारण करे तो जातक को निगूढ़ विधाओं में योग्यता प्राप्त होती हैं। यदि मस्तिष्क रेखा, स्वास्थ्य रेखा और भाग्य रेखा द्वारा त्रिकोण बन जाए तो जातक को अतींन्द्रिय और दिव्य दृष्टि प्राप्त होती हैं और निगूढ़ विधाओ के प्रति उसे रूचि होती हैं। यदि स्वास्थ्य से कोई शाखा सूर्य क्षेत्र को जाये तो जातक को व्यापार में लाभ देने वाला परिवर्तन होता हैं। यहां पर स्वास्थ्य रेखा बुध रेखा का कार्य करती हैं। यदि स्वास्थ्य रेखा पर नक्षत्र चिन्ह हो तो जातक में सन्तानोत्पादन की शक्ति नहीं होती। यदि हाथ में सूर्य रेखा न हो, भाग्य रेखा कटी-फ़टी हो और स्वास्थ्य रेखा द्वीप युक्त हो तो जातक दिवालिया होता हैं।
सूर्य रेखा- सूर्य रेखा को प्रतिभा रेखा और सफलता रेखा भी कहते हैं इसके प्रभाव और गुणों में भी हाथ की बनावट के अनुसार भिन्नता होती हैं। ऐसा देखा गया हैं की दार्शनिक, कोनिक और अत्यंत नोकीले हाथ में भारी रूप से अंकित होती हैं, परन्तु उतनी प्रभावशाली नहीं होती जितनी वह वर्गाकार और चमचाकार हाथों में होती हैं। इसलिए जो नियम इस संबंध में भाग्य रेखा के विषय में दिये जा चुके हैं, वे सूर्य रेखा पर भी लागू होते हैं। सूर्य रेखा एक अच्छी भाग्य रेखा से व्यक्त सफलता में वृद्धि करती हैं और जातक को प्रसिद्धि और विशिष्टता दिलवाली हैं। परंतु यह तभी होता हैं जबकि वह हाथ की अन्य रेखाओ से इंगित व्यवसाय और कार्यक्षेत्र के अनुसार हो यदि ऐसा न हो तो वह जातक की उस मनोवृति से संबंध रखती हैं जो कला की ओर झुकी होती हैं।
सूर्यरेखा के आरम्भ होने का मुख्य स्थान हैं- जीवन रेखा, भाग्य रेखा, चंद्र क्षेत्र, मंगल क्षेत्र, मस्तिष्क रेखा और ह्रदय रेखा ये सभी स्थान से सूर्य रेखा प्रारम्भ होती हैं। यदि हाथ में कलाप्रियता के लक्षण हो, तो सूर्य रेखा के जीवन से आरम्भ से यह ज्ञान होता हैं की जातक पूर्णरूप से सौन्दर्योपासक होगा। यदि अन्य रेखाएं शुभ हो तो ऐसे जातक को कला क्षेत्र में काफी सफलता प्राप्त होती हैं। यदि सूर्यरेखा, भाग्य रेखा से आरम्भ हो तो सफलता में वृद्धि करती हैं। आयु के उस वर्ष से जब यह रेखा भाग्य रेखा से उठे तभी से जातक को व्यवसाय में उन्नति प्राप्त होती हैं। किसी भी व्यक्ति के लिए यह एक विशिष्ट राजयोग के समान गुणकारी हैं। इस रेखा को प्रतिभा रेखा या सफलता रेखा कहना बहुत उपयुक्त होगा। हाथ में मस्तिष्क रेखा द्वारा प्रदर्शित योग्यता और मनोवृत्ति तथा हाथ की श्रेणी को ध्यान में रखकर यह निश्चय किया जा सकता हैं की यह रेखा कला के क्षेत्र में सफलता देगी या जातक को धनवान और समृद्ध बनाने में सहायता देगी
यदि यह रेखा चंद्र क्षेत्र से आरम्भ हो तो विशिष्ट और सफलता दूसरों की सहायता के ऊपर निर्भर होती हैं। ऐसी रेखा से सफलता सदा निश्चित नहीं होती, क्योंकि जातक उन लोगो के सहयोग पर निर्भर होता हैं जिनके सम्पर्क में वह आता हैं। यदि यह रेखा चंद्र क्षेत्र पर झुकी हो तो प्राय: सफलता काव्य, साहित्य उपन्यास लिखने जैसे विषयो में होती हैं, जिनमें प्रेरणा कल्पनाशीलता से मिलती हैं। यदि सूर्य रेखा हथेली के मध्य से आरम्भ हो तो कठिनाईयों और संघर्ष के पश्चात सफलता प्राप्त होती हैं। यदि सूर्य रेखा मस्तिष्क रेखा से आरम्भ हो तो जातक को केवल अपनी बैद्धिक योग्यता के आधार पर सफलता प्राप्त होती हैं, परन्तु यह सफलता के दूसरे भाग में लगभग 35 वर्ष के बाद प्राप्त होती हैं। यदि सूर्य रेखा, ह्रदय रेखा से आरम्भ हो तो जातक को विशिष्टता और प्रतिभा जीवन के अंतिम भाग में लगभग 50 वर्ष के बाद प्राप्त होती हैं। यदि अनामिका की लम्बाई में मघ्यमा के बराबर हो और सूर्य रेखा भी लम्बी हो तो जातक हर काम में रिस्क लेगा। सूर्य रेखा की मुख्य विशेषता यह होती हैं की यदि यह स्पष्ट रूप से अंकित हो तो जातक में संवेदनशीलता की प्रवृति होती हैं, परन्तु यदि हाथ में मस्तिष्क रेखा बिलकुल सीधी हो तो इन लोगो में धनवान तथा सामाजिक क्षेत्र में मान-सम्मान और अधिकार प्राप्त करने के प्रति बहुत झुकाव बढ़ जाता हैं। यदि सूर्य क्षेत्र पर अनेको रेखाएं हो तो जातक अत्यंत कला-प्रिय तो होता हैं परन्तु उसके मस्तिष्क में इतनी कल्पनाओं और योजनाओ की भरमार होती हैं की वह किसी को भी कार्यंविंत नहीं कर पाता हैं। इस रेखा पर नक्षत्र का होना एक अत्यंत शुभ लक्षण माना जाता हैं। इसके होने से जातक को चिरकालीन प्रतिभा, सुख, सौभग्य और सफलता निश्चित रूप से प्राप्त होती हैं।
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