Ruby Stone:- रुबी- माणिक्य रत्न Crystallized Corundum and Chromium oxide से बना होता हैं। यह माणिक्य रत्न असाधारण प्रतिभा व पारदर्शिता का प्रतीक हैं, जिसमें नीले व बैंगनी रंग की एक लाल तेज़ अग्निमय छाया आती प्रतीत होती हैं। माणिक्य रत्न को प्रयोग त्वचा से रगड़ कर मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए भी किया जाता हैं जिससें यह शरीर में होने वाले विषाक्त पदार्थों को शुद्ध कर नव ऊर्जा को पुन: जीवित करता हैं। इस लाल रंग के माणिक्य को सूर्य को मज़बूत करने के लिए पहना जाता हैं, इसमें मुख्य तत्व एल्यूवीयम ऑक्साइड हैं। रुबी माणिक्य की पहचान के लिए इसके आरपार से लालिमा भरी किरणें निकलती दिखाई देती हैं।
रुबी रत्न के लाभ: माणिक्य रत्न को आत्म-विशवास, आत्म-बल, सत्ता, जुनून, सरकारी पद, मज़बूत हड्डियों, त्वचा में चमक, चेहरे व आंखों की तेज़ रोशनी, प्रसिद्धि, जीत, मान-प्रतिष्ठा, पिता का सुख, प्रशासनिक सेवा का लाभ, राजनीति में सफलता, उच्च पद, सेहत, आत्म व रचनात्मक अभिव्यक्ति, अधिकार, नेतृत्व, रोग प्रतिरक्षा, तेज़ दीमाग, जोश व ह्रदय को मजबूत बनाने के लिए धारण किया जाता हैं। Take Appointment
वैदिक ज्योतिष: ज्योतिष के अनुसार सूर्य ग्रह की स्थिति को बल देने के लिए माणिक्य धारण किया जाता हैं, जब सूर्य 1, 3, 5, 9, 10, 11 भावों का स्वामी होकर अपने मित्र ग्रह या स्वराशि में होने पर भी कमज़ोर अवस्था में हो तब माणिक्य रत्न को धारण किया जाता हैं। सूर्य ग्रह जब द्वादश, चतुर्थ, सप्तम या अष्टम भाव में हो या 6, 8, 12 भावों का स्वामी या नीच राशि में हो, तब माणिक्य स्टोन को धारण नही करना चाहिए।
माणिक्य पत्थर किसे धारण नहीं करना चाहिए: अगर किसी जातक को गुस्सा अधिक आता हो या हर किसी की बात में हस्तक्षेप करना, अहमी स्वभाव, कठोर व संकीर्ण विचार-धारा, दिखावटी व्यवहार, घबराहट या रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम हो तो माणिक्य स्टोन धारण नहीं करें। रत्न को धारण करने के बाद बाल झड़नें लगे, जिगर की समस्या, आक्रमणता, अवसाद, त्वचा की समस्या, अपमानज़नक तेज़ वाणी, सिर मे दर्द, बदनामी, अहंकार, मुँह से अधिक थूक आने की समस्या हो तो माणिक्य धारण नहीं करें।
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माणिक्य के साथ नीलम, हीरा या राहु केतु के लहसुनिया और गोमेद रत्न धारण नहीं करें। माणिक्य रत्न का उपरत्न हैं: लाल गार्नेट व लाल स्पाईनल।
रुबी के धारण करनें की विधि: माणिक्य स्टोन सोने, पीतल, तांबें या पंच धातु में अनामिका उंगली मे, शुक्लपक्ष के रविवार को सूर्य की होरा मे मंत्रों के उच्चारण सहित धारण करना चाहिए। बच्चों को गले मे पंचधातु मे लॉकेट के रुप मे धारण करना चाहिये।
मंत्र: ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सुर्याय: नम:। संख्या- 7000 अन्य उपायों के बारें मे यहां देखें।
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हम अपनी कुंडली के कमज़ोर ग्रहों को बलवान करने के लिए रत्न धारण करते हैं। लेकिन ये भी याद रखना चाहिए कि रत्न कभी जादू नही करते वह ग्रहों की दशा की अनुसार ही अपना प्रभाव दिखाते हैं। प्रत्येक ग्रहों के अनुसार सबके अलग-अलग रत्न हैं और सबको एक जैसा रत्न फायदा या नुकसान नहीं दे सकता हैं। इसलिए अच्छे और उपयोगी रत्न के लिए एक ज्योतिष से सलाह अवश्य ले लेनी चाहिए क्योंकि रत्न अगर फर्श से अर्श तक पहुंचा सकता हैं तो वह अपने नकारात्मक प्रभाव से अर्श से फर्श तक भी पहुंचाने मे देरी नही करेगा।
रत्नों का सीधा असर हमारे शरीर से मन पर पढ़ता हैं। हमारे शरीर में सात चक्र हैं, इन सातों के अलग-अलग रंग हैं, ये चक्र हमारे मन पर असर ड़ालते हैं। हमारे आस पास रंग ही रंग हैं, बिना रंग के तो दुनिया भी बेरंग होगी। उसी प्रकार रत्न का असर भी हम तक तरंगो के माध्यम से पहुँचता हैं। रत्न के बहुत फायदे हैं और उसका फायदा तभी होगा जब आप सही वज़न, चमक, रंग देख कर पहनें क्योंकि हर चमकती चीज़ सोना नहीं होती! रत्न में अद्दभुत शक्ति होती हैं, यह रास आ जाए तो आसानी से आसमान पर भी पहुंचा देती हैं और जिस ग्रह का भी रत्न रास आ जाए उस ग्रह से जुड़े फायदे मिलते हैं! रत्न को ग्रह की स्थति, लग्न व दशा के अनुसार देख कर ही पहनें। रत्न भी सही वज़न का होना चाहिए नहीं तो फल देने में विलम्ब करेगा और आप सोचेंगे की इतना महंगा रत्न पहना हैं, लेकिन फायदा नहीं दे रहा! इसलिए आप सही तरह कुंडली दिखा कर और अच्छी जगह से ही रत्न खरीदे।
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