Marks in Hand_ Hatho Mein Nishan_ Lines in Hand_ Palmistry
हाथों में निशानों का महत्व
हस्त रेखा विज्ञान के अनुसार हाथ की हथेली में बहुत से विशेष निशान होते हैं, कुछ निशान तो बहुत ही गहराई से देखने पर ही दिखते हैं और इनका बहुत ही खास रहस्य भी होता हैं। हाथ में कोई भी रेखा एकसमान नहीं होती हैं, कुछ गहरी, लम्बी और कुछ टुटी हुई होती हैं। इसके अतिरिक्त हाथ में बहुत ही अलग से पैटर्न बने होते हैं, जिसे समझना आसान नहीं हैं। इन्हें हस्तरेखा विचलन और हस्तरेखा विज्ञान चिन्हों के द्वारा समझा जा सकता हैं। हाथ के पर्वतो पर बहुत से निशानों का अलग-अलग अर्थ होता हैं।
सभी के हाथों की रेखाओं का फल एक जैसा नहीं होता हैं, प्रत्येक रेखा व चिंह अपनी अलग-अलग कहानी कहता हैं। अलग-अलग अर्थों से ही सीखने को भी मिलता हैं। जैसे सभी के हाथों में एक ह्रदय रेखा अवश्य होती हैं, भले ही वह मज़बूत मोटी होने से स्पष्ट रुप से उसकी विशेषता बताती हैं। परन्तु वह व्यक्तिगत रुप से सब के लिए एक जैसा फल नहीं बताती हैं।
रेखाओं के प्रकार और निशान:
कुछ रेखाये आरोही, अवरोही, त्रिशूलनुमा, टूटी हुई, जंजीर, जाल, द्वीप, लहरदार, रेखाओ के जोडे में होती हैं और कुछ निशान जिसमें मंड़लियां. क्रॉस, त्रिभुज़, ज्यामितीय आकार, ग्रिल्स, द्वीप, तिल, तारे और बिंदु/धब्बे आदि में होते हैं। ज्योतिष और अंक ज्योतिष और वास्तु सीखने के लिए यहां क्लिक करें।
वर्ग चिन्ह-
वर्ग का चिन्ह- हस्त विज्ञान में यह संरक्षण अथवा बचाव का चिन्ह माना जाता हैं यह हाथ में जिस स्थान पर होता हैं, उससे संबन्धित स्थान, ग्रह या पर्वत पर आये संकट से रक्षा करता हैं। उदारहण के लिए यदि जीवन रेखा टूटी हुई हो और भाग पर वर्ग चिन्ह बना हो तो जातक की बीमारी से रक्षा हो जाती हैं
भाग्य रेखा पर वर्ग- यह एक विचित्र योग हैं जिसको समझना बहुत आवश्यक हैं जैसे यदि भाग्य रेखा में वर्ग आ जाये और भाग्य रेखा उससे आगे नहीं बढे तो जातक को अपने व्यवसाय और जीवन के महत्वपूर्ण पहलूओ में सबसे बुरा आघात सहन करना पड़ता हैं परन्तु यदि यह भाग्य रेखा वर्ग को पार करके आगे बढ़ती चली जाए तो उस भीषण आघात से उसकी रक्षा हो जाती हैं और यदि भाग्य रेखा कही टूट जाये और टूटी हुए भाग्य रेखा पर वर्ग चिन्ह हो तो जातक हानि से बच जाता हैं। यदि वर्ग भाग्य रेखा से बाहर शनि क्षेत्र के नीचे हो और भाग्य रेखा को स्पर्श करता हो तो जातक की दुर्घटना से रक्षा हो जाती हैं।
मस्तिष्क रेखा पर वर्ग- यदि मस्तिष्क रेखा किसी स्पष्ट बने हुए वर्ग से गुजरती हो तो यह समझना चाहिए की जातक के मस्तिष्क पर कार्य बोझ से या चिंता के कारण अत्यधिक दबाव पड़ रहा हैं परन्तु वर्ग चिन्ह के द्वारा उस दबाव के कारण जो क्षति पहुंचती उससे रक्षा हो जाती हैं। यदि शनि पर्वत के नीचे मस्तिष्क रेखा के ऊपर वर्ग चिन्ह हो तो जातक को किसी होने वाली दुर्घटना से संरक्षण प्राप्त होता हैं।
ह्रदय रेखा पर वर्ग- यदि ह्रदय रेखा पर वर्ग चिन्ह होता हैं तो प्रेम-सम्बन्धों के कारण जातक पर कोई मुसीबत आती हैं, जब एक वर्ग चिन्ह शनि क्षेत्र के नीचे और ह्रदय रेखा के ऊपर हो तो जातक के प्रिय पात्र पर मुसीबत आती हैं, जिससे वह किसी दुर्घटना का शिकार होता हैं या उसकी मृत्यु हो जाती हैं। अपने करीयर के बारे में जानने के लिए यहां क्लिक करें।
जीवन रेखा पर वर्ग- यदि जीवन रेखा के अंदर शुक्र क्षेत्र पर वर्ग चिन्ह हो तो जातक पर उसकी कामुकता के कारण यदि कोई मुसीबत आने वाली होती हैं, तो जातक की उससे रक्षा होती हैं। यदि वर्ग चिन्ह शुक्र क्षेत्र के मघ्य में हो तो जातक अपनी अनैतिक और कामुक प्रवृति के कारण तरह-तरह के संकटो में पड़ता हैं, परन्तु उसकी रक्षा हो जाती हैं। यदि वर्ग जीवन रेखा के बाहर परन्तु मंगल पर्वत के पास हो तो जातक को या तो कारावास भोगना पड़ता हैं या वैसी परिस्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं, जिनके कारण अपने परिवार और समाज से अलग होकर एकान्तवास करना पड़ता हैं।
जब वर्ग चिन्ह किसी भी ग्रह क्षेत्र पर अंकित होता हैं तो उस क्षेत्र के अत्यधिक गुणों के कारण जातक को हानि से बचाता हैं।
बृहस्पति क्षेत्र पर वर्ग होने से अत्यधिक महत्वाकांक्षा से रक्षा करता हैं। Why Worried? Ask a question and get solutions!
शनि क्षेत्र पर जातक की भक्ति व्यता पर अधिक विश्वास को नियन्त्रित करता हैं।
सूर्य क्षेत्र पर ख्याति प्राप्ति की उच्चाभिलाया को नियन्त्रित करना हैं।
बुध क्षेत्र पर अधीरता और जल्दबाजी जो को नियंत्रित करता हैं। Take Appointment
मंगल क्षेत्र पर वाद-विवाद, कोर्ट्केस में तथा शत्रुओ से रक्षा करता हैं।
चंद्र क्षेत्र पर अत्यघिक कल्पनाशीलता के कारण होने वाली क्षति से रक्षा करता हैं।
क्रास चिन्ह- Numerology Course.
क्रास का चिन्ह बहुत ही कम परिस्थितियों में अनुकूल या शुभ फलदायक मन जाता हैं। यह चिन्ह कष्ट, निराशा, संकट और कभी-कभी जीवन की परिस्थितियों में परिवर्तन का सूचक देता हैं परन्तु वृहस्पति क्षेत्र पर क्रास चिन्ह को अत्यंत शुभ फलदायक मन जाता हैं। यह इस बात का सूचक होता हैं की जीवन में विधा का वास्तविक और घनिष्ठ संबंध होता हैं, विशेषकर जब भाग्य रेखा, चंद्र क्षेत्र से आरम्भ होती हो।
शनि- यदि क्रास का चिन्ह शनि क्षेत्र पर हो और भाग्य रेखा को स्पर्श करता हो तो जातक का किसी हिंसात्मक दुर्घटना में अंत होता हैं और यदि वह शनि क्षेत्र पर हो तो जातक को अत्यंत भाग्यवादी, निरुत्साही और निराशावादी बनाता हैं।
सूर्य- अगर यह क्रास का चिन्ह सूर्य पर्वत पर हो तो जातक को अपने सब प्रयत्नो में असफलता प्राप्त होती हैं।
बुध- अगर यह क्रास बुध क्षेत्र पर हो तो जातक बईमान होता हैं और वह कहता कुछ हैं पर करता कुछ हैं। अन्य लेख पढ़ने के लिए क्लिक करें।
निम्न मंगल- यदि यह क्रास बुध क्षेत्र के नीचे मंगल क्षेत्र में हो तो जातक को बहुत से शत्रुओ के विरोघ का सामना करना पड़ता हैं।
उच्च मंगल- यदि यह बृहस्पति क्षेत्र के नीचे वाले उच्च मंगल क्षेत्र में हो तो जातक बेईमान और धोखे बाज़ होता हैं।
बृह्स्पति- यदि यह क्रास बृहस्पति क्षेत्र में हो तो लड़ाई-झगड़े या हिंसात्मक आक्रमण में जातक की मृत्यु की संभावना होती हैं।
शुक्र- यदि शुक्र क्षेत्र पर स्पष्ट से अंकित क्रास का चिन्ह हो तो जातक किसी प्रेम संबंध के कारण इतना अधिक कष्ट पाता हैं, की उसके कारण उसकी मृत्यु भी तो सकती हैं, यदि क्रास चिन्ह छोटा हो और जीवन रेखा के निकट हो तो अपने ही संबन्धियों के विरोध का सूचक होता हैं, जिसके कारण जातक को कष्ट भोगना पड़ता हैं।
चंद्र- यदि चंद्र क्षेत्र पर क्रास का चिन्ह हो तो जातक बहुत कल्पनाशीलता और ऐसा व्यक्ति सब के साथ अपने आपको भी धोखा दे सकता हैं।
द्वीप वृत्त चिन्ह अपने जन्म दिन पर अपने आने वाले समय के बारे में जानने के लिए क्लिक करें।
हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार द्वीप एक अशुभ चिन्ह होता हैं। परन्तु उसका प्रभाव स्थायी नहीं होता जिससे हाथ में जिस रेखा पर द्वीप चिन्ह हो तो उसका कुप्रभाव जीवन के उसी भाग पर ही पड़ता हैं, जिस रेखा पर द्वीप चिन्ह हो। यह चिंह जिस रेखा पर हो उसी अनुसार वंशानुगत यानि हेरेडिटरी दोषो को प्रदर्शित करता हैं।
यदि द्वीप चिन्ह ह्दय रेखा पर गहरे रूप से अंकित हो तो वह वशांनुगत ह्दय रोग का सूचक होता हैं।
यदि यह चिन्ह मस्तिष्क रेखा के मघ्य पर अंकित हो तो वशांनुगत मानसिक दुर्बलता का घोतक होता हैं।
यदि जीवन रेखा पर द्वीप चिन्ह हो तो यह जीवन के उस भाग यानि उम्र में किसी बीमारी का पूर्वाभास देता हैं।
यदि यह चिन्ह भाग्य रेखा पर हो तो सांसारिक विषयों से भरी क्षति और बाधाओं का सूचक हैं।
यदि यह चिन्ह सूर्य रेखा पर हो तो किसी कलंक के कारण पदच्युति होती हैं। अपने करीयर के बारे में जानने के लिए यहां क्लिक करें।
यदि यह चिन्ह शनि रेखा पर हो तो यह मान-प्रतिष्ठा की क्षति का पूर्वाभास देता हैं।
यहि यह चिन्ह स्वास्थ्य रेखा पर हो तो यह बीमारी का सूचक होता हैं।
यदि कोई रेखा आते हुए द्वीप से मिल जाए या उस रेखा से द्वीप बन जाए तो हाथ के उस भाग के लिए जहां इस प्रकार यह चिन्ह बनता हैं एक अशुभ लक्षण होता हैं।
यदि शुक्र क्षेत्र में एवं शुक्र के किसी सहायक रेखा के अंत में द्वीप चिन्ह हो तो यह समझना चाहिए की जो पुरुष या स्त्री जातक के जीवन पर प्रभाव डालते हैं तो उन्हीं के अत्यधिक कामुकता और अनैतिकता साथ के कारण कलंकित होंगे और उनकी मान-प्रतिष्ठा नष्ट हो जाएगी।
यदि द्वीप बनाती हुई कोई रेखा या ऐसी रेखा जिसमें द्वीप चिन्ह हो वह शुक्र से आरम्भ होकर विवाह रेखा तक पहुंच जाए तो उससे जीवन के उस भाग में जातक के जीवन में कसी व्यक्ति का अनिष्टकर या दुष्ट प्रभाव पड़ेगा जिसके कारण उसको अपने वैवाहिक जीवन में अपमान उठाना पड़ेगा। यदि इसी प्रकार की रेखा ह्रदय रेखा तक पहुंचे तो जातक अपने प्रेम सम्बन्ध में किसी दुष्ट व्यक्ति के कारण अपमान सहना पड़ता हैं और यदि ऐसी ही रेखा मस्तिष्क रेखा तक पहुंचे तो किसी दुष्ट व्यक्ति के कारण जातक अपनी योग्यताओं को ऐसे कार्यों के लिए उपयोग में लाएगा जो उसके लिए अपमानजनक सिद्ध होंगे। जब ऐसी रेखा भाग्य रेखा तक पहुंचे और उसके लिए रूकावट या बाधा बन जाए तो जीवन की उस अवस्था में जब यह रेखा भाग्य रेखा से मिले जातक के व्यवसाय में बाधायें उपस्थित हो जाती हैं।
हाथ में जिस ग्रह क्षेत्र पर द्वीप चिन्ह होता हैं उसके गुणों को क्षति पहुँचती हैं।
हाथ में शनि क्षेत्र पर द्वीप चिन्ह दुर्भाग्य लाता हैं। ज्योतिष और अंक ज्योतिष और वास्तु सीखने के लिए यहां क्लिक करें।
हाथ में बृहस्पति क्षेत्र में द्वीप चिन्ह होने पर आत्माभिमान और महत्वकांक्षा को निर्बल करता हैं।
हाथ में शुक्र क्षेत्र पर द्वीप चिन्ह होने पर कला की योग्यता और प्रतिभा को क्षति पहुँचता हैं।
हाथ में बुध क्षेत्र पर द्वीप चिन्ह जातक में अत्यधिक अनैतिकता, परिवर्तनशील और अस्थिरता रहती हैं और वैवाहिक क्षेत्र में यह चिन्ह हो तो विवाह की सफलता में बाधा लाता हैं।
हाथ में शनि क्षेत्र पर यह चिन्ह दुर्भाग्य, उदासीन स्वभाव और निराशावादिता का आभास देता हैं।
हाथ में सूर्य क्षेत्र पर यह चिन्ह मिथ्याभिमान, मूर्खता और किसी न किसी कारण से ख्याति प्राप्त करने में बाधा लाता हैं।
त्रिकोण चिन्ह-
हस्तरेखा विज्ञान में त्रिकोण हाथ में प्राय: स्वतंत्र रूप से नहीं मिलता अगर त्रिकोण रेखाओं के एक दूसरे को काटने से बनता हैं तो वह कोई प्रभाव नहीं रखता।
यदि वृहस्पति क्षेत्र पर स्पष्ट रूप से त्रिकोण चिन्ह अंकित हो तो जातक में लोगो को संगठित करने की क्षमता को बढ़ाता हैं और ऐसा व्यक्ति एक सफल प्रवक्ता या नेता बनने में सफल होता हैं।
शनि क्षेत्र पर त्रिकोण चिन्ह गुप्त विधाओं, ज्योतिष, हस्त विज्ञान, सम्मोहन विधा में पारंगत होने में सहायक होता हैं।
सूर्य क्षेत्र पर यदि त्रिकोण चिन्ह हो तो जातक कला का व्यापारिक रूप से उपयोग करके उससे लाभ उठता हैं और उसको सफलता से अभिमान नहीं होता।
बुध क्षेत्र पर त्रिकोण चिन्ह जातक की अधीरता को नियंत्रित करता हैं और व्यापारिक व आर्थिक मामलो में सफलता दिलाने में सहायक होता हैं।
मंगल क्षेत्र पर त्रिकोण का चिन्ह हो तो जातक संकट आने पर घबराता नहीं हैं और वह शांतिपूर्वक मुसीबतो का सामना करता हैं।
चंद्र क्षेत्र पर यदि त्रिकोण चिन्ह हो तो यह जातक को अपनी कामुकता और उससे संबधित मनोभावों पर नियंत्रण रखने की क्षमता देता हैं।
त्रिशूल का चिंह
यह चिन्ह बहुत ही शुभता और सफलता का चिन्ह माना जाता हैं।
यदि ह्दय रेखा, वृहस्पति क्षेत्र पर त्रिशूल का रूप ले कर आजाये तो यह एक विशिष्ट राजयोग हैं जो गहन मान-प्रतिष्ठा और दीर्घायु देने वाला योग होता हैं।
यदि भाग्य रेखा के अंत पर त्रिशूल का रूप आये और उसकी शाखाये वृहस्पति, शनि और सूर्य पर पहुंचे जाये तो यह भी एक विशिष्ट राजयोग हैं।
यदि सूर्य रेखा अपने अंत पर त्रिशूल का रूप बना ले भी एक विशिष्ट राजयोग होता हैं।
रहस्यपूर्ण क्रास
यह एक विचित्र चिन्ह हैं जो ह्दय रेखा और मस्तिसष्क रेखा के बीच के चतुष्कोण में पाया जाता हैं। यह स्वतंत्र रूप से भी बना होता हैं और भाग्य रेखा का ह्रदय रेखा से मस्तिष्क रेखा तक आने वाली किसी रेखा से कटने पर भी बन सकता हैं। जिसके हाथ में इस प्रकार का चिन्ह होता हैं वह occult विधाओ के प्रति आकर्षित होता हैं और उनमें बहुत रूचि रखता हैं। यदि यह चिन्ह बृहस्पति क्षेत्र की ओर हो तो जातक गूढ विधाओं में विशवास रखता हैं लेकिन वह दुसरो के लिए उनका अघ्ययन नहीं करता बल्कि अपना भविष्य जानने के लिए करता हैं।
त्रिभुज़- हथेली में त्रिभुज का होना बहुत शुभ होता हैं, त्रिभुज का आकार जितना बड़ा होगा वह उतना ही अधिक लाभदायक और सौभाग्यशाली होता हैं और इसके विपरीत अगर त्रिभुज कटा या दूषित हो तो वह व्यक्ति के नकारात्मक गुणों का परिचय देता हैं।
जाल- यह चिन्ह जहां भी होता हैं उसी क्षेत्र द्वारा प्राप्त सफलता में बाधा पहुंचाता हैं। जिस जातक के हाथ में जाल चिन्ह पाया जाता हैं वह उसकी प्रवृतियों के कारण सफलता प्राप्त करने में बाधायें उपस्थित करता हैं।
बृहस्पति के क्षेत्र में यह चिन्ह अहम, अभिमान और दूसरों पर प्रभुत्व रखने में सहायक होता हैं।
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