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Vaastu For Bathroom
Vaastu for Bathroom and Toilet:-- स्नान-घर और शौचालय के लिए वास्तु:
घर में सभी कमरों के लिए वास्तु का विचार करते हुए हम अपने स्नान-घर व शौचालय को कैसे भूल सकते हैं। इन सब के लिए भी बास्तु के दिशा-निर्देशों का पालन अवश्य करना चाहिए। स्नान-घर व शौचालय नकारात्मक ऊर्जा को बाहर निकालने का प्रमुख साधन हैं, जिससे हम अपनी शरीर की सारी थकान व नकारात्मकता मिटा कर फिर से तरौ-ताज़ा हो कर सात्विकता से भर जाते हैं, तो इस के लिए स्नान-घर को वास्तु के अनुरुप बनाना चाहिए। घर में सभी कमरों की उपयुक्त व्यवस्था होने के बाद भी अगर स्नान-घर या शौचालय वास्तु अनुसार नहीं हैं, तो घर में रहने वालों को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पडता हैं। जिसमें शारिरिक स्वास्थ्य व वित्तिय समस्या प्रमुख रुप में पाई जाती हैं। फिर क्युं न घर के सभी कमरों की तरह इसका चुनाव भी वास्तु अनुसार किया जाये। वास्तु के अंन्य आर्टिकल्स पढ़ने के लिए यहां देखे!
- स्नान-घर व शौचालय के लिए कुछ मुख्य दिशाएं व महत्वपूर्ण बाते-
- स्नान-कक्ष के लिए सबसे मुख्य दिशा पूर्व, उत्तर और उत्तर-पश्चिम दिशा हैं।
- विशवकर्मा-प्रकाश के अनुसार शौचालय की प्रमुख दिशा दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम के मध्य होना चाहिए।
- शौचालय के लिए मुख्य दिशा दक्षिण-दक्षिण-पश्चिम, पश्चिम-उत्तर-पश्चिम दिशा हैं।
- उत्तर, उत्तर-उत्तर-पूर्व, उत्तर-पूर्व इन दिशाओं में शौचालाय बहुत नुकसानदायक होता हैं। यहां शौचालय होने से मानसिक तनाव, अवसाद, पैरालाइज़, चिडचिड़ा पन, कैंसर और भ्रम जैसा माहौल रहता हैं।
- दक्षिण दिशा में शौचालय होने से व्यक्ति अपनी प्रसिद्धि के लिए परेशान रहता हैं।
- दक्षिण-पूर्व दिशा में बना शौचालय ज़ीवन में बाधाएं लाता हैं व पैसा आने में रुकावट आती हैं। पूर्व-दक्षिण-पूर्व में शौचालय होने से तनाव बना रहता हैं।
- पश्चिम-दक्षिण-पश्चिम दिशा में शौचालय होने से बच्चा अच्छे से पढ़ाई नहीं कर पाता, जिससे मनचाहे परिणाम नहीं आ पाते और घर में धन की बचत भी नहीं हो पाती हैं।
- उत्तर-पश्चिम दिशा में शौचालय होने से बैंक के कार्य में परेशानी आती हैं। व्यापारियों के घर में कभी भी उत्तर-पश्चिम दिशा में शौचालय नहीं होना चाहिए।
- स्नान-घर में अगर कपड़े धोने की मशीन रखनी हो तो वह पूर्व-दक्षिण-पूर्व व पश्चिम-उत्तर-पश्चिम व उत्तर-पश्चिम उपयुक्त रहती हैं।
- उत्तर में रखी हुई मशीन व्यवसाय के लिए चिंता बड़ा देती हैं और नए अवसरों को भी रोकती हैं। दक्षिण दिशा में रखी मशीन रातों की नींद तक उड़ा देती हैं। पश्चिम दिशा में रखी हुई मशीन व्यक्ति की उम्मीदे बढ़ा देती हैं, जिसे वह पूरा नहीं कर पाता।
- बाथ टब को पश्चिम की दीवार पर रख सकते हैं।
- खिड़किया उत्तर, उत्तर-पूर्व, पूर्व में बनी हो तो सकारात्मक हवा से स्नान-घर में ताज़गी बनी रहती हैं।
- स्नान-घर में दर्पण को उत्तरी व पूर्वी दीवार पर लगाए।
- घर के मुख्य द्वार के सामने एकदम स्नान-घर नहीं होना चाहिए।
- स्नान-घर में गीज़र व दूसरे इलैक्ट्रोनिक चीज़े पूर्व- दक्षिण में होनी चाहिए।
- स्नान-घर में वाश-सिंक, टूटियां व पानी के फव्वारे उत्तर या उत्तर-पूर्व में होनी चाहिए।
- स्नान-घर का दरवाज़ा पूर्व या उत्तर दिशा में सबसे शुभ होता हैं। दक्षिण में कभी भी स्नान-घर का दरवाज़ा नहीं होना चाहिए।
- स्नान-घर में सफेद, ग्रे, हल्का गुलाबी, हल्का नीला या हरा रंग होना चाहिए। टाईलों का रंग भी इन्हीं रंगो से मिलता होना चाहिए। लाल व काले रंग की टाईले बिल्कुल नहीं होनी चाहिए।
- स्नान-घर में अलमारी या सामान रखने की जगह दक्षिण-पश्चिम में होनी चाहिए।
- घर के दक्षिण-पश्चिम में कभी भी स्नान-घर या शौचालय नहीं होना चाहिए।
- इन सब बातों के अलावा आपके घर में स्नानघर अगर वास्तु अनुसार नहीं हैं, और आपको भी किसी भी प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ रहा हैं, जिसका निज़ात आपको नहीं मिल पा रहा या आप समझ नहीं पा रहे हैं, तो ज़रुर आपके घर में वास्तु दोष हैं। उत्तर-पूर्व के शौचालय का कोई उपाय नहीं हैं, बिना वहां से हटाए। बाकि आप वास्तु से जुडी किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए हमसे सम्पर्क करे, हम बिना किसी तोड-फोड के रंगो व आसान उपायों द्वारा वास्तु दोषों को कम करने की कोशिश करेंगे।
Directions:--
उत्तर= उ०= North
उत्तर-उत्तर-पूर्व= उ०-उ०-पू= North-North-East
उत्तर-पूर्व= उ०-पू०= North-East
पूर्व-उत्तर-पूर्व= उ०-पू०-उ०= East-North-East
पूर्व=पू०= East
पूर्व-दक्षिण-पूर्व= पू०-द्०-पू= East-South-East
दक्षिण-पूर्व= द्०-पू= South-East
दक्षिण-दक्षिण-पूर्व= द्०-द्०-पू= South-South-East
दक्षिण= द्०= South
दक्षिण-दक्षिण-पश्चिम= द्०-द्०-प्०= South-South-West
दक्षिण-पश्चिम= द्०-प्०= South-West
पश्चिम-दक्षिण-पश्चिम= प्०-द्०-प्०= West-South-West
पश्चिम= प्०= West
पश्चिम-उत्तर-पश्चिम= प्०-उ०-प्०= West-North-West
उत्तर-पश्चिम= उ०-प्०= North-West
उत्तर-उत्तर-पश्चिम= उ०-उ०-प्०= North-North-West