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आई.ए.एस: भारतीय प्रशासनिक सेवा – ज्योतिषिय नियम I.A.S Astrology Rules

हम अपने जन्म कुंड़ली के ग्रहों के योग से से ही अपने व्यवसाय के बारें में जान पाते हैं। कुछ लोग अपनी किस्मत को कोसते हैं क्योंकि जो काम वह चुन लेते हैं उसमें खुश नहीं रह पाते क्योंकि वह उस कार्य के लिए बने ही नहीं होते हैं इसलिए हमें अपनी कुंड़ली में ग्रहों के अनुसार ही अपने व्यवसाय का चुनाव करना चाहिए। सभी का कुछ न कुछ बनने का सपना होता हैं और आप का सपना आई.ए.एस बनने का हैं तो आप भी ज्योतिष की मदद ले कर इन योगों को अपनी कुंड़ली में जान ले जिससे आपकी मेहनत सफल हो जाये।

प्रत्येक वर्ष कई छात्र/छात्रा आई.ए.एस की परिक्षा में शामिल होते हैं परंतु सफलता बहुत कम लोगों को मिलती हैं। यहां हमारा वैदिक ज्योतिष आपको उचित मार्गदर्शन प्रदान करने में सक्षम हैं। जहां आई.ए.एस ऑफिसर के लिए व्यक्ति की शिक्षा उच्च स्तर की होनी चाहिए। हम भावों और ग्रहों के माध्यम से सभी नियमों को समझ सकते हैं। जिसमें शिक्षा के लिए चौथा, पांचवा और नवा भाव देखा जाता हैं। यह भाव मज़बूत होने पर जातक की शिक्षा उच्च स्तर की होती हैं।       

भाव: आज का युग प्रतिस्पर्धा का युग हैं। जिसमें सफलता पाने के लिए लग्न, जिससे प्रतियोगिता का भाव षष्ठम, अष्ट्म तथा व्यवसाय का दशम भाव भाव/भावेशों का शक्तिशाली होना व इनका संबंध होना आवशयक हैं।            ज्योतिष सीखनें के लिए यहां देखें!

सफलता के लिए पूरे समर्पित भाव से साहस व मेहनत की आवशयकता हैं, जिसके लिए तृतीय भाव/भावेश का होना भी आवशयक हैं। (यह दशम से षष्ठम तथा षष्ठम से दशम भाव हैं यानि दशम का शत्रु) तृतीय भाव/भावेश प्राणमय हो तो जातक आकाश को अवशय छूता हैं। यह भाव मज़बूत हो तो जातक दुशमनों से लड़ने की क्षमता मिलती हैं।

ग्रह: राजा और सरकारी पद का कारक सूर्य और सलाहकार/ज्ञान का कारक गुरु, इन दोनों का होना प्रशासनिक प्रतियोगिता में सफलता और उच्च पद दिलाता हैं। गुरु या सूर्य उच्च का या स्वराशि में दशम से सम्बंध बनाये तो यह योग बनता हैं।

जनता की सेवा का कारक शनि जिसके महत्व को नकारना भूल होगी। नौकरी पेशा लोगों के लिए मेहनत का कारक शनि का विशेष महत्व हैं क्योंकि शनि सार्वजनिक और प्रशासनिक अधिकारियों का कारक हैं। इस नौकरी में लेखन की प्रतिभा के लिए मंगल (स्याही) और बुध (कलम) का साथ होना भी आवशयक हैं।       किसी भी प्रशन के लिए यहां क्लिक करें!

मंगल साहस,ऊर्जा और निर्णय का कारक हैं, जिसको प्रतियोगिता में सफलता की उपाधि दी गई हैं। मंगल उच्च, स्वराशि, मित्र या सूर्य की राशि में हो कर दशम से संबंध बनाये तो यह योग बनता हैं।        

अमात्यकारक का बली होकर केंद्र में या तृतीय या एकादश भाव में होना भी जातक को ऊंचाईयों तक ले जाता हैं।     हमसें मिलनें या बात करने के लिए सम्पर्क करें!

धन योग या पंच महापुरुष योग भी इस के लिए बहुत महत्व रखता हैं।    

दशा और गोचर का सफलता में विशेष महत्व हैं। नौकरी में सफलता की सम्भावना तब होगी जब ग्रह मज़बूत होंगे और इन ग्रहों की दशा में ही अधिकारी बनने की सम्भवाना रहेगी। यदि दसवें, छठे, और तीसरे भाव की दशा व गोचर मिलेगा तभी व्यक्ति अधिकारी बन जाएगा।

  • जब ग्यारवे घर का सम्बंध नवम या दशम से बने तब उच्च अधिकारी के योग बनते हैं।
  • यदि शुक्र या बृहस्पति पंचम भाव में शुभ अवस्था में हैं और सूर्य अच्छी स्थिति में हैं तब भी अधिकारी के योग बनते हैं।     
  • यदि सूर्य, बुध और बृहस्पति केंन्द्र में हो या दशम का स्वामी त्रिकोण/केंद्र में हो और बृहस्पति शुभ अवस्था में हो तब भी उच्च अधिकारी के योग बनते हैं।   

अन्य योगों के बारे में जानने के लिए यहां देखें!


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