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Moon And Mind

Chandrma- चंद्रमा और ज्योतिष

हमारे मन और जीवन में चन्द्रमा का प्रभाव!

वैदिक ज्योतिष में प्रत्येक ग्रह का अपना महत्व हैं, क्योंकि सभी ग्रहों का हम सभी पर अच्छा बुरा प्रभाव पडता हैं। सभी ग्रहों के अपने-अपने कारकतत्व हैं, कोई ग्रह शुभ हैं तो कोई अशुभ उसी अनुसार ये ग्रह फल भी देते हैं। ग्रहों में सूर्य को राजा और चंद्रमा को रानी कहा गया हैं, उसी तरह बुध को राज़कुमार, मंगल को सैनिक, शुक्र को मंत्री, बृहस्पति को गुरु, व शनि को सेवक कहा गया हैं। राहु और केतु छाया ग्रह हैं, फिर भी इनको दादा व नाना का स्थान दिया गया हैं। शुक्र को स्त्री व शनि को न्यायधीश भी माना जाता हैं।         नौ ग्रहों के बारे मेंं जानने के लिए यहां देखे!  

आज हम बात करेंगे ग्रहों की रानी यानि चंद्रमा ग्रह की। चन्द्रमा सभी ग्रहों में सबसे तीव्र चलने वाले ग्रहों में से हैं, जो एक राशि में सिर्फ सवा दो दिन संचार करता हैं। चन्द्रमा कर्क राशि का स्वामी हैं, चंद्रमा वृषभ में उच्च का व वृश्चिक राशि में नीच का होता हैं। चन्द्रमा का खुद का प्रकाश नहीं हैं, उसके प्रकाश का आधार सूर्य हैं। जिस प्रकार रानी अपने राज़ा के बिना अधूरी हैं, उसी प्रकार चंद्रमा भी बिना प्रकाश यानि सूर्य के बिना अधुरा हैं, वही से उसके शीतल प्रकाश मिलता हैं, जिससे वह अपनी चांदनी सी रोशनी बिखेरता हैं। चन्द्रमा स्वभाव से ठंड़ा और शुभ ग्रह हैं, लेकिन जब सूर्य के बहुत पास होता हैं तो सूर्य की तेज़ ओरा के कारण कमज़ोर भी हो जाता हैं। चन्द्रमा की कलायें शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में घटती बढ़ती रहती हैं, जिससे उसका शुभ-अशुभ प्रभाव भी घटता-बढ़ता रहता हैं। चंद्रमा मन का कारक हैं तभी मानव जीवन के मानसिक विचार इसी चन्द्रमा की कलाओं की तरह घटते-बढ़ते रहते हैं।

चन्द्रमा तत्वों में ज़ल तत्व हैं, दिशा में वायव्य दिशा, वैश्य जाति, संबंधों में माता, स्वाद में नमकीन और सफेद रंग का कारक हैं। मानसिक रोग चंद्रमा के पीड़ित होने से ही होता हैं। चंद्रमा कफ प्रधान हैं। ज़ल, दूध, चांदी, मोती, रसीले फल, चावल, चंचल प्रवृति और स्वभाव में शीघ्रता से परिवर्तन, भावनाएं, मन व कृषि के कारक चंद्रमा से फेफड़ों की समस्या भी देखी जाती हैं। चंद्रमा शुभ हो तो जल पदार्थो का व्यवसाय, अच्छी स्मरण शक्ति, विनोदी स्वभाव, भावनाओं पर नियंत्रण रहता हैं। अशुभ होने पर स्त्रियों को मासिक धर्म में परेशानी, अवसाद, तनाव व भावनाओं में अनियंत्रण रहता हैं।    कोई भी सवाल! जवाब के लिए अभी क्लिक करे!

चन्द्रमा एक सुप्रीम पॉवर ग्रह हैं, जिसके ऊपर हमारी मानसिक स्थिति निर्भर करती हैं, क्योंकि ज़ब मानसिक संतुलन ही बिगड़ जाएगा, फिर चाहे जितने भी अच्छे ग्रह हो सब चन्द्रमा के पीड़ित होने से बेकार हो जाते हैं, पागलपन में शुक्र से मिलने वाले भौतिक सुख, बुध से मिलने वाली बुद्धि, गुरु से मिलने वाला विवेक व ज्ञान, सूर्य से मिलने वाली राज़सिक सत्ता और मान, राहु से मिलने वाली चालाकी, सब मानसिक असंतुलन के आगे बेकार हैं। इसलिए भावनाएं, सात्विकता व मन के कारक चन्द्रमा का कुंडली में संतुलित होना जरुरी हैं। चन्द्रमा सुंदरता का प्रतीक हैं और हमारी इच्छायों को संतुलित करता हैं। हमारी कल्पना व सोच चन्द्रमा से ही पता चलती हैं। चन्द्रमा हमारी सौम्य भावनाओं, पागलपन और जुनून को दिखाता हैं। चन्द्रमा का प्रभाव अधिक हो तो जातक सपनो में ही खोया रहता हैं और कुछ न कुछ कल्पना ही करता रहता हैं। कला के क्षेत्र में सफलता पाने के लिए चंद्रमा का शुभ होना बहुत आवश्यक हैं। ऐसा जातक द्रव्य से जुड़ा व्यापार करना पसंद करता हैं। चंद्रमा की दशा में जातक प्यार या कल्पना की दुनियां में ही खोया रहता हैं। अगर इसी चन्द्रमा पर बुरा प्रभाव हो तो जातक के मन में एक अनजाना डर, तनाव, व भ्रम बना रहता हैं, उसको अपनी माता का सुख भी नहीं मिल पाता। जिससे जातक का दीमाग कमज़ोर, आलसपन, सनकपन, हार्मोन में गड़बड़ी, कमज़ोर याद्दाशत और पागलपन भी हो सकता हैं। शुभ चन्द्रमा आत्मा को पवित्र, तेज़ बुद्धि व मन को मजबूत रखता हैं। चंद्रमा ही हमें गहराई तक ले कर जाता हैं जिससे सही निर्णय-क्षमता होती हैं। शुभ चंद्रमा की दशा में उच्च पद, यात्राएं, समाज में प्रतिष्ठा, ज्ञान, मानसिक संतुलन व अपनी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।

विचारो में उतार-चढ़ाव भी चन्द्रमा के पीड़ित होने से होता हैं। जातक ईमानदारी से काम भी नहीं कर सकता और समय व अनुसाशन पर उसकी एकाग्रता क्षीण हो जाती हैं। वे अपने कमज़ोर व्यक्तित्व की वज़ह से लोगों का सामना नहीं कर पाते जिससे नकारात्मक सोच बनी रहती हैं और शीघ्र अकेलेपन के शिकार होकर आत्मविश्वास खो देते हैं। कुछ लोगों के मन में आत्म-हत्या तक के विचार आते हैं, छोटी-छोटी बातो को लेकर बच्चों की तरह बिलख कर रोने लग जाते हैं, हमेशा कुछ न कुछ सोचते रहते हैं और गुस्सा व चिड़चिड़े भी हो जाते हैं।   अन्य सवालों के जवाब के लिए हमसें मिलनें के लिए सम्पर्क करें।    

चन्द्रमा का प्रत्येक भाव में अलग-अलग फल मिलता हैं। चन्द्रमा जब 3, 6, 8, 11 भावों में हो या यहां का स्वामी हो होकर पाप प्रभाव में भी हो तो अवसाद, पागलपन, ड़र, नकारात्मकता व मानसिक रोगी होने के साथ कैंसर का भी शिकार हो सकता हैं। चंद्रमा की जिस भाव में पीड़ित स्थिति होती हैं, उसी भाव के अंग पर केंसर तक हो सकता हैं।

चंद्र राशि का महत्व- हमारी कुंडली में चंद्रमा का सबसे अधिक महत्व रहता हैं क्योंकि चंद्रमा से ही हम अपनी जन्म राशि, नक्षत्र और दशायें देख पाते हैं। जन्म के समय चंद्र्मा जिस राशि में होता हैं, वही हमारी राशि कहलाती हैं, इसी राशि का हमारे ज़ीवन और मन पर बहुत गहरा असर पडता हैं और यही हमारे व्यक्तित्व को उजागर करती हैं। हर राशि में तीन नक्षत्र होते हैं, यह राशि जिस नक्षत्र में होती हैं, उसी माध्यम से अक्षर का चुनाव करके हम बच्चे का नाम रखते हैं। यही राशि विवाह और अन्य कार्य में बहुत महत्वपूर्ण होती हैं और इसी राशि से ही शनि की साढ़े-सात्ति और ढैय्या का भी विचार किया जाता हैं। सभी के मन में सवाल रहता हैं कि आखिर हमें हमारा नाम जन्म की राशि या अपनी पसंद से ही रहना चाहिए, वैदिक ज्योतिष के अनुसार सभी को अपना नाम जन्म की राशि/नक्षत्र अनुसार ही रखना चाहिए क्योंकि यह राशि जन्म से अंत तक हमारे साथ चलती हैं इसका प्रभाव हम नहीं बदल सकते हैं और इसी माध्यम से भविष्यफल और आने वाली परिस्थितियों को जाना जा सकता हैं। जैसे किसी जातक का जन्म के समय चंद्रमा सिंह राशि में हो तो उसकी राशि सिंह होती हैं, जिसका स्वामी सूर्य होता हैं। जातक की जिंदगी में सिंह राशि के सभी प्रभाव अधिक दिखाई देंगे। सिंह राशि के तीन नक्षत्र हैं, मघा, पूर्वाफाल्गुनी और उतराफाल्गुनी! जिस नक्षत्र में जातक का जन्म होगा नामाकरण भी उसी अनुसार करना चाहिए।     

वैदिक ज्योतिष में चंद्र्मा का महत्व- वैदिक दृष्टिकोण से चंद्रमा का ज्योतिष में सबसे महत्वपूर्ण स्थान हैं। दैवीय शक्ति रखने वाला चंद्रमा चमकदार, शाही और शीतल ग्रह हैं। चंद्रमा में ही चंचल मन को नियंत्रण रखने की शक्ति हैं। वृषभ राशि में यह उच्च का होता हैं और चंद्रमा अपनी उच्च की राशि में बहुत शक्तिशाली होता हैं और नीच की राशि वृश्चिक में नकारात्मक और कमज़ोर हो जाता हैं। चंद्रमा सभी ग्रहों में सबसे तेज़ व गतिमान ग्रह हैं, यह 27 दिनो में सभी राशियों व नक्षत्रों का भ्रमण कर लेता हैं। इसका आधिपत्य मन, सोच, ज़ल, दैनिक दिन-चर्या, माता, दिमाग, बुद्धि, व्यवहार, भावनाएं, तरल पदार्थ, दवाईयां, यात्रा, शांति व प्रेम पर हैं। यह अलग-अलग राशियों व भावों में होने से जातक के ज़ीवन में अलग-अलग प्रभाव ड़ालता हैं। शुभ और मज़बूत चंद्रमा कुंडली में राज़योग की तरह फल देता हैं जिस तरह दूसरे धनयोग और सूर्य द्वारा बनाए गए योग फल देते हैं। चंद्रमा हमारी याद्दाशत, मानसिकता, भावनाएं, दृष्टिकोण, रुचि और सोच को नियंत्रित करता हैं। यदि चंद्रमा कमज़ोर या अशुभ हो तो व्यक्ति की मानसिकता व याद्दाशत कमज़ोर, तनावपूर्ण, अवसादपूर्ण, मनोवैज्ञानिक परेशानी और सोच अस्थिर रहती हैं। जब पुर्णिमा का समय होता हैं, तब चंद्रमा पृथ्वी के करीब होता हैं, उसी समय में लोगो की मानसिक समस्याओं में वृद्धि होती हैं और अवसाद का सामना करना पडता हैं। चंद्रमा संवेदनशीलता, कल्पनाशीलता, रचनात्मकता और कलात्मकता का हिस्सा हैं। जातक पर इसका सकारात्मक प्रभाव होने से उसमें गज़ब की रचनात्मक, अंतर्ज्ञान, पूर्वाभास और कल्पना शक्ति होती हैं। लग्न कुंडली की तरह चंद्रमा कुंडली का भी भविष्य गणना में बहुत महत्व हैं और उसी के आधार पर ही दशा की भी गणना की जाती हैं।       

चन्द्रमा को अच्छा करने के लिए सबसे पहले अपनी माता व माता समान स्त्री की इज्जत करेंं और उनका दिल न दुखाये, चन्द्रमा की रोशनी में टहले, चांदी के गिलास में जल व दूध पिये, अश्वगंधा व अंगूर का सेवन करे, अपनी माता का दाहिना हाथ पकड़ कर, उनसे अपने दिल की बात कहे। नारियल के तेल या गाय के घी में कपूर मिला कर अपने सिर की मालिश करे। अपनी माता से चांदी व चावल ले कर पास रखे। नियमित रुप से शिवलिंग पर अभिषेक करे और महामृत्युंज़य का ज़ाप करे। सोमवार को किसी ज़रुरतमंद स्त्री को दूध या दूध से बनी मिठाई दे। 

चक्रो के बारे में जानकारी:

1. रूट चक्र या मूलधारा रीढ़ की हड्डी के आधार पर स्थित हैं। यह शनि द्वारा शासित हैं। जो पृथ्वी तत्व का कारक हैं।

2. नाभि चक्र या स्वधधिष्ठा निचले पेट में स्थित हैं। यह बृहस्पति द्वारा शासित हैं। जो जल तत्व का कारक हैं।  

3. मणिपुरा नाभि के ऊपर स्थित यह मंगल द्वारा संचालित हैं। जो अग्नि तत्व का कारक हैं।

4. ह्रदय चक्र छाती के केंद्र में स्थित यह शुक्रा द्वारा नियंत्रित हैं। जो वायु तत्व का कारक हैं।

5. विशुद्ध चक्र गले में स्थित हैं। यह बुध द्वारा शासित हैं। जो आकाश तत्व का कारक हैं।  

6. तीसरा नेत्र आज्ञा चक्र माथे के केंद्र में स्थित हैं। यह चंद्र और सूर्य द्वारा शासित हैं। तत्व महात्त्व हैं

7. क्राउन चक्र या सहस्त्रव: सिर के शीर्ष पर स्थित यह ज्ञान और हमारे उच्च स्वयं के आध्यात्मिक संबंध का चक्र भी "हजार पट्टल लोटस" हैं।

राघव ज्योतिष का मकसद आपकी समस्या से समाधान तक हैं क्योंकि ज्योतिष दशा के माध्यम से दिशा दिखाने का प्रयास करता हैं। राघाव कोई चमत्कार का वादा नही करता हैं बस वैज्ञानिक ग्रहों के आधार ही भविष्य में होने वाली घटनाओं के बारे में अवगत करवा सकता हैं। आप राघाव पर विशवास कर के उचित जानकारी पा सकते हैं और आने वाले समय के लिए कुछ सावधानी के साथ सलाह व उपाय भी ले सकते हैं। सम्पर्क करे +917701950631      


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