दीवाली के समय में सूर्य व चंद्रमा की एक विशेष स्थिति बनती हैं, जिस समय में अनुष्ठान व सिद्धि करने से विशेष फल की प्राप्ति होती हैं। दीवाली का त्यौहार कई धर्म के लोग अपने रिवाज़ों के अनुसार खुशी व उल्लास से मनाते हैं। कुछ ही दिन पहले घरों व कार्य-स्थल की साफ सफाई व रंग-रोगन करवाया जाता हैं, जहाँ साफ-सफाई होती हैं वहाँ लक्ष्मी ज़रुर आती हैं, फिर घर को रोशनी व आकर्षक वस्तुओ से सजाया जाता हैं। व्यापारी लोग अपने बही-खातों की जॉच करते हैं और व्यापार के नए नियम उत्साह के साथ लागू करते हैं।
कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ 29 अक्टुबर सुबह 10:31 से 30 अक्टुबर दोपहर 01:15
धन तेरस पूजा और खरीदारी का समय शाम 06:31 से 08:13 बज़े
इस दिन एक ताम्बे के लोटे मे अनाज़ भर कर उस पर एक चांदी का सिक्का रख कर घर के नोर्थ ईस्ट मे रखे और घर मे बीमारी और दवाईया का आना जाना लगा रहता है तो घर मे गिलोए ज़रुर लाए और घर मे फिटकरी कीसी कोने मे अवश्य रखे। इस दिन घर मे एक झाडु भी लाए जिससे घर से रोग और दरिद्रता दूर होती है।
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी तिथि प्रारम्भ 30 अक्टूबर दोपहर 01:15 से 31 अक्टुबर दोपहर 03:52
नरक चतुर्थी पूजा समय शाम 11:39 से 12:31
इस दिन घर की चोखट पर चार मुख का दीपक जलाए और दीपक मे एक सिक्का अवश्य रखे।
कार्तिक कृष्ण अमावस्या तिथि प्रारम्भ 31 अक्टुबर दोपहर 03:52 से 01 नवम्वर शाम 06:16
दिवाली लक्ष्मी पूजा समय 01 नवम्बर शाम 05:16 से 06:16
प्रदोश काल- 05:36 से 08:11
वृषभ काल 06:02 से 07:59
इस दिन काले कपडो और काली दाल का दान अवश्य करे और घर के पानी के स्थान और रसोई मे भी एक दीपक अवश्य जलाए।
गोवर्धन पूजा महूर्त 02 नवम्बर 03:23 से 05:35
भाई दूज़ पूजा महुर्त 03 नवम्बर 01:10 से 03:22
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