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Lagan Yoga

लग्न से बनने वाले योग-

लग्न- हमारा भचक्र जो 360 अंशों का हैं वह हमेशा घूमता रहता हैं 12 राशियों से बने इस भचक्र में चौबीस घंटे के एक दिन में सभी बारह राशियों का उदय होता हैं। जन्म के समय में पूर्व क्षितिज़ पर उदय होने वाली राशि ही जन्म लग्न राशि कहलाती हैं। समान्यतः एक लग्न दो घंटे तक रहता हैं।

वैदिक ज्योतिष में योगों से ही कुंडली की मज़बूती का पता चलता हैं और इन्हीं योगों का दशा के माध्यम में से फलित होना ही घटनाओं को बताता हैं।

लग्न का ज्योतिष में विशेष महत्व हैं, इनसे बनने वाले योग जातक के जीवन में महत्वपूर्ण हैं।          अन्य योगों को जाननें के लिए यहां देखें। 

  1. लग्नाधि योग: यह योग तीन शुभ ग्रह गुरु, शुक्र और बुध का लगन से 6, 7 और 8 भाव में स्थित होने से होता हैं इनमें से दो या केवल एक ही ग्रह हो तब भी योग बनता हैं। इस योग के माध्यम से जातक के पास धन और आत्मविश्वास की कमी नहीं आती और जातक मुश्किलों के आने के बाद भी घबराता नहीं हैं। उसके अंदर नेतृत्व की भावना होती हैं और खुद अपने पैरों पर खड़े होने की योग्यता रखता हैं।
  2. शुभ कर्त्तरी योग: जन्म के समय जब दो शुभ ग्रह लग्न से दूसरे और बारहवें भाव में स्थित होता हैं तो शुभ कर्त्तरी योग का निर्माण होता हैं। लग्न पर दूसरें अशुभ ग्रहों का प्रभाव नहीं होना चाहिए। इस योग में जातक हमेशा प्रसन्न, शांत और आरामदायक जिंदगी जीता हैं। जातक के विचार हमेशा सकारात्मक रहते हैं और अपने आसपास हमेशा एक पवित्रता की भावना रखता हैं और एक तनावरहित जिंदगी में खुश रहता हैं।
  3. सरस्वती योगा: यदि बुध, बृहस्पति व शुक्र केंद्र त्रिकोण या दूसरे भाव में एकसाथ या अलग-अलग हो तो सरस्वती योग बनता हैं। इस योग में बृहस्पति को मित्र राशि या उच्च राशि में स्थित होकर बलवान होना चाहिए। इस जातक में जन्मा जातक काव्य, गणित, साहित्य, बुद्धिमान व शास्त्रों में पारांगत, धनवान व व्याख्याकार होता हैं। इस योग के माध्यम से जातक को सरस्वती मां का वरदान मिलता हैं। जातक के अंदर संगीत और गायन की प्रतिभा होती हैं। वह एक मशहूर लेखक और कलात्मक व्यक्तित्व का बन सकता हैं।             कोई भी सवाल! जवाब के लिए अभी बात करे!
  4. लक्ष्मी योग: यह योग नाम से ही अतुल्य धन-सम्पति देने वाला हैं। यदि लग्नेश व नवमेश दोनों बलवान होकर केंद्र-त्रिकोण में अपनी स्वराशि या उच्च राशि में हो तो लक्ष्मी योग बनता हैं। इस योग में जन्म लेने वाले व्यक्ति सज्जन, धनी, विद्वान, रूपवान, प्रसिद्ध, ईमानदार और सब तरह से सुखों का भोग भोगने वाला होता हैं। ऐसा जातक बहुत उत्साही होता हैं और वह अपने जीवन में आने वाले अवसर जिनसे धन कमाया जाये उनसे लड़ने के काबिल होता हैं। यह योग बहुत धन नाम मान-प्रतिष्ठा देने वाला होता हैं। ऐसे जातक के जीवन में अमीर लोग ही आते हैं।              अन्य सवालों के जवाब के लिए हमसें मिलनें के लिए सम्पर्क करें।    
  5. अमला योग: जब कोई शुभ ग्रह लग्न से दशम भाव में स्थित हो तब अमला योग बनता हैं। इस योग में लग्न अशुभ प्रभावों से रहित होना चाहिए। यह योग अच्छा नाम, पद और स्वस्थ शरीर देता हैं। ऐसा जातक अपनी जिंदगी में बहुत नाम और धन कमाता हैं।
  6. वसुमन योग: इस योग में लग्न से तीन शुभ ग्रह उपचय भाव में हो तब इस योग का निर्माण होता हैं। यही भाव विकास, प्रगति और वृद्धि की ओर उन्मुख करता हैं। ऐसा जातक अपनी मेहनत और संघर्ष से ही बहुत धन कमाता हैं।
  7. कलानिधि योग: यदि लग्न से दूसरे या पंचम भाव में बुध या शुक्र से युत या दृष्ट बृहस्पति हो अथवा शुक्र या बुध की राशि बृहस्पति स्थित हो तो कलानिधि योग बनता हैं। इस योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति गुणवान, निरोगी, सुखी, धंनवान, अच्छे स्वभाव व वाहन के तथा अन्य सांसारिक सुख प्राप्त होते हैं।            अपनी जन्म राशि जानें।
  8. कुसुम योग: यदि लग्न स्थिर राशि का हो, शुक्र केंद्र में हो, चंद्रमा त्रिकोण में शुभ ग्रह की युति में स्थित हो और शनि दशम में हो तो कुसुम योग बनता हैं| इस योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति उच्च पदाधिकारी या किसी गांव या नगर का मुखिया बनता हैं और वह अपने गुण व सदाचार के लिए प्रसिद्ध होता हैं|
  9. श्री नाथ योगा- यदि लगनेश, सूर्य और चंद्रमा कुंडली में केंद्र या त्रिकोण भाव में अपनी स्वराशि, उच्च राशि या मित्र की राशि में हो तो यह योग बनता हैं। ऐसा जातक प्रसिद्ध, भगवान शिव का प्रेमी, प्रसन्न, दयावान और भाग्यवान होता हैं।       

लग्न से बनने वाले दूसरे योग भी ज्योतिष में अपना प्रभाव रखते हैं।

यदि शुभ ग्रह लग्न में हो शनि लग्न से सांतवे भाव में स्थित हो तो जातक वैभव और भौतिक सुखों से भरी जिंदगी जीता हैं।

अगर बुध लग्न में शुभ अवस्था में हो और कोई एक मज़बूत ग्रह नवें भाव में हो तो जातक कम मेहनत से ही बहुत धनवान बन जाता हैं।

अगर लग्न और नवम भाव में शुभ ग्रह (पापी प्रभाव से दूर हो) का परिवर्तन हो तो जातक तनाव रहित जिंदगी जीता हैं और अपने मेहनत से अपना नाम और प्रतिष्ठा कमाता हैं। ऐसा जातक अपने पिता से बहुत प्रोत्साहन, मदद और सहारा मिलता हैं। ऐसे लोग धार्मिक होते हैं और इनका भाग्य हमेशा साथ रहता हैं।

अगर लगन का स्वामी और दशम भाव का स्वामी एक साथ स्थित हो और उन पर शुभ गुरु प्रभाव हो तो जातक अपनी जिंदगी में सकारात्मक प्रभाव में रहता हैं और भाग्य का साथ हमेशा बना रहता हैं। ऐसा जातक अपनी जिन्दगी में धन के साथ समाज व पिता से पूरी मदद और मान-प्रतिष्ठा कमाता हैं। ऐसा जातक एक अच्छा व्यापारी और समाजसेवी भी होता हैं।

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