भावों द्वारा व्यवसाय का चुनाव:- Astrology and Career Houses in Birth chart and Career
प्रथम भाव: वैदिक ज्योतिश मे दशम भाव का स्वामी प्रथम भाव में आना- अपने मेहनत के बल से ऐसे जातक जीवन में उन्नति करते हैं। जातक अपना ही स्वतंत्र व्यवसाय करते हैं। यदि दशमेश के साथ लग्नेश भी लग्न में हो तो जातक अपने चुने हुए क्षेत्र में अत्यंत सफलता व प्रतिष्ठता पाता हैं। ऐसा जातक सामाजिक संस्थाओं की स्थापना करता हैं तथा स्वयं को समाज सेवा में समर्पित कर देता हैं। लग्नेश दशम भाव में हो तो जातक को अपने व्यवसाय कार्य में सफलता मिलती हैं। ऐसे जातक को बड़े-बड़े लोगो से सम्मान मिलता हैं। ऐसा जातक शोधकार्य भी कर सकता हैं अथवा अपनी विशेषज्ञता के क्षेत्र में सम्मान पाता हैं। जातक राजनैतिक तथा अन्य प्रकार के प्रतिष्ठित पदों की प्राप्ति होने के अतिरिक्त बड़े लोगो के बीच उसकी पहचान होती हैं। दशमेश नवांश में जहां बैठे हो यदि उस राशि के स्वामी अशुभ हो तो जातक की ख्याति को काफी धक्का पहुँचता हैं तथा अपयश मिलता हैं तथा वह भी पापकृत्य करने लगता हैं।
द्वितीय भाव: वैदिक ज्योतिष मे दशमेश का द्वितीय धन भाव में होना जातक को भाग्यशाली बनाता हैं। वह जीवन में उन्नति पाता हैं किन्तु यदि दशम भाव पर अशुभ ग्रहो का प्रभाव हो तो ऐसा जातक धन का नाश करता हैं तथा नुकसान के कारण पैतृक व्यवसाय बंद कर देता हैं। जातक भोजन बनाने व खिलाने का व्यवसाय उसे बहुत अच्छी तरह आते हैं जिनमें वह उन्नति करता हैं। अगर द्वितीयेश दशम भाव में हो तो जातक नाना प्रकार के उधम करता हैं। वह व्यवसाय के साथ खेती बाड़ी व दार्शनिक व्याख्यानों में भी व्यस्त रहता हैं। दशम भाव या दशमेश पर दुष्ट प्रभाव हो तो लाभ की बजाये हानि ही होगी, उन्ही स्त्रोतों से भी जहां से लाभ की अपेक्षा होती हैं। जातक बैकिग, इनवेस्टमेंट, अकाउण्टेंट, खाने पीने का कार्य, सलाहकार और साईकलोजिस्ट होता हैं।
तृतीय भाव: वैदिक ज्योतिष के अनुसार इस भाव का स्वामी का सम्बंध दशम भाव से हो तो जातक को अपने व्यवसाय के कारण लगातार यात्राओं के लिए निकलना पड़ता हैं। यदि दशमेश शुभ ग्रहो के प्रभाव में हो तब तो जातक अच्छा वक्ता तथा समाज में प्रतिष्ठित होगा एवं उसे अपने जीवन में आगे बढ़ने में उसके भाई सहायता करते हैं। जन्म कुंड़ली में तृतीय भाव में यदि नवांश कुंड़ली के लग्न से ६ ८ या १२ राशि हो तथा उसमे दशमेश बैठे हो अथवा दशमेश जिस नक्षत्र में हैं उसका स्वामी दशमेश का शत्रु हो तो जातक को जीवन में बाधा मिलती हैं। यदि तृतीयश भी पीड़ित हो तो भाइयो में अनबन, वैमनस्य आदि बहुधा देखे जाते हैं जिससे जातक का व्यवसायिक जीवन अथवा उसकी आजीविका का स्त्रोत धीरे धीरे पिछड़ने लगता हैं। अगर तृतीयेश दशम भाव में हो तो जातक को यात्राओं से व्यवसाय/आजीविका में सहायता मिलती हैं। ऐसा जातक कम्पयुटर, लिखाई, प्रकाशन, सेल्स, कला और संचार से जुड़ा कार्य करता हैं।
चतुर्थ भाव: वैदिक ज्योतिष के अनुसार करियर भाव का सम्बंध इस भाव से बने तो ऐसा जातक अत्यंत भाग्यशाली तथा कई विषयो का ज्ञाता होता हैं। वह अपने ज्ञान तथा उदारता दोनों के लिए बहुत ख्याति पाता हैं। यदि दशमेश शक्तिशाली हो तो जातक को राज सम्मान तो प्राप्त होता ही हैं वह जहा भी जाता हैं उसे प्रतिष्ठा मिलती हैं वह जनता की सेवा के लिए कुछ भी कर सकता हैं अपनी आजिविका के लिए अचल सम्पति आदि का कार्य भी कर सकता हैं। राजनीति में भी वह उतर सकता हैं। यदि चतुर्थेश नवमेश तथा दशमेश में सम्बन्ध हो जाए तथा सभी शुभ हो तो जातक राज्याध्यक्ष या राष्ट्रपति बन सकता हैं। यदि दशमेश पीड़ित हो तो जातक अपनी भूसम्पत्ति से हाथ धो बैठता हैं तथा उसे निराश्यपूर्ण जीवन व्यतीत करना पड़ता हैं। यदि दशमेश तथा अष्टमेश पाप ग्रस्त हो कर चतुर्थ भाव में हो तो जातक अपनी भूसंम्पदा से हाथ धोकर दुखी जीवन व्यतीत करने का बाध्य हो सकता हैं। यदि चतुर्थेश दशम भाव में हो तो जातक को राजनीति में सफलता मिलती हैं तथा वह उच्च राजपद क मंत्रीपद पाता हैं। वह अपने शत्रुओं को पराजित करता हैं तथा पूरी पृथ्वी पर अपने व्यक्तित्व की छाप छोड़ता हैं। यदि चतुर्थ भाव पाप ग्रहो से पीड़ित अथवा निर्बल हो तो जातक की प्रतिष्टा को ठेस पहुंचती हैं। यदि बुध चतुर्थेश अथवा दशमेश हो तथा दशम अथवा चतुर्थ भाव में हो तो व्यवसाय आदि से धन की प्राप्ति होती हैं। ऐसा जातक ज़मीन खरीदना बेचना, वाहन, पानी और खनिज़ से जुड़ा कार्य करता हैं।
पंचम भाव: वैदिक ज्योतिष के अनुसार ऐसा जातक राजनीति, स्टॉक ब्रोकर, बच्चो, मनोरंज़न, लेखक और धार्मिकता से जुड़ा कार्य करता हैं। जातक का रुझान एजुकेशन वर्क, फाईनेंस, निवेश, बच्चो से जुडा कार्य, खेल, मनोरंज़न, डिलिवरी, डाक्टर, लव एक्सपर्ट, कॉउंसलर, चाईल्ड स्पेसलिस्ट, क्रिएटिव वर्क, पास्ट बर्थ थेरेपी, मंत्र तंत्र तपस्या, धर्म ध्यान, शेयर मार्किट, टीचर आदि से जुडा कार्य करना पसंद करते है।
छठा भाव: वैदिक ज्योतिष अनुसार ऐसा जातक वकील, मीलट्री, सेवक, डॉक्टर, न्यायपालिका, जेलखाने या अस्पताल के लिए कार्य करता हैं। यदि दशमेश षष्टम भाव में हो तथा उस पर शनि की दृष्टि भी पड़े तो जातक को जीवन पर्यन्त किसी छोटे पद पर कार्य करते रहना पड़ सकता हैं। वही यदि शुभ ग्रहो की दृष्टि हो तो जातक को उच्च पद की प्राप्ति हो सकती हैं तथा उसे विशेष सम्मान भी मिल सकता हैं क्योंकि उसके चरित्र की चारो और प्रतिष्टा होती हैं। यदि राहु अथवा अन्य पाप ग्रह के साथ दशमेश षष्टम भाव में हो तो जातक को अप्रतिष्ठा व अपयश का सामना करना पड़ सकता हैं उसकी किसी आपराधिक मामले में फंसने तथा जेल जाने की संभावना हो जाती हैं।
सप्तम भाव: दशम भाव से इस भाव का सम्बंध होने से जातक राजनायिक अथवा विदेश सेवा के लिए विदेश जाता हैं तथा अपने वाक्यचातुर्य तथा लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रतिष्ठित होता हैं। वह अच्छा व्यापारी, सांझेदारी तथा सहकारिता से धनार्जन करता हैं। यदि दशमेश पर पाप ग्रहो का प्रभाव हो तो हर प्रकार की बुराइयों से वह घिरा रहता हैं तथा यौन विकृतियों का शिकार होता हैं।
अष्टम भाव: दशम भाव से इस भाव का सम्बंध होने से ऐसे जातक की जीविका में कई व्यवधान आने की आशंका होती हैं। यदि दशमेश शुभकर्तरी योग में हो अथवा उस पर शुभ ग्रहो की दृष्टि/युति हो तो जातक अल्पकाल के लिए अपने कार्य क्षेत्र में उच्च पद को प्राप्त करता हैं। यदि ऐसे दशमेश पर गुरु का प्रभाव हो तो जातक पराविद्या अथवा आध्यात्मिक गुरु शिक्षक होता हैं। यदि गुरु के साथ दशमेश पर शनि का प्रभाव हो जातक मरघटों, कब्रगाहो आदि के लिए कार्य करता हैं। ऐसा जातक, इंशोरेंस, रिसर्च, कब्रगाह व सेक्स से जुड़ा कोई कार्य करता हैं।
नवम भाव: दशमेश का नवम भाव में होना जातक को आध्यात्मिक रूप से अत्यंत सबल बनाता हैं। ऐसा जातक आध्यात्मिक जिज्ञासा रखने वालो के लिए दिशा प्रदर्शक का कार्य करता हैं। जातक आर्थिक रूप से सम्पन्न होता हैं व आदर्श पुत्र होता हैं तथा पैतृक कारोबार को आगे बढ़ाता हैं। जातक दान पुण्य के भी बहुत कार्य करता हैं। जातक लॉ, प्रोफेसर, यात्राओं, धार्मिक गुरु व विदेशी कम्पनियों के साथ कार्य करता हैं।
दशम भाव: यदि सशक्त दशम दशमेश भाव में हो तो जातक अपने व्यवसाय/नौकरी में अत्यंत सफल होता हैं तथा उसे प्रतिष्ठा और सम्मान भी बहुत अधिक मिलता हैं। विपरीत यदि दशमेश अशक्त तथा पीड़ित हो तो आत्म-सम्मान खो बैठता हैं तथा छोटी सुविधाओं के लिए याचक बना फिरता हैं। वह पूरी उम्र अन्य पर निर्भर रहता हैं तथा असंतुलित बुद्धि का होता हैं। यदि ऐसे जातक के दशम भाव में तीन या तीन से अधिक ग्रह हो तो जातक साधू हो जाता हैं। ऐसा जातक सरकारी कार्य, जनता के साथ डीलिंग, मैंनेज़र या राज़नीति में रुचि लेता हैं।
एकादश भाव: दश्मेश के एकादश भाव में जाने से जातक अत्यंत धनी, भाग्यशाली, सद्कर्मो में रत, सैंकड़ो लोगो के लिए आजीविका का प्रबंध करने वाले तथा अत्यंत सम्मानित होता हैं। इन्हे बहुत से मित्रो का सहचार्य भी मिलता हैं। किन्तु यदि एकादश भाव पर दुष्ट/पापी प्रभाव हो तो मित्र भी शत्रु हो जाते हैं और जातक के लिए हर प्रकार की मुशिकल/चिंता का कारण बनते हैं। ऐसा जातक व्यापारी, अकॉउण्टेंट, फाईनेंशल संस्था और ग्रुप वर्क के साथ कार्य करता हैं।
द्वादश भाव: दशम भाव से इस भाव का सम्बंध होने से ऐसे जातक को घर से बहुत दूर, मुसीबतो में सुख से वंचित रहना पड़ता हैं। यदि अच्छी दृष्टि/युति हो शुभ कर्तरी योग बने उच्च का दश्मेश हो तो जातक आध्यात्मिक जिज्ञासु होता हैं, यदि दश्मेश पर पापी प्रभाव हो तो जातक अपने परिवार से दूर बिना प्रयोजन के भटकता रहता हैं तथा कभी सफल नहीं हो पाता हैं वह तस्करी या वैसे ही किसी गलत धंधे में रत हो जाता हैं अगर राहु दशमेश को प्रभावित करे तो जातक अपराधिक प्रवृत्तियों का होता हैं वह ठगी कर अपने परिवार के सदस्यों/सम्बन्धियों के लिए संताप का कारण बनता हैं। ऐसा जातक विदेशी कम्पनी में कार्य, चैरेटी, यात्राओं, जेलर, वकील और इंवेस्टमेंट से जुड़ा कार्य करता हैं।
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